AP-40 Homicide and suicide – are they the same or different?

AP-40 जीवघात और आत्मघात – क्या ये एक समान हैं या भिन्न?

AP-40 Homicide and suicide – are they the same or different?

 ( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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1.जीवघात और आत्मघात का परिचय

जीवघात

  • जीवघात का अर्थ है शरीर का घात या नाश।
  • यह शरीर के अंत से संबंधित है।
  • शरीर का नाश तब होता है जब आत्मा दुखी होकर अपने भौतिक शरीर को त्याग देती है।

आत्मघात

  • आत्मघात का अर्थ है आत्मा का परमात्मा और आत्मिक ज्ञान से दूर हो जाना।
  • यह आत्मा के गुणों और शक्तियों में कमी के कारण होता है।
  • आत्मघात तब होता है जब आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप और शक्ति को भूल जाती है।

2. जीवघात और आत्मघात में अंतर

पहलू जीवघात आत्मघात
अर्थ शरीर का अंत। आत्मा के गुणों और शक्तियों का ह्रास।
कारण जीवन के संघर्षों से हार मानना। परमात्मा और ज्ञान से दूरी।
प्रभाव शरीर का नाश। आत्मा का भविष्य अंधकारमय हो जाना।
समाप्ति जीवन का भौतिक अंत। आत्मा की उन्नति का रुक जाना।
सम्बन्ध आत्मा के दुखी होने पर शरीर को त्यागना। आत्मा का कमजोर होकर दोषों में गिरना।

3. जीवघात और आत्मघात के कारण

जीवघात के कारण

  • आत्मा का गहरा दुख और जीवन के संघर्षों से निराशा।
  • मानसिक तनाव और आशाओं का टूटना।
  • जीवन की चुनौतियों का सामना न कर पाना।

आत्मघात के कारण

  • व्यर्थ और नकारात्मक विचार।
  • आत्मा का परमात्मा से संबंध तोड़ना।
  • अवगुणों का आत्मा में आ जाना, जैसे:
    • कामवासना
    • लोभ
    • क्रोध
    • ईर्ष्या
    • मोह
    • अहंकार
    • भय और चिंता

4. आत्मघात का प्रभाव

  • आत्मा का दुख और अशांति का अनुभव।
  • सही निर्णय लेने की शक्ति का कम होना।
  • आत्मा की उन्नति के अवसरों का समाप्त होना।
  • आत्मा के गुण और शक्तियाँ समाप्त हो जाती हैं।

बाबा का संदेश

बाबा कहते हैं कि आत्मघात जीवघात से भी अधिक हानिकारक है। आत्मा का परमात्मा से दूर होना सबसे बड़ी हानि है।


5. समाधान: आत्मा को सशक्त कैसे बनाएं?

ज्ञान और योग का अभ्यास

  • परमात्मा और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को समझें।
  • आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंध को मजबूत करें।

सकारात्मक चिंतन

  • व्यर्थ और नकारात्मक विचारों से बचें।
  • परमात्मा के निर्देशों का पालन करें।

गुण और शक्तियों का विकास

  • अवगुणों को छोड़कर आत्मा के मूल गुणों को अपनाएं:
    • शांति
    • प्रेम
    • पवित्रता
    • आनंद
    • शक्ति
    • ज्ञान
    • सुख

जीवन को नई दिशा दें

  • चुनौतियों का सामना साहस और धैर्य से करें।
  • हर परिस्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं।

निष्कर्ष

जीवघात और आत्मघात में भिन्नता है, लेकिन दोनों ही आत्मा के लिए हानिकारक हैं। जीवघात शरीर का अंत करता है, जबकि आत्मघात आत्मा की शक्तियों और उन्नति को समाप्त करता है। आत्मघात से बचने का एकमात्र उपाय है आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंध को गहरा करना।

प्रश्न और उत्तर (आत्मा-पदम 40: जीवघात और आत्मघात – क्या ये एक समान हैं या भिन्न?)


प्रश्न 1: जीवघात और आत्मघात का क्या अर्थ है?

उत्तर:

  • जीवघात:
    यह शरीर का घात या नाश है। आत्मा के दुखी होने पर वह अपने भौतिक शरीर को त्याग देती है।
  • आत्मघात:
    यह आत्मा का परमात्मा और आत्मिक ज्ञान से दूर हो जाना है। इसमें आत्मा के गुण और शक्तियाँ कमजोर हो जाती हैं।

प्रश्न 2: जीवघात और आत्मघात में क्या मुख्य अंतर है?

उत्तर:

पहलू जीवघात आत्मघात
अर्थ शरीर का अंत। आत्मा के गुणों और शक्तियों का ह्रास।
कारण जीवन के संघर्षों से हार मानना। परमात्मा और ज्ञान से दूरी।
प्रभाव शरीर का नाश। आत्मा का भविष्य अंधकारमय हो जाना।
समाप्ति जीवन का भौतिक अंत। आत्मा की उन्नति का रुक जाना।
संबंध आत्मा के दुखी होने पर शरीर को त्यागना। आत्मा का कमजोर होकर दोषों में गिरना।

प्रश्न 3: जीवघात और आत्मघात के क्या कारण हैं?

उत्तर:जीवघात के कारण:

  1. आत्मा का गहरा दुख और जीवन के संघर्षों से निराशा।
  2. मानसिक तनाव और आशाओं का टूटना।
  3. जीवन की चुनौतियों का सामना न कर पाना।

आत्मघात के कारण:

  1. व्यर्थ और नकारात्मक विचार।
  2. आत्मा का परमात्मा से संबंध तोड़ना।
  3. अवगुणों का आत्मा में आ जाना, जैसे:
    • कामवासना
    • लोभ
    • क्रोध
    • ईर्ष्या
    • मोह
    • अहंकार
    • भय और चिंता

प्रश्न 4: आत्मघात के क्या प्रभाव होते हैं?

उत्तर:

  1. आत्मा को दुख और अशांति का अनुभव होता है।
  2. आत्मा की सही निर्णय लेने की शक्ति कम हो जाती है।
  3. आत्मा की उन्नति के अवसर समाप्त हो जाते हैं।
  4. आत्मा के मूल गुण और शक्तियाँ समाप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 5: बाबा का संदेश क्या है?

उत्तर:
बाबा कहते हैं कि आत्मघात, जीवघात से भी अधिक हानिकारक है। आत्मा का परमात्मा से दूर होना सबसे बड़ी हानि है। आत्मा को परमात्मा के साथ जोड़े रखना ही इसका समाधान है।


प्रश्न 6: आत्मा को सशक्त बनाने के उपाय क्या हैं?

उत्तर:

  1. ज्ञान और योग का अभ्यास:
    • परमात्मा और आत्मा के वास्तविक स्वरूप को समझें।
    • आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंध को मजबूत करें।
  2. सकारात्मक चिंतन:
    • व्यर्थ और नकारात्मक विचारों से बचें।
    • परमात्मा के निर्देशों का पालन करें।
  3. गुण और शक्तियों का विकास:
    • अवगुणों को छोड़कर आत्मा के मूल गुणों को अपनाएं:
      • शांति
      • प्रेम
      • पवित्रता
      • आनंद
      • शक्त
      • ज्ञान
      • सुख
  4. जीवन को नई दिशा दें:
    • चुनौतियों का सामना साहस और धैर्य से करें।
    • हर परिस्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं।

प्रश्न 7: जीवघात और आत्मघात से बचने के लिए क्या करें?

उत्तर:जीवघात और आत्मघात से बचने के लिए आत्मा को परमात्मा से जोड़ें। ज्ञान, योग और सकारात्मक जीवनशैली अपनाएं। जीवन की चुनौतियों का सामना धैर्य और साहस से करें और हर स्थिति में आत्मिक संतुलन बनाए रखें।


प्रश्न 8: जीवघात और आत्मघात में क्या समानता है?

उत्तर:दोनों ही आत्मा के लिए हानिकारक हैं।

  • जीवघात: शरीर का अंत करता है।
  • आत्मघात: आत्मा की शक्तियों और उन्नति को समाप्त करता है।

प्रश्न 9: इस विषय का निष्कर्ष क्या है?

उत्तर:जीवघात और आत्मघात में भिन्नता है, लेकिन दोनों आत्मा के लिए नुकसानदायक हैं। आत्मघात जीवघात से अधिक हानिकारक है क्योंकि यह आत्मा की शक्तियों को समाप्त करता है। इसका समाधान आत्मा और परमात्मा के बीच के संबंध को मजबूत करना और सकारात्मक जीवनशैली अपनाना है

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