AP38-Spirits: evil spirits which we call ghosts etc.

आत्मा-पदम (38)स्प्रिटस: गंदी आत्माएं जिन्हे हम भूत प्रेत वगैरह कहते हैं

A-P 38 -Spirits: evil spirits which we call ghosts etc.

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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प्रत्यक्ष और गुप्त का रहस्य

यह अध्याय स्प्रिटस और उनके प्रभाव को समझने के लिए समर्पित है। इसमें हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि “प्रत्यक्ष” और “गुप्त” क्या है। प्रत्यक्ष रूप में यह आत्माएं किस प्रकार हमारे सामने आती हैं, और गुप्त रूप में किस प्रकार सक्रिय रहती हैं, इन दोनों पहलुओं पर गहनता से चर्चा करेंगे। साथ ही, यदि इस संदर्भ में आपके मन में कोई प्रश्न हो, तो उसे भी स्पष्ट करेंगे।

सूक्ष्म शरीरधारी आत्माएं और उनका कार्य

सूक्ष्म शरीरधारी आत्माएं अपने अशुद्ध संस्कारों के कारण सूक्ष्म शरीर में भटकती हैं। हमें यह स्पष्ट समझना चाहिए कि आत्माएं अपने कर्मों के आधार पर संचालित होती हैं। यदि किसी आत्मा ने किसी को दुख दिया है और वह शरीर लेकर अपना कार्मिक हिसाब बराबर नहीं कर पा रही है, तो वह सूक्ष्म शरीर के माध्यम से इसे पूरा करती है। इसे भटकना कहना अज्ञानता का परिणाम है।

भक्ति मार्ग में आत्माओं की भटकन का वर्णन है, लेकिन यह “भटकना” शब्द केवल उनकी वास्तविक मंजिल की जानकारी न होने के कारण प्रयुक्त होता है। हर आत्मा अपने नैनोसेकंड के पार्ट के अनुसार कार्य करती है। इसलिए इसे भटकना नहीं कहा जा सकता। आत्मा अपने कर्मों के अनुसार सूक्ष्म शरीर में आकर अपना हिसाब बराबर करती है।

आत्मा की स्थिति और निर्भयता

जब आत्मा अपनी स्मृति में रहती है और बाप-दादा समान स्थिति को प्राप्त करती है, तो उसे किसी भी प्रकार का भय नहीं लगता। शरीर का नुकसान हो सकता है, लेकिन आत्मा अछूती रहती है। बाबा कहते हैं कि अंतर्मुखी होकर अपने अशुद्ध संस्कारों को पहचानें और समाप्त करें। यही अभ्यास आत्मा को सशक्त बनाता है और उसे नकारात्मक प्रभावों से बचाता है।

योग और आत्म चिंतन

योग और आत्म चिंतन के माध्यम से “ईविल स्प्रिटस” का प्रभाव समाप्त किया जा सकता है। जब हम योग अग्नि का सही प्रकार से उपयोग करते हैं, तो यह हमें निर्भय और निश्चिंत बनाता है। आत्मा को आत्मा के रूप में स्वीकारना और उसे परमात्मा का परिचय देना एक महत्वपूर्ण कार्य है। आत्मा को मुक्ति और जीवन-मुक्ति दिलाने में यह एक साधन बन सकता है।

नकारात्मक संस्कारों को समाप्त करने का अभ्यास

बाबा कहते हैं कि आत्मा को अपनी स्थिति का निरीक्षण करना चाहिए। “अंतर” का अर्थ है अपनी स्थिति और संस्कारों को जांचना। अपनी स्ट्रेंथ और वीकनेस को पहचानकर उसे सुधारना। “मंत्र” का अर्थ है सही समय पर सही कार्य करना। इन दोनों गुणों को प्रैक्टिकल में लाने पर आत्मा सशक्त बनती है। यही अभ्यास आत्मा को इविल स्प्रिटस के प्रभाव से बचा सकता है।

इविल स्प्रिटस का प्रभाव और उपाय

इविल स्प्रिटस प्रत्यक्ष रूप में कम और गुप्त रूप में अधिक सक्रिय होती हैं। बाबा की मुरली में यह स्पष्ट किया गया है कि आत्मा को अपनी बिंदु रूप और अव्यक्त स्थिति में सदा स्थित रहने का अभ्यास करना चाहिए। यही फाइनल स्टेज आत्मा को शक्तिशाली और सुरक्षित बनाती है।

तीव्र गंध का प्रभाव

ऐसा माना जाता है कि तीव्र गंध आत्मा को प्रभावित करती है। पुराने समय में, भूत-प्रेत के प्रभाव को समाप्त करने के लिए चमड़े के जूते सुंघाए जाते थे। आज भी जादू टोने में तीखी गंध का उपयोग किया जाता है, जैसे गूगल जलाना। यह आत्मा पर असर डालता है, लेकिन यह केवल अस्थायी उपाय है। आत्मा तब तक नहीं जाती जब तक उसका कार्मिक हिसाब-किताब पूरा न हो जाए।

निष्कर्ष

ईविल स्प्रिटस के प्रभाव उनके गंदे संस्कारों के कारण होते हैं। आत्मा को अपनी आत्मिक स्थिति में स्थिर रहना चाहिए और योग अग्नि का अभ्यास करना चाहिए। यही उपाय आत्मा को भयमुक्त और शक्तिशाली बनाता है। अंततः, बाप-दादा की शिक्षाओं के अनुसार, बिंदु रूप और अव्यक्त स्थिति ही आत्मा को हर प्रकार की चुनौती से बचा सकती है।

प्रश्न और उत्तर

1. प्रश्न: “प्रत्यक्ष” और “गुप्त” इविल स्प्रिट्स में क्या अंतर है?

उत्तर:“प्रत्यक्ष” इविल स्प्रिट्स वे होती हैं जो किसी न किसी रूप में हमारे सामने आती हैं, जैसे किसी व्यक्ति पर कब्जा करना या किसी वस्तु को प्रभावित करना। वहीं “गुप्त” इविल स्प्रिट्स प्रत्यक्ष रूप में दिखाई नहीं देतीं, लेकिन मानसिक और भावनात्मक स्तर पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। गुप्त रूप में वे अधिक सक्रिय रहती हैं और संकल्पों व विचारों के माध्यम से आत्मा को प्रभावित करती हैं।


2. प्रश्न: सूक्ष्म शरीरधारी आत्माएं भटकती क्यों हैं?

उत्तर:सूक्ष्म शरीरधारी आत्माएं अपने अशुद्ध संस्कारों के कारण सूक्ष्म शरीर में भटकती हैं। यदि आत्मा ने अपने कर्मों का हिसाब-किताब पूरा नहीं किया, तो वह सूक्ष्म शरीर से इसे पूरा करती है। “भटकना” केवल एक अज्ञानता का शब्द है; वास्तव में आत्मा अपने कर्मानुसार कार्य करती है।


3. प्रश्न: आत्मा अपनी स्मृति में रहने पर निर्भय क्यों होती है?

उत्तर:जब आत्मा अपनी स्मृति में रहती है और बाप-दादा समान स्थिति को प्राप्त करती है, तो उसे पता होता है कि वह अमर और अछूती है। शरीर का नुकसान हो सकता है, लेकिन आत्मा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह स्थिति आत्मा को निर्भय और नकारात्मक प्रभावों से मुक्त रखती है।


4. प्रश्न: योग अग्नि के माध्यम से इविल स्प्रिट्स के प्रभाव को कैसे समाप्त किया जा सकता है?

उत्तर:योग अग्नि आत्मा को शक्तिशाली बनाती है और नकारात्मक प्रभावों को जलाकर समाप्त कर देती है। जब आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप में रहती है और परमात्मा की याद में होती है, तो इविल स्प्रिट्स उस पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकतीं।


5. प्रश्न: “अंतर” और “मंत्र” का क्या अर्थ है, और यह आत्मा के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?

उत्तर:अंतर: आत्मा को अपनी स्थिति, गुण और दोष का निरीक्षण करना। अपनी स्ट्रेंथ और वीकनेस को पहचानकर उसे सुधारना।

  • मंत्र: सही समय पर सही निर्णय लेना और परमात्मा की डायरेक्शन का पालन करना।
    ये दोनों आत्मा को सशक्त और सुरक्षित बनाते हैं, जिससे वह इविल स्प्रिट्स के प्रभाव से बच सकती है।

6. प्रश्न: इविल स्प्रिट्स पर तीव्र गंध का क्या प्रभाव होता है?

उत्तर:ऐसा माना जाता है कि तीव्र गंध, जैसे कपूर, नौशादर, या गूगल, इविल स्प्रिट्स पर प्रभाव डालती है। यह गंध आत्मा को अस्थायी रूप से प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है। आत्मा तब तक नहीं जाती जब तक उसका कार्मिक हिसाब-किताब पूरा न हो जाए।


7. प्रश्न: भक्ति मार्ग में “भटकना” शब्द का क्या मतलब है?

उत्तर:भक्ति मार्ग में “भटकना” शब्द का उपयोग तब होता है जब आत्मा अपनी मंजिल, कर्म, या सत्य को नहीं पहचानती। यह असली अर्थ में भटकना नहीं है, बल्कि अज्ञानता के कारण होता है। जब आत्मा को अपनी मंजिल और कर्म का ज्ञान हो जाता है, तो यह स्थिति समाप्त हो जाती है।


8. प्रश्न: बिंदु रूप और अव्यक्त स्थिति आत्मा को कैसे सुरक्षित बनाती हैं?

उत्तर:बिंदु रूप और अव्यक्त स्थिति में रहने से आत्मा सशक्त और स्थिर रहती है। यह स्थिति इविल स्प्रिट्स के नकारात्मक प्रभाव को दूर रखती है। बाबा के अनुसार, फाइनल स्टेज में आत्मा को बिंदु रूप में स्थित होकर सदा अपनी आत्मिक शक्ति बनाए रखनी चाहिए।


9. प्रश्न: तीखी गंध का उपयोग आत्मा पर प्रभाव डालने के लिए कैसे किया जाता है?

उत्तर:तीखी गंध, जैसे चमड़े का जूता सुंघाना या गूगल जलाना, इविल स्प्रिट्स को प्रभावित करती है। यह आत्मा को अस्थायी रूप से दूर कर सकता है, लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। आत्मा को अपनी स्थिति के अनुसार ही स्थायी मुक्ति मिलती है।


10. प्रश्न: इविल स्प्रिट्स के गुप्त प्रभाव से बचने का सबसे प्रभावी तरीका क्या है?

उत्तर:इविल स्प्रिट्स के गुप्त प्रभाव से बचने के लिए आत्मा को अपनी आत्मिक स्थिति में स्थिर रहना चाहिए, योग अग्नि का अभ्यास करना चाहिए, और बिंदु रूप में स्थित रहने का अभ्यास करना चाहिए। बाबा की शिक्षाओं का पालन करके आत्मा हर प्रकार की चुनौती का सामना कर सकती है।

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