At the time of destruction: How all impure souls will become pure and go home

                                      विनाश के समय: सभी अपवित्र आत्माएं कैसे पवित्र होकर घर जाएंगी

                       Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

                   
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                              विनाश के समय: सभी अपवित्र आत्माएं कैसे पवित्र होकर घर जाएंगी

            (At the time of destruction: How all impure souls will become pure and go home)

                                                              

यह संसार एक रंगमंच है, जहाँ आत्माएं अपने-अपने किरदार निभाने आती हैं और फिर अपनी यात्रा पूरी कर वापस परमधाम लौट जाती हैं। लेकिन इस यात्रा का एक नियम है—घर जाने से पहले सभी आत्माओं को पवित्र बनना पड़ता है। पवित्रता की यह प्रक्रिया हर आत्मा के लिए भले ही अलग हो, परंतु इसका अंतिम उद्देश्य एक है—परमधाम में लौटना।

घर लौटने का नियम: पवित्रता का आधार

घर जाने से पहले सभी आत्माओं की पवित्रता सुनिश्चित होती है, लेकिन उनकी पवित्रता की मेरिट (अवस्था) अलग-अलग होती है। सबसे पहले वे आत्माएं परमधाम से पृथ्वी पर आती हैं जो 100% पवित्र होती हैं। उदाहरण के लिए, श्री कृष्ण की आत्मा सबसे पहले पृथ्वी पर आती है, क्योंकि वह पूर्ण रूप से पवित्र है।

इसके बाद, क्रमशः 99%, 98%, 97% पवित्रता वाली आत्माएं आती हैं। जैसे-जैसे धरती की प्रकृति और पवित्रता में मिलावट होने लगती है, वैसे-वैसे कम प्रतिशत वाली आत्माएं जन्म लेती हैं। यह क्रम धीरे-धीरे चलता है—80%, 70%, 60%, और अंततः 20%, 10%, और 5% पवित्रता वाली आत्माएं भी धरती पर आ जाती हैं।

जब सभी आत्माएं पृथ्वी पर आ जाती हैं और सृष्टि चक्र का अंतिम चरण आता है, तब परमपिता परमात्मा स्वयं अवतरित होते हैं। उनका कार्य होता है सारी आत्माओं को वापस घर—परमधाम—ले जाना।

नियम नंबर 1: जैसा आया था, वैसा ही जाएगा

हर आत्मा जिस पवित्रता की अवस्था में परमधाम से पृथ्वी पर आई थी, उसे लौटते समय उसी अवस्था को फिर से प्राप्त करना होता है। यह पुनः प्राप्ति आत्मा के कर्मों पर आधारित होती है। परमपिता परमात्मा की श्रीमत (सर्वोच्च मार्गदर्शन) पर चलकर आत्मा अपने कर्म सुधारती है और अपनी मूल पवित्रता को प्राप्त करती है।

इसका अर्थ यह है कि जो आत्मा 98% पवित्रता लेकर आई थी, वह अपनी यात्रा के अंत में वही पवित्रता पुनः अर्जित करके घर जाएगी। यह नियम सभी आत्माओं पर समान रूप से लागू होता है।

नियम नंबर 2: कर्मों का हिसाब-किताब

घर लौटने से पहले हर आत्मा को अपने सभी कर्मों का हिसाब-किताब बराबर करना होता है। चाहे कर्म अच्छे हों या बुरे, अंत समय में सभी आत्माओं के अकाउंट (लेखा-जोखा) को संतुलित करना आवश्यक है।

इसका मतलब है:

  1. अगर किसी आत्मा ने किसी को कुछ दिया है, तो उसे उसका प्रतिफल प्राप्त करना होगा।
  2. अगर किसी आत्मा ने किसी से कुछ लिया है, तो उसे वापस करना होगा।

परमधाम जाने से पहले हर आत्मा का हिसाब-किताब पूरी तरह से चुक्तु हो जाता है। यही मुक्ति प्राप्त करने की पवित्रता का आधार है। जब कोई आत्मा घर जाती है, तो वह सभी बंधनों और कर्म संबंधों से मुक्त होकर जाती है।

मुक्ति और जीवन मुक्ति

मुक्ति का अर्थ है—सभी प्रकार के कर्मिक बंधनों से छूटना। परमधाम लौटने से पहले हर आत्मा को यह सुनिश्चित करना होता है कि उसका किसी अन्य आत्मा के साथ कोई भी बकाया हिसाब न रहे।

जीवन मुक्ति का अर्थ इससे अलग है। यह वह अवस्था है, जहाँ आत्मा संसार में रहते हुए भी कर्मबंधन से मुक्त रहती है। लेकिन विनाश के समय, हर आत्मा को यह स्वीकार करना होता है कि अब उसे घर जाना है।

विनाश और घर लौटने की स्वीकृति

विनाश का समय सभी आत्माओं के लिए निर्णायक क्षण होता है। उस समय सभी आत्माएं—चाहे उनकी परिस्थितियाँ अलग-अलग हों—यह महसूस करती हैं कि अब घर लौटने का समय आ गया है। यह स्वीकृति हर आत्मा के भीतर गहराई से उत्पन्न होती है।

परमपिता परमात्मा की मदद से हर आत्मा अपने कर्मों का हिसाब चुक्तु करती है और अपनी पवित्रता को पुनः प्राप्त कर परमधाम लौट जाती है। यही सृष्टि चक्र का नियम है।

निष्कर्ष

विनाश का समय केवल एक अंत नहीं है; यह नई शुरुआत का प्रतीक भी है। यह आत्माओं के घर लौटने की यात्रा का वह चरण है, जहाँ हर आत्मा अपनी मूल पवित्रता को पुनः प्राप्त कर परमधाम लौटती है। यह यात्रा, भले ही व्यक्तिगत हो, परंतु इसका उद्देश्य सभी आत्माओं को परमधाम में वापस ले जाना है—पूर्ण पवित्रता के साथ।

विनाश के समय, सभी आत्माएं अपने कर्मों से मुक्त होकर परमधाम लौट जाती हैं, जहाँ उन्हें अपने वास्तविक स्वरूप का अनुभव होता है।”

 

 

Q1. विनाश के समय सभी आत्माएं पवित्र कैसे बनती हैं?

A1. विनाश के समय, सभी आत्माएं अपने कर्मों का हिसाब-किताब चुक्तु करके और परमपिता परमात्मा की मदद से अपनी मूल पवित्रता को प्राप्त करती हैं। हर आत्मा परमधाम लौटने से पहले अपनी पवित्रता की वही स्थिति पुनः अर्जित करती है, जो वह लेकर आई थी।

Q2. क्या सभी आत्माओं की पवित्रता एक समान होती है?

A2. नहीं, सभी आत्माओं की पवित्रता अलग-अलग होती है। जो आत्माएं सबसे अधिक पवित्र होती हैं (जैसे 100% पवित्र), वे सबसे पहले पृथ्वी पर आती हैं। इसके बाद क्रमशः 99%, 98%, 97% और अन्य पवित्रता स्तर वाली आत्माएं आती हैं।

Q3. परमधाम लौटने से पहले आत्माओं को किस प्रक्रिया से गुजरना होता है?

A3. परमधाम लौटने से पहले, आत्माओं को अपने सभी कर्मों का हिसाब-किताब संतुलित करना होता है। इसका अर्थ है कि उन्होंने जो भी अच्छे या बुरे कर्म किए हैं, उनका फल या प्रतिफल प्राप्त करना और सभी बकाया कर्मिक बंधनों को समाप्त करना।

Q4. जीवन मुक्ति और मुक्ति में क्या अंतर है?

A4.

  • मुक्ति का अर्थ है सभी कर्मिक बंधनों से छूटकर परमधाम लौट जाना।
  • जीवन मुक्ति का अर्थ है संसार में रहते हुए भी कर्मबंधन से मुक्त रहना। विनाश के समय सभी आत्माओं को यह स्वीकार करना पड़ता है कि अब उन्हें घर लौटना है।

 

Q5. विनाश के समय परमपिता परमात्मा का क्या कार्य होता है?

A5. विनाश के समय, परमपिता परमात्मा अवतरित होकर सभी आत्माओं को उनकी मूल पवित्रता दिलाने में मदद करते हैं और उन्हें परमधाम तक ले जाते हैं। उनका कार्य सृष्टि चक्र को समाप्त करना और आत्माओं को घर वापस भेजना होता है।

Q6. “कर्मों का हिसाब-किताब” का क्या अर्थ है?

A6. कर्मों का हिसाब-किताब संतुलित करना मतलब यह है कि हर आत्मा को अपने द्वारा किए गए कर्मों का फल (अच्छा या बुरा) प्राप्त करना और किसी अन्य आत्मा से लिया या दिया हुआ संतुलित करना। यह प्रक्रिया पूरी होने पर ही आत्मा परमधाम लौट सकती है।

 

 

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