A-P 50″ परमधाम से सतयुग तक का हिसाब-किताब
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
ओम शांति।कौन बनेगा पद्म पद्मपति?
हम पद्म कर्म बनाना सीखते हैं, और इसके लिए हम मुरली का मंथन करते हैं। आप सभी भी इस मुरली मंथन में जुड़ सकते हैं, चाहे वह लाइव हो या बाद में, जब भी आपको समय मिले।
आज के मुरली मंथन में हम एक महत्वपूर्ण बिंदु पर विचार कर रहे हैं—परमधाम से सतयुग तक का हिसाब-किताब।
परमधाम से पृथ्वी पर आने की प्रक्रिया
जब आत्माएँ परमधाम से इस पृथ्वी पर आती हैं, तो उनके कर्मों का एक विशेष हिसाब-किताब होता है। यह प्रक्रिया क्या होती है? जब हम सतयुग में प्रवेश करने के लिए तैयार होते हैं, तो क्या हम परमधाम जाते समय सभी पुराने हिसाब-किताब समाप्त कर देते हैं, या फिर वहाँ से नया हिसाब-किताब बनाकर आते हैं?
हिसाब-किताब की प्रक्रिया
हर आत्मा को अपने पिछले जन्मों के कर्मों के अनुसार एक नया जीवन मिलता है। सतयुग में जाने से पहले, हमें अपने सभी पुराने कर्मों का हिसाब पूरा करना होता है। इसी कारण हमें कहा जाता है कि इस जन्म में हमें अपने कर्मों को शुद्ध और श्रेष्ठ बनाना चाहिए ताकि सतयुग में हमारा प्रवेश आसान हो सके।
निष्कर्ष:जब हम परमधाम से सतयुग में आने की यात्रा पर होते हैं, तो हमें अपने वर्तमान कर्मों पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। यह ज्ञान हमें आत्मिक रूप से सशक्त बनाता है और हमारे आध्यात्मिक जीवन को सरल करता है।
प्रश्न एवं उत्तर
प्रश्न 1: आत्माएँ परमधाम से पृथ्वी पर कैसे आती हैं?
उत्तर: आत्माएँ परमधाम से तब आती हैं जब उन्हें अपने कर्मों के अनुसार शरीर धारण करना होता है। सतयुग में आने वाली आत्माएँ श्रेष्ठ और शुद्ध होती हैं, क्योंकि वे परमधाम से सीधे नए सृष्टि चक्र में प्रवेश करती हैं।
प्रश्न 2: क्या परमधाम से आते समय आत्माओं का कोई पुराना हिसाब-किताब रहता है?
उत्तर: नहीं, सतयुग में आने वाली आत्माएँ कर्म बंधनों से मुक्त होती हैं। वे नए जीवन में शुद्ध और पुण्य कर्मों के आधार पर प्रवेश करती हैं। लेकिन कलियुग में आने वाली आत्माओं के पास पिछले जन्मों का हिसाब-किताब होता है, जिसे उन्हें भुगतना पड़ता है।
प्रश्न 3: सतयुग में प्रवेश करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर: हमें अपने सभी कर्मों को शुद्ध और श्रेष्ठ बनाना चाहिए। सतयुग में प्रवेश करने के लिए हमें इस जन्म में पवित्रता, सेवा और श्रेष्ठ कर्मों को अपनाना होगा ताकि हमारे पुराने हिसाब-किताब समाप्त हो जाएँ।
प्रश्न 4: क्या परमधाम से आने के बाद कर्मों का नया हिसाब-किताब बनता है?
उत्तर: हाँ, जब आत्माएँ इस संसार में आती हैं, तो उनके कर्मों का नया चक्र शुरू होता है। सतयुग में यह हिसाब श्रेष्ठ कर्मों पर आधारित होता है, जबकि कलियुग में यह मिश्रित और कर्मबंधन से युक्त होता है।
प्रश्न 5: इस ज्ञान से हमें क्या लाभ मिलता है?
उत्तर: यह ज्ञान हमें आत्मिक रूप से सशक्त बनाता है और हमें अपने कर्मों को सुधारने की प्रेरणा देता है। जब हम श्रेष्ठ कर्म करते हैं, तो हमारा भविष्य उज्ज्वल होता है और हम सतयुग में प्रवेश के अधिकारी बनते हैं।
निष्कर्ष:जब हम परमधाम से सतयुग में आने की यात्रा पर होते हैं, तो हमें अपने वर्तमान कर्मों पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। श्रेष्ठ कर्मों के द्वारा ही हम पद्म पद्मपति बन सकते हैं और स्वर्णिम युग में श्रेष्ठ आत्माओं की तरह जीवन जी सकते हैं।
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