Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) (संदेश 04)
आज जब वतन में गई तो जैसे ही हम पहुँची तो बापदादा सामने थे ही लेकिन क्या देखा कि ब्रह्मा बाबा के गले में ढेर की ढेर मालायें पड़ी हुई थी। फिर बाबा ने कहा यह माला उतार कर देखो। माला उतारी तो कोई बड़ी माला थी कोई छोटी। हमने कहा बाबा इसका रहस्य क्या है? बाबा बोले बच्ची, यह सभी के उल्हनों की माला है। क्योंकि हरेक बच्चे जब एकान्त में बैठते हैं तो बाबा को स्नेह में उल्हना ही देते हैं। हरेक बच्चे ने बाप को उल्हनों की माला जरूर पहनाई है। बाबा ने कहा बच्चों को ड्रामा भल याद है लेकिन प्यारे ते प्यारी चीज तो जरूर है। तो अचानक ड्रामा को वंडरफुल देख हरेक बच्चा दिल ही दिल में उल्हना देते रहते हैं। यूँ तो ज्ञान बच्चों को है लेकिन ज्ञान के साथ प्रेम का स्नेह भी है इसलिए इन उल्हनों को गलत नहीं कहेंगे। फिर हमने पूछा बाबा, आपने इसका रेसपान्ड क्या दिया? तो बाबा बोले जैसा बच्चा वैसा रेसपान्ड। बाबा ने कहा मैं भी रेसपान्ड में बच्चों को उल्हनों की माला ही पहनाता हूँ। वह कौन सी? फिर बाबा ने सुनाया – जो बाप की आश बच्चों में थी वह साकार रूप में बाप को नहीं दिखलाई, जो अब अव्यक्त रूप में दिखलानी है। बाबा ने कहा यह उल्हना भी मीठी रूहरूहान है। यह भी एक खेलपाल बच्चों का है। साकार रूप में जो बापदादा ने श्रृंगार कराया वह अब अव्यक्त वतन में बापदादा देखेंगे। यह सीन पूरी हो गई। फिर भोग स्वीकार कराया फिर मैंने बाबा से पूछा – बाबा आप सारा दिन वतन में क्या करते हो? बाबा ने कहा चलो मैं तुमको वतन का म्युजियम दिखलाऊँ तुम तो म्युजियम बनाने के पहले प्लैन बनाते हो बाबा का म्युजियम तो एक सेकेण्ड में तैयार हो जाता है। फिर क्या देखा? एक बहुत बड़ा हाल था। एक ही हाल में हम बच्चे ढेर की ढेर माडल के रूप में खड़े थे। हमने कहा बाबा यह तो हम ही म्यूजियम में खड़े हैं। बाबा ने कहा – बच्ची बाबा का म्युजियम यही है। अभी तुम जाओ जाकर एक माडल को देखो कि बापदादा ने क्या-क्या सजाया है? जैसे आर्टिस्ट मूर्ति को सजाते हैं तो बाबा ने कहा देखो, बापदादा ने क्या-क्या सजाया है? हम जब माडल के पास गई तो हमको कुछ खास दिखाई नहीं पड़ा। पूरी सजी हुई मूर्ति दिखाई पड़ रही थी। बाबा ने कहा जो मोटा श्रृंगार है वह तो साकार में ही बच्चों का करके आये हैं। परन्तु अब अव्यक्त रूप में क्या सजा रहे हैं? सभी श्रृंगार तो है, जेवर भी है परन्तु जेवर में बीच में नग लगा रहे हैं। बाबा के कहने के बाद कोई-कोई में जैसे एकस्ट्रा नग दिखाई पड़े। बाबा ने कहा बच्चों के प्रति मुख्य शिक्षा यही है कि अव्यक्त स्थिति में स्थित रहकर व्यक्त भाव में आओ। जब एकान्त में बैठते हैं तो अव्यक्त स्थिति रहती है लेकिन व्यक्त में रहकर अव्यक्त भाव में स्थित रहें वह मिस कर लेते हैं इस- लिए एकरस कर्मातीत स्थिति का जो नग है, वह कम है। तो जिसके जीवन में जो कमी देखता हूँ वह सजा रहा हूँ। जैसे साकार रूप में यह कार्य करता था वही फिर अव्यक्त रूप में करता हूँ। तो बच्चों से जाकर पूछना कि सारे दिन में जैसे बाप बच्चों को सजाते हैं, ऐसे बच्चों को भासना आती है? उस टाइम जो योंगयुक्त बच्चे होंगे उनको भासना आयेगी कि बाबा अब मेरे से बात कर रहे हैं, सजा रहे हैं। जैसे मैं अव्यक्त वतन में बच्चों से मिलता, बहलता रहता हूँ। अव्यक्त रूप वाले बच्चे यह अनुभव कर सकते हैं। मैं भी खास समय पर खास बच्चों को याद करता हूँ। ऐसी टचिंग बच्चों को होती ही होगी। मैंने कहा बाबा आप सभी को अव्यक्त वतन में क्यों नहीं बुला लेते? – यहाँ ही बड़ा सेन्टर खोल दो। अभी तो सभी बच्चे उपराम हो गये हैं। बाबा ने कहा यह उपराम अवस्था होनी ही चाहिए। हमेशा तैयार रहना चाहिए। यह भी याद की यात्रा को बल मिलता है। यह उपराम अवस्था सहज याद का तरीका है। अब बच्चों को कहना ज्यादा समय नहीं है। बाबा कभी भी किसको बुला लेंगे।
आज जब वतन में गई”
Q1: जब वतन में पहुँची तो किसे देखा?
A1: बापदादा सामने थे और ब्रह्मा बाबा के गले में ढेर सारी मालाएँ पड़ी हुई थीं।
Q2: बाबा ने माला उतारने पर क्या कहा?
A2: बाबा ने कहा, “यह सभी बच्चों के उल्हनों की माला है।”
Q3: उल्हनों का क्या मतलब था और बाबा ने इस पर क्या बताया?
A3: उल्हनें बच्चों के दिल में प्यार और स्नेह के कारण होती हैं, जो वे बाबा से व्यक्त करते हैं। बाबा ने इसे मीठी और रूहानी उल्हन कहा।
Q4: बाबा ने इसके जवाब में बच्चों को क्या दिया?
A4: बाबा ने कहा, “जैसा बच्चा, वैसा ही मेरा रेसपॉन्स है। मैं भी बच्चों को उल्हनों की माला पहनाता हूँ।”
Q5: बाबा ने वतन के म्यूजियम के बारे में क्या बताया?
A5: बाबा ने कहा कि उनका म्यूजियम एक सेकंड में तैयार हो जाता है और उसमें बच्चे माडल के रूप में खड़े होते हैं।
Q6: बाबा के म्यूजियम में क्या था?
A6: बाबा ने कहा कि म्यूजियम में बच्चों की सजी हुई मूर्तियाँ थीं और अब अव्यक्त रूप में बच्चों का श्रृंगार हो रहा है।
Q7: बाबा ने बच्चों को किस शिक्षा दी?
A7: बाबा ने कहा कि बच्चों को अव्यक्त स्थिति में रहकर व्यक्त भाव में आना चाहिए। अव्यक्त रूप में रहते हुए व्यक्त भाव से जुड़ना जरूरी है।
Q8: बाबा ने कहा कि बच्चों को क्या अनुभव होता है?
A8: बाबा ने कहा कि योंगयुक्त बच्चे अव्यक्त रूप में उनका साथ महसूस करते हैं, जैसे बाबा उनके साथ संवाद कर रहे हों।
Q9: बाबा ने उपराम अवस्था के बारे में क्या कहा?
A9: बाबा ने कहा कि उपराम अवस्था हमेशा तैयार रहनी चाहिए, जिससे याद की यात्रा को बल मिलता है।
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