Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) (संदेश 06)
आज जब इस देह और देह के देश से परे अपने को सूक्ष्मवतन जिसको ब्रह्मापुरी कहते हैं वहाँ गई तो परमात्मा बाप ने एक दृश्य दिखाया – बहुत बड़ी एक भीड़ देखी – फिर देखा जैसे कोई टिकेट बाँट रहा है और हरेक कोशिश कर रहा है कि हमें भी टिकेट मिले। लेकिन थोड़े समय में देखा कि कोई-कोई को टिकेट मिली और कोई-कोई टिकेट से वंचित रह गये। जिनको टिकेट मिली वह दिल ही दिल में हर्षाते रहे और जिन्हें नहीं मिली वह एक दो को देखते रहे। वह टिकेट कहाँ की थी उस पर एक दूसरा दृश्य देखा – एक बड़ा सुन्दर दरवाजा था जो अचानक खुला – जिन्हों के पास टिकेट थी वह तो दरवाजे के अन्दर चले गये और जिनके पास टिकेट नहीं थी वह बड़े ही पश्चाताप से देख रहे थे। उस गेट पर लिखा हुआ था – ‘ ‘स्वर्ग का द्वार ”। बाबा ने रहस्य सुनाया – कि परमात्मा बाप सभी बच्चों द्वारा सतयुगी नई सृष्टि स्वर्ग में चलने की टिकेट दिला रहे हैं। परन्तु कई बच्चे सोच रहे हैं कि अब नहीं बाद में ले लेंगे। लेकिन ऐसे न हो कि यह टिकेट मिलना बन्द हो जाए और स्वर्ग में जाने से वंचित हो जायें। बाबा ने कहा – कई आत्मायें सुनती हैं, सोचती हैं कि यह कार्य क्या चल रहा है? तो बापदादा बच्चों प्रति यही शिक्षा दे रहे हैं कि यह जो समय आने वाला है, आप जो अब सोच रहे हो, सोचते-साचते अपने भाग्य को गंवा न दो। यह दृश्य दिखाया। फिर दूसरी सीन देखी कि नदी बह रही थी – उस नदी में दूर-दूर से कई लोग आकर स्नान कर रहे थे। कई फिर वहाँ ही नजदीक थे लेकिन नहा नहीं रहे थे। बल्कि उनसे कई पूछ रहे थे कि नदी कहाँ हैं हम जाकर स्नान करें लेकिन जो नजदीक रहने वाले थे उनको नदी में स्नान करने का महत्व नहीं था और जो प्यासे थे, उनको भी उस प्यास का मूल्य कम कराते थे। फिर बाबा ने कहा कि बच्ची यह जो ज्ञान गंगा है। गंगा के नजदीक वाले आबू निवासी हैं। दूर दूर से आकर तो इसमें स्नान करते हैं लेकिन यहाँ वाले इस महत्व को न जान उनको टालते हैं। तो कहाँ ऐसे न हो इस भूल में रह जायें इसलिए बापदादा के सब बच्चे हैं, भल आज्ञाकारी बच्चे नहीं हैं फिर भी बच्चे तो बाबा के प्रिय हैं। तो बच्चों को बाबा शिक्षा देते हैं कि यह अमूल्य समय जो ज्ञान गंगा में नहाने का मिल रहा है, वह कभी गंवा न देना। फिर थोड़े समय में देखा कि कईयों ने तो स्नान किया, कईयों ने जल को भरकर रखा लेकिन कुछ समय के बाद नदी ने रास्ता पलट लिया और जिन्होंने नहीं नहाया, न भरकर रखा वह औरों से एक-एक बूंद मांग रहे थे, तड़फ रहे थे। तो बाबा ने कहा यह समय अभी आने वाला है। फिर बाबा ने सभी बच्चों के प्रति एक महामन्त्र की सौगात दी – बाबा बोले, एक तो मुझ परमपिता की याद में रहो और अपने जीवन को पवित्र और योगी बनाओ। यही बापदादा ने स्नेह के रिटर्न में महामन्त्र की सौगात सभी प्रति दी।
Title: “आज जब वतन में गई”
Q1: वतन में पहुँचते समय आपने कैसा अनुभव किया?
A1: जैसे लाइट के बादलों से क्रास करके वतन में जा रही हूँ, और सूर्यास्त की लाली जैसी लाइट दिखाई दे रही थी।
Q2: वतन में क्या देखा?
A2: वतन में लाइट के बादलों के बीच बापदादा का मुखड़ा सूर्य और चंद्रमा समान चमकता हुआ दिखाई दे रहा था।
Q3: वतन में वातावरण कैसा था?
A3: वायुमंडल शान्त था और बापदादा से मुलाकात में शांति और शक्ति का अनुभव हो रहा था।
Q4: बाबा ने बच्चों से क्या कहा?
A4: बाबा ने कहा, “साकार रूप में रहते हुए भी लाइट माइट रूप में रहना है, ताकि लोग महसूस करें कि ये फरिश्ते घूम रहे हैं।”
Q5: वतन में प्रेम और शक्ति का क्या दृश्य था?
A5: बाबा की बाँहों में सभी बच्चे समाए हुए थे और वहाँ प्रेम का सागर और शक्ति की भासना थी।
Q6: बाबा ने बच्चों को क्या शिक्षा दी?
A6: बाबा ने कहा, “आपकी दृष्टि में बाप समान प्रेम और शक्ति दोनों हों, तब आत्माएँ नजदीक आयेंगी।”
Q7: बाबा ने तीसरा दृश्य क्या दिखाया?
A7: बाबा के सामने ढेर सारे कार्ड्स थे, जिन्हें मिलाकर सतयुग की सुंदर सीनरी बनाई जा रही थी, जिसमें कृष्ण बाल रूप में झूलते हुए थे।
Q8: बाबा ने विदाई में बच्चों से क्या संदेश दिया?
A8: बाबा ने कहा, “सबको सन्देश देना – शक्ति स्वरूप भव और प्रेम स्वरूप भव।”
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