Avyakt Murli”18 जनवरी 1969 (12)

Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

आज जब मैं वतन में गई तो बाबा नहीं दिखाई दिये। थोड़ी देर के बाद बाबा को देखा तो मैंने पूछा आप कहाँ गये थे? बाबा बोले – आज गुरूवार का दिन है तो सभी बच्चों के पास चक्र लगाने गये थे। वैसे तो साकार रूप में इतने थोड़े समय में सब जगह नहीं पहुँच सकता था। अब तो अव्यक्त वतन में अव्यक्त विमान द्वारा राकेट से भी जल्द पहुँच सकते हैं। हमने कहा बाबा आपने चक्र लगाया तो उसमें आपने क्या देखा! बाबा ने कहा – मैजारटी बच्चे अभी तक स्नेह में अच्छे चल रहे हैं और बहुत ऐसे भी हैं जिन्हों के अन्दर कुछ संकल्प भी है कि ना मालूम अब क्या होगा। परन्तु संगठन के सहारे अब तक ठीक हैं। बाबा ने कहा कि स्नेह के आधार पर जो बच्चे अभी तक ठहरे हुए हैं तो अब स्नेह के साथ ज्ञान का फाउन्डेशन जरा भी ढीला हुआ तो बच्चों पर वायुमण्डल का असर बहुत सहज हो सकता है। इसलिए हर एक बच्चे को अपनी चेकिंग करनी है। फिर भी व्यक्त देह में हो तो स्नेह में पहले फोर्स अच्छा रहता है लेकिन इस स्नेह पर फिर जैसे-जैसे दिन पड़ते जायेंगे तो वायुमण्डल का असर जल्दी पड़ सकता है। स्नेह में भल कहते हैं कि शिवबाबा कल्याणकारी है या बाबा ने जो किया है वह ठीक है। स्नेह के वश संकल्प बन्द किया है। स्नेह की रिजल्ट मैजारटी की अधिक है। वायुमण्डल का असर हमारे पर न हो और हमारा असर वायुमण्डल पर हो तब कायदेमुजीब चल सकते हैं। हमने कहा कि बाबा हमारे पास तो ज्ञान की ही बातें चलती हैं। तब बाबा ने कहा बच्ची, ज्ञान के फाउन्डेशन से अपने को सन्तुष्ट रखें, ऐसे बच्चे थोड़े हैं। तो आज बाबा ने यह रिजल्ट बताई और कहा कि सभी को जाकर सुनाना कि वायुमण्डल को हमें चेंज करना है न कि वायुमण्डल हमें चेंज करे। फिर भोग स्वीकार कराने के बाद बाबा ने एक सीन दिखाई – एक बहुत बड़ा हाल था, उस हाल में चारों ओर से बहुत बदबू आ रही थी। उस कमरे में दो तीन बहुत अच्छी खुशबूदार अगरबत्ती जल रही थी। धीरे-धीरे अगरबत्ती की खुशबू ने बदबू को दबा दिया। बाबा ने सुनाया देखो बच्ची, चारों तरफ बदबू का वायुमण्डल था लेकिन इतनी सी अगरबत्ती ने वायु- मण्डल को बदल दिया। तो तुम बच्चों पर जब देखो कि वायुमण्डल का असर होता है तो अग-रबत्ती का मिसाल सामने रखो कि हम सर्वशक्तिवान बाप के बच्चे हैं। अगर वायुमण्डल का असर हमारे पर आये तो इससे तो अगरबत्ती अच्छी है। जब तुम बच्चे पावरफुल खुशबूदार बनेंगे तब यह वायुमण्डल दब जायेगा। बाबा ने कहा अब हरेक बच्चे को शिक्षा तो मिली है। शिक्षा भी सभी बड़े मीठे रूप से सुनते हैं। लेकिन जैसे मीठे रूप से सुनते हो उसी मीठे रूप से धारण भी करना है। मीठापन चिपकता बहुत जल्दी है। जो ऐसे मीठा बनेंगे तो बाप से चिपक जायेंगे। याद और मीठापन नहीं होगा तो अलग-अलग रहेंगे। जैसे नमकीन चीज आपस में कभी नहीं मिलती है। तो जो ऐसे होंगे उनकी अवस्था योगयुक्त नहीं रहेगी। अब जैसे बच्चों ने सुना वैसे ही धारण करेंगे तो बहुत बल मिलेगा।

Title: “बाबा का चक्र और वायुमण्डल का असर”

Questions and Answers:

  1. प्रश्न: बाबा ने आज कहाँ गया था और क्यों?
    • उत्तर: बाबा ने कहा कि आज गुरूवार था, इसलिए वह बच्चों के पास चक्र लगाने गए थे। साकार रूप में सब जगह नहीं पहुंच सकते थे, लेकिन अव्यक्त रूप में अव्यक्त विमान द्वारा राकेट से भी जल्दी पहुंच सकते हैं।
  2. प्रश्न: बाबा ने चक्र लगाने के बाद क्या देखा?
    • उत्तर: बाबा ने देखा कि अधिकतर बच्चे स्नेह में अच्छे चल रहे थे, लेकिन कुछ बच्चों के अंदर संकल्प थे कि अब क्या होगा। वे संगठन के सहारे अभी तक ठीक हैं।
  3. प्रश्न: बाबा ने बच्चों को किस बारे में चेतावनी दी?
    • उत्तर: बाबा ने बच्चों को चेतावनी दी कि स्नेह के साथ ज्ञान का फाउंडेशन ढीला नहीं होना चाहिए। अगर यह ढीला हुआ तो वायुमण्डल का असर बच्चों पर हो सकता है।
  4. प्रश्न: बाबा ने वायुमण्डल पर किस प्रकार का उदाहरण दिया?
    • उत्तर: बाबा ने एक दृश्य दिखाया जिसमें एक कमरे में बदबू थी, लेकिन अगरबत्ती की खुशबू ने बदबू को दबा दिया। यह दिखाता है कि जैसे अगरबत्ती वायुमण्डल को बदल सकती है, वैसे ही हमें भी वायुमण्डल को बदलने की शक्ति होनी चाहिए।
  5. प्रश्न: बाबा ने मीठापन के बारे में क्या कहा?
    • उत्तर: बाबा ने कहा कि जैसे मीठे रूप से शिक्षा ली जाती है, उसी तरह मीठे रूप में उसे धारण करना चाहिए। मीठापन चिपकता है और अगर हम ऐसे मीठे बनेंगे तो हम बाप से चिपक जाएंगे।

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