Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“बापदादा की उम्मीदें”
अशरीरी होकर फिर शरीर में आने का अभ्यास पक्का होता जाता है। जैसे बापदादा अशरीरी से शरीर में आते है वैसे ही तुम सभी बच्चों को भी अशरीरी होकर के शरीर में आना है। अव्यक्त स्थिति में स्थित होकर फिर व्यक्त में आना है। ऐसा अभ्यास दिन-प्रतिदिन बढ़ाते चलते हो? बापदादा जब आते है तो किससे मिलने आते है? (आत्माओं से) आत्माएं कौन सी? जो सारे विश्व में श्रेष्ठ आत्माएं है। उन श्रेष्ठ आत्माओं से बापदादा का मिलन होता है। इतना नशा रहता है – हम ही सारे विश्व में श्रेष्ठ आत्मायें है। श्रेष्ठ आत्माओं को ही सर्वशक्तिमान के मिलन का सौभाग्य प्राप्त होता है। तो बापदादा भृकुटी के बीच में चमकते हुए सितारे को ही देखते हैं। तुम सितारों को किस-किस नाम से बुलाया जाता है? एक तो लक्की सितारे भी हो और नयनों के सितारे भी और कौनसे सितारे हो? जो कार्य अब बच्चों का रहा हुआ है उस नाम के सितारे को भूल गये हो। जो मेहनत का कार्य है वह भूल गये हो। याद करो अपने कर्तव्य को। बापदादा के उम्मीदों के सितारे। बापदादा के जो गाये हुए हैं वही कार्य अब रहा हुआ है? बापदादा जो उम्मीदें बच्चों से रखते है वह कार्य पूरा किया हुआ है? बापदादा एक-एक सितारे में यही उम्मीद रखते हैं कि एक-एक अनेकों को परिचय देकर लायक बनाये। एक से ही अनेक बनने हैं। यह चेक करो कि हम ऐसे बने हैं। अनेकों को बनाया है? उसमें भी क्वान्टिटी तो बन रहे है। क्वालिटी बनाना है। क्वान्टिटी बनाना सहज है लेकिन क्वालिटी वाले बनाना – यह उम्मीद बापदादा सितारों में रखते हैं। अभी यह कार्य रहा हुआ है। क्वालिटी बनाना है। क्वान्टिटी बनाना यह तो चल रहा है। लेकिन अभी ऐसी क्वालिटी वाली आत्मायें बनाने की सर्विस रही हुई है। क्वालिटी वाली एक आत्मा क्वान्टिटी को आपेही लायेगी। एक क्वालिटी वाला अनेकों को ला सकते है। क्वालिटी, क्वान्टिटी को ला सकती है। अभी यही कार्य जो रहा हुआ है उसको पूरा करना हे। अपनी सर्विस की क्वालिटी से आप खुद सन्तुष्ट रहते हो? क्वान्टिटी को देख खुश तो होते हो लेकिन क्वालिटी को देख सर्विस से सन्तुष्ट होना है। क्वालिटी कैसे लायेंगे? जितनी-जितनी जिसमें डिवाइन क्वालिटी होगी उतना ही क्वालिटी वालों को लायेगी। कई बच्चों को सभी प्रकार की मेहनत बहुत करनी पड़ती है। अपने पुरुषार्थ में भी तो सर्विस में भी। कोई को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है कोई को कम। इस कारण क्या है? कभी उसी को ही मेहनत लगती है कभी फिर उन्हीं को ही सहज लगता है। यह क्यों? धारणा की कमी के कारण मेहनत लगती है? कई कर्तव्यों में तो लोग कह देते हैं कि इनके भाग्य में ही नहीं है। यहाँ तो ऐसे नहीं कहेंगे। किस विशेष कमी के कारण मेहनत लगती है? श्रीमत पर चलना है। फिर भी क्यों नहीं चल पाते? कोई भी कार्य में चाहे पुरुषार्थ, चाहे सर्विस में मेहनत लगने का कारण यह है कि बातें तो सभी बुद्धि में हैं लेकिन इन बातों की महीनता में नहीं जाते। महीन बुद्धि को कभी मेहनत नहीं लगती। मोटी बुद्धि कारण बहुत मेहनत लगती है। श्रीमत पर चलने के लिए भी महीन बुद्धि चाहिए। महीनता में जाने का अभ्यास करना है। दूसरे शब्दों में यह कहेंगे कि जो सुना है वह करना है अर्थात् उसकी महीनता में जाना है। जैसे दही को बिलोरकर महीन करते हैं तब उसमें मक्खन निकलता है। तो यह भी महीनता में जाने की बात है। महीनता की कमी के कारण मेहनत होती है। महीनता में जाने की बजाए उस बात को मोटे रूप में देखते हैं। सर्विस के समय भी महीन बुद्धि हो, ज्ञान की महीनता में जाकर उसको सुनायें और उसज्ञा न की महीनता में ले जाये तो उनको भी मेहनत कम लगे। और अपने को भी कम लगे। इस महीनता की ही कमी है। अब यही पुरुषार्थ करना है।
शारीरिक शक्ति भी कब आती है? जब भोजन महीन रूप से खाओ, तो उस भोजन की शक्ति बनती है। भोजन का महीन रूप क्या बनता है? खून। जब खून बन जाता है तब शक्ति आ जाती है। तो अब सिर्फ बाहर के, ऊपर के रूप को न देखते हुए अन्दर जाने की कोशिश करो।
जितना हर बात में अन्दर जायेंगे, तब रत्न देखने में आयेंगे। और हर एक बात की वैल्यूका पता पड़ेगा। जितना ज्ञान की वैल्यू, सर्विस की वैल्यू का मालूम होगा उतना आप वैल्यूबल रत्न बनेंगे। ज्ञान रत्नों की वैल्यू कम करते हो तो खुद भी वैल्यूबल नहीं बन सकते। एक-एक रत्न की वैल्यू को परखने की कोशिश करो। आप बापदादा के वैल्यूबल रत्न हो ना! वैल्यूबल रत्न को क्या किया जाता हे? (छिपाकर रखना होता है) बापदादा के जो वैल्यूबल रत्न हैं उन्हो को बापदादा छिपाकर रखते हैं। माया से छिपाते हैं। माया से छिपाकर फिर कहाँ रखते हैं? जितना-जितना जो अमूल्य रत्न होंगे उतना-उतना बापदादा के दिल तख्त पर निवास करेंगे। जब दिल तख्तनशीन बनेंगे तब राज्य के तख्तनशीन बनेंगे। तो संगमयुग का कौन सा तख्त है? तख्त है वा बेगर हो? संगमयुग पर कौनसा तख्त मिलता है। बापदादा के दिल का तख्त। यह सारे जहान के तख्तों से श्रेष्ठ है। कितना भी बड़ा तख्त सतयुग में मिले लेकिन इस तख्त के आगे वह क्या है? इस तख्त पर रहने से माया कुछ नहीं कर सकती। इस पर उतरना चढ़ना नहीं पड़ेगा। इस पर रहने से माया के सर्व बन्धनों से मुक्त रहेंगे।
बापदादा की उम्मीदें
प्रश्न-उत्तर:
- प्रश्न: बापदादा किससे मिलने आते हैं?
उत्तर: श्रेष्ठ आत्माओं से। - प्रश्न: श्रेष्ठ आत्माओं को कौन सा सौभाग्य प्राप्त होता है?
उत्तर: सर्वशक्तिमान बापदादा के मिलन का। - प्रश्न: बापदादा बच्चों को किस नाम से बुलाते हैं?
उत्तर: लक्की सितारे, नयनों के सितारे, और बापदादा की उम्मीदों के सितारे। - प्रश्न: बापदादा की सबसे बड़ी उम्मीद क्या है?
उत्तर: क्वालिटी वाली आत्माओं को तैयार करना। - प्रश्न: क्वालिटी और क्वांटिटी में क्या अंतर है?
उत्तर: क्वालिटी वाली आत्माएं गहन दिव्य गुणों से युक्त होती हैं और दूसरों को सहज आकर्षित करती हैं, जबकि क्वांटिटी संख्या में अधिक होती है। - प्रश्न: मेहनत ज्यादा क्यों लगती है?
उत्तर: धारणा की कमी और महीनता में न जाने के कारण। - प्रश्न: महीनता के अभ्यास से क्या लाभ होता है?
उत्तर: मेहनत कम लगती है, और कार्य सहजता से होता है। - प्रश्न: ज्ञान और सेवा में महीनता कैसे लाएं?
उत्तर: सुनी हुई बातों को गहराई से समझकर और उसका अभ्यास करके। - प्रश्न: भोजन का महीन रूप क्या बनता है?
उत्तर: खून, जो शक्ति देता है। - प्रश्न: बापदादा के वैल्यूबल रत्न कहाँ निवास करते हैं?
उत्तर: बापदादा के दिल के तख्त पर। - प्रश्न: संगमयुग का कौन सा तख्त सबसे श्रेष्ठ है?
उत्तर: बापदादा के दिल का तख्त। - प्रश्न: दिल तख्तनशीन बनने से क्या लाभ होता है?
उत्तर: माया के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं। - प्रश्न: बापदादा का कौन सा कार्य अभी शेष है?
उत्तर: क्वालिटी वाली आत्माओं को तैयार करना। - प्रश्न: ज्ञान रत्नों की वैल्यू पहचानने से क्या होता है?
उत्तर: स्वयं वैल्यूबल रत्न बनते हैं। - प्रश्न: बापदादा के वैल्यूबल रत्नों को कहाँ रखा जाता है?
उत्तर: माया से छिपाकर, बापदादा के दिल के तख्त पर।
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