Avyakta Murli”21-01-1971(01)

Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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अब नहीं तो कब नहीं

आज बापदादा हरेक बच्चे के मस्तक में क्या देखते हैं? बाप जब बच्चों को देखते हैं तो यह शुभ भावना होती है कि हरेक बच्चा ऊंच ते ऊंच भाग्य  बनाये। वर्तमान समय वरदाता के रूप में वरदान देने के लिये आये हुये होते भी हरेक आत्मा यथा योग यथा शक्ति वरदाता से वरदान प्राप्त करती रहती है। इस समय को विशेष वरदान है — सर्व आत्माओं को वरदान प्राप्त कराने का। अब नहीं तो कब नहीं। आज इन आत्माओं (राज्यपाल तथा उनकी युगल) को भी वरदान प्राप्त करने का शुभ दिवस कहेंगे। सारे कल्प के अंदर यह अलौकिक मिलन बहुत थोड़े से पद्मापदम भाग्यशाली आत्माओं का ही होता है। सम्पर्क के बाद सम्बन्ध में आना है। क्योंकि सम्बन्ध से ही श्रेष्ठ प्राप्ति होती है। दो शब्द सदैव याद रखना-एक स्वयं को; दूसरा समय को याद रखना। अगर ‘स्वयं’ को और दूसरा ‘समय’ को सदैव याद रखते रहेंगे तो इस जीवन में अनेक जन्मों के लिये श्रेष्ठ प्रालब्ध पा सकते हैं।

राज्यपाल तथा उनकी युगल से मुलाकात

अपने असली घर में आये हो — ऐसे महसूस करते हो? अपने घर में कितना जल्दी आना होता है, मालूम है? जैसे ड्यूटी से ऑफ होने के बाद अपना घर याद आता है। इसी रीति से अपने इस शरीर निर्वाह की ड्यूटी से ऑफ होने के बाद अपना घर याद आना चाहिये। सम्बन्ध को बढ़ाना है। एक सम्बन्ध को बढ़ाने से अर्थात् इस सम्बन्ध की आवश्यकता समझने से अनेक प्रकार की आवश्यकताएं पूर्ण हो जाती हैं। सभी आवश्य- कताएं पूर्ण करने के लिये एक आवश्यकता समझने की है। जैसे शरीर निर्वाह के लिये अनेक साधन आवश्यक समझते हैं, वैसे आत्मिक उन्नति के लिये एक साधन आवश्यक है। इसलिये सदैव अपने को अकालमूर्त समझते चलेंगे तो अकाले मृत्यु से भी, अकाल से, सर्व समस्याओं से बच सकेंगे। मानसिक चिन्ताएं, मानसिक परिस्थितियों को हटाने का एक ही साधन याद रखना है — सिर्फ अपने इस पुराने शरीर के भान को मिटाना है। इस देह-अभिमान को मिटाने से सर्व परिस्थितियाँ मिट जायेंगी। अब कुछ पूछने का रहा ही नहीं। सिर्फ सम्बन्ध में आते रहना। सभी से मिलने के लिये फिर आयेंगे। अब सभी से छुट्टी।

अब नहीं तो कब नहीं

प्रश्न और उत्तर:

  1. प्रश्न: बापदादा जब बच्चों को देखते हैं, तो उनकी क्या शुभ भावना होती है?
    उत्तर: बापदादा की शुभ भावना यह होती है कि हरेक बच्चा ऊंच ते ऊंच भाग्य बनाए और अपने श्रेष्ठ स्वरूप को प्राप्त करे।
  2. प्रश्न: वर्तमान समय में बापदादा किस रूप में आते हैं, और आत्माएँ उनसे क्या प्राप्त करती हैं?
    उत्तर: इस समय बापदादा वरदाता के रूप में आते हैं और हरेक आत्मा अपनी योग्यता और शक्ति के अनुसार उनसे वरदान प्राप्त करती रहती है।
  3. प्रश्न: “अब नहीं तो कब नहीं” का क्या अर्थ है?
    उत्तर: इसका अर्थ है कि अभी इस समय आत्माओं को श्रेष्ठ प्राप्तियों के लिए पुरूषार्थ करना चाहिए, क्योंकि यह समय विशेष वरदान प्राप्त करने का है। यदि अभी नहीं किया, तो फिर कभी नहीं कर पाएंगे।
  4. प्रश्न: राज्यपाल और उनकी युगल आत्माओं के लिए यह दिन क्यों शुभ दिवस कहा गया?
    उत्तर: क्योंकि यह एक दुर्लभ अलौकिक मिलन था, जो पूरे कल्प में बहुत ही थोड़ी आत्माओं के भाग्य में होता है।
  5. प्रश्न: सम्पर्क और सम्बन्ध में क्या अंतर है?
    उत्तर: सम्पर्क सतही होता है, जबकि सम्बन्ध गहरा और स्थायी होता है। श्रेष्ठ प्राप्तियों के लिए सम्पर्क को सम्बन्ध में बदलना आवश्यक है।
  6. प्रश्न: जीवन में श्रेष्ठ प्रालब्ध पाने के लिए किन दो बातों को सदैव याद रखना चाहिए?
    उत्तर: पहला – स्वयं को याद रखना, यानी अपने आत्मिक स्वरूप को स्मृति में रखना। दूसरा – समय को याद रखना, यानी वर्तमान समय की महत्ता को समझना।
  7. प्रश्न: अपने असली घर में जाने की अनुभूति कैसे करनी चाहिए?
    उत्तर: जैसे शरीर निर्वाह की ड्यूटी से मुक्त होने के बाद घर याद आता है, वैसे ही इस शरीर से मुक्त होने के बाद अपने आत्मिक घर की स्मृति आनी चाहिए।
  8. प्रश्न: आत्मिक उन्नति के लिए सबसे आवश्यक साधन क्या है?
    उत्तर: आत्मिक उन्नति के लिए एकमात्र आवश्यक साधन आत्मिक स्वरूप की स्मृति और ईश्वर के साथ संबंध को बढ़ाना है।
  9. प्रश्न: अकालमूर्त बनने का क्या अर्थ है?
    उत्तर: अकालमूर्त बनने का अर्थ है अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित रहना, जिससे अकाल मृत्यु, अकाल और सभी समस्याओं से बचाव हो जाता है।
  10. प्रश्न: मानसिक चिंता और परिस्थितियों से मुक्त होने का एकमात्र उपाय क्या बताया गया है?
    उत्तर: अपने पुराने शरीर के भान को मिटाना, यानी देह-अभिमान से मुक्त होना ही मानसिक चिंताओं और परिस्थितियों से मुक्त होने का साधन है।
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