Avyakta Murli”21-05-1970

Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं) 

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“भिन्नता को मिटाने की युक्ति”

आज हरेक बच्चे की दो बातें देख रहे हैं वह दो बातें कौन सी देख रहे हैं? बापदादा के देखने को भी देख रहे हो? ऐसी अवस्था अब आने वाली है। जो कोई के संकल्प को ऐसे ही स्पष्ट जान लेंगे जैसे वाणी द्वारा सुनने के बाद जाना जाता है। मास्टर जानी-जाननहार यह डिग्री भी यथायोग्य यथा शक्तिशाली को प्राप्त होती है ज़रूर। तो आज क्या देख रहे हैं? हरेक पुरुषार्थी के पुरुषार्थ में अभी तक मार्जिन क्या रही हुई है – एक तो उस मार्जिन को देख रहे हैं दूसरा हरेक की माईट को देख रहे हैं। मार्जिन कितनी है और माईट कितनी है। दोनों का एक दो से सम्बन्ध हैं। जितनी माईट है उतनी मार्जिन है। तो माईट और मार्जिन दोनों ही हरेक पुरुषार्थी की देख रहे हैं। कोई बहुत नजदीक तक पहुँच गए हैं। कोई बहुत दूर तक मंजिल को देख रहे हैं। तो भिन्न-भिन्न पुरुषार्थियों की भिन्न-भिन्न स्थिति देख क्या सोचते होंगे? भिन्नता को देख क्या सोचते होंगे?
बापदादा सभी को मास्टर नॉलेजफुल बनाने की पढ़ाई पढ़ाते हैं। प्रैक्टिकल में भगवान् के जितना साकार सम्बन्ध में नजदीक आएंगे उतना पुरुषार्थ में भी नजदीक आयेंगे। अपने पुरुषार्थ और औरों के पुरुषार्थ को देख क्या सोचते हो? बीज तो अविनाशी है। अविनाशी बीज को संग का जल देना है। तो फिर फल निकल आयेगा। तो अब फल स्वरुप दिखाना है। वृक्ष से मेहनत फल के लिए करते हैं ना। तो जो ज्ञान की परवरिश ली है उनकी रिजल्ट फलस्वरुप बनना है। तो यह जो भिन्नता वो कैसे मिटेगी? भिन्नता को मिटाने का सहज उपाय कौन सा है? जो अभी की भिन्नता है वह अंत तक रहेगी वा फर्क आएगा? सम्पूर्ण अवस्था की प्राप्ति के बाद अब के पुरुषार्थी जीवन की भिन्नता रहेगी? आजकल की जो भिन्नता है वह एकता में लानी है। एकता के लिए वर्तमान की भिन्नता को मिटाना ही पड़ेगा। बापदादा इस भिन्नता को देखते हुए भी एकता को देखते हैं। एकता होने का साधन है – दो बातें लानी पड़ें। एक तो एक्नामी बन सदैव हर बात में एक का ही नाम लो, एक्नामी और इकॉनमी वाले बनना है। इकॉनमी कौन सी? संकल्पों की भी इकॉनमी चाहिए और समय की भी और ज्ञान के खजाने की भी इकॉनमी चाहिए। सभी प्रकार की इकॉनमी जब सिख जायेंगे। फिर क्या हो जायेगा? फिर मैं समाकर एक बाप में सभी भिन्नता समा जाएगी। एक में समाने की शक्ति चाहिए। समझा। यह पुरुषार्थ अगर कम है तो इतना ही इसको ज्यादा करना है। कोई भी कार्य होता है उसमें कोई भी अपनापन न हो। एक ही नाम हो। तो फिर क्या होगा? बाबा-कहने से माया भाग जाती है। मैं-मैं कहने से माया मार देती है। इसलिए पहले भी सुनाया था कि हर बात में भाषा को बदली करो। बाबा-बाबा की ढाल सदा सदैव अपने साथ रखो। इस ढाल से फिर जो भी विघ्न हैं वह ख़त्म हो जायेंगे। साथ-साथ इकॉनमी करने से व्यर्थ संकल्प नहीं चलेंगे। और न व्यर्थ संकल्पों की टक्कर होगा। यह है स्पष्टीकरण। अच्छा। जो भी जानेवाले हैं वह क्या करके जायेंगे? जो कोई जहाँ से जाते हैं तो जहाँ से जाना होता है वहां अपना यादगार देकर जाना होता है। तो जो भी जाते हैं उन्हों को अपना कोई न कोई विशेष यादगार देकर जाना है।
सरल याद किसको रहती है? मालूम है? जितना जो स्वयं सरल होंगे उतना याद भी सरल रहती है। अपने में सरलता की कमी के कारण याद भी सरल नहीं रहती है। सरल चित्त कौन रह सकेगा? जितना हर बात में जो स्पष्ट होगा अर्थात् साफ़ होगा उतना सरल होगा। जितना सरल होगा उतना सरल याद भी होगी। और दूसरों को भी सरल पुरुषार्थी बना सकेंगे। जो जैसा स्वयं होता है वैसे ही उनकी रचना में भी वही संस्कार होते हैं तो हरेक को अपना विशेष यादगार देकर जाना है।

भिन्नता को मिटाने की युक्ति

1. भिन्नता को मिटाने का सरल उपाय क्या है?
उत्तर: भिन्नता को मिटाने के लिए एकता लानी पड़ेगी। इसके लिए दो बातें जरूरी हैं – एक्नामी बनकर एक ही नाम का उच्चारण करना और सभी प्रकार की इकॉनमी (संकल्पों, समय, और ज्ञान की इकॉनमी) की समझ विकसित करना।

2. मार्जिन और माईट का क्या संबंध है?
उत्तर: मार्जिन और माईट का आपस में संबंध है। जितनी माईट होती है, उतनी ही मार्जिन होती है। इसका मतलब है कि जितनी शक्ति होगी, उतना ही बेहतर पुरुषार्थ होगा।

3. भिन्न-भिन्न पुरुषार्थियों की स्थिति को देखकर क्या सोचना चाहिए?
उत्तर: भिन्नता को देखकर हमें यह समझना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति की पुरुषार्थ की स्थिति अलग होती है। लेकिन हमें इसे एकता में लाने का प्रयास करना चाहिए।

4. भिन्नता को समाप्त करने के लिए हमें किस बात पर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर: भिन्नता को समाप्त करने के लिए हमें हर बात में “एक” का नाम लेना चाहिए और संकल्पों, समय, और ज्ञान की इकॉनमी बनाए रखना चाहिए।

5. सरल याद किसे रहती है?
उत्तर: जो व्यक्ति सरल होता है, उसकी याद भी सरल रहती है। जितना अधिक स्पष्ट और सरल व्यक्ति होता है, उतनी ही सरल उसकी यादें होती हैं।

6. बापदादा के दृष्टिकोण में भिन्नता और एकता का क्या महत्व है?
उत्तर: बापदादा हमेशा एकता को महत्व देते हैं और भिन्नता को खत्म करने के लिए प्रत्येक बच्चे को एक रूप में एकत्रित करने की आवश्यकता महसूस करते हैं।

7. एकता को साकार रूप में लाने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर: एकता को साकार रूप में लाने के लिए संकल्पों की इकॉनमी और समय की सटीकता के साथ साथ ज्ञान की एकता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

8. जो लोग जाते हैं, उन्हें किस प्रकार की यादगार छोड़नी चाहिए?
उत्तर: जो भी व्यक्ति जाते हैं, उन्हें अपने कार्यों और संस्कारों से एक विशेष यादगार छोड़नी चाहिए, ताकि उनकी उपस्थिति का प्रभाव हमेशा बना रहे।

9. क्या माया को दूर करने के लिए कुछ विशेष उपाय हैं?
उत्तर: माया को दूर करने के लिए “बाबा” का नाम लेना और “मैं-मैं” की मानसिकता से बचना आवश्यक है। बाबा का नाम ही माया को दूर करता है।

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