Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
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दिलतख्त-नशीन आत्मा की निशानी
आज इस संगठन को कौनसा संगठन कहेंगे? इस संगठन का क्या नाम देंगे? यह संगठन है ब्रह्मा बाप की भुजाएं। इसलिए इस संगठन को बापदादा के मददगार, वफादार, बापदादा के दिलतख्त-नशीन, मास्टर सर्वशक्तिवान कहेंगे। अब समझा, इतने अनेक टाइटिल्स इस ग्रुप के नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार हैं। जो दिल के तख्त नशीन होंगे उन्हों की निशानी क्या होती है? टीचर्स हैं इसलिए प्रश्न-उत्तर कर रहे हैं। तख्तनशीन की निशानी क्या है? जो तख्तनशीन हुए हैं उनकी निशानी है – एक तो जब भी कोई तख्त पर बैठते हैं तो तिलक और ताज दोनों तख्तनशीन की निशानी होती है। इस रीति दिलतख्त पर विराजमान आत्माओं की निशानी यही होती है। उनके मस्तक पर सदैव अविनाशी आत्मा क स्थिति तिलक दूर से ही चमकता हुआ नज़र आयेगा। दूसरी बात — और सर्व आत्माओं के कल्याण की शुभ भावना उनके नयनों में वा मुख से, मुख अर्थात् मुखड़ा, फेस से दिखाई दे। मुखड़े से यह सब स्पष्ट दिखाई दे यह निशानी है। तीसरी बात — उनका संकल्प, वचन और कर्म बाप के समान हो। चौथी बात – जिन आत्माओं की सर्विस करे उन आत्माओं में स्नेह, सहयोग और शक्ति तीनों ही गुण धारण कराने की उसमें शक्ति हो। यह चार बातें उनकी निशानी है। अभी आप अपनी रिजल्ट को चेक करो कि यह चार ही निशानियाँ कहाँ तक दिखाई देती हैं। जैसे जो स्वयं होता है वैसे ही समान बनाता है। आज टीचर्स संगठन में हैं इसलिए यह सुना रहे हैं, जिन्हों की आप सेवा करती हो वा कर रही हो उन्हों में यह सब बातें भरनी चाहिए। अब तक रिजल्ट क्या है? हरेक अपनी रिजल्ट को तो देखते ही हैं। मैजारिटी क्या दिखाई देती है? कोई में स्नेहीपन की विशेषता है, कोई में सहयोगीपन की, लेकिन शक्ति रूप की धारणा कम है। इसकी निशानी फिर क्या दिखाई देती है, मालूम है? शक्तिपन के कमी की निशानी क्या है? परखने की शक्ति कम की निशानी क्या है? एक बात तो सुनाई – सर्विस की सफलता नहीं। उनकी स्पष्ट निशानी दो शब्दों में यह दिखाई देगी – उनका हर बात ‘क्यों’, ‘क्या’, ‘कैसे’ ….? क्वेश्चन मार्क बहुत होगा। ड्रामा का फुल-स्टॉप देना उनके लिए बड़ा मुश्किल होगा। इसलिए स्वयं ही ‘क्यों, क्या कैसे’ की उलझन में होगा। दूसरी बात — वह कभी भी समीप आत्मा नहीं बना सकेगा। सम्बन्ध में लायेंगे लेकिन समीप सम्बन्ध में नहीं लायेंगे। समझा? ब्राह्मण कुल की जो मर्यादाएं हैं उन सर्व मर्यादाओं स्वरूप नहीं बना सकेंगे। क्योंकि स्वयं में शक्ति कम होने के कारण औरों में भी इतनी शक्ति नहीं ला सकते जो सर्व मर्यादाओं को पालन कर सकें। कोई न कोई मर्यादा की लकीर उल्लंघन कर देते हैं। समझते सभी होंगे, समझने में कमी नहीं होगी। मर्यादाओं की समझ पूरी होगी। परन्तु मर्यादाओं में चलना यह शक्ति कम होगी। इस कारण जिन्हों की वह सेवा करते हैं उन्हों में भी शक्ति कम होने कारण हाई जम्प नहीं दे सकते। संस्कारों को मिटाने में समय बहुत वेस्ट करते हैं। अब इन बातों से अपने स्वरूप को चेक करो। जैसे बहुत बढ़िया और मीठा फल तब निकल सकता है जब उस वृक्ष में सब बातों का ध्यान दिया जाता है। धरती उखाड़ने का भी ख्याल, बीज डालने का, जल का, सभी का ध्यान देना पड़ता है। ऐसे श्रेष्ठ फल तैयार करने के लिए संस्कार मिटाने की शक्ति, यह हुई धरती उखाड़ने की शक्ति। उसके साथ जैसे सभी चीजें बीच डालने वाले देखते हैं, वैसे स्नेही भी बनावें, सहयोगी भी बनावें और शक्ति-स्वरूप भी बनावें। अगर कोई एक की भी कमी रह जाती है तो क्या होता? जो शुरू में सुनाया कि दिल के तख्त नशीन नहीं बन सकते। इसलिए टीचर्स को यह ध्यान एक-एक के ऊपर देना चाहिए।
आप लोग जब एम-आब्जेक्ट सुनाते हो तो क्या सुनाते हो? देवता बनना यह तो लक्ष्य देते हो। देवताओं की महिमा सर्व गुण सम्पन्न। तो वह लक्ष्य रखना चाहिए। सर्व गुण एक-एक आत्मा में भरने का प्रयत्न करना चाहिए। आप टीचर्स को हरेक से मेहनत इतनी करनी चाहिए जो कोई आत्मा भी यह उलहना न दे कि हमारी निमित्त बनी हुई टीचर ने हमको इस बात के ऊपर ध्यान नहीं खिंचवाया। वह करे न करे, वह हुई उनकी तकदीर। परन्तु आप लोगों को सभी के ऊपर मेहनत करनी है। नहीं तो अब तक की रिजल्ट में कोई उलहनें अभी तक मिल रहे हैं। यह सर्विस की कमी है। इसलिए कहा कि सर्व बातें उन्हों में भरने से वह फल भी ऐसा लायक बनेगा। आप सोचो, जितना कोई बड़ा आदमी होता है, उनके सामने कौनसा फल रखेंगे? बड़ा भी हो और बढ़िया भी हो। साकार में भी कोई चीज़ लाते थे तो क्या देखते थे? तो अब बापदादा के आगे भी ऐसे जो फल तैयार करते हैं वही सामने ला सकते हैं। इसलिए यह ध्यान रखना है। जितना जो स्वयं जितने गुणों से सम्पन्न होता है उतना औरों में भी भर सकता है। हरेक रचयिता की सूरत रचना से दिखाई देती है। सर्विस आप लोगों के लिए एक दर्पण है, जिस दर्पण द्वारा अपने अन्दर की स्थिति को देख सकते हो। जैसे दर्पण में अपनी सूरत सहज और स्पष्ट दिखाई देती है। ऐसे सर्विस के दर्पण द्वारा अपनी फीचर्स-सूरत नहीं, सीरत का सहज स्पष्ट साक्षात्कार होता है। वह है सूरत का आइना, यह है सीरत का आइना। हरेक को अपना साक्षात्कार स्पष्ट होता है? होना चाहिए। अगर अब तक स्पष्ट साक्षात्कार नहीं होगा तो अपने को सम्पूर्ण कैसे बना सकेंगे। जब अपनी कमज़ोरियों का मालूम होगा तब तो शक्ति भर सकेंगे। इसलिए अगर स्वयं के साक्षात्कार में कोई स्पष्टीकरण न हो तो निमित्त बनी हुई बहनों द्वारा मदद ले अपना स्पष्ट साक्षात्कार करने का प्रयत्न ज़रूर करना। यह बापदादा का काम नहीं है, बापदादा का कर्त्तव्य है इशारा देना।
टीचर्स के फीचर्स कैसे होने चाहिए? टीचर्स को अपने फरिश्तेपन के फीचर्स द्वारा सर्विस करनी चाहिए। टीचर्स द्वारा यह शब्द अब तक नहीं निकलने चाहिए कि यह मेरी नेचर है। यह कहना शक्तिहीनता की निशानी है। ‘पुरूषार्थ’ शब्द, पुरूषार्थ शब्द से यूज़ नहीं करते हैं। परन्तु ‘पुरूषार्थ’ शब्द पुरूषार्थ से छुड़ाने का साधन बना दिया है। इसलिए आप लोगों के शब्द रचना द्वारा भी आपके सामने आते हैं। इसलिए सदैव ऐसे समझो जैसे कोई गुम्बज़ में जो आवाज़ किया जाता है वह लौटकर अपने पास आ जाता है। इतना अटेन्शन अपने संकल्पों पर भी रखना है। कहाँ-कहाँ से यह समाचार आते हैं, कौनसे? कि आजकल स्टूडेन्ट्स सुनते नहीं हैं। मेहनत करते हैं लेकिन आगे नहीं बढ़ते हैं, वहाँ के वहाँ खड़े हैं। यह रिजल्ट क्यों? यह भी अपनी स्थिति का रिटर्न है। क्योंकि स्टूडेन्ट भी चलते- चलते निमित्त बनी हुई टीचर्स की कमज़ारियों को परख कर उसका एडवान्टेज उठाते हैं। अच्छा।
दिलतख्त-नशीन आत्मा की निशानी
Q1: इस संगठन का नाम क्या होगा और इसे किस रूप में पहचाना जाएगा?
A1: इस संगठन को बापदादा के मददगार, वफादार और दिलतख्त-नशीन संगठन कहा जाएगा। यह ब्रह्मा बाप की भुजाओं के रूप में कार्य करता है और इसे मास्टर सर्वशक्तिवान संगठन भी कहा जाएगा।
Q2: दिलतख्त-नशीन आत्माओं की क्या निशानियाँ होती हैं?
A2: दिलतख्त-नशीन आत्माओं की चार प्रमुख निशानियाँ होती हैं:
- तिलक और ताज: तख्त पर बैठने वाले आत्मा के मस्तक पर सदैव अविनाशी आत्मा का तिलक चमकता हुआ दिखाई देता है।
- कल्याण की शुभ भावना: उनके नयनों और मुख से सर्व आत्माओं के कल्याण की शुभ भावना प्रकट होती है।
- संकल्प, वचन, और कर्म: उनका संकल्प, वचन और कर्म बाप के समान होते हैं।
- स्नेह, सहयोग और शक्ति: वे जिन आत्माओं की सेवा करते हैं, उनमें ये तीन गुण (स्नेह, सहयोग और शक्ति) उत्पन्न करते हैं।
Q3: यदि आत्मा के भीतर शक्ति की कमी होती है, तो क्या परिणाम होते हैं?
A3: जब आत्मा के भीतर शक्ति कम होती है, तो वे ‘क्यों’, ‘क्या’, ‘कैसे’ जैसे सवालों में उलझे रहते हैं, और ड्रामा के फुल-स्टॉप को समझना उनके लिए कठिन होता है। इससे उनकी सेवा की सफलता कम हो जाती है, और वे कभी भी समीप आत्मा नहीं बन पाते। इसके परिणामस्वरूप वे ब्राह्मण कुल की मर्यादाओं का पालन नहीं कर पाते।
Q4: टीचर्स को किस प्रकार की मेहनत करनी चाहिए?
A4: टीचर्स को प्रत्येक आत्मा के भीतर स्नेह, सहयोग और शक्ति के गुण भरने की मेहनत करनी चाहिए। उन्हें अपने शब्दों और संकल्पों पर पूरा ध्यान रखना चाहिए, ताकि कोई आत्मा यह न कहे कि उन्होंने उसे इस दिशा में ध्यान नहीं दिया।
Q5: सर्विस का दर्पण क्या होता है और यह किस प्रकार कार्य करता है?
A5: सर्विस एक दर्पण की तरह होती है जिसमें हम अपनी सीरत (स्वभाव) का स्पष्ट साक्षात्कार कर सकते हैं। जैसा दर्पण में सूरत दिखाई देती है, वैसे ही सर्विस के दर्पण में हमारी सीरत स्पष्ट होती है। इससे हम अपनी कमज़ोरियों को पहचान सकते हैं और अपनी शक्ति को बढ़ा सकते हैं।
Q6: टीचर्स के फीचर्स कैसे होने चाहिए?
A6: टीचर्स को अपने फरिश्तेपन के फीचर्स के साथ सर्विस करनी चाहिए। वे कभी भी यह नहीं कह सकते कि यह उनकी ‘नेचर’ है, क्योंकि यह शक्तिहीनता की निशानी होगी। टीचर्स को हमेशा अपने शब्दों और संकल्पों पर ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि उनकी स्थिति का परिणाम उनके शब्दों और कर्मों में दिखाई देता है।
Q7: स्टूडेंट्स के परिणामों में रुकावट क्यों आती है, और इसका क्या कारण हो सकता है?
A7: जब स्टूडेंट्स मेहनत करते हैं लेकिन परिणाम में रुकावट आती है, तो इसका कारण यह हो सकता है कि वे टीचर्स की कमज़ोरियों को पहचान कर उनका फायदा उठाते हैं। टीचर्स को अपनी स्थिति का ध्यान रखते हुए, अपनी कमज़ोरियों पर काम करना चाहिए ताकि स्टूडेंट्स को सही दिशा मिल सके और वे आगे बढ़ सकें।
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