Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
विश्व की आत्माओं को लाइट व माइट देने वाला ही विश्व-अधिकारी
त्रिकालदर्शी बने हो कि एक-दर्शी बने हो? एक-दर्शी अर्थात् सिर्फ वर्तमान के दर्शी। अब तो त्रिकालदर्शी बन सबको सन्देश दो। जब एक-दर्शी बन सन्देश देते हो तो एक परसेन्ट ही रिजल्ट निकलती है। त्रिकालदर्शी बन सन्देश दो तो तीन हिस्सा रिजल्ट तो निकल ही जायेगी। अर्थात् 75% रिजल्ट होगी। अब है 25% रिजल्ट। तो अब क्या करेंगे? अभी पाण्डव सेना की विजय का झण्डा लहरायेंगे?-फिर क्या करेंगे? दोनों ही लहरायेंगे ना? यह झण्डा लहराना तो सहज है चाहे एक के बजाय 100 लहरा दो। हर एक अपने एरिया में जितने चाहे लहरा दे। लेकिन इस झण्डे के लहराने का अर्थ क्या है? विजय का झण्डा लहराना। जो अब मिलकर तन-मन और धन सब लगा रहे हो वह किस लक्ष्य से? क्या सिर्फ शिव के चित्र के झण्डे लहराने के लक्ष्य से? अब लक्ष्य यह रखो कि सब मिलकर अपनी राजधानी पर विजय का झण्डा लहरायेंगे और सब पर विजय पायेंगे। अगर बच भी जायें तो वह भी दबे हुए हों। बोलने से चुप तो हो ही सकते हैं ना? अब तो चुप भी नहीं हैं, अब तो बोलने में भी होशियार हैं।
देखो, विश्व का मुख कौन-सा है? अखबार, पर्चे और मैगिज़न। अब विश्व के मुख द्वारा बोलते तो रहते हैं ना? लेकिन चुप हो जायें, मार न सको तो कमसे- कम मूर्छित तो करो। मूर्छित वाला भी बोलेगा तो नहीं ना? अब यह रिजल्ट आऊट होनी है। राख कौन बनते हैं और कितने बनते हैं और कोटों में से, लाखों में से एक कौन निकलते हैं, वह भी देखेंगे। लेकिन यह होगा कैसे? इसके लिये दो बातें छोड़नी है और एक बात धारण करनी है। दो बात कौनसी छोड़नी है? (दो मत को छोड़कर एक मत धारण करनी है) लेकिन दो मत होती क्यों है? एक मत से दो मत में आने का कारण क्या है? दो बातें छोड़नी क्या हैं और एक बात धारण क्या करनी है? छोड़नी है एक तो स्तुति और दूसरी परिस्थिति। क्योंकि एक तो कोई परिस्थिति के कारण डगमग होते हैं और दूसरे स्तुति में आने से स्थिति नहीं बनती है। तो इसलिए स्व-स्थिति को धारण करना है। और स्तुति और परिस्थिति-इन दोनों बातों को छोड़ना है। संकल्प से भी छोड़ना है। परिस्थिति के कारण स्व-स्थिति नहीं होती है और स्तुति के कारण स्थिति नहीं होती। तो इसलिये स्तुति में कभी नहीं आना। अगर यहाँ अपनी स्तुति का संकल्प भी रखा तो आधा कल्प से जो स्तुति होनी है उसमें सौ गुना कट हो जाता है क्योंकि अब की अल्प काल की स्तुति सदा काल की स्थिति को कट कर देती है। इसलिए अब परिस्थिति शब्द भी नहीं कहना और स्तुति का संकल्प भी नहीं करना।
जितना निर्मान रहेंगे, उतना निर्माण का कार्य सफल होगा। अगर निर्मानता नहीं तो निर्माण नहीं कर सकते। निर्माण करने के लिये पहले निर्मान बनना पड़ेगा। इसलिये एक सलोगन सदा याद रखना-कोई भी कार्य हो, कोई भी सरकमस्टान्सिज सामने हों लेकिन सदैव जैसे अज्ञान काल में कहावत है कि ‘पहले आप’ अर्थात् ‘दूसरों को आगे बढ़ाना स्वयं को आगे बढ़ाना है’। स्वयं का झुकना ही विश्व को अपने आगे झुकाना है। इसलिये सदैव एक दो में यही वृत्ति, दृष्टि और वाणी रहे कि ‘पहले आप’। यह सलोगन कब भूलना नहीं। जैसे बापदादा ने कभी भी संकल्प व बोल में व कर्म में यह नहीं दिखलाया कि पहले ‘मैं’। सदैव बच्चों को पहले लाये-इस दृष्टि व वृत्ति को आगे रखा। इस प्रकार ‘फॉलो-फादर’ करने वाली हर आत्मा इस बात में ‘फॉलो फादर’ करेगी तो सफलता 100% गले की माला बनेगी। अगर पहले आप की बजाये ‘पहले मैं’ यह संकल्प भी किया, अगर एक आत्मा ने भी यह संकल्प किया व वाणी और कर्म में भी लाया तो मानो सफलता की माला का एक मणका टूटा। माला से एक मणका भी यदि टूट जाता है तो सारी माला पर प्रभाव पड़ता है। इसलिये स्वयं को तो इस बात में पक्का करना ही है लेकिन स्वयं के साथ-साथ संगठन को भी इस पाठ में व इस सलोगन में सदा सफल बनाने के प्रयत्न में रहना है। जिससे विजय माला का एक मणका भी अलग न होने पाये। जब ऐसा पुरूषार्थ करेंगे व यह कार्य करेंगे तब विजय का झण्डा अपनी राजधानी के ऊपर खड़ा कर सकेंगे।
पार्ट बजाने के पहले – रिहर्सल, समझा? ड्रेस और मेक-अप आदि किया जाता है तब ही पार्ट सक्सेसफुल होता है। तो यह धारण करना है। ऐसे सजे सजाये एवररेडी बन जब स्टेज पर आयेंगे तो सबके मुख से ‘हियर-हियर’ का आवाज़, वन्स मोर की आवाज़ निकलेगी। क्या तैयारी के साथ-साथ यह भी तैयारी कर रहे हो। सिर्फ स्थूल तैयारियाँ करने में तो बिज़ी नहीं हो गये हो? पहले अपनी ड्रेस तैयार करो और फिर मेक-अप का सामान तैयार करो। मेक-अप करना अर्थात् स्थिति में स्थित होना, क्या यह भी तैयारी कर रहे हो? क्या इनकी भी मीटिंग करते हो? ज्यादा मीटिंग में यह पॉइण्ट भूल न जाना। स्टाल को सजाते-सजाते समय हो जाये और स्वयं ऐसे ही खड़े हो जाओ-ऐसे होता है ना? कई सेन्टर्स पर फंक्शन की तैयारी करते-करते स्वयं ऐसे ही खड़े रह जाते हैं, स्वयं तैयार नहीं होते तो यहाँ अब ऐसे नहीं करना।
दान लेने वाले आ जावें और आप उस समय सोचो कि क्या ले आवें जो बाँटे, इसलिये स्टॉक पहले से ही इकठ्ठा किया जाता है। उस समय इकठ्ठा करने व् कोशिश करेंगे तो कई वंचित रह जायेंगे। जैसे और चीजों का स्टॉक इकठ्ठा करते हो, वैसे ही यह स्टॉक पहले इकठ्ठा करना है। जिसको जो चाहिए, सुख-शान्ति चाहिए या सिर्फ प्रजा पद चाहिए या कोई को साहूकार पद चाहिए और कोई सिर्फ सलाम भरना चाहें। विश्व-महाराजन् को कई ऐसे भी चाहते हैं कि जो सदैव चरणों के दास रहें। तो ऐसे भक्त जो नमन करना चाहते हों ऐसों का भी स्टॉक भर दो। जिसको जो चीज़ चाहिए और जिस चीज की इच्छा हो, उसकी इच्छा अविनाशी पूरी कर सको। इस मिट्टी की दुनिया की नहीं, सोने की दुनिया की। ऐसा स्टॉक जब इकठ्ठा होगा तब जल्दी अपने स्टॉक से उन आत्माओं को दे सकोगी। क्या यह भी तैयारी की है? यह पोतामेल निकाला है या सिर्फ यही निकाला है कि हर एक ज़ोन कितना तन-धन देंगे, कितने बैनर्स,और चादरें आदि देंगे क्या यह निकाल रहे हो? लेकिन अपने मस्तक पर भी बैनर्स लगाना पड़ेगा।
पहले तो अपनी मूर्त्त की चैतन्य प्रदर्शनी लगानी पड़ेगी। जिसमें नैन कमलसम दिखाई दें, होठों पर रूहानी मुस्कराहट दिखाई दे और मस्तक से आत्मा की सूरत दिखाई दे। तो क्या ऐसी अपनी मूर्त्त को सजाया है? यह प्रदर्शनी भी तैयार कर रहे हो या सिर्फ स्टाल की प्रदर्शनी तैयार कर रहे हो? इसका इनाम भी मिलेगा ना? आप आपस में एक-दो को स्टॉल की सजावट का इनाम देंगे और बापदादा इनाम देंगे चैतन्य प्रदर्शनी की सजावट का, इसलिये अब डबल इनाम मिलेगा। किस-किस ने अपनी चैतन्य प्रदर्शनी व अपने मस्तक के बैनर द्वारा सर्विस की उसका इनाम देंगे। अब रिजल्ट देंखेंगे। रिजल्ट तो आनी है ना? तीन नम्बर्स को इनाम मिलेगा-फर्स्ट, सेकेण्ड और थर्ड। बापदादा भी तीन इनाम देंगे। हर एक अभी से सोच रहे हैं हम फर्स्ट इनाम लेंगे और फर्स्ट में भी आ जायेंगे। अगर सब फर्स्ट में आ जावें तो भी सौगात देंगे। इसमें क्या बड़ी बात है? जब इतने विजयी बनेंगे तो विजयी रत्नों के आगे इनाम की क्या बड़ी बात है? सब फर्स्ट नम्बर बनो तो इनाम भी सबको मिलेगा, स्थूल में मिलेगा। सूक्ष्म कहेंगे तो बड़ी बात नहीं होगी। साकार सृष्टि निवासी होने के कारण साकार में भी देंगे। क्या देंगे वह अभी नहीं बतावेंगे। वह उस समय प्रसिद्ध होगा। जैसी योग्यता होगी, उस योग्यता के अनुसार इनाम होगा। गोल्ड भी क्या बड़ी बात है? थोड़े समय के बाद यह सारा ही सोना आपके चरणों में आना है। विश्व का मालिक बनने वालों के लिये यह सब क्या बड़ी बात है? जो बापदादा की सौगाते हैं ना। जितना नम्बर उतनी सौगात। जितना बढ़िया सर्विस की सफलता दिखायेंगे उनको ऐसी बढ़िया सौगात मिलेगी। बाकी स्टॉल की सजावट का इनाम यह (दीदी-दादी) देंगी और वह बापदादा देंगे। अच्छा, दिलासा नहीं है। प्रैक्टिकल में देंगे। अच्छा! ऐसे सदा विजयी, सदा सफलता-मूर्त्त, सदा स्व-स्थिति से, सदा हर परिस्थिति का सामना करने वाले, सदा निर्मान बन विश्व नव-निर्माण करने वाले और कदम-कदम पर एक बाप की याद में एक-मत हो, एक का नाम बाला करने वाले श्रेष्ठ आत्माओं को बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते।
विश्व की आत्माओं को लाइट व माइट देने वाला ही विश्व-अधिकारी
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प्रश्न: त्रिकालदर्शी बनकर हम किसे संदेश देंगे?
उत्तर: त्रिकालदर्शी बनने पर हम सभी को संदेश देंगे, ताकि हम 75% सफलता पा सकें, जबकि एक-दर्शी बनने पर केवल 1% सफलता मिलती है। -
प्रश्न: विजय का झण्डा लहराने का क्या अर्थ है?
उत्तर: विजय का झण्डा लहराने का अर्थ है, हम अपनी राजधानी पर विजय प्राप्त करेंगे और दूसरों के साथ मिलकर सफलता को हासिल करेंगे। -
प्रश्न: हमें अपने जीवन में कौन-सी बातों को छोड़ना चाहिए और कौन-सी बात को धारण करनी चाहिए?
उत्तर: हमें स्तुति और परिस्थिति को छोड़कर केवल स्व-स्थिति को धारण करना चाहिए, क्योंकि ये दोनों हमें सही स्थिति में स्थित नहीं होने देते हैं। -
प्रश्न: “पहले आप” का सिद्धांत कैसे कार्य करता है?
उत्तर: “पहले आप” का सिद्धांत यह है कि हमें पहले खुद को आगे बढ़ाना है, तभी हम दूसरों को आगे बढ़ा सकते हैं, जैसे बापदादा ने हमेशा बच्चों को पहले लाने की दृष्टि रखी। -
प्रश्न: सफलता की माला बनाने के लिए हमें क्या ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: हमें “पहले आप” की वृत्ति में रहकर स्वयं को पक्का करना है और संगठन को भी इस सिद्धांत में सफल बनाने के प्रयास करना है ताकि विजय का झण्डा सही रूप में लहराए। -
प्रश्न: अपनी चैतन्य प्रदर्शनी कैसी होनी चाहिए?
उत्तर: हमारी चैतन्य प्रदर्शनी में नैन कमल जैसे दिखने चाहिए, होठों पर रूहानी मुस्कान होनी चाहिए, और मस्तक से आत्मा की सूरत झलकनी चाहिए। -
प्रश्न: “फॉलो-फादर” का सिद्धांत सफलता के लिए क्यों आवश्यक है?
उत्तर: “फॉलो-फादर” का सिद्धांत इसलिए आवश्यक है क्योंकि जब हम बापदादा के मार्ग पर चलते हैं, तो सफलता 100% हमारी होगी, जैसे बापदादा ने हमेशा बच्चों को सफलता की दिशा दिखाई। -
प्रश्न: अगर हम सेवा में सफल नहीं होते, तो क्या होता है?
उत्तर: अगर हम सेवा में सफल नहीं होते, तो हमारी सफलता का मणका टूटता है और माला पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए सफलता के मार्ग में हमेशा “पहले आप” का अनुसरण करना चाहिए। -
प्रश्न: डबल लाइट और माइट हाउस का रूप किसे प्राप्त करना चाहिए?
उत्तर: हमें डबल लाइट और माइट हाउस का रूप अपनाना चाहिए ताकि हम मुक्ति और जीवनमुक्ति के रास्ते दिखाकर हर आत्मा को ठिकाने लगा सकें। -
प्रश्न: सजावट और मेक-अप की तैयारी का क्या महत्व है?
उत्तर: सजावट और मेक-अप की तैयारी का महत्व यह है कि हमें केवल बाहरी सजावट नहीं, बल्कि अपनी आत्मा की सजावट पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि हम सेवा में सफलता प्राप्त कर सकें।
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