Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“सम्पूर्ण स्नेही की परख”
सभी किस स्थिति में बैठे हो? लगन में बैठे या मगन अवस्था में? किस अवस्था में हो? ज्यादा समय लगन लगाने में जाता है या मगन रूप में हो? अपनी चैकिंग तो करते होंगे । अच्छा ।
सभी की यही इच्छा है कि हमाँरे पेपर की रिजल्ट का माँलूम पड़े । विशेष सभी के दिलों में यही संकल्प चलता रहता है । तो आज रिजल्ट सभी सुना देते हैं । सभी ने जो भी लिखा है यथायोग्य, यथाशक्ति टोटल रिजल्ट यही कहेंगे कि बाप में निश्चय बुद्धि तो है लेकिन जितना ही बाप में निश्चय है उतना ही बाप के महावाक्यों में, फरमान में निश्चय बुद्धि होकर चलना वह अभी पुरुषार्थ में 50 देखने में आता है । बाप में निश्चय तो 100 है लेकिन बाप के फरमान और आज्ञाओं में निश्चय बुद्धि होकर के जो फरमाँन मिला और किया । ऐसे फरमान में निश्चय बुद्धि मैजारिटी 50 की रिजल्ट में है । ऐसे ही टीचर में निश्चय है लेकिन उनकी पूरी पढ़ाई जो है उसमें पूर्ण रीति से चलना वह भी अपनी परसेन्टेज की रिजल्ट है । ऐसे ही गुरु रूप में भी सडूरु है यह पूरा निश्चय है लेकिन उनके श्रीमत पर चलना उसकी टोटल रिजल्ट 50 तक है । सिर्फ बाप, टीचर, सतगुरु में निश्चय नहीं लेकिन इस निश्चय के साथ-साथ उनके फरमान, उनकी पढ़ाई और उनके श्रीमत पर भी सम्पूर्ण निश्चय बुद्धि होकर चलना है । इसमें कमी है जिसको अभी भरना है?
स्नेह की निशानी क्या है? सम्पूर्ण स्नेही की परख क्या होती है? उनका मुख्य लक्ष्य क्या होता है? आप सभी ने जो सुनाया वह तो है ही । लेकिन फिर भी वह स्पष्ट करने के लिए जिसके साथ जिसका स्नेह होता है उसकह सूरत में उसी स्नेही की सूरत देखने में आती है । उनके नयनों से वही नूर देखने में आता है । उनके मुख से भी स्नेह के बोल निकलते । उनके हर चलन से स्नेह का चित्र देखने में आयेगा । उसमें वही स्नेही समाया हुआ होगा । ऐसी अवस्था होनी है । अभी बच्चों और बाप के सस्कारों में बहुत फर्क है । जब समाँन हो जायेंगे तो आप के संस्कार देखने में नहीं आयेंगे । वही देखने में आयेंगे । एक-एक में बाप को देखेंगे । आप सभी द्वारा बाप का साक्षात्कार होगा । लेकिन अभी वह कमी है । अपने से पूछना है ऐसे स्नेही बने हैं? स्नेह लगाना भी सहज है । स्नेही स्वरूप बनना- यह है फाइनल स्टेज । तो पेपर की रिजल्ट सुनाई । एक तो एक कमी है, दूसरी बात जो सभी ने लिखा है उसमें सहनशक्ति की जो रिजल्ट है वह बहुत कम है । जितनी सहनशक्ति होगी उतनी सर्विस में सफलता होगी । संगठन में रहने के लिए भी सहनशक्ति चाहिए । फाइनल पेपर जो विनाश का है उसमें पास होने के लिए भी सहनशक्ति चाहिये । वह सहनशक्ति की रिजल्ट मैजारिटी में बहुत कम है । इसलिए उसको अब बढ़ाओ ।
सहनशक्ति कैसे आयेगी? जितना-जितना स्नेही बनेंगे । जितना जिसके प्रति स्नेह होता है तो उस स्नेह में शक्ति आ जाती है । स्नेह में सहनशक्ति कैसे आती है, कभी अनुभव किया है? जैसे देखो, कोई बच्चे की माँ है । बच्चे पर आपदा आती है, माँ का स्नेह है तो स्नेह के कारण उसमें सहनशक्ति आ जाती है । बच्चे के लिए सब कुछ सहन करने लिए तैयार हो जाती है । उस समय स्नेह में कुछ भी अपने तन का वा परिस्थितियों का कुछ फिक्र नहीं रहता है । तो ऐसे ही अगर निरन्तर स्नेह रहे तो उसे स्नेही प्रति सहन करना कोई बड़ी बात नहीं है । स्नेह कम है इस- लिए सहनशक्ति भी कम है । यह है आप सभी के पेपर की रिजल्ट । अब एक माँस के बाद रिजल्ट देखेंगे । वहाँ तीन-तीन माँस बाद पेपर आता है । यहाँ एक माँस बाद इसी रिजल्ट को देखेंगे कि स्नेही रूप कितना बने हैं?
मुख्य है निर्भयता का गुण । जो पेपर में नहीं दिया था । क्योंकि उसकी बहुत कमी है । एक माँस के अन्दर इस निर्भयता के गुण को भी अपने में पूरा भरने की कोशिश करनी है । निर्भयता कैसे आयेगी? उसके लिए मुख्य क्या पुरुषार्थ है? निराकारी बनना । जितना निराकारी अवस्था में होंगे उतना निर्भय होंगे । भय तो शरीर के भान में आने से होता है ।
यह एक माँस का चार्ट पहले बता देते हैं । कुमारियों का ट्रेनिंग क्लास पूरा होगा तो यह भी पूछेगे कि सहनशक्ति, निर्भय और निश्चय की परख जो बताई वह कहाँ तक है । इन तीनों बातों का पेपर फिर लेंगे । कुमारियों से बापदादा का स्नेह विशेष क्यों होता है? कौन-सी खास बात है जो बापदादा का खास स्नेह रहता है? क्योंकि बापदादा समझते हैं अगर इन्हों को ईश्वरीय स्नेह नहीं मिलेगा तो और किसी के स्नेह में लटक जायेंगी । बाप रहमदिल है ना । तो रहम के कारण स्नेह है । भविष्य बचाव के कारण विशेष स्नेह रहता है । अब देखेंगे बापदादा के स्नेह का जवाब क्या देती हैं । अपने को बचाना है यह है बापदादा के स्नेह का रेस्पान्ड । किन-किन बातों में बचाना है मालूम है? एक तो मन्सा सहित प्यूरिटी हो । मन्सा में कोई संशय न आये और दूसरी बात अपनी वाचा भी ऐसी रखनी है जो मुख से कोई ऐसा बोल न निकले । वाणी में भी कन्ट्रोल, मन्सा में भी कन्ट्रोल । वाचा ऐसी रखनी है जैसे साकार में बापदादा की थी । कर्म भी ऐसा करना है जैसे साकार तन द्वारा करके दिखाया । आप का कर्म ऐसा हो जो और भी देखकर ऐसा करे । यह है कुमारियों के लिए खास । और किससे बचना है? संगदोष से तो बचना ही है, एक और विशेष बात है । अब बहुत रूप से, आत्मा के रूप से, शरीर के रूप से आप सभी को बहकाने वाले बहुत रूप सामने आयेंगे । लेकिन उसमें बहकना नहीं है । बहुत परीक्षायें आयेंगी लेकिन कुछ है नहीं । परीक्षाओं में पास कौन हो सकता है? जिसको परख पूरी होगी । परखने की जितनी शक्ति होगी उतना ही परीक्षाओं में पास होंगे । परखने की शक्ति कम रखते हो, परख नहीं सकते हो कि यह किस प्रकार का विघ्न है, माया किस रूप में आ रही है और क्यों मेरे सामने यह विघ्न आया है, इससे रिजल्ट क्या है? यह परख कम होने के कारण परीक्षाओं में फेल हो जाते हैं । परख अच्छी होगी वह पास हो सकते हैं ।
सम्पूर्ण स्नेही की परख – सवाल और जवाब
- सवाल: सम्पूर्ण स्नेही की परख कैसे की जाती है?
जवाब: स्नेही की परख उनके व्यक्तित्व, उनके बोल, उनकी आँखों से निकलने वाले नूर, और उनके कार्यों से की जाती है। उनका स्नेह उनके हर कार्य में स्पष्ट रूप से दिखता है। - सवाल: स्नेही स्वरूप बनने का क्या मतलब है?
जवाब: स्नेही स्वरूप बनना एक उच्चतम अवस्था है जहाँ व्यक्ति बाप के साकार रूप की तरह पूर्ण स्नेह और निष्ठा के साथ कार्य करता है। इसका उद्देश्य खुद को पूरी तरह से स्नेहमय और निर्विकार बनाना है। - सवाल: सहनशक्ति की कमी क्यों महसूस होती है?
जवाब: सहनशक्ति की कमी का कारण स्नेह की कमी है। जब स्नेह प्रगाढ़ होता है, तो सहनशक्ति भी स्वाभाविक रूप से बढ़ती है। - सवाल: सहनशक्ति कैसे बढ़ाई जा सकती है?
जवाब: सहनशक्ति को स्नेह में वृद्धि के द्वारा बढ़ाया जा सकता है। जब हम किसी के प्रति स्नेह रखते हैं, तो उस स्नेह में शक्ति और सहनशक्ति स्वतः आ जाती है। - सवाल: निर्भयता का गुण कैसे आता है?
जवाब: निर्भयता निराकार अवस्था में रहने से आती है। जितना अधिक हम निराकार होते हैं, उतना ही हम निर्भय होते हैं, क्योंकि शरीर के भान से भय उत्पन्न होता है। - सवाल: कुमारियों के लिए बापदादा का स्नेह विशेष क्यों होता है?
जवाब: बापदादा का स्नेह कुमारियों के लिए विशेष होता है क्योंकि बापदादा समझते हैं कि अगर उन्हें ईश्वरीय स्नेह नहीं मिलेगा, तो वे अन्यत्र स्नेह के प्रति आकर्षित हो जाएँगी। बाप का यह स्नेह भविष्य में उनकी रक्षा के लिए होता है। - सवाल: परखने की शक्ति कैसे विकसित की जा सकती है?
जवाब: परखने की शक्ति को निरंतर अभ्यास और सच्चाई के मार्ग पर चलकर विकसित किया जा सकता है। जो व्यक्ति माया और विघ्नों को सही तरीके से पहचान सकता है, वह परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकता है। - सवाल: संगदोष से बचने का उपाय क्या है?
जवाब: संगदोष से बचने के लिए आत्मा को शुद्ध रखना और गलत संगति से दूर रहना आवश्यक है। साथ ही, वाणी और मन्सा पर नियंत्रण रखना भी जरूरी है।Completely loving, test, sign of love, power of tolerance, fearlessness, form of love, BapDada, Guru, Shrimat, loving form, determined intellect, paper result, spiritual test, development of tolerance, power of love, spiritual test, love in the corporeal form, love of the kumaris, thoughts and words, avoiding bad company, facing Maya, power to test, Godly love, incorporeal stage, mental and verbal control, corporeal body.