Creation Cycle

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सृष्टि चक्र(Creation Cycle)

प्रस्तावना:

सृष्टि और समय का चक्र मानवता के लिए एक अनसुलझी पहेली है। विज्ञान कहता है कि पृथ्वी अरबों वर्ष पुरानी है, जबकि भगवान शिव का दृष्टिकोण समय को एक 5000-वर्षीय चक्रीय प्रक्रिया के रूप में प्रस्तुत करता है। इस अध्याय में हम इस दृष्टिकोण की गहराई से पड़ताल करेंगे।

प्रश्न और उत्तर

1. समय का चक्रीय स्वरूप

प्रश्न: पृथ्वी अरबों वर्ष पुरानी मानी जाती है, लेकिन भगवान शिव के अनुसार समय की प्रकृति क्या है?
उत्तर:
भगवान शिव के अनुसार, समय चक्रीय है और इसका एक चक्र 5000 वर्षों का होता है। यह चार युगों में विभाजित है:

  1. सतयुग (सत्य का युग) – पूर्ण शांति और धर्म का समय।
  2. त्रेता युग (धर्म का युग) – धर्म का क्षीण होना शुरू।
  3. द्वापर युग (अर्धसत्य का युग) – मोह और अधर्म का प्रचलन।
  4. कलयुग (अधर्म का युग) – पतन और पाप का युग।
    हर 5000 वर्षों के बाद यह क्रम पुनः आरंभ होता है, जिससे समय चक्रीय बनता है।

2. स्वस्तिक और सृष्टि चक्र का प्रतीक

प्रश्न: स्वस्तिक का सृष्टि चक्र से क्या संबंध है?
उत्तर:
स्वस्तिक चार युगों का प्रतीक है:

  • स्वस्तिक की चार भुजाएं सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग, और कलयुग का प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • इसके केंद्र में संगम युग स्थित है, जो कलयुग और सतयुग के बीच परिवर्तन का समय है।
  • स्वस्तिक इस बात का संकेत है कि सृष्टि निरंतर एक चक्रीय प्रक्रिया में बंधी हुई है।

3. युगों का विवरण

प्रश्न: चार युगों और संगम युग का विवरण दें।
उत्तर:

  1. सतयुग (Golden Age):
    • अवधि: 1250 वर्ष
    • विशेषता: सत्य और धर्म का पूर्ण पालन, आत्मा और प्रकृति पवित्र।
  2. त्रेता युग (Silver Age):
    • अवधि: 1250 वर्ष
    • विशेषता: नैतिकता में गिरावट, धर्म का क्षरण।
  3. द्वापर युग (Copper Age):
    • अवधि: 1250 वर्ष
    • विशेषता: मोह-माया का प्रचलन, आत्मा की ऊर्जा क्षीण।
  4. कलयुग (Iron Age):
    • अवधि: 1250 वर्ष
    • विशेषता: अधर्म और भौतिकवाद का युग, समाज का पतन।
  5. संगम युग (Confluence Age):
    • अवधि: 100 वर्ष
    • विशेषता: भगवान शिव द्वारा ज्ञान का पुनर्संचार और सत्य की पुनर्स्थापना।

4. ईश्वरीय ज्ञान का महत्व

प्रश्न: शिव बाबा की मुरली से हमें क्या ज्ञान मिलता है?
उत्तर:
शिव बाबा की मुरली से हमें यह समझने को मिलता है:

  • आत्मा अमर है और समय के हर चक्र में पुनः जन्म लेती है।
  • संगम युग में आत्मा को शुद्ध करने का अवसर मिलता है।
  • सत्य, ज्ञान, और धर्म के मार्ग पर चलकर हम सतयुग में प्रवेश कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

सृष्टि चक्र भगवान शिव के ज्ञान के अनुसार एक चक्रीय प्रक्रिया है, जो 5000 वर्षों में पूर्ण होती है। यह चक्र चार युगों और एक संगम युग का संतुलित मिश्रण है। शिव बाबा का ज्ञान हमें सिखाता है कि सृष्टि के इस चक्र को समझकर हमें धर्म, सत्य, और शांति का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से हम सृष्टि के सकारात्मक चक्र में योगदान दे सकते हैं।