(55) Did the Lord of Gita establish Hinduism?

(55) क्या गीता के भगवान ने हिन्दू धर्म  की स्थापना की थी?

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“क्या गीता के भगवान ने हिन्दू धर्म की स्थापना की थी?” | गीता ज्ञानदाता कौन? | 


प्रवचन: मुख्य हेडिंग्स सहित

 1. प्रारंभ – एक आत्म-प्रश्न

प्रश्न:
“गीता — जिसे हम भारत का सबसे महान ग्रंथ मानते हैं — उसमें वर्णित भगवान कौन हैं?
क्या वे श्रीकृष्ण हैं? क्या उन्होंने ‘हिन्दू धर्म’ की स्थापना की थी?”

विचार:
यदि नहीं, तो गीता में वर्णित धर्म का वास्तविक नाम क्या है?


 2. एक दिव्य संवाद – आत्मा और परमात्मा के बीच

शिवबाबा कहते हैं:
“वत्सो! क्या तुम जानते हो कि तुम्हारा सच्चा धर्म कौन-सा है?”

आत्मा उत्तर देती है:
“हे परमपिता! कुछ कहते हैं हिन्दू धर्म, कुछ सनातन धर्म… लेकिन सत्य तो आप ही बता सकते हैं।”


 3. धर्म-स्थापना का नियम – कौनसा धर्म, कौनसा स्थापक?

धर्म धर्म-स्थापक
ईसाई धर्म ईसा मसीह
इस्लाम हज़रत मुहम्मद
बौद्ध धर्म गौतम बुद्ध
सिख धर्म गुरु नानक

परंतु हिन्दू धर्म…? कोई धर्म-स्थापक ज्ञात नहीं।
 यह नाम किसी दिव्य सत्ता द्वारा नहीं दिया गया, बल्कि सांस्कृतिक रूप से विकसित हुआ।


 4. मुरली प्रमाण – गीता का भगवान कौन?

मुरली 18 जनवरी 2025:
“गीता ज्ञानदाता मैं, परमपिता परमात्मा शिव हूँ। श्रीकृष्ण तो देवता है, मेरा बच्चा है।”

मुरली 13 जुलाई 2024:
“मैं वह धर्म पुनः स्थापन करता हूँ जिसे लोग भूल गए हैं — आदि सनातन देवी-देवता धर्म।”


 5. ‘हिन्दू’ शब्द का कोई आध्यात्मिक आधार नहीं

शिवबाबा स्पष्टीकरण:
“वत्सो! धर्म का नाम धर्म-स्थापक से होता है। ‘हिन्दू’ शब्द का कोई स्थापक नहीं।
मैंने जो धर्म स्थापन किया, वह है —
 ‘आदि सनातन देवी-देवता धर्म’।”


 6. दो सम्प्रदाय – दैवी और आसुरी

भगवद गीता अध्याय 16:
“दैवी सम्पदा मुक्ति निबन्धाय, आसुरी मता बन्धनाय।”
 दैवी सम्प्रदाय = मुक्ति
 आसुरी सम्प्रदाय = बन्धन

देवी-देवता धर्म ही वह दैवी सम्प्रदाय है।


 7. 5000 वर्षों का चक्र और पुनः स्थापना

शिवबाबा कहते हैं:
“5000 वर्ष पूर्व मैंने यही धर्म स्थापन किया था।
अब वही पुनः स्थापन करने आया हूँ —
क्योंकि सच्चा धर्म लुप्त हो चुका है और ‘हिन्दू’ शब्द चलन में आ गया है।”


 8. आज की पुनः स्थापना – ब्रह्मा के माध्यम से

“मैं ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर वह धर्म पुनः स्थापन कर रहा हूँ —
‘आदि सनातन देवी-देवता धर्म’
— न कि कोई ‘हिन्दू धर्म’।”


निष्कर्ष:

  • गीता के भगवान श्रीकृष्ण नहीं हैं।

  • गीता का ज्ञान परमात्मा शिव देते हैं।

  • ‘हिन्दू धर्म’ एक भौगोलिक-सांस्कृतिक पहचान है, न कि आध्यात्मिक धर्म।

  • परमात्मा शिव का कार्य है:
    “मनुष्य से देवता बनाना, सत्य ज्ञान से आत्मा का उत्थान करना।”

शीर्षक: “क्या गीता के भगवान ने हिन्दू धर्म की स्थापना की थी?” | गीता ज्ञानदाता कौन? |


1. गीता में वर्णित भगवान कौन हैं?

प्रश्न:क्या गीता में भगवान श्रीकृष्ण हैं? क्या उन्होंने ‘हिन्दू धर्म’ की स्थापना की थी?

उत्तर:नहीं, गीता के भगवान श्रीकृष्ण नहीं हैं।
गीता ज्ञानदाता स्वयं परमपिता परमात्मा शिव हैं, जो श्रीकृष्ण के माध्यम से नहीं, बल्कि स्वयं ज्ञान देते हैं।
श्रीकृष्ण एक देवता आत्मा हैं, परमात्मा के संतान, न कि गीता के लेखक।


2. गीता के भगवान स्वयं क्या कहते हैं?

प्रश्न:क्या मुरली में इसका कोई प्रमाण है?

उत्तर:मुरली 18 जनवरी 2025:
“गीता ज्ञानदाता मैं, परमपिता परमात्मा शिव हूं। श्रीकृष्ण तो देवता है, मेरा बच्चा है।”

मुरली 13 जुलाई 2024:
“मैं वह धर्म पुनः स्थापन करता हूँ जिसे लोग भूल गए हैं — आदि सनातन देवी-देवता धर्म।”


3. धर्म-स्थापना के नियम के अनुसार हिन्दू धर्म का कोई स्थापक क्यों नहीं है?

प्रश्न:क्या हर धर्म के पीछे कोई धर्म-स्थापक होता है?

उत्तर:हाँ, प्रत्येक धर्म किसी विशेष आत्मा द्वारा स्थापन होता है:

धर्म धर्म-स्थापक
ईसाई धर्म ईसा मसीह
इस्लाम हज़रत मुहम्मद
बौद्ध धर्म गौतम बुद्ध
सिख धर्म गुरु नानक

परन्तु हिन्दू धर्म का कोई स्पष्ट धर्म-स्थापक नहीं है।
यह शब्द भौगोलिक दृष्टि से (सिंधु नदी से “हिन्दू”) आया, न कि किसी आध्यात्मिक स्थापना से।


4. गीता में वर्णित धर्म का वास्तविक नाम क्या है?

प्रश्न:यदि हिन्दू धर्म नहीं, तो गीता में किस धर्म की बात है?

उत्तर:“आदि सनातन देवी-देवता धर्म” — यही वह धर्म है जिसे परमात्मा शिव स्थापित करते हैं।
शब्द “हिन्दू” तो बाद में आया, परंतु मूल धर्म था — दैवी आत्माओं का धर्म।


5. दैवी और आसुरी सम्प्रदाय में क्या अंतर है?

प्रश्न:गीता में दो सम्प्रदायों का ज़िक्र क्यों है?

उत्तर:अध्याय 16:
“दैवी सम्पदा मुक्ति निबन्धाय, आसुरी मता बन्धनाय।”
दैवी सम्प्रदाय – देवी-देवता धर्म, जो मुक्ति व सुखधाम की ओर ले जाता है।
आसुरी सम्प्रदाय – विकारों में बंधा जीवन, जिससे आत्मा पतन को प्राप्त होती है।


6. क्या गीता में ‘हिन्दू धर्म’ शब्द है?

प्रश्न:क्या गीता या श्रीकृष्ण ने ‘हिन्दू धर्म’ शब्द का उपयोग किया?

उत्तर:नहीं। गीता में ‘हिन्दू’ शब्द कहीं नहीं मिलता।
यह बाद में पांडवों व दैवी आत्माओं की संस्कृति को ‘हिन्दू’ नाम से पहचाना गया — एक सांस्कृतिक, न कि आध्यात्मिक नाम।


7. परमात्मा ने 5000 वर्ष पूर्व कौन-सा धर्म स्थापन किया था?

उत्तर:शिवबाबा कहते हैं:
“वत्सो! 5000 वर्ष पूर्व भी मैंने यही धर्म स्थापन किया था —
 ‘आदि सनातन देवी-देवता धर्म’।
अब जब वह लुप्त हो चुका है, मैं उसे पुनः स्थापन करने आया हूँ।”


8. आज धर्म की पुनः स्थापना कैसे हो रही है?

प्रश्न:क्या परमात्मा आज भी किसी माध्यम से कार्य कर रहे हैं?

उत्तर:हाँ, परमात्मा शिव ब्रह्मा के तन में प्रवेश कर, इस देवी-देवता धर्म की पुनः स्थापना कर रहे हैं।
यह यज्ञ ब्रह्माकुमारी संस्था के रूप में चल रहा है।


9. निष्कर्ष में क्या समझा जाए?

  • गीता का भगवान श्रीकृष्ण नहीं, परमात्मा शिव हैं।

  • ‘हिन्दू धर्म’ कोई ईश्वरीय धर्म नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक-सांस्कृतिक पहचान है।

  • सच्चा धर्म है – आदि सनातन देवी-देवता धर्म।

  • परमात्मा का कार्य है — “मनुष्य से देवता बनाना”।


10. परमात्मा का आह्वान आत्माओं से:

“वत्सो! जागो।
अपने सच्चे धर्म और सच्चे धर्म-स्थापक को पहचानो।
मैं स्वयं आया हूं — तुम्हें पुनः देवी-देवता बनाने।”

DISCLAIMER:
यह वीडियो आध्यात्मिक उद्देश्य से तैयार किया गया है, न कि किसी धर्म, मत या व्यक्ति की आलोचना के लिए। इसमें प्रस्तुत विचार ब्रह्माकुमारीज के मुरली ज्ञान पर आधारित हैं। हमारा उद्देश्य आत्मज्ञान व सच्चे धर्म की पहचान कराना है, न कि किसी भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना।
कृपया इसे खुले मन से देखें, विचार करें, और आत्म-चिंतन करें।

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