Difference Between Living and Non Living

जीव और निर्जीव का अंतर(Difference Between Living and Non Living)

Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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आत्मा जब शरीर या जीव में प्रवेश करती है, तो वह जीवात्मा कहलाता है और वह चलती-फिरतीजीवात्मा होती है। जीवात्मा में से आत्मा निकल जाती है तो जीव रहता है।

नोट:-आत्मा सहित जीव सजीव और आत्मा रहित जीव निर्जीव

पेड़-पौधों में आत्मा नहीं होती, इसलिए वे जीव होते हुए भी संजीव नहीं कहलाते। आत्मा के बिना सभी जीव निर्जीव माने जाते हैं।

 

आत्मा की सूक्ष्म शक्तियाँ: मन, बुद्धि और संस्कार

आत्मा के पास तीन प्रमुख सूक्ष्म शक्तियाँ होती हैं:

 

मन: मन सोचने और संकल्प करने का कार्य करता है। यह शरीर और बुद्धि के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है।

बुद्धि: बुद्धि शरीर से प्राप्त संदेशों का विश्लेषण करती है और निर्णय लेती है।

संस्कार: संस्कार आत्मा की नियमावली या संविधान है। आत्मा इन संस्कारों का निर्माण और परिवर्तन कर सकती है।

ये तीनों शक्तियाँ आत्मा के अनुभवों और संस्कारों के आधार पर संचालित होती हैं।

 

आत्मा का संकल्प और रिकॉर्डिंग

आत्मा में 5000 वर्षों के संकल्प और अनुभवों की रिकॉर्डिंग होती है। इस रिकॉर्डिंग में प्रत्येक घटना का समय और आत्मा के अनुभव भी दर्ज होते हैं। यह एक निश्चित प्रक्रिया है, जिसे कोई भी शक्ति बदल नहीं सकती।

 

परमधाम और आत्मा का संकल्प

परमधाम में आत्माएं संकल्प रहित होती हैं और स्वतंत्रता का अनुभव करती हैं। जैसे मोबाइल फोन साइलेंट मोड पर होते हैं और एक निश्चित समय पर ही सक्रिय होते हैं, वैसे ही आत्माएं भी अपने समय पर परमधाम से पृथ्वी पर आती हैं।

 

आत्माओं का पृथ्वी पर आगमन और जन्म

जब आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं, तो वे अपने शरीर का निर्माण अपने कर्म और संस्कारों के अनुसार करती हैं। प्रारंभिक समय में आने वाली आत्माएं सतयुग में आती हैं और अपनी पहचान के अनुसार एक विशेष जन्म क्रम का पालन करती हैं। जैसे-जैसे समय बीतता है, आत्माएं क्रमशः त्रेता, द्वापर और कलयुग में आती हैं और जन्म क्रम(100-1) घटते जाते हैं।

 

शरीर छोड़ने की प्रक्रिया

जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तो वह अपने कर्मों और संस्कारों के आधार पर नया शरीर धारण करने की प्रक्रिया शुरू करती है। आत्मा की कर्म बैलेंस शीट ही यह निर्धारित करती है कि अगले जन्म में उसका शरीर कैसा होगा। आत्मा स्वयं अपने शरीर का निर्माण करती है, माँ केवल आवश्यक तत्वों की व्यवस्था में सहायक होती है।

 

कर्म और संस्कार का प्रभाव

आत्माएं अपने कर्मों और संस्कारों के अनुसार शरीर का निर्माण करती हैं। मनुष्य का प्रत्येक कर्म और संकल्प उसकी आत्मा में संचित होता है, जो अगले जन्म का आधार बनता है। इस प्रकार, आत्मा के कर्म और संस्कार ही उसका भविष्य निर्धारित करते हैं।

 

निष्कर्ष: आत्मा और शरीर की यात्रा

इस प्रकार, आत्मा और शरीर की यात्रा एक निश्चित प्रक्रिया है। आत्मा, अपने कर्म और संस्कार के आधार पर जीवन का अनुभव करती है और अगले जन्म की तैयारी करती है। आत्मा के बिना शरीर मात्र एक स्थूल वस्तु है, लेकिन आत्मा के साथ यह संजीव और सक्रिय हो जाता है।

 

 

 

 

प्रश्न और उत्तर

 

 

प्रश्न 1: आत्मा जब शरीर या जीव में प्रवेश करती है, तो उसे क्या कहा जाता है?

उत्तर: जब आत्मा शरीर या जीव में प्रवेश करती है, तो उसे जीवात्मा कहा जाता है।

 

प्रश्न 2: आत्मा और जीवात्मा में क्या अंतर है?

उत्तर:

 

आत्मा एक सूक्ष्म शक्ति है जो शरीर से स्वतंत्र होती है।

जब आत्मा शरीर में प्रवेश करती है, तो वह जीवात्मा कहलाती है। आत्मा के निकल जाने पर शरीर जीव रहते हुए भी निर्जीव हो जाता है।

प्रश्न 3: पेड़-पौधों को सजीव क्यों नहीं माना जाता?

उत्तर: पेड़-पौधों में आत्मा नहीं होती, इसलिए वे जीव होते हुए भी सजीव नहीं कहलाते।

 

प्रश्न 4: आत्मा की कौन-कौन सी सूक्ष्म शक्तियाँ होती हैं?

उत्तर: आत्मा की तीन प्रमुख सूक्ष्म शक्तियाँ होती हैं:

 

मन: सोचने और संकल्प करने का कार्य करता है।

बुद्धि: संदेशों का विश्लेषण करती है और निर्णय लेती है।

संस्कार: आत्मा की नियमावली है, जो कर्मों के आधार पर बनती और बदलती है।

प्रश्न 5: आत्मा में कितने वर्षों के संकल्प और अनुभव दर्ज होते हैं?

उत्तर: आत्मा में 5000 वर्षों के संकल्प और अनुभवों की रिकॉर्डिंग होती है।

 

प्रश्न 6: परमधाम में आत्माएं किस अवस्था में रहती हैं?

उत्तर: परमधाम में आत्माएं संकल्प रहित होती हैं और स्वतंत्रता का अनुभव करती हैं।

 

प्रश्न 7: आत्मा पृथ्वी पर कैसे आती है?

उत्तर: आत्मा अपने कर्म और संस्कारों के आधार पर पृथ्वी पर शरीर धारण करती है। प्रारंभिक आत्माएं सतयुग में जन्म लेती हैं, और समय के साथ त्रेता, द्वापर और कलयुग में क्रमशः जन्म लेती हैं।

 

प्रश्न 8: आत्मा जब शरीर छोड़ती है, तो क्या प्रक्रिया होती है?

उत्तर: आत्मा जब शरीर छोड़ती है, तो अपने कर्मों और संस्कारों के आधार पर नया शरीर धारण करने की प्रक्रिया शुरू करती है।

 

प्रश्न 9: माँ का आत्मा के शरीर निर्माण में क्या योगदान होता है?

उत्तर: आत्मा स्वयं अपने कर्मों के आधार पर शरीर का निर्माण करती है। माँ केवल शरीर निर्माण के लिए आवश्यक तत्वों की व्यवस्था में सहायक होती है।

 

प्रश्न 10: आत्मा का भविष्य किस पर आधारित होता है?

उत्तर: आत्मा का भविष्य उसके कर्म और संस्कारों पर आधारित होता है।

 

प्रश्न 11: आत्मा और शरीर का संबंध क्या है?

उत्तर: आत्मा के बिना शरीर मात्र एक स्थूल वस्तु है। आत्मा के साथ यह सजीव और सक्रिय हो जाता है।

 

प्रश्न 12: कर्म और संस्कार का आत्मा पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: आत्मा के कर्म और संस्कार उसकी पहचान, अनुभव, और अगले जन्म की प्रकृति को निर्धारित करते हैं।

 

प्रश्न 13: आत्मा का संकल्प और रिकॉर्डिंग क्या है?

उत्तर: आत्मा में 5000 वर्षों के संकल्प और अनुभव रिकॉर्ड होते हैं, जिन्हें बदला नहीं जा सकता। यह आत्मा के जीवन के सभी अनुभवों को संरक्षित रखता है।

 

प्रश्न 14: आत्मा का पृथ्वी पर आगमन किस आधार पर होता है?

उत्तर: आत्मा का पृथ्वी पर आगमन उसके कर्म और संस्कारों के आधार पर होता है। उच्च संस्कार वाली आत्माएं सतयुग में आती हैं, और समय के साथ अन्य युगों में जन्म लेती हैं।

 

प्रश्न 15: निष्कर्ष में आत्मा और शरीर के संबंध को कैसे समझाया जा सकता है?

उत्तर: आत्मा के बिना शरीर केवल एक निर्जीव वस्तु है। आत्मा के साथ यह सजीव और सक्रिय होता है। आत्मा अपने कर्म और संस्कारों के आधार पर जीवन का अनुभव करती है और अगले जन्म की तैयारी करती है।