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दिव्य स्वास्थय(01)दिव्य भोजन:कैसे शुद्ध-आहार और सकारात्मक सोच से बनाएं रोगमुक्त जीवन?

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“ब्रह्मा, शंकर, विष्णु और श्रीकृष्ण – पहले जन्म का असली रहस्य | 


“चारों की शुरुआत एक ही जगह से!”
(Background – Trimurti और श्रीकृष्ण का दिव्य आभा वाला चित्र, साथ में subtle ब्रह्मा बाबा)


1. भूमिका – चार महान आत्माओं की एक समान शुरुआत

प्यारे भाईयों और बहनों,
आज का विषय है चार महान दिव्य चरण – ब्रह्मा, शंकर, विष्णु और श्रीकृष्ण।
मुरली में शिव बाबा ने एक बेहद गहरा रहस्य बताया है कि ये चारों भले ही अलग-अलग कार्य निभाते हों, लेकिन इनकी आध्यात्मिक यात्रा का पहला कदम एक ही है – ब्राह्मण जीवन।


2. मुरली नोट्स – 14-08-2025

“ब्रह्मा, शंकर, विष्णु और श्रीकृष्ण – ये सब चरण ब्राह्मण कहलाते हैं। यह इनका पहला जन्म है, जो संगम युग में मिलता है।”

मतलब:

  • पहला जन्म = देह-अभिमान छोड़कर ईश्वर के सीधे साक्षात्कार में आना और उनकी संतान बनना।

  • पद भले ही भविष्य में अलग हों, लेकिन शुरुआत का संस्कार और पढ़ाई संगम युग के ब्राह्मण जीवन में होती है।


3. उदाहरण – छात्र से राजा तक

जैसे कोई बच्चा पहले विद्यार्थी बनता है, फिर मेहनत से डॉक्टर, इंजीनियर या राष्ट्रपति तक बन सकता है।
उसी प्रकार –

  • ये चारों आत्माएँ पहले ईश्वर के विद्यार्थी (ब्राह्मण) बनती हैं

  • फिर अपने-अपने दिव्य रोल में प्रवेश करती हैं।


4. ब्रह्मा – जगत पिता का आरंभिक रूप

ब्रह्मा बाबा का पहला आध्यात्मिक जन्म ब्राह्मण रूप में हुआ।
 इसी जीवन में ईश्वर ने उन्हें जगत पिता का कार्य सौंपा, जिससे लाखों आत्माओं का जन्म हुआ – ज्ञान जन्म


5. शंकर – वैराग्य और योगबल का स्वरूप

शंकर का कार्य है – विनाश, लेकिन यह कोई हिंसा नहीं, बल्कि अज्ञान और विकारों का विनाश है।
 यह शक्ति उन्हें ब्राह्मण जीवन में योगबल से प्राप्त होती है।


6. विष्णु – संपूर्णता और सुख-शांति का प्रतीक

चार भुजाओं वाला विष्णु रूप – चार विशेषताओं का प्रतीक है:

  1. ज्ञान

  2. योग

  3. धारणा

  4. सेवा
     यह पूर्णता भी ब्राह्मण जीवन की साधना से ही मिलती है।


7. श्रीकृष्ण – सतयुग का प्रथम राजकुमार

शिव बाबा कहते हैं –

“पहले ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर ही आत्मा इतना सुंदर और श्रेष्ठ बनती है कि सतयुग का प्रथम राजकुमार कहलाती है।”
 श्रीकृष्ण की वह दिव्य चमक और आकर्षण – संगम युग की कमाई का फल है।


8. मुख्य शिक्षा – पहला जन्म तय करता है पद

  • इस पहले जन्म में जितना हम पढ़ाई में निष्ठावान रहेंगे, उतना ही ऊँच पद भविष्य में मिलेगा।
    पढ़ाई में लगन = ऊँच पद
    लापरवाही = पद में कमी


9. निष्कर्ष – चारों की एक ही जड़

ब्रह्मा, शंकर, विष्णु और श्रीकृष्ण – सबकी दिव्यता का पहला कदम है – संगम युग का ब्राह्मण जीवन।
यहीं से स्वर्ग, वैराग्य, संपूर्णता और दिव्य आकर्षण की शुरुआत होती है।

“ब्रह्मा, शंकर, विष्णु और श्रीकृष्ण – पहले जन्म का असली रहस्य | 


“चारों की शुरुआत एक ही जगह से!”
(Background – Trimurti और श्रीकृष्ण का दिव्य आभा वाला चित्र, साथ में subtle ब्रह्मा बाबा)


प्रश्न और उत्तर

Q1: मुरली में 14-08-2025 को शिव बाबा ने क्या कहा?

A: बाबा ने कहा –
“ब्रह्मा, शंकर, विष्णु और श्रीकृष्ण – ये सब चरण ब्राह्मण कहलाते हैं। यह इनका पहला जन्म है, जो संगम युग में मिलता है।”


Q2: “पहला जन्म” का आध्यात्मिक अर्थ क्या है?

A: पहला जन्म मतलब – देह-अभिमान से मुक्त होकर ईश्वर की संतान बनना, और सीधी ईश्वरीय शिक्षा पाना। यह आत्मा का नया, पवित्र और सच्चा जीवन है।


Q3: इन चारों की यात्रा की शुरुआत एक जैसी क्यों है?

A: क्योंकि पद अलग-अलग होने के बावजूद, दिव्यता की जड़ एक ही है – संगम युग का ब्राह्मण जीवन। यहां से ही संस्कार, योगबल और ज्ञान की नींव पड़ती है।


Q4: उदाहरण से समझाएँ कि पहले ब्राह्मण और फिर ऊँच पद क्यों?

A: जैसे कोई विद्यार्थी पहले पढ़ाई करता है, फिर डॉक्टर, इंजीनियर या नेता बनता है। उसी तरह, ब्रह्मा, शंकर, विष्णु और श्रीकृष्ण – पहले ब्राह्मण कुल के विद्यार्थी बनते हैं, फिर अपने दिव्य पद पर पहुँचते हैं।


Q5: ब्रह्मा बाबा का पहला जन्म कैसे था?

A: ब्रह्मा बाबा पहले ब्राह्मण बने, फिर उन्हें जगत पिता का कार्य मिला। लाखों आत्माओं का ज्ञान-जन्म उनके माध्यम से हुआ।


Q6: शंकर का कार्य ब्राह्मण जीवन से कैसे जुड़ा है?

A: शंकर का कार्य है विकारों और अज्ञान का विनाश। यह शक्ति उन्हें ब्राह्मण जीवन में शिव बाबा से योगबल लेकर मिलती है।


Q7: विष्णु रूप में चार भुजाओं का क्या अर्थ है?

A: चार भुजाएँ चार विशेषताओं का प्रतीक हैं – ज्ञान, योग, धारणा और सेवा। यह पूर्णता भी ब्राह्मण जीवन की साधना से ही आती है।


Q8: श्रीकृष्ण का सतयुग में प्रथम राजकुमार बनना कैसे संभव है?

A: बाबा कहते हैं –
“पहले ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर ही आत्मा इतना सुंदर और श्रेष्ठ बनती है कि सतयुग का प्रथम राजकुमार कहलाती है।”
यानी संगम युग की मेहनत, सतयुग का फल बनती है।


Q9: मुख्य शिक्षा क्या है?

A: इस पहले जन्म में जितनी लगन से पढ़ाई करेंगे, उतना ही ऊँच पद मिलेगा।
 लगन = ऊँच पद
 लापरवाही = पद में कमी


Q10: निष्कर्ष में क्या समझें?

A: चारों – ब्रह्मा, शंकर, विष्णु और श्रीकृष्ण – अलग-अलग कार्य करते हैं, पर उनकी दिव्यता की जड़ एक ही है – संगम युग का ब्राह्मण जीवन।

Disclaimer:
यह वीडियो आध्यात्मिक अध्ययन और मुरली (Murli) के आधार पर बनाया गया है, जिसका उद्देश्य केवल ज्ञान और आध्यात्मिक समझ बढ़ाना है। इसमें व्यक्त विचार ब्रह्मा कुमारीज़ ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मुरलियों के आध्यात्मिक संदेशों पर आधारित हैं। यह किसी धर्म, पंथ, व्यक्ति या संस्था की आलोचना के लिए नहीं है।
Murli Source: ब्रह्मा कुमारीज़ मुरली

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