D.P 108 “क्या हम किसी आत्मा को दोष देने के अधिकारी हैं ?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
क्या हम किसी आत्मा को दोष देने के अधिकारी हैं?
1. परिचय: क्या हम किसी आत्मा को दोष देने के अधिकारी हैं?
ओम शांति। आज हम जानेंगे कि क्या हम किसी आत्मा को दोष देने के अधिकारी हैं। क्या विश्व नाटक की गहराई को समझकर भी हम किसी पर दोषारोपण कर सकते हैं? बिल्कुल नहीं। विश्व नाटक एक अद्भुत, दिव्य, पूर्ण, न्यायपूर्ण और कल्याणकारी संरचना है।
2. विश्व नाटक की सच्चाई:
इस नाटक में हर आत्मा का एक अनादि, अविनाशी पार्ट होता है। हर कल्प में यह पार्ट रिपीट होता है, पुनरावृत्ति पाता है। इसका मतलब है कि यह ज्ञान हमें साक्षी भाव में रहने और दोषारोपण से बचने की प्रेरणा देता है।
3. विश्व नाटक की विशेषताएं:
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न्यायपूर्ण संरचना: इस नाटक में कोई भी घटना अन्याय या त्रुटि का परिणाम नहीं है।
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हर आत्मा अपने पूर्व कर्मों के अनुसार अपना पार्ट निभा रही है।
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हर आत्मा का एक स्थाई और अनादि रोल होता है, जो कभी खत्म नहीं होता। यह रोल आत्मा के अस्तित्व के साथ हमेशा जुड़ा रहता है।
4. आत्मा का अमर अस्तित्व:
आत्मा अजर, अमर और अविनाशी है। यह स्वयंभू है। आत्मा की रचना अनादि है, जिसका कोई आरंभ या अंत नहीं। कोई भी बाहरी साधन, पदार्थ या फाटक इसे रोक नहीं सकता।
5. कल्याणकारी व्यवस्था:
यह नाटक सभी आत्माओं के उत्थान और कल्याण के लिए है। इसे कोई भी बदल नहीं सकता।
6. ज्ञानी आत्मा का दृष्टिकोण:
ज्ञानी आत्मा समझती है कि हर आत्मा अपना पार्ट न्यायपूर्ण तरीके से निभा रही है। इसलिए वे किसी को दोष नहीं देते। दोषारोपण करने वाला व्यक्ति विश्व नाटक के गुणधर्मों को सही से नहीं समझ पाया है।
7. परमात्मा की सच्ची पहचान:
परमात्मा भी इस नाटक में अपना विशेष पार्ट निभाते हैं और हमें सही परिचय देते हैं। जिनका सही साकार अनुभव नहीं होता, वे सही पहचान नहीं बता सकते।
8. निष्कर्ष:
विश्व नाटक का यथार्थ ज्ञान हमें साक्षी भाव में रहने की सीख देता है। हमें समझना चाहिए कि जो कुछ भी हो रहा है, वह सही हो रहा है। इसलिए हमें किसी को दोष नहीं देना चाहिए। परमात्मा की सही पहचान और साक्षात्कार भाग्य और तकदीर से होता है।
9. अंतिम संदेश:
इस दिव्य नाटक को समझकर हम सभी आत्माओं के प्रति शुभ भावना और शुभकामना रखें। साक्षी भाव अपनाएं और प्रेम, करुणा से जीवन संवारें।