गरुड़ पुराण/ब्रह्मकुमारी ज्ञान-(05)यममार्ग प्रतीकात्मकअर्थ
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“यममार्ग प्रतीकात्मक अर्थ: PBKIVV के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा की सच्ची यात्रा क्या है?”
यममार्ग – प्रतीकात्मक दृष्टिकोण ब्रह्माकुमारी(PBKIVV) ज्ञान के अनुसार
भूमिका:
ओम् शांति।
आज हम एक अत्यंत गूढ़ और गहराई से जुड़ा विषय लेकर आए हैं —
“यममार्ग” – यानी मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा।
गरुड़ पुराण आदि ग्रंथों में इसे एक भौतिक मार्ग के रूप में दर्शाया गया है, जहाँ आत्मा काँटों, सर्पों, भूख-प्यास और यमदूतों से गुजरती है।
लेकिन PBKIVV (Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya Vishwa Vidyalaya) के अनुसार, यह यात्रा एक प्रतीकात्मक और आत्मिक अनुभव है।
I. PBKIVV का दृष्टिकोण – यममार्ग का वास्तविक अर्थ
PBKIVV के अनुसार:
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मृत्यु के बाद आत्मा की कोई भौतिक यात्रा नहीं होती।
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“यममार्ग” = आत्मा द्वारा अपने कर्मों के परिणामों का मानसिक और आत्मिक अनुभव।
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न तो काँटे सच में चुभते हैं, न ही सर्प डसते हैं – ये सब प्रतीक हैं।
II. काँटे और विषधर सर्प – प्रतीकात्मक अर्थ
| प्रतीक | आध्यात्मिक अर्थ |
|---|---|
| काँटे | आत्मा की अशांति, भय, कर्मों का बोझ |
| सर्प | नकारात्मक विचार, पछतावा, द्वेष, भ्रम |
मृत्यु के बाद आत्मा को पीड़ा इसलिए नहीं होती कि कोई उसे कष्ट देता है,
बल्कि इसलिए होती है क्योंकि उसके अंदर पश्चाताप, भय और अधूरेपन का अनुभव होता है।
III. भूख और प्यास – अधूरी आत्मा का अनुभव
PBKIVV बताता है कि मृत्यु के बाद आत्मा में यदि अपूर्णता रही हो,
तो वह भूख और प्यास जैसी बेचैनी महसूस करती है।
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यह शारीरिक भूख नहीं, बल्कि ईश्वरीय ज्ञान की कमी और आत्मिक असंतोष का प्रतीक है।
IV. कर्म सिद्धांत – यममार्ग का मूल
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आत्मा को सुख-दुख का अनुभव उसके कर्मों के आधार पर होता है।
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यमदूत, काँटे, या सर्प बाहरी नहीं, बल्कि हमारे विकारी संस्कारों के प्रतीक हैं।
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हमारे कर्म ही हमें नरक या स्वर्ग की स्थिति का अनुभव कराते हैं।
V. PBKIVV के अनुसार समाधान – आत्मा की उन्नति का मार्ग
आत्मा की शुद्धि के लिए क्या करें?
सकारात्मक सोच अपनाएँ
राजयोग का अभ्यास करें
परमात्मा से स्मृति और योग द्वारा जुड़ें
सद्कर्म करें और दूसरों के लिए कल्याणकारी बनें
विकारों से मुक्त हो जाएँ – जैसे क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार
यही आत्मा के वास्तविक मोक्ष और शांति का मार्ग है।
VI. PBKIVV का निष्कर्ष – प्रतीकों के पीछे की सच्चाई
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यममार्ग, सर्प, काँटे, भूख-प्यास – सब प्रतीकात्मक हैं।
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आत्मा की मानसिक अशांति और कर्मों का प्रभाव ही इन प्रतीकों के रूप में वर्णित है।
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आत्मा को कोई शारीरिक वस्तु पीड़ा नहीं पहुँचा सकती – वह अविनाशी है।
निष्कर्ष:
यममार्ग कोई रास्ता नहीं, एक चेतना की अवस्था है।
नरक या पीड़ा आत्मा के अंदर के कर्मों से उत्पन्न होती है।
समाधान है — ज्ञान, योग और आत्मा की शुद्धि।
यममार्ग प्रतीकात्मक अर्थ – प्रश्नोत्तरी
प्रश्न 1:PBKIVV के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा की कोई भौतिक यात्रा क्यों नहीं होती?
उत्तर:PBKIVV के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा को कोई भौतिक पीड़ा नहीं होती क्योंकि आत्मा अमर और अविनाशी है। यममार्ग का अर्थ आत्मा द्वारा अपने कर्मों के परिणामों का मानसिक और आत्मिक स्तर पर अनुभव करना है, न कि किसी शारीरिक यात्रा के रूप में।
प्रश्न 2:गरुड़ पुराण में वर्णित काँटे और विषधर सर्प का PBKIVV के अनुसार क्या प्रतीकात्मक अर्थ है?
उत्तर:
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काँटे → आत्मा की अशांत स्थिति और अप्रिय अनुभवों का प्रतीक हैं।
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सर्प → नकारात्मक विचार और पश्चाताप की वेदना को दर्शाते हैं।
अर्थात, ये किसी बाहरी यातना के बजाय आत्मा के भीतर के मानसिक तनाव और कर्मों के प्रभाव का प्रतीक हैं।
प्रश्न 3:PBKIVV के अनुसार आत्मा मृत्यु के बाद कैसे अनुभव करती है?
उत्तर:आत्मा अपने जीवन के कर्मों के अनुसार अनुभव करती है:
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यदि उसने शुभ कर्म किए हैं, तो शांति और सुख का अनुभव होगा।
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यदि उसने नकारात्मक कर्म किए हैं, तो अशांति और मानसिक पीड़ा होगी।
इसलिए यममार्ग कोई बाहरी मार्ग नहीं बल्कि आत्मा की आंतरिक मानसिक स्थिति है।
प्रश्न 4:PBKIVV के अनुसार भूख और प्यास का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है?
उत्तर:
भूख और प्यास आत्मा के भीतर उत्पन्न होने वाली अपूर्णता, बेचैनी और असंतोष का प्रतीक हैं।
यदि आत्मा ने जीवन में ईश्वरीय ज्ञान और सत्य को नहीं अपनाया, तो मृत्यु के बाद उसे अधूरेपन और बेचैनी का अनुभव होता है।
प्रश्न 5:PBKIVV के अनुसार आत्मा को मृत्यु के बाद शारीरिक यातना क्यों नहीं होती?
उत्तर:क्योंकि आत्मा को कोई भी भौतिक वस्तु पीड़ा नहीं पहुँचा सकती। काँटे, सर्प या पीड़ा केवल आत्मा की मानसिक अवस्था और अशांति का प्रतीक हैं। आत्मा अपने कर्मों का फल मानसिक और आत्मिक स्तर पर अनुभव करती है।
प्रश्न 6:PBKIVV के अनुसार आत्मा को वास्तविक शांति कैसे प्राप्त होगी?
उत्तर:आत्मा को शांति और उन्नति के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
सकारात्मक सोच अपनाएँ।
सद्गुणों का विकास करें।
राजयोग का अभ्यास करें और परमात्मा से जुड़ें।
अहंकार, लोभ, क्रोध और द्वेष से मुक्त होकर प्रेम और शांति का मार्ग अपनाएँ।
प्रश्न 7:PBKIVV के अनुसार यममार्ग, काँटे, सर्प, भूख, और प्यास का क्या निष्कर्ष है?
उत्तर:
यह सब प्रतीकात्मक है और आत्मा की आंतरिक मानसिक स्थिति तथा कर्मों के परिणामों का प्रतीक है।
आत्मा की शुद्धि और उन्नति के लिए बाहरी व्रतों और अनुष्ठानों की आवश्यकता नहीं, बल्कि राजयोग, सकारात्मक सोच और परमात्मा से जुड़ाव आवश्यक है।
आत्मा को अपने कर्मों को सुधारकर वास्तविक मुक्ति और शांति प्राप्त करनी होगी।
निष्कर्ष:
यममार्ग की यात्रा कोई वास्तविक मार्ग नहीं है, बल्कि यह आत्मा के मानसिक अनुभवों का प्रतीक है।
भूख, प्यास, काँटे, और सर्प आत्मा के मानसिक तनाव और कर्मों के प्रभाव को दर्शाते हैं।
PBKIVV के अनुसार आत्मा को इन अनुभवों से बचाने का एकमात्र उपाय – राजयोग, सकारात्मक सोच, और परमात्मा से जुड़ाव है।
इस प्रकार आत्मा वास्तविक शांति, सुख और मोक्ष प्राप्त कर सकती है।

