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Garuda Purana/Brahma Kumari Gyan (13) Tortures of Yamaloka and punishment of sinners

March 27, 2025July 2, 2025omshantibk07@gmail.com

गरुड़ पुराण/ब्रह्मकुमारी ज्ञान(13)यमलोक की यातनाएँ और पपियाें का दंड

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“यमलोक की यातनाएँ: पाप और दंड का रहस्य | गरुड़ पुराण और आध्यात्मिक दृष्टिकोण”


1. भूमिका: जीवन और मृत्यु के बाद की यात्रा

ओम् शांति।

आज का विषय है – “यमलोक की यातनाएँ और पापियों को मिलने वाले दंड”
यह विषय भले ही भयावह लगता हो, लेकिन इसका उद्देश्य हमें धर्ममय जीवन जीने की प्रेरणा देना है।
गरुड़जी द्वारा भगवान विष्णु से पूछे गए प्रश्नों में यह उजागर होता है कि पाप का फल अनिवार्य है –
और उसका भुगतान मृत्यु के बाद आत्मा को करना होता है।


2. यमपुरी का भयावह दृश्य – आत्मा की पहली मंथन यात्रा

जैसे ही कोई आत्मा अपने पापों के कारण शरीर छोड़ती है और यममार्ग की ओर बढ़ती है –
उसे असहनीय पीड़ा और भय का अनुभव होता है।
जैसे ही वह यमलोक में प्रवेश करती है, वहाँ की भयावहता देखकर आत्मा विलाप करने लगती है।

 यमदूत उसे पकड़कर धर्मराज के द्वार पर लाते हैं
 वहाँ चित्रगुप्त आत्मा के जीवनभर के कर्मों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं

 यह दृश्य केवल बाहरी नहीं, बल्कि आत्मा की अंतर्मन की छाया है –
जब वह अपने कर्मों का सच सामने देखती है।


3. चित्रगुप्त का लेखा-जोखा – कर्मों का अचूक हिसाब

भगवान विष्णु बताते हैं कि चित्रगुप्त कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि एक व्यवस्था है –
जो आत्मा के हर विचार, बोल और कर्म का सटीक रिकॉर्ड रखती है।

शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के कर्म धर्मराज के समक्ष प्रस्तुत होते हैं।

ब्रह्माकुमारी ज्ञान कहता है –
“हर आत्मा के अंदर उसका कर्म-संस्कार रिकॉर्डर चलता रहता है।”
मृत्यु के बाद वह सब उजागर हो जाता है।


4. श्रवण और श्रवणियाँ – अदृश्य गवाह

गरुड़ पुराण कहता है कि ब्रह्मा के पुत्र श्रवण और उनकी पत्नियाँ श्रवणियाँ
तीनों लोकों में घूमकर आत्मा के प्रत्येक कर्म को जानते हैं।

 यह हमें सिखाता है कि –
कोई कर्म गुप्त नहीं, सब कुछ चेतना में अंकित होता है।

ब्रह्माकुमारी ज्ञान इसे आत्मा की स्मृति शक्ति और अकॉशिक रिकॉर्ड से जोड़ता है।


5. नरकों की भीषण यातनाएँ – प्रतीकात्मक पीड़ा

धर्मराज के आदेश पर यमदूत पापियों को नरकों में भेजते हैं। वहाँ आत्मा को मिलती हैं भयंकर यातनाएँ:

 जलते हुए वृक्षों पर उल्टा लटकाना
 लोहे की छड़ों से मारना
 भूख-प्यास से तड़पाना

 यह सभी यातनाएँ प्रतीक हैं आत्मा की आंतरिक छटपटाहट, पश्चाताप और अवसाद के।

ब्रह्माकुमारी ज्ञान के अनुसार –
“यह सब आत्मा की अंतःचेतना में चलने वाली पीड़ा है, जिसे नरक रूप कहा गया है।”


6. क्यों मिलती हैं ये यातनाएँ? – पाप का स्वाभाविक फल

भगवान विष्णु बताते हैं कि ये यातनाएँ उन्हें मिलती हैं जिन्होंने:

 दान नहीं किया
 अतिथियों का सत्कार नहीं किया
 पितरों का तर्पण नहीं किया
 धर्म की अवहेलना की

यमदूत आत्मा को उसका हर पाप याद दिलाते हैं।

ब्रह्माकुमारी ज्ञान कहता है –
“यमदूत हमारे भीतर की आत्मिक न्याय व्यवस्था है, जो हमें खुद से सामना कराती है।”


7. आत्मा को मोक्ष कैसे मिले? – धर्ममय जीवन की आवश्यकता

यदि हम चाहते हैं कि मृत्यु के बाद हमारी आत्मा को यातना न मिले, तो उसके लिए हमें:

 जीवन में सत्कर्म करने होंगे
राजयोग से परमात्मा से संबंध जोड़ना होगा
 सेवा, दान, और सत्य जीवन अपनाना होगा
 अंतर्मुखी होकर आत्मनिरीक्षण करना होगा

ब्रह्माकुमारी ज्ञान सिखाता है –
“नरक या स्वर्ग बाहर नहीं, आत्मा की अवस्था में छिपा होता है।”


8. निष्कर्ष – धर्म, ज्ञान और योग ही रक्षा करते हैं

 यमलोक की यातनाएँ आत्मा को पापों से मुक्त करने का प्रयास हैं
 यह बाहरी दंड नहीं, बल्कि आत्मिक संताप है
 ब्रह्माकुमारी ज्ञान सिखाता है –
अपने वर्तमान को श्रेष्ठ बनाओ, तभी भविष्य मुक्त होगा

 इसलिए –
सच बोलें, सेवा करें, ध्यान करें, और जीवन को मूल्यवान बनाएँ।

 प्रश्नोत्तर श्रृंखला

यमलोक की यातनाएँ और पापियों का दंड


प्रश्न 1: गरुड़जी ने भगवान विष्णु से कौन-सा महत्वपूर्ण प्रश्न किया?

उत्तर: गरुड़जी ने भगवान विष्णु से पूछा कि जब पापी जीव यमलोक में पहुँचते हैं, तो उन्हें कैसी-कैसी यातनाएँ दी जाती हैं?


प्रश्न 2: यमलोक पहुँचते ही पापी जीव को सबसे पहले कौन-सा कष्ट होता है?

उत्तर: यमलोक की ओर जाते समय ही यममार्ग में जीव को असहनीय कष्ट और भयावह दृश्य देखने पड़ते हैं, जिससे वह जोर-जोर से विलाप करने लगता है।


प्रश्न 3: पापी जीव को यमपुरी में कौन लेकर जाता है?

उत्तर: यमदूत पापी जीव को पकड़कर यमराज के द्वारपाल और चित्रगुप्त के पास ले जाते हैं।


प्रश्न 4: चित्रगुप्त क्या कार्य करते हैं?

उत्तर: चित्रगुप्त प्रत्येक जीव के शुभ और अशुभ कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और यमराज के समक्ष उसे प्रस्तुत करते हैं, जिससे जीव को उसके कर्मों के अनुसार दंड या पुरस्कार मिलता है।


प्रश्न 5: श्रवण और श्रवणियाँ कौन होते हैं और उनका क्या कार्य है?

उत्तर: श्रवण ब्रह्मा के पुत्र हैं, जो अपनी पत्नियों (श्रवणियाँ) के साथ स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल में विचरण करते हैं। वे मनुष्यों के हर अच्छे-बुरे कर्मों का संकलन करके चित्रगुप्त को बताते हैं।


प्रश्न 6: यमदूत पापियों को कौन-कौन सी भीषण यातनाएँ देते हैं?

उत्तर: पापियों को यमदूत अनेक भयंकर यातनाएँ देते हैं, जैसे:

  • जलते हुए वृक्षों पर उल्टा लटकाना।

  • लोहे की छड़ों और हथियारों से प्रहार करना।

  • अत्यधिक भूख और प्यास से तड़पाना।


प्रश्न 7: पापियों को ये यातनाएँ क्यों मिलती हैं?

उत्तर: जो लोग जीवन में दान-पुण्य नहीं करते, अतिथियों का सत्कार नहीं करते, जल-अन्न का दान नहीं करते, पितरों का तर्पण नहीं करते और धर्म की अवहेलना करते हैं, उन्हें ये यातनाएँ मिलती हैं।


प्रश्न 8: यमदूत पापियों से क्या कहते हैं?

उत्तर: यमदूत पापियों को उनके पापकर्मों की याद दिलाते हैं और समझाते हैं कि यदि उन्होंने अच्छे कर्म किए होते, तो उन्हें ये भीषण यातनाएँ नहीं सहनी पड़तीं।


प्रश्न 9: यमलोक की यातनाओं से बचने का उपाय क्या है?

उत्तर: यमलोक की यातनाओं से बचने का उपाय है – धर्म का पालन करना, दान-पुण्य करना, अतिथियों का सत्कार करना, पितरों का तर्पण करना और सभी के साथ सद्व्यवहार करना। इसी से मोक्ष मार्ग प्राप्त होता है।


प्रश्न 10: इस कथा से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर: इस कथा से हमें सीख मिलती है कि जीवन में सदैव धर्ममय और परोपकारी जीवन जीना चाहिए। यही मार्ग मोक्ष और कल्याण का है।

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