“ईश्वर और उनके नियम – भाग 2: परमात्मा से मिलने के बाद क्या हुआ?”
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
1. प्रस्तावना: आज का विषय
आज हम “ईश्वर और उनके नियम” शृंखला का दूसरा भाग प्रस्तुत कर रहे हैं।
कल हमने जाना कि कैसे हमारी ईश्वर से पहली बार मुलाकात हुई — वह अलौकिक अनुभव, वो आत्मिक मिलन।
आज का विषय है — परमात्मा से मिलने के बाद हमारे जीवन में क्या परिवर्तन आया? हमें क्या अनुभूति हुई? और उस मिलन का प्रभाव हमारे जीवन पर क्या पड़ा?
2. साक्षात्कार के बाद की अलौकिक अनुभूति
जब हमें परमात्मा का परिचय मिला, तो जैसे आत्मा को अपना घर मिल गया हो।
वो खुशी ऐसी थी कि मैं अकेला नहीं रह पाया — तुरंत चार लोगों को तैयार किया कि चलो, मैं आपको भी भगवान से मिलवाता हूं।
दो मेरे दोस्त थे और दो मेरे जीजा।
हम सीधा माउंट आबू की ओर चल पड़े — बिना लेटर, बिना पूर्व अनुमति।
3. माउंट आबू की घटना और नियमों की परीक्षा
हमने सोचा, बाबा तो सबका है — हम भी बाबा के बच्चे हैं।
लेकिन वहां पर जब व्यवस्था वालों ने लेटर मांगा और मैंने बहनजी का नाम भी याद नहीं रखा,
तो उन्होंने हमसे सौगात भी वापिस ले ली, और हमें अलग धर्मशाला में भेज दिया।
यह घटना एक सीख बन गई — ईश्वर मिलन में भी नियमों का पालन आवश्यक है।
4. जब साथ आए लोग मिलन से वंचित रह गए
हमारे साथ आए तीन में से दो लोग परमात्मा से मिल भी नहीं सके।
क्यों? क्योंकि उन्होंने न कोर्स किया था, न ज्ञान लिया था।
और वहीं पर उपस्थित भाई-बहनों ने हमें समझाया —
“देखो, आपने जो अनुभव किया, वो भगवान की विशेष कृपा थी।
पर अब आपको गहराई से इस ज्ञान को समझना होगा और दूसरों को भी पहले पूरी जानकारी देनी होगी।”
5. सेवा का सिलसिला शुरू हुआ
इसके बाद मैंने ज्ञान को और गहराई से समझना शुरू किया।
सेन्टर पर रेगुलर हो गया।
हर ट्रेनिंग में सबसे पहले भाग लिया — SPARC हो, टीचर्स ट्रेनिंग हो, या सेल्फ मैनेजमेंट।
जेल सेवा से लेकर गांवों की पाठशालाओं तक — जहां सेवा का अवसर मिला, वहां पहुंचा।
जेल में बहनों के बीच सेवा की — बहनों को तैयार किया जो वहां जाकर सहजता से समझाएं।
बाबा ने कहा – “101 पाठशालाएं चलाओ”, तो हम पूरे मन से लगे रहे।
6. सेवा का विस्तार – डिजिटल युग की शुरुआत
2018 में यूट्यूब पर मुरली डालने की प्रेरणा मिली।
फिर 2019 में रिटायरमेंट मिला और 2020 में लॉकडाउन —
इसने ऑनलाइन सेवा का रास्ता खोल दिया।
आज दो यूट्यूब चैनल चलते हैं —
BK Brahma Kumari Gurugram और BK Om Shanti,
जिनमें 16,000+ वीडियो अपलोड हो चुके हैं।
लोगों ने प्रश्न पूछे, हमने उत्तर दिए — और यह सेवा अनगिनत आत्माओं तक पहुंची।
7. विरोध और वैराग्य की परीक्षा
शुरुआत में जब ज्ञान में आया तो लोगों ने बहुत विरोध किया।
स्टाफ ने कहा — “आप किसी भी धर्म में चले जाओ, पर ब्रह्माकुमारी मत बनो।”
पर हमें जब यह विश्वास हो गया कि भगवान खुद आकर पढ़ा रहे हैं,
तो फिर दुनिया की नहीं, बस ईश्वर की सुननी थी।
8. निष्कर्ष: नियम और अनुभूति — दोनों अनिवार्य हैं
परमात्मा से मिलन का अनुभव एक अद्भुत सौभाग्य है,
परंतु उस अनुभव को स्थायी बनाने के लिए ईश्वर के नियमों का पालन आवश्यक है।
ईश्वर अपने ज्ञान से आत्मा को नया जन्म देते हैं —
और इस नए जन्म में नियम ही रीढ़ बनते हैं।
9. अंत: हम सब हैं ईश्वर की योजना के सहयोगी
आज आप सभी जो यह सुन रहे हैं —
आप भी इस ईश्वरीय कार्य के सहयोगी हैं।
यदि कोई प्रश्न हो, तो जरूर पूछिए —
क्योंकि ईश्वर आज भी इस संसार में कार्य कर रहे हैं —
बस हमें उसे पहचान कर, उसके नियमों में चलना है।
ईश्वर और उनके नियम – भाग 2: परमात्मा से मिलने के बाद क्या हुआ?”
(Bhagwan Se Milne Ke Baad Jeevan Mein Kya Badla?)
🕉️ प्रस्तावना: आज का विषय
प्रश्न: आज का विषय क्या है?
उत्तर: आज हम जानेंगे कि ईश्वर से मिलने के बाद हमारे जीवन में क्या परिवर्तन आया, क्या अनुभूति हुई, और उस मिलन का क्या प्रभाव पड़ा।
✨ अलौकिक अनुभव के बाद
प्रश्न: परमात्मा से मिलने के तुरंत बाद क्या अनुभव हुआ?
उत्तर: ऐसा लगा जैसे आत्मा को उसका घर मिल गया हो — वो आनंद शब्दों से परे था।
प्रश्न: आपने क्या किया उस अनुभव के बाद?
उत्तर: तुरंत चार लोगों को साथ लिया और माउंट आबू की ओर चल पड़ा — सबको भगवान से मिलवाने की लगन थी।
🏔️ माउंट आबू की परीक्षा
प्रश्न: माउंट आबू में क्या हुआ?
उत्तर: लेटर नहीं था, बहनजी का नाम भी याद नहीं रखा — हमें सौगात लौटानी पड़ी और धर्मशाला भेज दिया गया।
प्रश्न: इससे क्या सिखा?
उत्तर: भगवान से मिलना भावनाओं से नहीं, नियमों से होता है — नियमों का पालन भी प्यार का ही रूप है।
🚫 जब अन्य लोग परमात्मा से नहीं मिल सके
प्रश्न: आपके साथ आए सभी लोग भगवान से मिल पाए?
उत्तर: नहीं, दो लोग नहीं मिल पाए — क्योंकि उन्होंने कोर्स या ज्ञान नहीं लिया था।
प्रश्न: फिर क्या सीखा आपने?
उत्तर: पहले खुद जानें, फिर दूसरों को तैयारी के साथ मिलवाएं — यही ईश्वरीय मर्यादा है।
📚 सेवा की शुरुआत
प्रश्न: फिर सेवा कैसे शुरू हुई?
उत्तर: सेंटर पर रेगुलर जाने लगा, हर ट्रेनिंग में भाग लिया — और जहां मौका मिला, सेवा करता गया।
प्रश्न: कुछ विशेष सेवाएं बताएं?
उत्तर: जेल सेवा, गांवों में पाठशालाएं, बहनों की ट्रेनिंग — हर दिशा में सेवा का विस्तार हुआ।
💻 डिजिटल युग में सेवा
प्रश्न: डिजिटल सेवा कैसे शुरू हुई?
उत्तर: 2018 में मुरली यूट्यूब पर डालने की प्रेरणा मिली। फिर 2020 के लॉकडाउन में सेवा और बढ़ गई।
प्रश्न: कितने वीडियो आज तक?
उत्तर: दो चैनलों पर 16,000+ वीडियो अपलोड हो चुके हैं — लाखों आत्माएं लाभ ले रही हैं।
🚫 विरोध और वैराग्य
प्रश्न: क्या सभी ने समर्थन किया?
उत्तर: नहीं, शुरू में खूब विरोध हुआ — स्टाफ ने कहा, “कहीं भी जाओ, ब्रह्माकुमारी मत बनो।”
प्रश्न: फिर क्या किया आपने?
उत्तर: जब विश्वास हो गया कि भगवान ही पढ़ा रहे हैं — तब दुनिया की नहीं, ईश्वर की सुननी थी।
📜 निष्कर्ष: अनुभव और नियम
प्रश्न: केवल अनुभव काफी है क्या?
उत्तर: नहीं, अनुभव को टिकाऊ बनाने के लिए नियम ज़रूरी हैं — यही नया आत्मिक जन्म है।
🤝 हम सब हैं सहयोगी
प्रश्न: क्या हम सब इसमें भागीदार हो सकते हैं?
उत्तर: बिल्कुल — आप भी ईश्वरीय कार्य के सहयोगी हैं। प्रश्न हो, तो ज़रूर पूछिए।
📢 समापन
प्रश्न: अंत में क्या संदेश है?
उत्तर: ईश्वर आज भी कार्य कर रहे हैं — हमें बस उन्हें पहचानना है और उनके नियमों में चलना है।
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