Skip to content
brahmakumarisbkomshanti

brahmakumarisbkomshanti

Welcome to The Home of Godly Knowledge

  • HOME
  • RAJYOGA
  • LITRATURE
  • INDIAN FESTIVALS
  • CONTACT US
  • DISCLAMER
  • Home
  • MAIN MENU
  • LITERATURES
  • Karma of the Soul and the New Journey

Karma of the Soul and the New Journey

November 19, 2024December 8, 2024omshantibk07@gmail.com

                     
YouTube player

                                           Karma of the Soul and the New Journey

                                                     आत्मा का कर्म और नई यात्रा(Karma of the Soul and the New Journey)

आत्मा का शरीर छोड़ने की प्रक्रिया

आत्मा, शरीर से निकलने के बाद सीधा वहां जाती है जहां उसे नए शरीर को धारण करना होता है। यह प्रक्रिया पूर्वनिर्धारित होती है और आत्मा चाहे सोच-समझ कर शरीर छोड़े या अचानक अनजाने में, उसका कर्म इस पर आधारित होता है। अगर किसी को पहले से पता चल जाए कि उनका शरीर छूटने वाला है, तो वे मन से तैयार हो जाते हैं और अपने चारों तरफ से बुद्धि को हटा लेते हैं। लेकिन कभी-कभी अचानक दुर्घटनाओं में शरीर अक्षम हो जाता है, तब भी आत्मा उसी नियम के तहत शरीर को छोड़ती है।

 

कर्म और आत्मा का सफर

अगर आत्मा का कोई अधूरा कर्म (कार्मिक अकाउंट) हो, तो वह किसी और माध्यम से अपने कार्य को पूरा करती है। ऐसा केवल प्राकृतिक प्रणाली के तहत होता है। दुनिया के दृष्टिकोण से दुर्घटनाएं अचानक होती हैं, लेकिन ज्ञानी आत्माओं के लिए यह भी नियति का हिस्सा है। हर आत्मा का रोल और उसके कर्म के अनुसार उसका जीवनचक्र चलता है।

 

गर्भ में प्रवेश का सिद्धांत

आत्मा के शरीर छोड़ने से पहले ही उसका अगला शरीर तैयार होता है। यह भ्रूण दो से तीन महीने पहले से तैयार किया जा चुका होता है। जैसे ही आत्मा पुराना शरीर छोड़ती है, वह सेकंड के एक अंश में नए भ्रूण में प्रवेश करती है। इस प्रक्रिया में न कोई विलंब होता है और न कोई बाधा। यह ब्रह्मांडीय नियम है कि आत्मा के लिए नया शरीर तुरंत तैयार रहता है।

 

कर्म का लेखा-जोखा

आत्मा के शरीर छोड़ते ही उसका सारा कर्मिक खाता उसके सामने आ जाता है। यह खाता एक बैलेंस शीट की तरह होता है जिसमें अच्छे और बुरे कर्म स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। जो कर्म पूरे हो चुके होते हैं, वे हट जाते हैं, और शेष कर्म आत्मा को आगे की दिशा में ले जाते हैं।

 

धर्मराज का सत्य

धर्मराज के रूप में किसी बाहरी शक्ति का अस्तित्व नहीं है। हर आत्मा स्वयं का धर्मराज है। आत्मा के भीतर ही सत्य का ज्ञान और कर्मों का लेखा-जोखा होता है। धर्मराज का विचार केवल प्रतीकात्मक है। आत्मा के कर्म और उसके परिणाम का हिसाब उसी के भीतर स्वतः चलता है।

 

सत्य और आत्मा की स्वनिर्मिति

आत्मा सत्य के आधार पर अपने अगले जीवन की रचना करती है। जब आत्मा शरीर छोड़ती है, तो वह अपने सत्य स्वरूप में होती है और अपने आगामी शरीर को उसी अनुसार धारण करती है। जैसा कर्म, वैसा शरीर। आत्मा को अपने कार्मिक अकाउंट के अनुसार ही नया जीवन मिलता है।

 

प्राकृतिक प्रणाली और परिपूर्णता

यह पूरी प्रक्रिया ब्रह्मांड के एक्यूरेट सिस्टम का हिस्सा है। आत्मा का कर्म, उसका शरीर छोड़ना, और नया जीवन प्राप्त करना, सब पूर्वनिर्धारित और अद्वितीय है। इस प्रक्रिया में न कोई त्रुटि होती है और न ही कोई बदलाव।

 

परमात्मा का संदेश

परमात्मा कहते हैं कि हर आत्मा को अपना धर्मराज स्वयं बनना है। जो कर्म किया गया है, उसका फल भी आत्मा को ही भुगतना है। यह प्रक्रिया इतनी सटीक है कि इसमें किसी बाहरी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं। आत्मा का जीवन एक पूर्ण रिकॉर्डिंग की तरह है, जिसे बदला नहीं जा सकता।

 

निष्कर्ष

आत्मा का सफर उसके कर्म और सत्य पर आधारित होता है। न कोई यमदूत होता है, न धर्मराज। हर आत्मा अपने कर्मों के आधार पर नई शुरुआत करती है। यह ब्रह्मांडीय प्रणाली हमें सिखाती है कि कर्म ही हमारा भविष्य निर्धारित करते हैं। सत्य और स्थिरता ही आत्मा का वास्तविक स्वरूप है।

 

Karma of the Soul and the New Journey

प्रश्न और उत्तर:

 

प्रश्न 1: आत्मा शरीर छोड़ने के बाद कहां जाती है?

उत्तर: आत्मा शरीर छोड़ने के बाद सीधा वहां जाती है, जहां उसे नया शरीर धारण करना होता है। यह प्रक्रिया पूर्वनिर्धारित होती है और आत्मा के कर्मों के अनुसार संचालित होती है।

प्रश्न 2: क्या आत्मा सोच-समझ कर शरीर छोड़ सकती है?

उत्तर: हां, यदि किसी आत्मा को पहले से पता चल जाए कि उसका शरीर छूटने वाला है, तो वह मन को तैयार कर लेती है और बुद्धि को चारों ओर से हटा लेती है। हालांकि, अचानक दुर्घटनाओं के मामलों में भी आत्मा प्राकृतिक नियमों के तहत शरीर छोड़ देती है।

प्रश्न 3: आत्मा का अधूरा कर्म कैसे पूरा होता है?

उत्तर: अगर आत्मा का कोई अधूरा कर्म (कार्मिक अकाउंट) होता है, तो वह किसी अन्य माध्यम से या नए जीवन में अपने कार्य को पूरा करती है। यह पूरी प्रक्रिया ब्रह्मांडीय प्रणाली के अंतर्गत होती है।

प्रश्न 4: आत्मा का नया शरीर कब और कैसे तैयार होता है?

उत्तर: आत्मा के शरीर छोड़ने से पहले ही उसका अगला शरीर (भ्रूण) दो से तीन महीने पहले तैयार हो चुका होता है। जैसे ही आत्मा पुराना शरीर छोड़ती है, वह सेकंड के एक अंश में नए भ्रूण में प्रवेश करती है।

प्रश्न 5: आत्मा का कर्मिक खाता कब और कैसे सामने आता है?

उत्तर: जैसे ही आत्मा शरीर छोड़ती है, उसका सारा कर्मिक खाता उसके सामने आ जाता है। यह खाता बैलेंस शीट की तरह होता है, जिसमें केवल शेष कर्म दिखते हैं।

प्रश्न 6: धर्मराज का क्या अर्थ है?

उत्तर: धर्मराज के रूप में किसी बाहरी शक्ति का अस्तित्व नहीं है। हर आत्मा स्वयं का धर्मराज है। आत्मा के भीतर ही उसका कर्म और परिणाम का लेखा-जोखा स्पष्ट रूप से दिखता है।

प्रश्न 7: आत्मा अपने अगले जीवन की रचना कैसे करती है?

उत्तर: आत्मा अपने सत्य स्वरूप में आकर अपने कर्मों के आधार पर अपने अगले जीवन की रचना करती है। जैसा कर्म होता है, वैसा शरीर और जीवन उसे मिलता है।

प्रश्न 8: आत्मा की नई यात्रा के दौरान क्या त्रुटि हो सकती है?

उत्तर: आत्मा की नई यात्रा में कोई त्रुटि नहीं हो सकती। यह पूरी प्रक्रिया ब्रह्मांडीय प्रणाली का हिस्सा है और पूर्ण रूप से सटीक होती है।

प्रश्न 9: परमात्मा आत्मा को क्या संदेश देते हैं?

उत्तर: परमात्मा कहते हैं कि हर आत्मा को अपना धर्मराज स्वयं बनना है। आत्मा को अपने कर्मों का फल स्वयं भुगतना होता है। यह प्रक्रिया इतनी सटीक है कि किसी बाहरी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न 10: आत्मा का वास्तविक स्वरूप क्या है?

उत्तर: आत्मा का वास्तविक स्वरूप सत्य और स्थिरता है। आत्मा सत्य के आधार पर अपने कर्म और जीवन का निर्माण करती है और किसी भी परिस्थिति में अपने कर्मों में त्रुटि नहीं करती।

 

 

LITERATURES SOUL Tagged Account of Karma, Body of Soul, Brahma, Cosmic system, Creation of new life, Death and Re-birth, Dharma of Soul, Dharmaraj, Karma, Karma and results, karma of soul, Karmaphal, Karmic account, Knowledge of Soul, Leaving the body, Life cycle, Meditation, Natural system, process of soul, purpose of life, Re-birth, Reincarnation, Self-creation, Soul, soul's journey, True nature of Soul, truth, Truth of Dharmaraj, yoga, आत्मा, आत्मा का ज्ञान, आत्मा का धर्म, आत्मा का शरीर, आत्मा का सत्य स्वरूप, आत्मा का सफर, आत्मा की प्रक्रिया, आत्मा की यात्रा, आत्मा के कर्म, कर्म, कर्म और परिणाम, कर्म का लेखा, कर्मफल, कार्मिक अकाउंट, जीवन के उद्देश्य, जीवन चक्र, धर्मराज, धर्मराज का सत्य, ध्यान, नए जीवन की रचना, पुनः जन्म, पुनर्जन्म, प्राकृतिक प्रणाली, ब्रह्मा, ब्रह्मांडीय प्रणाली, मृत्यु और पुनः जन्म, योग, शरीर छोड़ना, सत्य, स्वनिर्मिति

Post navigation

Spirit’s Recording Capabilities
Where Does the Soul Come From?

Related Posts

Drama-padam (92) Has the Supreme Lord ever created this world-drama

D.P 92″ क्या परमपिता परमात्मा ने इस विश्व-नाटक की कभी रचना की है ( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए…

Atma-padam (54) The basis for the soul to take a body in a particular family or in any form

A-P 54″ आत्मा का परिवार विशेष में या किसी भी रूप में शरीर धारण करने का आधार ( प्रश्न और…

Drama-Padma (96) Is this drama about joy and sorrow, if yes then how, if not then how

D.P 96 “क्या ये नाटक सुख-दु:ख का है यदि हाँ तो कैसे, यदि नहीं तो कैसे ( प्रश्न और उत्तर…

Copyright © 2025 brahmakumarisbkomshanti | Ace News by Ascendoor | Powered by WordPress.