Mansa Seva:(04) Why is it necessary to practice Manasa Seva now?

मंसा सेवा:(04)अब मनसा सेवा का अभ्यास क्यों आवश्यक है?

अब मंसा सेवा का अभ्यास क्यों आवश्यक है? – भाग 3

YouTube player

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

एक सूक्ष्म लेकिन शक्तिशाली साधना की ओर गहन चिंतन यात्रा

प्रस्तावना:
आज हम एक अत्यंत सूक्ष्म लेकिन शक्तिशाली विषय पर चर्चा करेंगे – “मंसा सेवा की आवश्यकता, उसका अभ्यास, लक्ष्य और उद्देश्य।”
यह सेवा न आँखों से देखी जा सकती है, न कानों से सुनी जा सकती है, लेकिन इसकी शक्ति अनंत आत्माओं को जाग्रत कर सकती है।
जैसे शिव बाबा स्वयं भी वाणी से नहीं, मंसा से सेवा करते हैं – वैसे हमें भी साक्षात् मास्टर शिव बन मंसा सेवा करनी है।


1. मंसा सेवा – क्यों आवश्यक है आज के युग में?

 मुरली बिंदु:

  • 20.01.81: “अब वरदानी मूर्त द्वारा संकल्प शक्ति की सेवा करो… आत्माओं को हिम्मत की दूसरी टांग दो।”

  • 23.10.70: “अब आपके नयन और मस्तिष्क की सेवा से बाप का परिचय देना है।”

 स्पष्टीकरण:
आज की आत्माएँ अंतिम समय की हैं – कमज़ोर, हिम्मतहीन।
उन्हें भाषणों की नहीं, भीतर से ऊर्जा देने वाली मंसा सेवा की ज़रूरत है।
जैसे कोई पेड़ सूख रहा हो – उसे बाहर से पानी नहीं, जड़ में शक्ति चाहिए।

 उदाहरण:
ICU में रोगी को केवल दवा नहीं, ऊर्जा की आवश्यकता होती है – वैसे ही आत्माएँ आज ऊर्जा माँग रही हैं।


2. मंसा सेवा का लक्ष्य – सहजता से सर्व आत्माओं को शक्ति देना

 मुरली बिंदु:

  • 28.06.77: “वाणी से ऊपर वृत्ति, दृष्टि, वायब्रेशन और श्रेष्ठ अनुभवों से सेवा हो।”

  • 04.08.72: “सिर्फ वाणी से नहीं, मंसा द्वारा सूक्ष्म मशीनरी तैयार हो रही है।”

 स्पष्टीकरण:
सेवा का अंतिम स्वरूप है – “दृष्टि द्वारा सेवा” और “स्मृति द्वारा साक्षात्कार कराना”।
अब सेवा क्वांटिटी से नहीं, क्वालिटी से होगी।

 उदाहरण:
जैसे सैकरीन की एक बूँद मिठास भर देती है, वैसे ही एक शुद्ध संकल्प आत्मा को परमात्मा से जोड़ सकता है।


3. मंसा सेवा का अभ्यास – कैसे करें?

 मुरली बिंदु:

  • 28.06.77: “अब अनुभव करो कि आपकी सूक्ष्म स्थिति से आत्माएँ बाप का अनुभव करें।”

  • 06.10.81: “अब शक्ति-स्वरूप बनकर आत्माओं को वरदान देना ही सेवा है।”

 प्रैक्टिकल अभ्यास:

  • सुबह अमृतवेला में केवल बाबा को याद न करें, बल्कि विश्व की आत्माओं को शक्ति भेजें।

  • संकल्प करें: “मैं मास्टर ज्ञानसूर्य हूँ, मेरी किरणों से आत्माएँ जग रही हैं।”

  • दृष्टि अभ्यास: किसी आत्मा को देख सोचें – “बाबा से जुड़ जा, तू आत्मा है, तू शक्तिशाली है।”


4. वाणी + मंसा = सम्पूर्ण सेवा का बैलेंस

 मुरली बिंदु:

  • 28.04.74: “स्थूल साधनों के साथ-साथ सूक्ष्म साधनों का प्रयोग आवश्यक है।”

  • 20.01.81: “अब स्वरूप है वरदानी मूर्त – कम बोलो, ज़्यादा संकल्प दो।”

 स्पष्टीकरण:
अब सेवा में सिर्फ बोलने की नहीं, विचारों की गहराई की ज़रूरत है।
सेवा की शुरुआत वाणी से हो सकती है, परंतु उसका चरम मंसा से होता है।

 उदाहरण:
जैसे डॉक्टर दवा देता है (वाचा सेवा), लेकिन साथ ही मन से दुआ भी देता है (मंसा सेवा) – तब रोगी जल्दी ठीक होता है।


5. आज की सेवा – समय की पुकार

 मुरली बिंदु:

  • 28.06.77: “अब सेवा की रूपरेखा बदलेगी – एक सेकंड की दृष्टि से आत्मा को साक्षात्कार होगा।”

  • 18.02.86: “सबल आत्माएँ मंसा द्वारा सूक्ष्म रूप से सारी वायुमंडलीय सेवा करेंगी।”

 स्पष्टीकरण:
सेवा अब मीडिया या भाषणों से आगे निकल रही है।
हमें वायुमंडल को पवित्र करना है, आत्माओं को दृष्टि और वृत्ति से परमात्मा का अनुभव कराना है।


6. निष्कर्ष: लक्ष्य क्या है?

  • आत्माओं को हिम्मत, उल्लास और वर्से के योग्य बनाना।

  • स्वयं को मास्टर वरदानी मूर्त बनाना – जो बिना शब्दों के सेवा करे।

  • सेवा का स्तर वहाँ पहुँचे जहाँ एक दृष्टि से साक्षात्कार हो।

अब समय है – दृष्टि और संकल्प से सच्चा परिचय देने का।


अंतिम वाणी संदेश:

 मुरली बिंदु (06.10.81):
“ब्लैसिंग देना ही सहज और शक्तिशाली सेवा है – समय कम, मेहनत कम, रिज़ल्ट ज़्यादा।”


अंतिम पंक्तियाँ (Closure):

बोलें:
अब हमें बोलने से आगे बढ़कर, सोचने और देखने से सेवा करनी है।
हर आत्मा को, एक शक्तिशाली संकल्प, एक शुभ दृष्टि, और एक शुभभावना के ज़रिए – बाप से मिलाना है।

आप सभी मास्टर शक्तिशाली आत्माएँ – अब बनिए शब्द से परे संकल्प सेवा के अधिकारी।
मंसा सेवा – यज्ञ की सूक्ष्म अग्नि है, जो नवयुग को साकार करती है।

प्रश्न 1: मंसा सेवा की आज के युग में सबसे बड़ी आवश्यकता क्या है?

उत्तर:
आज की आत्माएँ बेहद कमज़ोर और हिम्मतहीन हैं। उन्हें भाषणों से ज़्यादा, मंसा से शक्ति चाहिए। जैसे सूखे पेड़ को जड़ में जल चाहिए, वैसे आत्मा को भी भीतरी ऊर्जा चाहिए।


 प्रश्न 2: क्या मंसा सेवा कोई नई सेवा है?

 उत्तर:
नहीं, यह वही सेवा है जो शिव बाबा स्वयं करते हैं – बिना शब्दों के संकल्पों द्वारा सेवा। अब हमें भी मास्टर शिव बनकर वैसी ही सूक्ष्म सेवा करनी है।


 प्रश्न 3: मंसा सेवा का मुख्य लक्ष्य क्या है?

 उत्तर:
सहजता से सर्व आत्माओं को दृष्टि, वृत्ति और संकल्प द्वारा शक्ति देना, ताकि वे परमात्मा का अनुभव करें और सशक्त बनें।


 प्रश्न 4: क्या वाणी सेवा से ऊपर भी कोई सेवा है?

 उत्तर:
हाँ, मुरली अनुसार – “वाणी से ऊपर वृत्ति, दृष्टि और श्रेष्ठ अनुभवों से सेवा हो।” अब सेवा की गहराई व संकल्पों की पवित्रता से मापी जाती है।


 प्रश्न 5: मंसा सेवा का अभ्यास कैसे करें?

 उत्तर:
सुबह अमृतवेला में सिर्फ बाबा को याद न करें, बल्कि आत्माओं को शक्ति भेजें।
संकल्प करें: “मैं ज्ञानसूर्य हूँ, मेरी किरणों से आत्माएँ जाग रही हैं।”


 प्रश्न 6: मंसा सेवा में दृष्टि का क्या योगदान है?

 उत्तर:
दृष्टि सेवा अब सबसे प्रभावशाली साधन है। एक पवित्र दृष्टि आत्मा को बाप से जोड़ सकती है – जैसे एक सेकंड की दृष्टि से साक्षात्कार संभव है।


 प्रश्न 7: क्या मंसा सेवा अकेले पर्याप्त है?

 उत्तर:
नहीं, सम्पूर्ण सेवा का संतुलन आवश्यक है – वाणी सेवा से शुरुआत हो और मंसा सेवा से परिपूर्णता। वाणी + मंसा = सम्पूर्ण सेवा।


 प्रश्न 8: क्या मंसा सेवा का असर वायुमंडल पर भी होता है?

 उत्तर:
हाँ, मंसा सेवा सूक्ष्म वायुमंडलीय परिवर्तन लाती है। जैसे संकल्पों से वातावरण पावन बनता है, और आत्माएँ शांति-सुख का अनुभव करती हैं।


 प्रश्न 9: वर्तमान समय में कौन-सी सेवा अधिक प्रभावशाली है?

 उत्तर:
मुरली अनुसार – “ब्लैसिंग देना ही सहज और शक्तिशाली सेवा है – समय कम, मेहनत कम, रिज़ल्ट ज़्यादा।”
अर्थात मंसा सेवा अब समय की सर्वोच्च आवश्यकता है।


 प्रश्न 10: मंसा सेवा का अंतिम उद्देश्य क्या है?

 उत्तर:
आत्माओं को हिम्मत, उल्लास और वर्से के योग्य बनाना, और स्वयं को मास्टर वरदानी मूर्त बनाना – जो बिना शब्दों के सेवा करें।


 निष्कर्ष व प्रेरणा:
अब समय है – बोलने से आगे बढ़कर सोचने और देखने से सेवा करने का।
आप मास्टर शक्तिशाली आत्माएँ, अब संकल्प सेवा के अधिकारी बनें – क्योंकि यही सेवा नवयुग को साकार करेगी।

स्मृति वाक्य:
“मंसा सेवा – यज्ञ की सूक्ष्म अग्नि है, जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ती है।”

मंसा सेवा, संकल्प शक्ति, ब्रह्माकुमारी ज्ञान, शिव बाबा, आत्मिक सेवा, सूक्ष्म साधना, वाणी से परे सेवा, वरदानी मूर्त, मुरली सार, आत्मा की शक्ति, राजयोग अभ्यास, अमृतवेला सेवा, दृष्टि सेवा, वृत्ति सेवा, subtle service, spiritual vibration, शक्ति स्वरूप, परमात्म अनुभूति, मंसा का अभ्यास, आत्मा जागृति, सेवा का नया स्वरूप, संकल्प सेवा, शक्तिशाली संकल्प, मास्टर शिव रूप, वायुमंडलीय सेवा, नवयुग निर्माण, ब्रह्माकुमारी ब्लॉग

Mansa service, resolution power, Brahma Kumari knowledge, Shiv Baba, spiritual service, subtle sadhana, service beyond speech, blessed embodiment, Murli essence, power of soul, Rajyoga practice, Amritvela service, vision service, instinct service, subtle service, spiritual vibration, power form, divine experience, practice of mansa, soul awakening, new form of service, resolution service, powerful resolution, Master Shiva form, atmospheric service, new age creation, Brahma Kumari blog