Short Questions & Answers Are given below (लघु प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
16-03-25 |
प्रात:मुरली
ओम् शान्ति
”अव्यक्त-बापदादा”
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रिवाइज: 05-03-04 मधुबन |
“कमजोर संस्कारों का संस्कार कर सच्ची होली मनाओ तब संसार परिवर्तन होगा”
आज बापदादा अपने चारों ओर के राज दुलारे बच्चों को देख रहे हैं। यह परमात्म दुलार आप कोटों में कोई श्रेष्ठ आत्माओं को ही प्राप्त है। हर एक बच्चे के तीन राज तख्त देख रहे हैं। यह तीन तख्त सारे कल्प में इस संगम पर ही आप बच्चों को प्राप्त होते हैं। दिखाई दे रहे हैं तीन तख्त? एक तो यह भ्रकुटी रूपी तख्त, जिस पर आत्मा चमक रही है। दूसरा तख्त है – परमात्म दिल तख्त। दिल तख्त नशीन हो ना! और तीसरा है – भविष्य विश्व तख्त। सबसे भाग्यवान बने हो दिल तख्तनशीन बनने से। यह परमात्म दिल तख्त आप तकदीरवान बच्चों को ही प्राप्त है। भविष्य विश्व का राज्य तख्त तो प्राप्त होना ही है। लेकिन अधिकारी कौन बनता? जो इस समय स्वराज्य अधिकारी बनता है। स्वराज्य नहीं तो विश्व का राज्य भी नहीं क्योंकि इस समय के स्व राज्य अधिकार द्वारा ही विश्व राज्य प्राप्त होता है। विश्व के राज्य के सर्व संस्कार इस समय बनते हैं। तो हर एक अपने को सदा स्वराज्य अधिकारी अनुभव करते हो? जो भविष्य राज्य का गायन है – जानते हो ना! एक धर्म, एक राज्य, लॉ एण्ड ऑर्डर, सुख-शान्ति, सम्पत्ति से भरपूर राज्य, याद आता है – कितने बार यह स्वराज्य और विश्व राज्य किया है? याद है कितने बार किया है? क्लीयर याद आता है? कि याद करने से याद आता है? कल राज्य किया था और कल राज्य करना है – ऐसे स्पष्ट स्मृति है? यह स्पष्ट स्मृति उस आत्मा को होगी जो अभी सदा स्वराज्य अधिकारी होगा। तो स्वराज्य अधिकारी हो? सदा हो या कभी-कभी? क्या कहेंगे? सदा स्वराज्य अधिकारी हो? डबल फॉरेनर्स का टर्न है ना। तो स्वराज्य अधिकारी सदा हो? पाण्डव सदा हैं? सदा शब्द पूछ रहे हैं? क्यों? जब इस एक जन्म में, छोटा सा तो जन्म है, तो इस छोटे से जन्म में अगर सदा स्वराज्य अधिकारी नहीं हैं तो 21 जन्म का सदा स्वराज्य कैसे प्राप्त होगा! 21 जन्म का राज्य अधिकारी बनना है कि कभी-कभी बनना है? क्या मंजूर है? सदा बनना है? सदा? कांध तो हिलाओ। अच्छा, 21 जन्म ही राज्य अधिकारी बनना है? राज्य अधिकारी अर्थात् रॉयल फैमिली में भी राज्य अधिकारी। तख्त पर तो थोड़े बैठेंगे ना, लेकिन वहाँ जितना तख्त अधिकारी को स्वमान है, उतना ही रॉयल फैमिली को भी है। उन्हों को भी राज्य अधिकारी कहेंगे। लेकिन हिसाब अभी के कनेक्शन से है। अभी कभी-कभी तो वहाँ भी कभी-कभी। अभी सदा तो वहाँ भी सदा। तो बापदादा से सम्पूर्ण अधिकार लेना अर्थात् वर्तमान और भविष्य का पूरा-पूरा 21 जन्म राज्य अधिकारी बनना। तो डबल फॉरेनर्स पूरा अधिकार लेने वाले हो या आधा या थोड़ा? क्या? पूरा अधिकार लेना है? पूरा। एक जन्म भी कम नहीं। तो क्या करना पड़ेगा?
बापदादा तो हर एक बच्चे को सम्पूर्ण अधिकारी बनाते हैं। बने हैं ना? पक्का? कि बनेंगे या नहीं बनेंगे क्वेश्चन है? कभी-कभी क्वेश्चन उठता है – पता नहीं बनेंगे, नहीं बनेंगे? बनना ही है। पक्का? जिसको बनना ही है वह हाथ उठाओ। बनना ही है? अच्छा, यह सब किस माला के मणके बनेंगे? 108 के? यहाँ तो कितने आये हुए हैं? सभी 108 में आने हैं? तो यह तो 1800 हैं। तो 108 की माला को बढ़ायेंगे? अच्छा। 16 हजार तो अच्छा नहीं लगता। 16 हजार में जायेंगे क्या? नहीं जायेंगे ना! यह निश्चय और निश्चित है, ऐसा अनुभव हो। हम नहीं बनेंगे तो कौन बनेगा। है नशा? आप नहीं बनेंगे तो और कोई नहीं बनेगा ना। आप ही बनने वाले हो ना! बोलो, आप ही हो ना! पाण्डव आप ही बनने वाले हो? अच्छा। अपना दर्पण में साक्षात्कार किया है? बापदादा तो हर बच्चे का निश्चय देख बलिहार जाते हैं। वाह! वाह! हर एक बच्चा वाह! वाह वाह वाले हो ना! वाह! वाह! कि व्हाई। व्हाई तो नहीं? कभी-कभी व्हाई हो जाता? या तो है व्हाई और हाय और तीसरा क्राय। तो आप तो वाह! वाह! वाले हो ना!
बापदादा को डबल फॉरेनर्स के ऊपर विशेष फखुर है। क्यों? भारतवासियों ने तो बाप को भारत में बुला लिया। लेकिन डबल फॉरेनर्स के ऊपर फखुर इसलिए है कि डबल फॉरेनर्स ने बापदादा को अपने सच्चाई के प्यार के बंधन में बांधा है। मैजारिटी सच्चाई वाले हैं। कोई-कोई छिपाते भी हैं लेकिन मैजारिटी अपनी कमजोरी सच्चाई से बाप के आगे रखते हैं। तो बाप को सबसे बढ़िया चीज़ लगती है – सच्चाई इसलिए भक्ति में भी कहते हैं गाड इज ट्रूथ। सबसे प्यारी चीज़ सच्चाई है क्योंकि जिसमें सच्चाई होती है उसमें सफाई रहती है। क्लीन और क्लीयर रहता है इसलिए बापदादा को डबल फॉरेनर्स के सच्चाई की प्रेम की रस्सी खींचती है। थोड़ा बहुत मिक्स तो होता है, कोई-कोई। लेकिन डबल फॉरेनर्स अपनी यह सच्चाई की विशेषता कभी नहीं छोड़ना। सत्यता की शक्ति एक लिफ्ट का काम करती है। सबको सच्चाई अच्छी लगती है ना! पाण्डव अच्छी लगती है? ऐसे तो मधुबन वालों को भी अच्छी लगती है। सभी चारों ओर के मधुबन वाले हाथ उठाओ। दादी कहती है ना भुजायें हैं। तो मधुबन, शान्तिवन सब हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ। मधुबन वालों को सच्चाई अच्छी लगती है? जिसमें सच्चाई होगी ना, उसको बाप को याद करना बहुत सहज होगा। क्यों? बाप भी सत्य है ना! तो सत्य बाप की याद जो सत्य है उसको जल्दी आती है। मेहनत नहीं करनी पड़ती है। अगर अभी भी याद में मेहनत लगती है तो समझो कोई न कोई सूक्ष्म संकल्प मात्र, स्वप्न मात्र कोई सच्चाई कम है। जहाँ सच्चाई है वहाँ संकल्प किया बाबा, हज़ूर हाज़िर है इसलिए बापदादा को सच्चाई बहुत प्रिय है।
तो बापदादा सभी बच्चों को यही इशारा देते हैं कि पूरा वर्सा 21 ही जन्मों का लेना है तो अभी स्वराज्य को चेक करो। अब का स्वराज्य अधिकारी बनना, जितना जैसा बनेंगे उतना ही अधिकार प्राप्त होगा। तो चेक करो – जैसे गायन है एक राज्य…, एक ही राज्य होगा, दो नहीं। तो वर्तमान स्वराज्य की स्थिति में सदा एक राज्य है? स्वराज्य है वा कभी-कभी पर-राज्य भी हो जाता है? कभी माया का राज्य अगर है तो पर-राज्य कहेंगे या स्वराज्य कहेंगे? तो सदा एक राज्य है, पर-अधीन तो नहीं हो जाते? कभी माया का, कभी स्व का? इससे समझो कि सम्पूर्ण वर्सा अभी प्राप्त हो रहा है, हुआ नहीं है, हो रहा है। तो चेक करो सदा एक राज्य है? एक धर्म – धर्म अर्थात् धारणा। तो विशेष धारणा कौन सी है? पवित्रता की। तो एक धर्म है अर्थात् संकल्प, स्वप्न में भी पवित्रता है? संकल्प में भी, स्वप्न में भी अगर अपवित्रता की परछाई है तो क्या कहेंगे? एक धर्म है? पवित्रता सम्पूर्ण है? तो चेक करो, क्यों? समय फास्ट जा रहा है। तो समय फास्ट जा रहा है और स्वयं अगर स्लो है तो समय पर मंजिल पर तो नहीं पहुंच सकेंगे ना! इसलिए बार-बार चेक करो। एक राज्य है? एक धर्म है? लॉ और आर्डर है? कि माया अपना आर्डर चलाती है? परमात्म बच्चे श्रीमत के लॉ और आर्डर पर चलने वाले। माया के लॉ एण्ड आर्डर पर नहीं। तो चेक करो – सभी भविष्य के संस्कार अभी दिखाई दें क्योंकि संस्कार अभी भरने हैं। वहाँ नहीं भरने हैं, यहाँ ही भरने हैं। सुख है? शान्ति है? सम्पत्तिवान हैं? सुख अभी साधनों के आधार पर तो नहीं है? अतीन्द्रिय सुख है? साधन, इन्द्रियों का आधार है। अतीन्द्रिय सुख साधनों के आधार पर नहीं है। अखण्ड शान्ति है? खण्डित तो नहीं होती है? क्योंकि सतयुग के राज्य की महिमा क्या है? अखण्ड शान्ति, अटल शान्ति। सम्पन्नता है? सम्पत्ति से क्या होता है? सम्पन्नता होती है। सर्व सम्पत्ति है? गुण, शक्तियां, ज्ञान यह सम्पत्ति है। उसकी निशानी क्या होगी? अगर मैं सम्पत्ति में सम्पन्न हूँ – तो उसकी निशानी क्या? सन्तुष्टता। सर्व प्राप्ति का आधार है सन्तुष्टता, असन्तुष्टता अप्राप्ति का साधन है। तो चेक करो – एक भी विशेषता की कमी नहीं होनी चाहिए। तो इतना चेक करते हो? सारा संसार आप अभी के संस्कार द्वारा बनाने वाले हो। अभी के संस्कार अनुसार भविष्य का संसार बनेगा। तो आप सभी क्या कहते हो? कौन हो आप? विश्व परिवर्तक हो ना! विश्व परिवर्तक हो? तो विश्व परिवर्तक के पहले स्व-परिवर्तक। तो यह सब संस्कार अपने में चेक करो। इससे समझ जाओ कि मैं 108 की माला में हूँ या आगे पीछे हूँ? यह चेकिंग एक दर्पण है, इस दर्पण में अपने वर्तमान और भविष्य को देखो। देख सकते हो?
अभी तो होली मनाने आये हो ना! होली मनाने आये हो, अच्छा। होली के अर्थ को वर्णन किया है ना! तो बापदादा आज विशेष डबल फॉरेनर्स को कहते हैं, मधुबन वाले साथ में हैं, यह बहुत अच्छा है। मधुबन वालों को भी साथ में कह रहे हैं। जो भी आये हैं, चाहे बॉम्बे से आये हैं, चाहे दिल्ली से आये हो, लेकिन इस समय तो मधुबन निवासी हो। डबल फॉरेनर्स भी इस समय कहाँ के हो? मधुबन निवासी हो ना! मधुबन निवासी बनना अच्छा है ना! तो सभी बच्चों को चाहे यहाँ सामने बैठे हैं, चाहे अपने अपने चारों तरफ के स्थानों पर बैठे हैं, बापदादा एक परिवर्तन चाहते हैं – अगर हिम्मत हो तो बापदादा बतावे। हिम्मत है? हिम्मत है? हिम्मत है? करना पड़ेगा। ऐसे नहीं हाथ उठा लिया तो हो गया, ऐसा नहीं। हाथ उठाना तो बहुत अच्छा है लेकिन मन का हाथ उठाना। आज सिर्फ यह हाथ नहीं उठाना, मन का हाथ उठाना।
डबल फॉरेनर्स नजदीक बैठे हैं ना, तो नजदीक वालों को दिल की बातें सुनाई जाती हैं। मैजारिटी देखने में आता है, कि सभी का बापदादा से, सेवा से बहुत अच्छा प्यार है। बाप के प्यार के बिना भी नहीं रह सकते और सेवा के बिना भी नहीं रह सकते हैं। यह मैजारिटी का सर्टीफिकेट ठीक है। बापदादा चारों ओर देखते हैं लेकिन…, लेकिन आ गया। मैजारिटी का यही आवाज आता है कि कोई न कोई ऐसा संस्कार, पुराना जो चाहते नहीं हैं लेकिन वह पुराना संस्कार अभी तक भी आकर्षित कर लेता है। तो जब होली मनाने आये हो तो होली का अर्थ है – बीती सो बीती। हो ली, हो गई। तो कोई भी जरा भी कोई संस्कार 5 परसेन्ट भी हो, 10 परसेन्ट हो, 50 परसेन्ट भी हो, कुछ भी हो। कम से कम 5 परसेन्ट भी हो तो आज संस्कार की होली जलाओ। जो संस्कार समझते हैं सभी कि थोड़ा सा यह संस्कार मुझे बीच-बीच में डिस्टर्ब करता है। हर एक समझता है। समझते हैं ना? तो होली एक जलाई जाती है, दूसरी रंगी जाती है। दो प्रकार की होली होती है और होली का अर्थ भी है, बीती सो बीती। तो बापदादा चाहते हैं कि जो भी कोई ऐसा संस्कार रहा हुआ है, जिसके कारण संसार परिवर्तन नहीं हो रहा है, तो आज उस कमजोर संस्कार को जलाना अर्थात् संस्कार कर देना। जलाने को भी संस्कार कहते हैं ना। जब मनुष्य मरता है तो कहते हैं संस्कार करना है अर्थात् सदा के लिए खत्म करना है। तो क्या आज संस्कार का भी संस्कार कर सकते हैं? आप कहेंगे कि हम तो नहीं चाहते कि संस्कार आवें, लेकिन आ जाता है, क्या करें? ऐसे सोचते हो? अच्छा। आ जाता है, गलती से। अगर किसको दी हुई चीज़, गलती से आपके पास आ जाए तो क्या करते हो? सम्भाल के अलमारी में रख देते हो? रख देंगे? तो अगर आ भी जाये तो दिल में नहीं रखना क्योंकि दिल में बाप बैठा है ना! तो बाप के साथ अगर वह संस्कार भी रखेंगे, तो अच्छा लगेगा? नहीं लगेगा ना! इसलिए अगर गलती से आ भी जाये, तो दिल से कहना बाबा, बाबा, बाबा, बस। खत्म। बिन्दी लग जायेगी। बाबा क्या है? बिन्दी। तो बिन्दी लग जायेगी। दिल से कहेंगे तो। बाकी ऐसे ही मतलब से याद करेंगे – बाबा ले लो ना, ले लो ना, रखते हैं अपने पास और कहते हैं ले लो ना, ले लो ना। तो कैसे लेंगे? आपकी चीज़ कैसे लेंगे? पहले आप अपनी चीज़ नहीं समझो तब लेंगे। ऐसे थोड़ेही दूसरे की चीज़ ले लेंगे। तो क्या करेंगे? होली मनायेंगे? हो ली, हो ली। अच्छा, जो समझते हैं कि दृढ़ संकल्प कर रहे हैं, वह हाथ उठाओ। आप घड़ी-घड़ी निकाल देंगे ना, तो निकल जायेगी। अन्दर रख नहीं दो, क्या करें, कैसे करें, निकलता नहीं है। यह नहीं, निकालना ही है। तो दृढ़ संकल्प करेंगे? जो करेगा वह मन से हाथ उठाना, बाहर से नहीं उठाना। मन से। (कोई-कोई नहीं उठा रहे हैं) यह नहीं उठा रहे हैं। (सभी ने उठाया) बहुत अच्छा, मुबारक हो, मुबारक हो। क्या है कि एक तरफ एडवांस पार्टी बापदादा को बार-बार कहती है – कब तक, कब तक, कब तक? दूसरा – प्रकृति भी बाप को अर्जी करती है, अभी परिवर्तन करो। ब्रह्मा बाप भी कहते हैं कि अब कब परमधाम का दरवाजा खोलेंगे? साथ में चलना है ना, रह तो नहीं जाना है ना! साथ चलेंगे ना! साथ में गेट खोलेंगे! चाहे चाबी ब्रह्मा बाबा लगायेगा, लेकिन साथ तो होंगे ना! तो अभी यह परिवर्तन करो। बस, लाना ही नहीं है। मेरी चीज़ ही नहीं है, दूसरे की, रावण की चीज़ क्यों रखी है! दूसरे की चीज़ रखी जाती है क्या? तो यह किसकी है? रावण की है ना! उसकी चीज़ आपने क्यों रखी है? रखनी है? नहीं रखनी है ना, पक्का? अच्छा। तो रंग की होली भले मनाना लेकिन पहले यह होली मनाना। आप देखते हो, आपका गायन है – मर्सीफुल। आप मर्सीफुल देवियां और देवतायें हो ना! तो रहम नहीं आता है? अपने भाई-बहिनें इतने दु:खी हैं, उन्हों का दु:ख देख करके रहम नहीं आता? आता है रहम? तो संस्कार बदलो, तो संसार बदल जायेगा। जब तक संस्कार नहीं बदले हैं, तब तक संसार नहीं बदल सकता। तो क्या करेंगे?
आज खुशखबरी सुनी थी कि सबको दृष्टि लेनी है। अच्छी बात है। बापदादा तो बच्चों के आज्ञाकारी हैं लेकिन… लेकिन सुनकर हंसते हैं। भले हंसो। दृष्टि के लिए कहते हैं – दृष्टि से सृष्टि बदलती है। तो आज की दृष्टि से सृष्टि परिवर्तन करना ही है, क्योंकि सम्पन्नता वा जो भी प्राप्तियां हुई हैं, उसका बहुत समय से अभ्यास चाहिए। ऐसे नहीं समय पर हो जायेगा, नहीं। बहुत समय का राज्य भाग्य लेना है, तो सम्पन्नता भी बहुत समय से चाहिए। तो ठीक है? डबल फॉरेनर्स खुश हैं? अच्छा।
चारों ओर के सर्व तीन तख्त नशीन विशेष आत्माओं को, सदा स्वराज्य अधिकारी विशेष आत्माओं को, सदा रहमदिल बन आत्माओं को सुख-शान्ति की अंचली देने वाले महादानी आत्माओं को, सदा दृढ़ता और सफलता का अनुभव करने वाले बाप समान आत्माओं को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
वरदान:- | संकल्प और बोल के विस्तार को सार में लाने वाले अन्तर्मुखी भव व्यर्थ संकल्पों के विस्तार को समेट कर सार रूप में स्थित होना तथा मुख के आवाज के व्यर्थ को समेट कर समर्थ अर्थात् सार रूप में ले आना – यही है अन्तर्मुखता। ऐसे अन्तर्मुखी बच्चे ही साइलेन्स की शक्ति द्वारा भटकती हुई आत्माओं को सही ठिकाना दिखा सकते हैं। यह साइलेन्स की शक्ति अनेक रूहानी रंगत दिखाती है। साइलेन्स की शक्ति से हर आत्मा के मन का आवाज इतना समीप सुनाई देता है जैसे कोई सम्मुख बोल रहा है। |
स्लोगन:- | स्वभाव, संस्कार, सम्बन्ध, सम्पर्क में लाइट रहना अर्थात् फरिश्ता बनना। |
अव्यक्त इशारे – सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ
सच्ची दिल वाले सत्यवादी बच्चे, सत्यता की महानता के कारण सेकण्ड में बिन्दु बन बिन्दु स्वरूप बाप को याद कर सकते हैं। सच्ची दिल वाले सच्चे साहेब को राज़ी करने के कारण, बाप की विशेष दुआओं की प्राप्ति के कारण समय प्रमाण दिमाग युक्तियुक्त, यथार्थ कार्य स्वत: करता है क्योंकि बुद्धिवानों की बुद्धि (बाप) को राज़ी किया हुआ है।
सूचनाः- आज अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस तीसरा रविवार है, सायं 6.30 से 7.30 बजे तक सभी भाई बहिनें संगठित रूप में एकत्रित हो योग अभ्यास में सर्व आत्माओं के प्रति यही शुभ भावना रखें – कि सर्व आत्माओं का कल्याण हो, सर्व आत्मायें सत्य मार्ग पर चलकर परमात्म वर्से का अधिकार प्राप्त कर लें। मैं बाप समान सर्व आत्माओं को मुक्ति जीवनमुक्ति का वरदान देने वाली आत्मा हूँ।
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Weak sanskars, true Holi, world transformation, God’s love, royal throne, Swaraj Adhikari, world kingdom, truthfulness, divine awareness, BapDada, double foreigners, soul transformation, spiritual journey, future sanskars, supersensuous happiness, unbroken peace, complete authority, victory over Maya, spiritual intoxication, resolution for transformation, power of vision, power of silence, introversion, angelic life, Brahma Baba, supreme abode, spirit of service, great donor soul, complete inheritance, true. Purity, self-improvement, self-realization, divine love, divine life, Brahmin life, knowledge through devotion, golden age, divine experience, Mahavakya.