Pitru Paksha (09)If the soul takes rebirth then who gets the curse?

पितृपक्ष में श्राध्द रहस्यः-(09)अगर आत्मा पुनर्जन्म ले लेती है तो श्राप किसको पहुंचता है?

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अगर आत्मा पुनर्जन्म ले लेती है तो श्राद्ध किसको पहुंचता है?


प्रस्तावना

पितृ पक्ष के समय हर कोई यही सोचता है कि –
“हम जो श्राद्ध करते हैं, वह हमारे पितरों तक अवश्य पहुंचेगा।”
लेकिन अगर आत्मा ने पहले ही पुनर्जन्म ले लिया हो, तो प्रश्न उठता है –
 अर्पण किसको पहुंचा?
 और यदि श्राप भेजा तो वह किसे प्रभावित करेगा?

आइए इस रहस्य को ईश्वर ज्ञान (शिव बाबा की मुरली) के आधार पर समझते हैं।


 आत्मा अमर है, देह बदलती रहती है

साकार मुरली – 21 सितम्बर 2014
शिव बाबा कहते हैं –

“आत्मा अमर है। देह बदलती रहती है। आत्मा जब नया शरीर ले लेती है तो पुराने रिश्ते समाप्त हो जाते हैं।”

इसका अर्थ है कि आत्मा नया जन्म ले लेती है तो कोई भी श्राद्ध – चाहे अन्न, जल या दान – उस तक नहीं पहुंच सकता।
आत्मा तो एक ही सेकंड में गर्भ में प्रवेश करती है।


 श्राद्ध किसे पहुंचता है?

समाज मानता है कि भोजन या जल सूक्ष्म रूप से आत्मा तक जाता है।
लेकिन शिव बाबा कहते हैं:

“आत्मा शरीर छोड़ देती है तो उसे अन्न-पानी की जरूरत ही नहीं रहती।”

इसलिए श्राद्ध का अर्पण –

  • न तो पुनर्जन्म ले चुकी आत्मा को पहुंच सकता है

  • न ही सूक्ष्म जगत में रहने वाली आत्मा को।


 असली तृप्ति कहां से मिलती है?

साकार मुरली – 22 सितम्बर 2016
शिव बाबा ने कहा –

“पितरों को तृप्त करने वाले तुम बच्चे ही हो। तुम उनको ज्ञान का भोजन खिलाते हो।”

इसका अर्थ है कि असली तृप्ति भोजन या जल से नहीं, बल्कि –
ईश्वरीय ज्ञान से
योग की शक्ति से
मनसा सेवा से

जब हम विश्व की आत्माओं को सत्य ज्ञान सुनाते हैं, तो वे आत्माएँ वास्तविक तृप्ति अनुभव करती हैं।


 उदाहरण – नया स्कूल और पुराना स्कूल

मान लीजिए कोई विद्यार्थी नया स्कूल ज्वाइन कर ले।
अब अगर उसके पेरेंट्स पुराने स्कूल में ही फीस जमा कराते रहें –
 क्या वह नए स्कूल तक पहुंचेगी?
 क्या उससे नए स्कूल में उसे पढ़ाई मिलेगी?

नहीं।
ठीक वैसे ही आत्मा नया जन्म ले लेती है तो पुराना श्राद्ध किसी काम का नहीं।


 निष्कर्ष

  • आत्मा पुनर्जन्म ले लेती है, इसलिए श्राद्ध उस तक कभी नहीं पहुंच सकता।

  • आत्मा को अन्न-पानी की नहीं, बल्कि शांति और शक्ति की आवश्यकता है।

  • असली श्राद्ध है –

    • ईश्वर का ज्ञान अपनाना

    • योग की शक्ति द्वारा विश्व की आत्माओं को तृप्त करना।

    • प्रश्न 1: क्या आत्मा अमर है या नष्ट हो जाती है?

      उत्तर:
      आत्मा कभी नष्ट नहीं होती। वह अमर है, केवल देह बदलती रहती है।

      साकार मुरली – 21 सितम्बर 2014
      शिव बाबा कहते हैं –

      “आत्मा अमर है। देह बदलती रहती है। आत्मा जब नया शरीर ले लेती है तो पुराने रिश्ते समाप्त हो जाते हैं।”

      इसलिए आत्मा नया जन्म ले लेती है तो पुराने रिश्तों का कोई प्रभाव नहीं रहता।


       प्रश्न 2: अगर आत्मा नया जन्म ले लेती है तो श्राद्ध उस तक पहुंच सकता है?

      उत्तर:
      नहीं। आत्मा एक ही सेकंड में गर्भ में प्रवेश कर लेती है।
      इसलिए अन्न, जल या दान किसी भी रूप में उसे नहीं पहुंच सकता।


       प्रश्न 3: श्राद्ध का अर्पण वास्तव में किसे पहुंचता है?

      उत्तर:
      लोग मानते हैं कि भोजन या जल आत्मा तक सूक्ष्म रूप में जाता है।
      लेकिन शिव बाबा कहते हैं:

      “आत्मा शरीर छोड़ देती है तो उसे अन्न-पानी की जरूरत ही नहीं रहती।”

      इसलिए श्राद्ध का अर्पण –

      • न तो पुनर्जन्म ले चुकी आत्मा को

      • न ही सूक्ष्म जगत में रहने वाली आत्मा को पहुंचता है।

      वह केवल उसी को पहुंचता है जो भोजन करता है।


       प्रश्न 4: तो आत्माओं को असली तृप्ति कहां से मिलती है?

      उत्तर:
      भोजन और जल से नहीं, बल्कि ज्ञान और योग की शक्ति से।

      साकार मुरली – 22 सितम्बर 2016
      शिव बाबा ने कहा –

      “पितरों को तृप्त करने वाले तुम बच्चे ही हो। तुम उनको ज्ञान का भोजन खिलाते हो।”

       ईश्वरीय ज्ञान
       योग की शक्ति
       मनसा सेवा – यही आत्माओं की वास्तविक तृप्ति है।


       प्रश्न 5: नया स्कूल और पुराना स्कूल वाला उदाहरण आत्मा पर कैसे लागू होता है?

      उत्तर:मान लीजिए कोई विद्यार्थी नया स्कूल ज्वाइन कर ले।
      अगर पेरेंट्स पुराने स्कूल में ही फीस जमा कराते रहें, तो वह न तो नए स्कूल तक पहुंचेगी, न ही बच्चे को पढ़ाई मिलेगी।

      ठीक वैसे ही आत्मा नया जन्म ले लेती है तो पुराना श्राद्ध किसी काम का नहीं।


      प्रश्न 6: असली श्राद्ध क्या है?

      उत्तर:असली श्राद्ध है –

      • ईश्वर का ज्ञान अपनाना

      • योग की शक्ति द्वारा विश्व की आत्माओं को तृप्त करना

      यही आत्माओं को वास्तविक शांति और शक्ति प्रदान करता है।


       निष्कर्ष

      • आत्मा पुनर्जन्म ले लेती है, इसलिए श्राद्ध उस तक कभी नहीं पहुंच सकता।

      • आत्मा को अन्न-पानी की नहीं, बल्कि शांति और शक्ति की आवश्यकता होती है।

      • असली श्राद्ध है – ज्ञान और योग की शक्ति का दान।

      • Disclaimer:

    • यह वीडियो केवल आध्यात्मिक अध्ययन और शिव बाबा की मुरली पर आधारित है।
      इसका उद्देश्य किसी भी धार्मिक परंपरा या मान्यता की आलोचना करना नहीं है।
      कृपया इसे केवल ज्ञान की दृष्टि से समझें।
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