Only through the knowledge of Gita can one attain the highest position of becoming Shri Narayan

गीता-ज्ञान ही से सर्वोत्तम पद की प्राप्ति श्री नारायण बनने

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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गीता ज्ञान कैसे बनाता है श्री नारायण? | श्रीलक्ष्मी बनने का रहस्य | 


1. गीता-ज्ञान: नर को श्री नारायण और नारी को श्री लक्ष्मी कैसे बनाता है?

भगवान स्वयं गीता में कहते हैं:
“सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥”
(श्लोक 18:66)

Murli 17 जून 2025:
“बाबा कहते हैं – मैं ही आकर गीता का ज्ञान देता हूँ जिससे तुम श्री नारायण पद के अधिकारी बनते हो।”

दृष्टांत:
जैसे काला कोयला सूर्य की रौशनी में चमक सकता है, वैसे ही आत्मा ज्ञान और योग से श्री लक्ष्मी-नारायण जैसी बन जाती है।


2. गीता – एकमात्र शास्त्र जो सर्वोच्च पद का वचन देती है

अन्य धर्मग्रंथ स्वर्ग या देवता बनने की बात नहीं करते।

Murli 4 अप्रैल 2025:
“भगवान ने गीता में कहा – मैं आकर दैवी सम्प्रदाय स्थापन करता हूँ। इस ज्ञान से ही तुम श्री नारायण पद प्राप्त करते हो।”


3. गीता-ज्ञान = रुद्र ज्ञान = ब्रह्मा द्वारा दी जाने वाली शिक्षा

  • यह ज्ञान शिव बाबा द्वारा ब्रह्मा के मुख से बोला गया।

  • इसी से ब्राह्मण बनकर देवी-देवता पद की प्राप्ति होती है।

Murli 19 मार्च 2024:
“शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा जो ज्ञान सुनाते हैं, वही रुद्र ज्ञान यज्ञ है।”

उदाहरण:
जैसे गुरुकुल में विद्यार्थी राजा बनते हैं, वैसे ही इस ईश्वरीय ज्ञानकुल में आत्माएँ लक्ष्मी-नारायण बनती हैं।


4. ब्रह्मा ने भी गीता-ज्ञान से श्री नारायण पद पाया

ब्रह्मा बाबा एक गृहस्थ पुरुष थे।
पर जब परमात्मा ने ज्ञान दिया, वही आत्मा श्री नारायण बनने की अधिकारी बनी।

Murli 25 मई 2025:
“ब्रह्मा द्वारा ही मैं यह गीता ज्ञान सुनाता हूँ – यह ब्रह्मा ही फिर श्री नारायण बनते हैं।”

अनुभव:
ब्रह्मा बाबा ने पहले स्वयं को दिव्य बनाया, फिर औरों को।


5. गीता-ज्ञान की स्मृति से आत्मा को अपार हर्ष क्यों होता है?

यह ज्ञान आत्मा को उसकी भूली हुई श्रेष्ठता की याद दिलाता है।

Murli 11 अप्रैल 2025:
“तुम जानते हो – यह वही ज्ञान है जिससे हम पहले-पहले श्री लक्ष्मी-नारायण बने थे।”

उदाहरण:
जैसे कोई भुला हुआ राजा अपनी स्मृति पाए – वैसा ही आत्मा को आनंद होता है।


6. गीता-ज्ञान और महात्मा गांधी का रामराज्य सपना

महात्मा गांधी ने कहा:
“रामराज्य की स्थापना गीता के ज्ञान से ही हो सकती है।”
परंतु उन्हें सच्चा ज्ञानदाता नहीं पता था।

Murli 22 मार्च 2024:
“गांधीजी कहते थे – रामराज्य लाना है। परन्तु कब, कैसे? वह नहीं जानते थे।”


7. निष्कर्ष: गीता का ज्ञान ही आत्मा को परमपद दिलाता है

 यह वही ज्ञान है जिससे:

  • आत्मा सारे पापों से मुक्त होती है

  • श्री नारायण-श्री लक्ष्मी पद प्राप्त होता है

  • सच्चा स्वराज्य और रामराज्य आता है

Q1: गीता-ज्ञान नर को श्री नारायण और नारी को श्री लक्ष्मी कैसे बनाता है?

 उत्तर:भगवान गीता में कहते हैं –
“सर्व धर्मान परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥” (18:66)

Murli 17 जून 2025:
“बाबा कहते हैं – मैं ही आकर गीता का ज्ञान देता हूँ जिससे तुम श्री नारायण पद के अधिकारी बनते हो।”

दृष्टांत:
जैसे कोयला सूर्य की रौशनी में चमक उठता है, वैसे ही आत्मा जब शिव बाबा के योग और ज्ञान से भरती है, तो श्री लक्ष्मी-नारायण जैसी दिव्यता को प्राप्त करती है।


 Q2: क्या गीता ही एकमात्र ऐसा शास्त्र है जो आत्मा को सर्वोच्च पद का वचन देती है?

 उत्तर:हाँ, अन्य किसी भी धर्मग्रंथ में यह स्पष्ट नहीं कि आत्मा को देवता या स्वर्ग का राज्य मिलेगा।

Murli 4 अप्रैल 2025:
“भगवान ने गीता में कहा – मैं आकर दैवी सम्प्रदाय स्थापन करता हूँ। इस ज्ञान से ही तुम श्री नारायण पद प्राप्त करते हो।”

 गीता का वक्ता स्वयं परमात्मा है – वही आत्माओं को देवता पद का अधिकारी बनाते हैं।


 Q3: गीता-ज्ञान को रुद्र ज्ञान क्यों कहा जाता है?

 उत्तर:क्योंकि यह ज्ञान निर्गुण, निराकार शिव बाबा द्वारा ब्रह्मा के मुख से दिया गया है।

Murli 19 मार्च 2024:
“शिवबाबा ब्रह्मा द्वारा जो ज्ञान सुनाते हैं, वही रुद्र ज्ञान यज्ञ है।”

उदाहरण:
जैसे प्राचीन गुरुकुल में विद्यार्थी राजा बनते थे, वैसे ही इस ज्ञानकुल में साधारण आत्माएँ ब्राह्मण बनकर देवी-देवता बनती हैं।


 Q4: क्या ब्रह्मा ने भी इसी गीता-ज्ञान से श्री नारायण पद पाया?

 उत्तर:बिल्कुल। ब्रह्मा बाबा एक गृहस्थ जीवन जीने वाले व्यक्ति थे।
पर जब शिव बाबा ने उन्हें माध्यम बनाया, तो वही आत्मा श्री नारायण बनने की अधिकारी बनी।

Murli 25 मई 2025:
“ब्रह्मा द्वारा ही मैं यह गीता ज्ञान सुनाता हूँ – यह ब्रह्मा ही फिर श्री नारायण बनते हैं।”

अनुभव:
ब्रह्मा बाबा ने पहले अपने जीवन में दिव्यता लाई, फिर 33 करोड़ देवी-देवताओं की रचना की नींव रखी।


 Q5: इस गीता-ज्ञान को सुनकर आत्मा को अपार हर्ष क्यों होता है?

उत्तर:क्योंकि यह ज्ञान आत्मा को उसकी खोई हुई श्रेष्ठता, पवित्रता, और स्वराज्य की स्मृति दिलाता है।

Murli 11 अप्रैल 2025:
“तुम जानते हो – यह वही ज्ञान है जिससे हम पहले-पहले श्री लक्ष्मी-नारायण बने थे।”

उदाहरण:
जैसे कोई राजा अपनी पहचान भूल जाए और कोई उसे याद दिला दे – वैसा ही आत्मा को आनंद होता है जब उसे उसकी दिव्यता याद आती है।


 Q6: महात्मा गांधी ने गीता और रामराज्य का क्या संबंध बताया था?

 उत्तर:गांधीजी ने कहा – “रामराज्य की स्थापना गीता के ज्ञान से ही संभव है।
पर वे यह नहीं जानते थे कि गीता का सच्चा वक्ता परमात्मा शिव हैं।

Murli 22 मार्च 2024:
“गांधीजी कहते थे – रामराज्य लाना है। परन्तु कब, कैसे? वह नहीं जानते थे। अब तुम जानते हो – रामराज्य इस ज्ञान से ही आता है।”

 यदि उन्हें यह सच्चा ज्ञान मिल जाता, तो वे साक्षात रामराज्य की स्थापना देख सकते थे।


 Q7:  इस गीता ज्ञान से आत्मा को क्या-क्या प्राप्त होता है?

उत्तर: यही सच्चा गीता ज्ञान है जो आत्मा को:

  1. सभी पापों से मुक्ति दिलाता है

  2. श्री लक्ष्मी-नारायण जैसा पद प्राप्त करवाता है

  3. ब्राह्मण कुल की स्थापना करता है

  4. सच्चा स्वराज्य और रामराज्य स्थापित करता है

Disclaimer

“यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज़ की शिक्षाओं पर आधारित है, जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता के गूढ़ रहस्यों को ईश्वर के श्रीमुख से समझाया गया है। इसका उद्देश्य आध्यात्मिक जागृति व आत्म-परिवर्तन है। कृपया इसे खुले मन और आध्यात्मिक दृष्टि से देखें।”

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(Official BK Affidavit से मेल खाता है)

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