पदम- (21)लिंग परिर्तन की प्रक्रिया:?
P-“21 Sex change process?:
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
ओम शांति – कौन बनेगा पदमा पदम पति?
भूमिका
हर आत्मा अपने कर्मों के अनुसार पद प्राप्त करती है। जो आत्मा श्रेष्ठ और न्यारे कर्म करती है, वही पदमा पदम पति बनती है। यह एक आध्यात्मिक अवस्था है जिसमें आत्मा पूर्णता को प्राप्त करती है। यह लेख इस विषय को गहराई से समझने का प्रयास करेगा।
पदमा पदम पति कैसे बन सकते हैं?
- न्यारे और प्यारे कर्म करना – जिस प्रकार कमल का फूल जल में रहते हुए भी उससे न्यारा रहता है, उसी प्रकार हमें संसार में रहकर भी संसार के प्रभाव से न्यारा और प्यारा बनना है।
- अकर्म का खाता खोलना – अकर्म का अर्थ है ऐसे कर्म जो विकर्म न बनें, जो हमें आत्मिक उन्नति की ओर ले जाएं।
- ज्ञान का मंथन करना – जितना हम ज्ञान का मंथन करेंगे, उतना ही हमारी समझ बढ़ेगी और हम सत्य को पहचान सकेंगे।
- सर्वज्ञ नहीं, परंतु सत्य के ज्ञाता बनना – सत्य को समझने के लिए हमें मिलकर मंथन करना आवश्यक है। बाबा हमें सलाह देते हैं कि हम अपनी समझ को बढ़ाएं और सत्य की खोज करें।
लिंग परिवर्तन और पुनर्जन्म
क्या लिंग परिवर्तन संभव है?
बाबा के अनुसार, हम एक जन्म पुरुष बनते हैं और एक जन्म स्त्री। परंतु योनि का परिवर्तन संभव नहीं है। मनुष्य आत्मा केवल मनुष्य योनि में ही जन्म ले सकती है।
क्यों नहीं बन सकते हम पशु या पक्षी?
आत्माओं के संस्कार भिन्न होते हैं। जिस प्रकार नीम का वृक्ष केवल नीम के फल ही देगा, उसी प्रकार आत्मा अपने स्वभाव और संस्कारों के अनुसार शरीर धारण करती है।
पुनर्जन्म और लिंग परिवर्तन के प्रमाण
पुनर्जन्म के प्रमाण बताते हैं कि लिंग परिवर्तन संभव है।
- महाभारत के शिखंडी – पिछले जन्म में स्त्री था, अगले जन्म में पुरुष बना।
- दादी प्रकाशमणि – एक जन्म में लड़की, अगले जन्म में भिन्न लिंग में जन्म।
कार्मिक अकाउंट और लिंग परिवर्तन
हमारा लिंग परिवर्तन हमारे कर्मों पर निर्भर करता है। कार्मिक अकाउंट के अनुसार ही हमें शरीर मिलता है। यदि किसी आत्मा ने कुछ विशेष कर्म किए हैं, तो उसका अगला जन्म उसी अनुसार निर्धारित होता है।
सत्य युग और त्रेता में थर्ड जेंडर का अस्तित्व
सत्य युग और त्रेता में थर्ड जेंडर नहीं होता क्योंकि वहाँ पूर्ण पवित्रता होती है। विकृति द्वापर और कलियुग में आती है।
भक्ति मार्ग में अर्धनारीश्वर की अवधारणा
भक्ति मार्ग में अर्धनारीश्वर की कहानी आती है, परंतु यह केवल प्रतीकात्मक है। वास्तव में ऐसा कोई जीव नहीं होता जो आधा पुरुष और आधा स्त्री हो। बाबा हमें समझाते हैं कि यह केवल मान्यता है।
निष्कर्ष
हर आत्मा अपने कर्मों के अनुसार जन्म लेती है। बाबा हमें समझाते हैं कि हमें अपने संस्कारों को श्रेष्ठ बनाना है और न्यारे-प्यारे कर्म करने हैं। अकर्म का खाता खोलकर हम ऊँच पद प्राप्त कर सकते हैं और पदमा पदम पति बन सकते हैं।