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P-(21) Sex change process:?

February 7, 2025June 1, 2025omshantibk07@gmail.com

पदम- (21)लिंग परिर्तन की प्रक्रिया:?

P-“21 Sex change process?:

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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ओम शांति – कौन बनेगा पदमा पदम पति?

भूमिका

हर आत्मा अपने कर्मों के अनुसार पद प्राप्त करती है। जो आत्मा श्रेष्ठ और न्यारे कर्म करती है, वही पदमा पदम पति बनती है। यह एक आध्यात्मिक अवस्था है जिसमें आत्मा पूर्णता को प्राप्त करती है। यह लेख इस विषय को गहराई से समझने का प्रयास करेगा।

पदमा पदम पति कैसे बन सकते हैं?

  1. न्यारे और प्यारे कर्म करना – जिस प्रकार कमल का फूल जल में रहते हुए भी उससे न्यारा रहता है, उसी प्रकार हमें संसार में रहकर भी संसार के प्रभाव से न्यारा और प्यारा बनना है।
  2. अकर्म का खाता खोलना – अकर्म का अर्थ है ऐसे कर्म जो विकर्म न बनें, जो हमें आत्मिक उन्नति की ओर ले जाएं।
  3. ज्ञान का मंथन करना – जितना हम ज्ञान का मंथन करेंगे, उतना ही हमारी समझ बढ़ेगी और हम सत्य को पहचान सकेंगे।
  4. सर्वज्ञ नहीं, परंतु सत्य के ज्ञाता बनना – सत्य को समझने के लिए हमें मिलकर मंथन करना आवश्यक है। बाबा हमें सलाह देते हैं कि हम अपनी समझ को बढ़ाएं और सत्य की खोज करें।

लिंग परिवर्तन और पुनर्जन्म

क्या लिंग परिवर्तन संभव है?

बाबा के अनुसार, हम एक जन्म पुरुष बनते हैं और एक जन्म स्त्री। परंतु योनि का परिवर्तन संभव नहीं है। मनुष्य आत्मा केवल मनुष्य योनि में ही जन्म ले सकती है।

क्यों नहीं बन सकते हम पशु या पक्षी?

आत्माओं के संस्कार भिन्न होते हैं। जिस प्रकार नीम का वृक्ष केवल नीम के फल ही देगा, उसी प्रकार आत्मा अपने स्वभाव और संस्कारों के अनुसार शरीर धारण करती है।

पुनर्जन्म और लिंग परिवर्तन के प्रमाण

पुनर्जन्म के प्रमाण बताते हैं कि लिंग परिवर्तन संभव है।

  • महाभारत के शिखंडी – पिछले जन्म में स्त्री था, अगले जन्म में पुरुष बना।
  • दादी प्रकाशमणि – एक जन्म में लड़की, अगले जन्म में भिन्न लिंग में जन्म।

कार्मिक अकाउंट और लिंग परिवर्तन

हमारा लिंग परिवर्तन हमारे कर्मों पर निर्भर करता है। कार्मिक अकाउंट के अनुसार ही हमें शरीर मिलता है। यदि किसी आत्मा ने कुछ विशेष कर्म किए हैं, तो उसका अगला जन्म उसी अनुसार निर्धारित होता है।

सत्य युग और त्रेता में थर्ड जेंडर का अस्तित्व

सत्य युग और त्रेता में थर्ड जेंडर नहीं होता क्योंकि वहाँ पूर्ण पवित्रता होती है। विकृति द्वापर और कलियुग में आती है।

भक्ति मार्ग में अर्धनारीश्वर की अवधारणा

भक्ति मार्ग में अर्धनारीश्वर की कहानी आती है, परंतु यह केवल प्रतीकात्मक है। वास्तव में ऐसा कोई जीव नहीं होता जो आधा पुरुष और आधा स्त्री हो। बाबा हमें समझाते हैं कि यह केवल मान्यता है।

निष्कर्ष

हर आत्मा अपने कर्मों के अनुसार जन्म लेती है। बाबा हमें समझाते हैं कि हमें अपने संस्कारों को श्रेष्ठ बनाना है और न्यारे-प्यारे कर्म करने हैं। अकर्म का खाता खोलकर हम ऊँच पद प्राप्त कर सकते हैं और पदमा पदम पति बन सकते हैं।

ओम शांति – कौन बनेगा पदमा पदम पति?

प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न 1: पदमा पदम पति बनने का अर्थ क्या है?
उत्तर: पदमा पदम पति बनना एक उच्च आध्यात्मिक अवस्था को प्राप्त करना है, जिसमें आत्मा अपने श्रेष्ठ कर्मों के आधार पर पूर्णता को प्राप्त करती है और दिव्यता के पद को धारण करती है।

प्रश्न 2: पदमा पदम पति बनने के लिए कौन-कौन से गुण आवश्यक हैं?
उत्तर:

  1. न्यारे और प्यारे कर्म करना – संसार में रहते हुए भी संसार के प्रभाव से न्यारा रहना।
  2. अकर्म का खाता खोलना – ऐसे कर्म करना जो विकर्म न बनें और आत्मा की उन्नति करें।
  3. ज्ञान का मंथन करना – सत्य को पहचानने के लिए गहराई से विचार करना।
  4. सत्य के ज्ञाता बनना – अपनी समझ को बढ़ाना और सत्य की खोज करना।

प्रश्न 3: अकर्म का खाता खोलने का क्या अर्थ है?
उत्तर: अकर्म का अर्थ है ऐसे कर्म जो विकर्म न बनें और जो आत्मा को बंधन से मुक्त कर आत्मिक उन्नति की ओर ले जाएं।

प्रश्न 4: क्या आत्मा पुरुष और स्त्री दोनों रूपों में जन्म ले सकती है?
उत्तर: हाँ, बाबा के अनुसार आत्मा एक जन्म पुरुष और एक जन्म स्त्री बनती है, लेकिन योनि परिवर्तन संभव नहीं है। मनुष्य आत्मा केवल मनुष्य योनि में ही जन्म ले सकती है।

प्रश्न 5: क्या मनुष्य अगले जन्म में पशु या पक्षी बन सकता है?
उत्तर: नहीं, आत्मा अपने संस्कारों के अनुसार ही जन्म लेती है। जिस प्रकार नीम का वृक्ष नीम के फल ही देता है, उसी प्रकार आत्मा अपने कर्मों और संस्कारों के अनुसार ही मनुष्य के रूप में जन्म लेती है।

प्रश्न 6: क्या लिंग परिवर्तन संभव है?
उत्तर: हाँ, पुनर्जन्म के नियम के अनुसार आत्मा अपने कर्मों के अनुसार लिंग परिवर्तन कर सकती है। उदाहरण के रूप में महाभारत के शिखंडी का उल्लेख किया जाता है, जो पिछले जन्म में स्त्री था और अगले जन्म में पुरुष बना।

प्रश्न 7: सत्ययुग और त्रेतायुग में थर्ड जेंडर क्यों नहीं होता था?
उत्तर: सत्ययुग और त्रेतायुग में पूर्ण पवित्रता होती है, इसलिए वहाँ विकृति नहीं होती। थर्ड जेंडर जैसी अवधारणाएँ द्वापर और कलियुग में आती हैं, जब आत्मा की शुद्धता कम हो जाती है।

प्रश्न 8: भक्ति मार्ग में अर्धनारीश्वर की अवधारणा का क्या अर्थ है?
उत्तर: अर्धनारीश्वर केवल एक प्रतीकात्मक कथा है, जो यह दर्शाती है कि आत्मा में दोनों ऊर्जाओं (पुरुष और स्त्री) का संतुलन होता है। बाबा के अनुसार, वास्तव में ऐसा कोई जीव नहीं होता जो आधा पुरुष और आधा स्त्री हो।

प्रश्न 9: आत्मा अपने अगले जन्म का शरीर कैसे प्राप्त करती है?
उत्तर: आत्मा अपने कर्मों के अनुसार अगले जन्म का शरीर प्राप्त करती है। कार्मिक अकाउंट यह निर्धारित करता है कि आत्मा किस परिवार, समाज, और लिंग में जन्म लेगी।

प्रश्न 10: पदमा पदम पति बनने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक साधना क्या है?
उत्तर: सबसे महत्वपूर्ण साधना है बाबा की याद में रहना, अकर्म का खाता खोलना, और आत्मा को पवित्र व शक्तिशाली बनाना। जब आत्मा पूर्णता प्राप्त कर लेती है, तभी वह पदमा पदम पति बन सकती है।

निष्कर्ष:
हर आत्मा अपने कर्मों के अनुसार जन्म लेती है और पद प्राप्त करती है। बाबा हमें सिखाते हैं कि हमें अपने संस्कारों को श्रेष्ठ बनाकर, न्यारे-प्यारे कर्म करके और अकर्म का खाता खोलकर ऊँच पद प्राप्त करना चाहिए, जिससे हम पदमा पदम पति बन सकें।

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Avyakta Murli”10-05-1972
Avyakta Murli”17-05-1972

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