P-A(43)’God speaks-‘ Nischarayabuddhi Vijayanti, Preetabuddhi Vijayanti

आत्मा-पदम(43)’भगवानुवाच-‘निश्र्चयबुध्दि विजयन्ति, प्रीतबुद्धि विजयन्ति?

P-A-43’God speaks-‘ Nischarayabuddhi Vijayanti, Preetabuddhi Vijayanti

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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1. निश्चय बुद्धि विजयंती, प्रीत बुद्धि विजयंती

भगवान ने कहा है, “निश्चय बुद्धि विजयंती, प्रीत बुद्धि विजयंती”। ये महावाक्य आत्मा के जीवन में स्थिरता और सशक्तता का प्रतीक हैं। जब आत्मा का निश्चय दृढ़ हो और प्रेम परमात्मा से अडिग हो, तो वह हर परिस्थिति में विजयी होती है।

2. निश्चय बुद्धि: विश्वास और स्थिरता

निश्चय का अर्थ है ‘संशय नहीं है’। जब आत्मा परमात्मा पर निश्चय रखती है, तो वह हर स्थिति में स्थिर रहती है। किसी भी परिस्थिति में उसका विश्वास डगमगाता नहीं है, और वह सच्चे मार्ग पर चलते हुए जीवन के हर संघर्ष में विजय प्राप्त करती है।

3. प्रीत बुद्धि: परमात्मा से सच्चा प्रेम

प्रीत बुद्धि का अर्थ है, आत्मा का परमात्मा के साथ अटूट और निष्कलंक प्रेम। जो आत्मा सच्चा प्रेम रखती है, वह कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर लेती है। प्रेम में शक्ति होती है, और वह आत्मा को कभी थकने नहीं देता। किसी भी स्थिति में प्रेम के मार्ग पर चलना उसे विजय की ओर ले जाता है।

4. निश्चय बुद्धि और प्रीत बुद्धि के अर्थ

  • निश्चय बुद्धि: जिन आत्माओं को परमात्मा पर पूर्ण निश्चय है, वे हर परिस्थिति में विजय प्राप्त करती हैं। उनकी कोई हार नहीं होती, क्योंकि वे समझती हैं कि हर स्थिति में परमात्मा की मर्जी और मार्गदर्शन होता है।
  • प्रीत बुद्धि: जो आत्मा परमात्मा से सच्चा प्रेम रखती है, वह कभी किसी कठिनाई से हार नहीं मानेगी। प्रेम उसे मजबूत बनाता है, और हर कठिनाई को पार करने के लिए उसे प्रेरित करता है।

5. जीव घात और आत्म घात: यथार्थ ज्ञानी का दृष्टिकोण

जो आत्माएँ अपने कर्मों के प्रति सचेत हैं, वे कभी भी जीव घात या आत्म घात नहीं करेंगी। यथार्थ ज्ञानी आत्मा परमात्मा के ज्ञान के अनुसार अपने कर्मों का निर्धारण करती है। ऐसी आत्माएँ कर्मफल का रहस्य जानती हैं और हमेशा सही मार्ग पर चलती हैं।

6. परमात्मा का सहयोग: निश्चय बुद्धि का सत्य

जिन आत्माओं को परमात्मा पर पूर्ण निश्चय है, उन्हें परमात्मा का सहयोग और मार्गदर्शन मिलता है। परमात्मा हमेशा अपने भक्तों की सहायता करता है और उन्हें जीवन की हर कठिनाई से उबारता है। निश्चय बुद्धि रखने वाली आत्माएँ किसी भी परिस्थिति को संभालने में सक्षम होती हैं और कभी भी अस्थिर नहीं होतीं।

7. यथार्थ ज्ञानी की पहचान और उसका पुरुषार्थ

यथार्थ ज्ञानी आत्मा न केवल ज्ञान को जानती है, बल्कि उसे अपने जीवन में अनुभव और लागू भी करती है। वह हर परिस्थिति में अपने कर्मों को सुधारने और अपने भविष्य को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करती है। यथार्थ ज्ञानी के लिए जीव घात या आत्म घात असंभव होता है, क्योंकि वह जानता है कि हर परिस्थिति उसका कर्मफल है और वह उसे सुधारने के लिए पुरुषार्थ करता है।

8. निष्कर्ष: ईश्वरीय महावाक्य की प्रासंगिकता

ईश्वर के महावाक्य “निश्चय बुद्धि विजयंती” और “प्रीत बुद्धि विजयंती” आत्मा को हर परिस्थिति में सशक्त और स्थिर बनाते हैं। इन महावाक्य को आत्मसात करने वाली आत्माएँ कभी भी ऐसा कार्य नहीं करतीं जिससे उनका आत्मिक पतन हो। वे न केवल वर्तमान में सशक्त रहती हैं, बल्कि अपने भविष्य को भी श्रेष्ठ बनाती हैं।

9. प्रेरणा और मार्गदर्शन

हर आत्मा को परमात्मा पर पूर्ण निश्चय और प्रेम रखना चाहिए। निश्चय और प्रेम के माध्यम से आत्मा न केवल अपने वर्तमान को संभाल सकती है, बल्कि अपने भविष्य को भी श्रेष्ठ बना सकती है। ज्ञान का अनुभव करने से आत्मा को शक्ति मिलती है, और वह हर परिस्थिति में विजय प्राप्त करती है।

 

प्रश्न और उत्तर: 

प्रश्न 1:“निश्चय बुद्धि विजयंती, प्रीत बुद्धि विजयंती” का क्या अर्थ है?

उत्तर:यह महावाक्य आत्मा की स्थिरता और सशक्तता का प्रतीक है। जब आत्मा का निश्चय परमात्मा पर दृढ़ होता है और उसका प्रेम परमात्मा के प्रति अडिग होता है, तो वह आत्मा हर परिस्थिति में विजय प्राप्त करती है। इसका अर्थ है कि आत्मा निश्चय और प्रेम के साथ जीवन की हर कठिनाई पर विजय पा सकती है।

प्रश्न 2:निश्चय बुद्धि का क्या मतलब है?

उत्तर:निश्चय का अर्थ है ‘संशय नहीं है’। जब आत्मा का निश्चय परमात्मा पर होता है, तो वह हर परिस्थिति में स्थिर रहती है और उसका विश्वास डगमगाता नहीं है। वह हमेशा सत्य मार्ग पर चलती है और किसी भी संघर्ष से उबरकर विजय प्राप्त करती है।

प्रश्न 3:प्रीत बुद्धि का अर्थ क्या है?

उत्तर:प्रीत बुद्धि का अर्थ है आत्मा का परमात्मा के साथ अटूट और निष्कलंक प्रेम। जो आत्मा सच्चा प्रेम रखती है, वह किसी भी कठिनाई पर विजय प्राप्त करती है। प्रेम उसे शक्ति देता है और वह प्रेम के मार्ग पर चलते हुए हर समस्या को पार कर लेती है।

प्रश्न 4:निश्चय बुद्धि और प्रीत बुद्धि में क्या अंतर है?

उत्तर:

निश्चय बुद्धि: जिन आत्माओं का परमात्मा पर पूर्ण निश्चय होता है, वे हर परिस्थिति में विजय प्राप्त करती हैं। वे समझती हैं कि हर परिस्थिति में परमात्मा का मार्गदर्शन होता है।

प्रीत बुद्धि: जो आत्मा परमात्मा से सच्चा प्रेम रखती है, वह कभी भी किसी कठिनाई से हार नहीं मानती। प्रेम उसे अंदर से मजबूत बनाता है और वह हर चुनौती का सामना करती है।

प्रश्न 5:यथार्थ ज्ञानी का दृष्टिकोण जीव घात और आत्म घात पर क्या होता है?

उत्तर:यथार्थ ज्ञानी आत्मा परमात्मा के ज्ञान के अनुसार अपने कर्मों का निर्धारण करती है। वह कभी भी जीव घात या आत्म घात नहीं करती, क्योंकि वह जानती है कि हर परिस्थिति उसके पिछले कर्मों का परिणाम है और वह अपने कर्मों को सुधारने के लिए पुरुषार्थ करती है।

प्रश्न 6:परमात्मा का सहयोग निश्चय बुद्धि आत्मा को कैसे मिलता है?

उत्तर:जिन आत्माओं का परमात्मा पर पूर्ण निश्चय होता है, उन्हें परमात्मा का सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। परमात्मा उन्हें जीवन की हर कठिनाई से उबारता है और वे किसी भी स्थिति में स्थिर रहते हुए उसे संभालने में सक्षम होते हैं।

प्रश्न 7:यथार्थ ज्ञानी की पहचान क्या होती है और उसका पुरुषार्थ कैसा होता है?

उत्तर:
यथार्थ ज्ञानी वह आत्मा होती है जो परमात्मा के ज्ञान को केवल जानती नहीं, बल्कि उसे अपने जीवन में अनुभव और लागू भी करती है। वह हमेशा अपने कर्मों को सुधारने और अपने भविष्य को श्रेष्ठ बनाने का प्रयास करती है। यथार्थ ज्ञानी के लिए जीव घात और आत्म घात असंभव होते हैं, क्योंकि वह जानता है कि हर परिस्थिति उसका कर्मफल है और वह उसे सुधारने के लिए पुरुषार्थ करता है।

प्रश्न 8:ईश्वरीय महावाक्य “निश्चय बुद्धि विजयंती” और “प्रीत बुद्धि विजयंती” का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

उत्तर:यह महावाक्य आत्मा को स्थिर और सशक्त बनाते हैं। इन्हें आत्मसात करने वाली आत्माएँ कभी भी ऐसा कार्य नहीं करतीं जिससे उनका आत्मिक पतन हो। वे अपने वर्तमान को संभालने के साथ-साथ अपने भविष्य को भी श्रेष्ठ बनाती हैं और जीवन में हर परिस्थिति में विजय प्राप्त करती हैं।

प्रश्न 9:कैसे आत्मा अपने जीवन को निश्चय और प्रेम के साथ श्रेष्ठ बना सकती है?

उत्तर:आत्मा को परमात्मा पर पूर्ण निश्चय और प्रेम रखना चाहिए। निश्चय और प्रेम के माध्यम से आत्मा न केवल वर्तमान को संभाल सकती है, बल्कि भविष्य को भी श्रेष्ठ बना सकती है। ज्ञान का अनुभव करने से आत्मा को शक्ति मिलती है और वह हर परिस्थिति में विजय प्राप्त करती है।

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