P-P 65 “Paramatma: The seed form of human creation or the seed form of souls of all species

P-P 65 “परमात्मा:मनुष्य सृष्टि का बीजरूप या सर्व योनियों की आत्माओं का बीजरूप

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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कौन बनेगा पद्मा पदम पति? आज हम परम पिता परमात्मा के बारे में जानेंगे कि परमात्मा मनुष्य सृष्टि का बीज रूप या सर्व योनियों की आत्माओं का बीज रूप है? वास्तव में परमात्मा सर्व आत्माओं का बीज रूप है। वह न केवल मनुष्य आत्माओं का बल्कि सभी योनियों की आत्माओं का भी मूल स्रोत है।

मनुष्य आत्माओं को विशेष रूप से परमात्मा का बीज रूप कहा जाता है क्योंकि मनुष्य आत्माएं सर्व आत्माओं में श्रेष्ठ हैं। उनकी बुद्धिमता, चिंतनशीलता और आत्म-चिंतन की क्षमता उन्हें अन्य योनियों से अलग करती है। जब मनुष्य श्रेष्ठ बनते हैं तो उनके प्रभाव से अन्य सभी आत्माएं और सृष्टि के जड़-चेतन तत्व भी सकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं।

हमारे परिवर्तन से उनका परिवर्तन होता है। हमारे सुधरने से वे सुधर जाते हैं और हमारे बिगड़ने से वे बिगड़ जाते हैं। इसलिए, उन्हें हमारी भोग योनि कहा गया है। हमारी दृष्टि, वृति और व्यवहार ही उन्हें प्रभावित करता है। यदि हम योग करेंगे और अपने आप को सुधार लेंगे, तो हमारे विचार और दृष्टि भी बदल जाएंगे। तब हम किसी भी जीव-जंतु को दुख देने का संकल्प भी नहीं कर सकते।

हमें समझ में आ गया कि यदि हमने किसी भी जीव-जंतु की आत्मा को दुख दिया, तो वह दुख हमें उससे लेना पड़ेगा। इस कर्म के नियम से परमात्मा भी हमें बचा नहीं सकता। इसलिए, हमें सभी को स्वाभाविक रूप से सुख देना होगा ताकि वे भी हमें सुख दें।

कर्मों की गति अद्भुत है। हम जैसे कर्म करेंगे, वैसा ही हमें वापस मिलेगा। अब हम किसी भी जीव-जंतु, पशु-पक्षी, मकौड़े आदि को दुख नहीं दे सकते। यदि हम उन्हें सुख देंगे, तो वे भी हमें सुख देंगे। यह बहुत स्पष्ट बात है।

बाबा की पढ़ाई में संकल्पों को पकड़ने की क्षमता अधिक है। आत्मा, आत्मा ही होती है, चाहे वह किसी भी योनि में हो। हालांकि, वे विचारों को अभिव्यक्त नहीं कर सकते, लेकिन वे उन्हें समझ सकते हैं। वे हमारे वाइब्रेशन को महसूस करते हैं।

यदि हम किसी कुत्ते से प्रेमपूर्वक व्यवहार करें, तो वह तुरंत समझ जाता है। इसी तरह, अगर हम नकारात्मक ऊर्जा रखते हैं, तो वे भी उसे महसूस कर लेते हैं।

सर्व योनियों का बीज रूप

परमात्मा निराकार है और सर्व आत्माओं का कल्याण करने वाला है। हालांकि, वे सर्वव्यापी नहीं हैं। वे मनुष्य आत्माओं को पावन बनने की विधि सिखाते हैं, जिससे मनुष्य अपने संपर्क में आने वाली आत्माओं को भी पावन बना सकता है।

अब प्रश्न आता है कि परमात्मा केवल मनुष्य आत्माओं का बाप हैं या सर्व आत्माओं का?

उत्तर स्पष्ट है—परमात्मा सर्व आत्माओं के पिता हैं। उन्हें पशुपति नाथ भी कहा जाता है।

परमात्मा मनुष्य आत्माओं को ब्रह्मा के माध्यम से अडॉप्ट करते हैं। लेकिन वे पशु-पक्षियों को अडॉप्ट नहीं करते। वे केवल मनुष्य आत्माओं को पावन बनने की विधि सिखाते हैं, और जब मनुष्य पवित्र बनते हैं, तो उनके प्रभाव से अन्य जीव भी प्रभावित होते हैं।

परमात्मा का मुख्य उद्देश्य सभी आत्माओं को पावन बनाना है, लेकिन वे केवल मनुष्य आत्माओं को प्रत्यक्ष रूप से सिखाते हैं। बाकी आत्माओं को मनुष्य आत्माओं के माध्यम से पवित्रता प्राप्त होती है।

प्रजापिता ब्रह्मा की भूमिका

प्रजापिता ब्रह्मा को सर्व मनुष्य आत्माओं का बाप कहा गया है। वे मनुष्य आत्माओं को परमात्मा से जोड़ते हैं और उनके कर्म सुधारने में सहयोग करते हैं।

निष्कर्ष

परमात्मा केवल मनुष्य आत्माओं का बाप नहीं हैं, बल्कि वे सभी आत्माओं का बीज रूप और आधार हैं। वे मनुष्य तन में अवतरित होकर मनुष्य आत्माओं को परिवर्तन का मार्ग दिखाते हैं, जिससे सभी आत्माएं और जड़-चेतन तत्व पावन बनते हैं। यही कारण है कि परमात्मा को सर्व आत्माओं का बाप कहा जाता है।

कौन बनेगा पद्मा पदम पति? | सर्व आत्माओं का बीज रूप कौन है? | Brahma Kumaris Gyan

❓प्रश्न 1:“पद्मा पदम पति” किसे कहा जाता है और इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:“पद्मा पदम पति” उस आत्मा को कहा जाता है जो अपने पुण्य और श्रेष्ठ कर्मों के कारण पद्मों के मालिक बनते हैं। यह पद उस आत्मा को मिलता है जो परमात्मा की श्रीमत पर चलकर, ज्ञान, योग और सेवा द्वारा श्रेष्ठ भाग्य बनाता है।

❓प्रश्न 2:क्या परमात्मा केवल मनुष्य आत्माओं के पिता हैं या सभी योनियों की आत्माओं के भी?

उत्तर:परमात्मा सभी आत्माओं का पिता हैं। वे केवल मनुष्य आत्माओं को पढ़ाई सिखाते हैं, लेकिन जब मनुष्य आत्माएं पावन बनती हैं, तो उनके प्रभाव से अन्य योनियों की आत्माएं और प्रकृति भी पावन बनती है। इसलिए उन्हें सर्व आत्माओं का बीज रूप कहा जाता है।

❓प्रश्न 3:मनुष्य आत्माओं को ही बीज आत्माएं क्यों कहा जाता है?

उत्तर:क्योंकि मनुष्य आत्माएं ही चिंतनशील, निर्णय क्षमता वाली, और आत्म-सुधार के योग्य होती हैं। उनके कर्मों और संकल्पों से संपूर्ण सृष्टि प्रभावित होती है। जैसे बीज के सुधरने से पूरा वृक्ष सुधरता है, वैसे ही मनुष्य के परिवर्तन से सम्पूर्ण सृष्टि परिवर्तन होती है।

❓प्रश्न 4:क्या जानवर, पक्षी या अन्य योनियाँ हमारी सोच और संकल्पों को महसूस कर सकते हैं?

उत्तर:हाँ, वे हमारे वाइब्रेशन्स को महसूस कर सकते हैं। यदि हम प्रेम से व्यवहार करें तो वे भी प्रतिक्रिया में प्रेम दिखाते हैं। नकारात्मक ऊर्जा से वे असहज हो जाते हैं। यही कारण है कि बाबा हमें संकल्प शुद्ध रखने की शिक्षा देते हैं।

❓प्रश्न 5:परमात्मा सभी योनियों को पावन क्यों नहीं बनाते, केवल मनुष्य आत्माओं को क्यों सिखाते हैं?

उत्तर:परमात्मा केवल मनुष्य आत्माओं को सिखाते हैं क्योंकि केवल वही आत्माएं समझने, सुधारने और योग का अभ्यास करने में सक्षम हैं। बाकी योनियाँ उनके प्रभाव से पावन होती हैं, सीधा ज्ञान ग्रहण नहीं कर सकतीं।

❓प्रश्न 6:प्रजापिता ब्रह्मा की क्या भूमिका है इस ईश्वरीय ज्ञान में?

उत्तर:प्रजापिता ब्रह्मा परमात्मा के माध्यम हैं, जिनके द्वारा परमात्मा मनुष्य आत्माओं को अडॉप्ट करते हैं। वे इस यज्ञ के मुख हैं और सभी आत्माओं को परमात्मा से जोड़ने वाले मुख्य पात्र हैं।


❓प्रश्न 7:क्या हम अपने कर्मों द्वारा अन्य योनियों को भी सुख या दुख दे सकते हैं?

उत्तर:जी हाँ, जैसे हम मनुष्यों को अपने कर्मों से दुख या सुख देते हैं, वैसे ही जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों को भी दे सकते हैं। यदि हमने उन्हें दुख दिया, तो वह कर्म हमें किसी न किसी रूप में वापस मिलेगा।


❓प्रश्न 8:परमात्मा सर्व आत्माओं के लिए समान हैं, फिर भी फर्क क्यों पड़ता है?

उत्तर:फर्क आत्मा की ग्रहण शक्ति और पुरुषार्थ पर निर्भर करता है। भंडारा सबके लिए समान है, लेकिन जो जितना लेता है, वह उतना आगे बढ़ता है।


❓प्रश्न 9:ग्रहण शक्ति और पुरुषार्थ में क्या अंतर है?

उत्तर:ग्रहण शक्ति आत्मा की क्षमता है संकल्पों और ज्ञान को समाहित करने की।
पुरुषार्थ वह प्रयास है जिससे आत्मा उस शक्ति को प्राप्त करती है।
जितना पुरुषार्थ करेंगे, उतनी ग्रहण शक्ति जागेगी।


❓प्रश्न 10:निष्कर्ष क्या है?

उत्तर:परमात्मा सभी आत्माओं का बीज रूप हैं, लेकिन वे मनुष्य आत्माओं को प्रत्यक्ष पढ़ाते हैं ताकि वे स्वयं पावन बनें और उनके द्वारा अन्य आत्माएं और प्रकृति भी पावन बन सके। यही “कौन बनेगा पद्मा पदम पति” की सबसे गहरी समझ है।

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