P-P (68) ” The arrival of God and the Confluence Age

P-P 68 ” परमात्मा काआगमन और संगमयुग

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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हम पदमा पदम कैसे बनेंगे, इसी पुरुषार्थ में हम रोजाना मनन-चिंतन करते हैं, बाबा के ज्ञान का मंथन करते हैं। आज हमारा ज्ञान के मंथन का विषय है—परमात्मा का आगमन और संगम युग। परमात्मा आते हैं और संगम युग होता है, इसका क्या संबंध है? इसको हम देखेंगे।

क्या परमात्मा कल्प के पुरुषोत्तम संगम युग के अतिरिक्त किसी समय आता है?
इसका उत्तर क्या हो सकता है?
नहीं, बिल्कुल नहीं। विवेक कहता है कि परमात्मा केवल कल्प के संगम युग पर ही आते हैं, अन्य किसी भी समय पर नहीं।

क्या हमारे पास इसका कोई प्रमाण है?
यदि हम शास्त्रों को आधार मानें, तो गीता में बताया गया है—”जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मैं आता हूँ।”
बाबा ने भी कहा है कि जब मैं आता हूँ, तब सभी आत्माओं की चढ़ती कला होती है। तभी संगम युग शुरू होता है, तभी सतयुग का जन्म होता है, तभी कृष्ण का जन्म होता है। मेरा जन्म और तुम्हारा जन्म भी उसी समय होता है, गीता की जयंती होती है, राधा की जयंती होती है। हमारी सगाई और शादी भी उसी समय होती है।

सारा कुछ उसी समय होता है जब मैं आता हूँ। संगम युग तभी शुरू होता है। परमात्मा केवल 100 वर्ष के लिए आते हैं और ज्ञान देना शुरू करते हैं।
तो यह कहा जा सकता है कि बाबा के आने से संगम युग शुरू होता है। बाबा आए, तब उन्होंने सत्य ज्ञान दिया, और तब झूठ व सत्य का संगम शुरू हुआ।

बाबा आते ही हमें पढ़ाना शुरू करते हैं, ज्ञान देना शुरू करते हैं। काली जमुना तो बह ही रही थी, लेकिन गोरी गंगा को शिव बाबा ने आकर बहाया। पहले-पहले पार्ट में ही बताया कि “तुम आत्मा हो और मैं तुम आत्माओं का बाप हूँ।” यही सतयुग का पहला पार्ट है।

जैसे-जैसे ज्ञान बढ़ता गया, जैसे-जैसे हमारे में सुधार आता गया, सतयुग बढ़ता गया और हम संगम पर चले गए। एक तरफ पतित दुनिया थी और दूसरी तरफ स्वर्ग। हम उन दोनों के बीच में थे।

अब बाबा कहते हैं—
“बच्चे, एक तरफ आ जाओ, सतयुग में आ जाओ। दो नावों पर पैर मत रखो।”
दो नावें यानी दो दुनिया—पुरानी और नई। संगम युग तब तक रहता है जब तक दोनों दुनिया हैं। जब परिवर्तन होगा, तब काली दुनिया समाप्त हो जाएगी और गोरी दुनिया अपने सूक्ष्म स्वरूप में चली जाएगी।

बाबा ने अनेक बार स्पष्ट किया है कि उनका आगमन केवल संगम युग पर ही होता है। इस समय वे सत्य ज्ञान प्रदान करते हैं और राजयोग के माध्यम से पतित आत्माओं को पावन बनाते हैं। साथ ही, वे घर वापस ले जाने का कार्य भी करते हैं।

संगम युग पर ही सतयुग अर्थात स्वर्ग की स्थापना होती है और कलयुग, जो कि पुरानी दुनिया (नरक) है, का विनाश किया जाता है। यह चक्र नए रूप में आरंभ होता है। बाबा ने कहा है कि उनका पार्ट केवल संगम युग पर ही है।

परमात्मा मानव आत्माओं के बीच आकर उन्हें मार्गदर्शन देते हैं, और यह मार्गदर्शन पूरी दुनिया की आत्माओं को मिलता है, न कि गिनी-चुनी आत्माओं को।

परमात्मा और ड्रामा का नियम:
बाबा ने कहा—”विनाश काले विपरीत बुद्धि।”
यह भी ड्रामा बना हुआ है। यह ज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि यह सारा संसार एक बेहद का ड्रामा है, जो बार-बार दोहराया जाता है। अनगिनत बार दोहराया जा चुका है और अनगिनत बार दोहराया जाएगा।

बाबा स्वयं कहते हैं—
“मैं भी ड्रामा के बंधन में हूँ। मैं भी ड्रामा के नियमों के अनुसार एक्यूरेट टाइम पर इस संसार में पार्ट बजाने के लिए आता हूँ—न एक सेकंड पहले, न एक सेकंड बाद।”

परमात्मा को शरीर के बंधन में नहीं आना पड़ता, इसलिए जन्म-मरण के नियम उन पर लागू नहीं होते। लेकिन फिर भी, ड्रामा में जो निर्धारित है, वह ज्यों का त्यों होता है। बाबा का अवतरण बदल नहीं सकता—जिस समय होना है, जिस आत्मा में होना है, जैसे होना है, वही होगा।

इसका अर्थ यह है कि परमात्मा भी इस विश्व नाटक की मर्यादा का पालन करते हैं। वे बार-बार अवतरित नहीं होते, उनका आगमन केवल एक बार होता है—संगम युग पर।

दुनिया कहती है—
“वही परमात्मा सतयुग में विष्णु बनकर आ गया, त्रेता में राम बनकर आ गया, द्वापर में कृष्ण बनकर आ गया, अब हमारे गुरुजी बनकर आ गया।”
लोग अपने गुरु को भी भगवान मान लेते हैं।

परमात्मा जब आते हैं, तो उनके ऊपर दुनिया अत्याचार भी करती है। कृष्ण को भी तो बंदी बनाया गया था।
परमात्मा का आगमन केवल संगम युग पर ही होता है। बाबा ने स्पष्ट कहा कि भारतवासियों पर दुख बहुत आते हैं, लेकिन वे हर बार आकर उन्हें छुड़ाने का कार्य नहीं करते। उनका आगमन केवल संगम पर ही होता है, जब इस नाटक के अनुसार उनके आने का समय होता है।

संगम युग पर परमात्मा की भूमिका:

सत्य ज्ञान प्रदान करना

पतित आत्माओं को पावन बनाना

आत्माओं को उनकी सच्ची स्थिति का बोध कराना

आत्माओं को स्वर्ग के लिए तैयार करना

यही वह समय है जब परमात्मा मार्गदर्शन देते हैं और आत्माओं को उच्चतम स्थिति तक पहुँचाते हैं।

निष्कर्ष:
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि परमात्मा केवल संगम युग पर ही आते हैं और किसी अन्य समय पर नहीं।
उनका आगमन संगम युग का विशेष भाग है, जब वे सत्य ज्ञान देकर आत्माओं को पावन बनाते हैं और सतयुग की स्थापना के लिए आधार तैयार करते हैं।

बाबा ने स्वयं कहा है कि वे केवल संगम युग पर ही आते हैं और यह प्रक्रिया ड्रामा के नियमों के अंतर्गत होती है।

अधिक जानकारी के लिए प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के किसी भी सेवा केंद्र पर संपर्क करें।

📘 हम पदमा पदम कैसे बनेंगे? | प्रश्नोत्तरी – परमात्मा का आगमन और संगम युग


❓प्रश्न 1:क्या परमात्मा कल्प के पुरुषोत्तम संगम युग के अतिरिक्त किसी अन्य युग में आते हैं?

उत्तर:नहीं, बिल्कुल नहीं। परमात्मा केवल कल्प के संगम युग पर ही आते हैं, जब धर्म की हानि चरम पर होती है और आत्माएँ पतित अवस्था में पहुँच जाती हैं। यह आगमन केवल एक बार होता है।


❓प्रश्न 2:इसका प्रमाण हमें कहाँ से मिलता है?

उत्तर:शास्त्रों में, विशेष रूप से गीता में कहा गया है: “जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब मैं आता हूँ।” बाबा ने भी कहा है कि वे तब आते हैं जब आत्माओं की चढ़ती कला शुरू होती है—यही संगम युग का आरंभ है।


❓प्रश्न 3:क्या संगम युग परमात्मा के आने से शुरू होता है या पहले से होता है?

उत्तर:संगम युग परमात्मा के आने से ही शुरू होता है। जब परमात्मा सत्य ज्ञान देने के लिए आते हैं, तभी झूठ और सत्य का संगम आरंभ होता है, और तभी आत्माओं की पुनः आत्म-स्मृति की यात्रा प्रारंभ होती है।


❓प्रश्न 4:परमात्मा किस रूप में आकर हमें ज्ञान देते हैं?

उत्तर:परमात्मा शिव आत्मा के रूप में अव्यक्त दुनिया से आकर ब्रह्मा तन में प्रवेश करते हैं। वही “परमपिता परमात्मा शिव” हमें आत्मा और परमात्मा का सत्य परिचय देकर राजयोग सिखाते हैं।


❓प्रश्न 5:परमात्मा संगम युग पर क्या कार्य करते हैं?
उत्तर:

  1. सत्य ज्ञान प्रदान करते हैं।

  2. पतित आत्माओं को पावन बनाते हैं।

  3. आत्माओं को उनके सच्चे स्वरूप का बोध कराते हैं।

  4. राजयोग द्वारा आत्मा को पुनः सतोप्रधान बनाते हैं।

  5. घर वापसी (मोक्षधाम) का मार्ग दिखाते हैं।

  6. सतयुग की स्थापना की नींव रखते हैं।


❓प्रश्न 6:क्या परमात्मा का आगमन बार-बार होता है?

उत्तर:नहीं। परमात्मा का आगमन केवल एक बार, हर कल्प में संगम युग पर ही होता है। वे बार-बार नहीं आते। वे न जन्म लेते हैं, न मृत्यु को प्राप्त होते हैं। उनका आगमन ड्रामा के नियमों के अनुसार पूर्व निर्धारित होता है।


❓प्रश्न 7:क्या सभी आत्माओं को यह ज्ञान प्राप्त होता है?

उत्तर:हाँ, परमात्मा का ज्ञान समस्त आत्माओं के लिए होता है। लेकिन जो आत्माएँ पहले-पहले बाबा को पहचानती हैं, वे ही पदमा पदम बनती हैं और ब्राह्मण जीवन जीती हैं।


❓प्रश्न 8:दो नावों पर पैर रखना किसे कहा गया है?

उत्तर:एक ओर पुरानी दुनिया (कलियुग), दूसरी ओर नई दुनिया (सतयुग)। संगम युग वह मध्यकाल है जहाँ आत्मा को निर्णय लेना होता है—किस ओर जाना है। बाबा कहते हैं: “बच्चे, दो नावों पर पैर मत रखो। एक ओर आ जाओ—सतयुग की ओर।”


❓प्रश्न 9:परमात्मा भी ड्रामा के बंधन में कैसे हैं?

उत्तर:बाबा कहते हैं: “मैं भी ड्रामा के नियमों से बंधा हूँ। न एक सेकंड पहले, न एक सेकंड बाद, मैं ठीक समय पर आता हूँ।” उनका आगमन, माध्यम, और कार्य सब पूर्व निर्धारित हैं।


❓प्रश्न 10:पदमा पदम भाग्य किसका बनता है?

उत्तर:जो आत्मा संगम युग पर परमात्मा को पहचानकर उनके दिए ज्ञान और योग के अनुसार पुरुषार्थ करती है, वही आत्मा पदमा पदम भाग्य बनाती है। यह संगम युग ही आत्मा के सुधार और उन्नति का सुनहरा समय है।

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