P-P (71) “The omniscience of God and the actions of souls

P-P 71″परमात्मा की सर्वज्ञता और आत्माओं के कर्म

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“परमात्मा की सर्वज्ञता का रहस्य | क्या परमात्मा हमारे कर्मों को देखते हैं?”


🪔 भूमिका – आज का चिंतन

Om Shanti प्यारे आत्माओं,
आज हम एक अत्यंत गूढ़ और दिलचस्प विषय पर मंथन करेंगे –
“परमात्मा की सर्वज्ञता”
क्या परमात्मा सब कुछ जानते हैं?
क्या वे आत्माओं के कर्मों को देखते हैं और उनके फल तय करते हैं?

यह प्रश्न हर आध्यात्मिक जिज्ञासु के मन में आता है।
आइए, आज बाबा की श्रीमत से इस रहस्य को समझते हैं।


🔍 1. क्या परमात्मा हमारे हर कर्म को जानते हैं?

जी हां, परमात्मा सर्वज्ञ हैं –
वे जब चाहें तब जान सकते हैं।
परंतु वे हर समय हर बात जानने की शक्ति का उपयोग नहीं करते।

वे यह शक्ति नियम अनुसार और ड्रामा अनुसार ही प्रयोग करते हैं।
यही उनकी निर्लेपता और न्यायप्रियता का प्रमाण है।


📘 2. क्या परमात्मा कर्मों का फल निश्चित करते हैं?

यह एक बहुत सुंदर बात है –
परमात्मा फल नहीं देते, फल तो कर्म अनुसार मिलता है।

उन्हें किसी आत्मा के अच्छे-बुरे कर्मों की कोई लिस्ट नहीं रखनी पड़ती।
प्राकृतिक विधान के अनुसार
हर आत्मा को अपने कर्मों का फल स्वतः मिलता है।


📜 3. “कर्म को जानता हूं, जान सकता हूं” – इसका क्या अर्थ है?

बाबा कहते हैं –
“मैं कर्म को जानता हूं, जान सकता हूं।”
इसका अर्थ है –
अगर ड्रामा में जानना जरूरी होता है,
तो वे जान सकते हैं
पर ड्रामा से बाहर जाकर नहीं जानते।

वे किसी आत्मा का भाग, उसकी वृत्ति, और संकल्प को देखकर
सटीक मार्गदर्शन दे सकते हैं – पर वह भी ड्रामा अनुसार।


🌀 4. क्या परमात्मा सुख-दुख देते हैं?

यह बहुत गहरा प्रश्न है।
परमात्मा स्वयं किसी को सुख या दुख नहीं देते।
सुख-दुख तो आत्मा के कर्मों का स्वाभाविक फल हैं।

परमात्मा का कार्य है –
हमें ज्ञान देना,
मार्ग बताना,
और शक्ति देना,
ताकि हम स्वयं श्रेष्ठ कर्म कर सकें।


💫 5. परमात्मा ज्ञान का सागर – लेकिन नियम के अधीन

बाबा सब कुछ जान सकते हैं –
पर वे नियम से बंधे हुए हैं, क्योंकि वे भी आत्मा हैं।
ड्रामा की मर्यादा उनके लिए भी लागू होती है।

उदाहरण:
जब बाबा साकार में थे,
तो किसी को नौकरी या सेवा के लिए जो सलाह दी,
वह उनकी आत्मा की पहचान और ड्रामा अनुसार ही थी।


🧘‍♀️ 6. कर्मों का फल – एक स्वचालित विधान

हर आत्मा के कर्म और उसका फल –
इस अविनाशी नाटक का अटल नियम है।
जैसे किसी आत्मा को शरीर छोड़ना है,
तो तीन महीने पहले गर्भ तैयार हो जाता है।

यह प्रमाण है कि –
फल स्वतः कर्मानुसार मिलता है।
परमात्मा को उस फल को तय करने की आवश्यकता नहीं।


🌹 7. परमात्मा से संबंध – भय नहीं, प्यार से

परमात्मा का कार्य है –
हमें श्रीमत देना,
हमें स्मृति दिलाना कि हम कौन हैं,
और हमें याद के माध्यम से शक्ति देना।

इसलिए परमात्मा को भय से नहीं,
प्यार से याद करना – यही श्रेष्ठ है।

प्यार से याद करने से आत्मा
अति इंद्रिय सुख का अनुभव करती है
और भविष्य के लिए सुख का खाता जमा करती है।


🔔 निष्कर्ष – परमात्मा और कर्मों का सच्चा संबंध

  • परमात्मा का कार्य है – ज्ञान देना, मार्गदर्शन देना।

  • कर्म और फल का निर्धारण – प्राकृतिक विधान अनुसार होता है।

  • परमात्मा कर्मों के फल नहीं तय करते।

  • परमात्मा को याद करने से आत्मा को शक्ति मिलती है,
    जिससे वह स्वयं श्रेष्ठ कर्मों में सक्षम बनती है।

इसलिए कहा जाता है:
“सबसे ऊंच है – परमात्मा से प्यार भरी याद।”


🙏 समापन

प्यारे आत्माओं,
परमात्मा सर्वज्ञ हैं, परंतु वे नियमबद्ध हैं।
वे हमें स्वराज्य के अधिकारी बनाते हैं,
ताकि हम स्वयं अपने कर्मों के सच्चे मालिक बन सकें।

📌 शीर्षक: परमात्मा की सर्वज्ञता – वह सब कुछ कैसे जानता है? क्या वह हमारे कर्मों का फल देता है?


प्रश्न 1: क्या परमात्मा सब कुछ जानते हैं? क्या वे सर्वज्ञ हैं?

उत्तर:हाँ, परमात्मा शिव बाबा सर्वज्ञ हैं – यानी उन्हें संपूर्ण विश्व नाटक, सभी आत्माओं के पार्ट्स और कर्मों की जानकारी होती है।
बाबा ने कहा है:
“मैं कर्मों को जानता हूँ, जान सकता हूँ।”
यानी वे जब चाहें, तब ड्रामा के अनुसार जान सकते हैं – पर वे हर समय सब कुछ नहीं देखते। यह जानना भी नियम अनुसार होता है।


प्रश्न 2: क्या परमात्मा सभी आत्माओं के हर कर्म को देखते हैं और उसका फल तय करते हैं?

उत्तर:नहीं। परमात्मा कर्मों का फल तय नहीं करते।
कर्मों का फल आत्मा को स्वाभाविक प्राकृतिक नियम अनुसार मिलता है।
परमात्मा का कार्य है – सत्य ज्ञान देना, ताकि आत्मा श्रेष्ठ कर्म करे और अच्छा फल पाए।


प्रश्न 3: तो क्या परमात्मा हमारे कर्मों में हस्तक्षेप नहीं करते?

उत्तर:बिलकुल नहीं। परमात्मा ड्रामा पर पूरा विश्वास रखते हैं।
वे किसी आत्मा के कर्मों में हस्तक्षेप नहीं करते, ना ही किसी को सज़ा या इनाम देते हैं।
वे केवल आत्माओं को शक्ति देते हैं – जिससे आत्मा स्वयं श्रेष्ठ कर्म कर सके।


प्रश्न 4: अगर परमात्मा सब कुछ जानते हैं, तो क्या वे भविष्य बदल सकते हैं?

उत्तर:नहीं। परमात्मा स्वयं भी इस अनादि-अविनाशी ड्रामा के नियमों में बंधे हैं।
वे जानते हैं कि कौन आत्मा कब क्या पार्ट बजाएगी – लेकिन वे उस पार्ट को बदलते नहीं।
ड्रामा का हर सीन पूर्व-निर्धारित है। वे केवल मार्गदर्शन देते हैं।


प्रश्न 5: परमात्मा का कार्य क्या है अगर वे कर्मों का फल नहीं देते?

उत्तर:परमात्मा का कार्य है:
🔹 आत्माओं को ज्ञान देना
🔹 श्रीमत द्वारा श्रेष्ठ कर्म करने का मार्ग बताना
🔹 आत्माओं को शक्ति देना ताकि वे अपने कर्म सुधार सकें
🔹 आत्माओं को परम सुख की अनुभूति कराना


प्रश्न 6: क्या परमात्मा को डर से याद करना चाहिए या प्यार से?

उत्तर:बाबा कहते हैं: “मुझे प्यार से याद करो, डर से नहीं।”
प्यार से याद करने से आत्मा को शक्ति मिलती है, आत्मा हल्की हो जाती है और अति-इंद्रिय सुख का अनुभव करती है।


प्रश्न 7: अगर परमात्मा सर्वज्ञ हैं, तो क्या उन्हें सब पता चल जाता है बिना कहे?

उत्तर:हाँ, यदि ड्रामा में जानना आवश्यक है तो उन्हें सब कुछ पता चल जाता है।
उन्हें आत्माओं के संस्कार, उनके पार्ट्स, और आवश्यकता अनुसार जानकारी अपने आप इमर्ज हो जाती है।


🧘‍♀️ निष्कर्ष

🔹 परमात्मा सब कुछ जान सकते हैं – लेकिन वे ड्रामा के अनुसार ही जानते हैं।
🔹 वे कर्मों का फल तय नहीं करते – फल स्वतः कर्म अनुसार मिलता है।
🔹 परमात्मा मार्गदर्शक हैं, न्यायाधीश नहीं।
🔹 उन्हें याद करने से आत्मा को शक्ति मिलती है जिससे आत्मा श्रेष्ठ कर्म कर सकती है।

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