Padma-Shri Krishna (32) Jagadamba Saraswati is the father of Shri Krishna and Vishwa Kishore Bhau is the mother

पदम-श्री कृष्ण(32)जगदंबा सरस्वती श्री कृष्ण की पिता व विश्व किशोर भाऊ माता

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

YouTube player

श्री कृष्ण और श्री राधे के जन्म और सेवा के पार्ट का अद्वितीय संबंध

जन्म और जीत का गहन संबंध: आध्यात्मिक अर्थ

आज के दिन, जब सभी श्रेष्ठ आत्माएं बाबा के वतन में स्नेह से पहुंची, कुछ आत्माएं यज्ञ में शरीर छोड़कर सेवा में लगी हुई हैं। यह आत्माएं विश्व सेवा में अद्वितीय योगदान दे रही हैं। बाबा ने एडवांस पार्टी की आत्माओं के साथ हुई बातचीत का वर्णन किया और बताया कि वे आत्माएं अपने अलौकिक सेवा के विशेष कार्य को निभा रही हैं।

बाबा ने कहा कि श्री कृष्ण का जन्म और उनकी जीत का विशेष आध्यात्मिक अर्थ है। शास्त्रों में कहा गया है कि “जहां जीत वहां जन्म”, लेकिन बाबा ने स्पष्ट किया कि सही अर्थ “जहां जन्म वहां जीत” है। यह कथन गहरे आध्यात्मिक रहस्यों से भरा हुआ है।


जन्म और जीत का आध्यात्मिक अर्थ

आत्मा का श्रेष्ठ जन्म और जीत का संबंध

आत्मा जहां भी जन्म लेती है, वहां वह अपने कर्मों और संकल्पों के आधार पर जीत का अधिकार अर्जित करती है। यह जन्मसिद्ध अधिकार होता है।

जन्म का अर्थ केवल भौतिक जन्म नहीं

आत्मा का जन्म केवल भौतिक नहीं होता, बल्कि यह किसी विशेष स्थिति में प्रवेश करने का भी संकेत करता है।

  • भौतिक जन्म: आत्मा का शरीर में प्रवेश।
  • अलौकिक जन्म: आत्मा जब विकारों से मुक्त होकर अपनी शुद्ध अवस्था में आती है।

उदाहरण के रूप में, डाकू वाल्मीकि को जब ज्ञान प्राप्त हुआ, तो उनका नया जन्म हुआ और वे संत बन गए। इसी प्रकार, आत्मा जब अपने मूल स्वरूप को पहचानती है, तो वह विजयी बनती है।


जन्म और सेवा का संबंध

आत्मा को जन्म वहीं मिलता है जहां उसकी विशेष सेवा होनी होती है। इसका अर्थ है कि आत्मा अपने जन्म के उद्देश्य को पूरा करके आत्मिक परिवार और सृष्टि के कल्याण में योगदान देती है। इस प्रक्रिया में, वह अपने कर्मों को श्रेष्ठ बनाकर जीत प्राप्त करती है।

आध्यात्मिक जीत क्या है?

आध्यात्मिक जीत का अर्थ है आत्मा का अपने भीतर के विकारों पर विजय प्राप्त कर आत्मा रूपी सिंहासन पर स्थापित होना।

  • आत्मा जब काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार पर विजय प्राप्त कर स्वयं का सच्चा राजा बनती है, तभी वह वास्तविक रूप से विजयी होती है।
  • जब आत्मा अपने चारों ओर शुभ वायुमंडल बनाकर दूसरों को उन्नति का मार्ग दिखाती है, तब वह न केवल स्वयं को बल्कि दूसरों को भी जीत दिलाने का माध्यम बनती है।

आत्मा की जीत और विश्व नाटक का संबंध

जहां जन्म वहां जीत का संबंध सृष्टि के विश्व नाटक की मर्यादा से भी जुड़ा हुआ है।

  • आत्मा अपने निर्धारित स्थान और समय पर जन्म लेती है, और फिर सृष्टि के विनाश और निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाती है।
  • आत्मा को अपने कर्मों से सृष्टि बनानी है, नई रचना करनी है, या विनाश की प्रक्रिया को पूरा करना है।
  • इस जीत के पीछे आत्मा की सेवा और उसके प्रयासों का प्रभाव होता है।

उदाहरण: श्री कृष्ण और ब्रह्मा बाबा

श्री कृष्ण का जन्म और जीत

श्री कृष्ण का जन्म परिस्थितियों को बदलने और धर्म की स्थापना के लिए हुआ। उन्होंने हर परिस्थिति में जीत हासिल की और अपने कर्मों से श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया।

ब्रह्मा बाबा की आध्यात्मिक जीत

ब्रह्मा बाबा ने अपने जन्म के स्थान पर कर्मयोगी बनकर श्रेष्ठ कर्म किए। उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान को फैलाकर आत्माओं को जागृत किया और एक नई सृष्टि की नींव रखी।


निष्कर्ष

“जहां जन्म वहां जीत” का संदेश हमें यह सिखाता है कि आत्मा का हर जन्म उद्देश्यपूर्ण होता है। यदि आत्मा अपने संकल्प, विचार और कर्मों को दिव्य बनाती है, तो वह हर परिस्थिति में जीत प्राप्त कर सकती है। यह जीत आत्मा की अपनी आत्मिक स्थिति, ज्ञान और शक्तियों का परिणाम होती है।

मुख्य बिंदु:

  • विकारों पर विजय प्राप्त कर आत्मा सच्ची जीत प्राप्त करती है।
  • जन्म के द्वारा सेवा और उसकी महत्ता को समझना आवश्यक है।
  • साकार सेवा धारी की भूमिका समाप्त होने के बाद नया राज्य स्थापित होने लगता है।
  • एडवांस ग्रुप और विशेष आत्माओं का योगदान इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विशेष आत्माएं जो एडवांस पार्टी में कार्यरत हैं, वे सृष्टि की नवीन स्थापना के लिए कार्यरत हैं। वे दिव्य जन्म द्वारा एक नए युग की स्थापना में निमित्त बनती हैं।


भविष्य की तैयारी और दिव्य जन्म

जन्मस्थान और स्थिति की तैयारी

जैसे विनाशकारी प्रक्रिया के लिए विशेष आत्माएं रुकी हुई हैं, वैसे ही दिव्य जन्म द्वारा स्थापना करने के लिए भी एडवांस सेवा की पार्टी तैयार हो रही है।

पहले कृष्ण फिर राधे सिद्धांत का अर्थ

बाबा ने मुरली में स्पष्ट किया है कि पहले कृष्ण का जन्म होगा और फिर राधे का।

  • जन्मस्थान और स्थिति की संपूर्ण तैयारी के बाद राधे का जन्म होगा।
  • यह स्थापना की अद्भुत प्रक्रिया है जिसमें आत्माएं विशेष सेवा निभा रही हैं।

विशेष आत्माओं की भूमिका और संगठन

सेवा की समाप्ति के साथ ही नए राज्य की स्थापना का कार्य आरंभ होगा। विशेष आत्माएं इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।


अंतिम संदेश

जहां जन्म वहां जीत का आध्यात्मिक संदेश हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपने जीवन में श्रेष्ठ संकल्प और दिव्य कर्मों को अपनाएं। बाबा हमें यह सिखाते हैं कि आत्मा का प्रत्येक जन्म एक विशेष उद्देश्य से जुड़ा होता है। इस उद्देश्य को पहचानकर, हम न केवल अपनी आत्मा को उन्नत बना सकते हैं बल्कि पूरे विश्व के कल्याण में योगदान दे सकते हैं।

📜 श्री कृष्ण और श्री राधे के जन्म और सेवा के पार्ट का अद्वितीय संबंध – प्रश्न और उत्तर

1.प्रश्न श्री कृष्ण के जन्म और जीत का आध्यात्मिक संबंध क्या है?

उत्तर🔹 शास्त्रों में कहा गया है, “जहां जीत वहां जन्म,” लेकिन बाबा स्पष्ट करते हैं कि सही अर्थ है “जहां जन्म वहां जीत।”
🔹 आत्मा जहां भी जन्म लेती है, वहां अपने कर्मों और संकल्पों के आधार पर जीत का अधिकार अर्जित करती है।
🔹 यह जन्म केवल भौतिक नहीं, बल्कि आत्मा का शुद्ध अवस्था में आना भी एक नया जन्म है।

2.प्रश्न जन्म का आध्यात्मिक अर्थ क्या होता है?

उत्तर🔹 जन्म केवल भौतिक शरीर में प्रवेश नहीं होता, बल्कि यह आत्मा की अवस्था में परिवर्तन का भी संकेत है।
🔹 दो प्रकार के जन्म होते हैं:
1️⃣ भौतिक जन्म – जब आत्मा शरीर धारण करती है।
2️⃣ अलौकिक जन्म – जब आत्मा विकारों से मुक्त होकर अपनी दिव्यता को पहचानती है।
🔹 जैसे डाकू वाल्मीकि का ज्ञान प्राप्त कर संत बनना, एक नया जन्म था।

3.प्रश्न जन्म और सेवा का क्या संबंध है?

उत्तर🔹 आत्मा को जन्म वहीं मिलता है जहाँ उसकी विशेष सेवा होनी होती है।
🔹 आत्मा का जन्म सेवा के उद्देश्य से होता है, जिससे वह सृष्टि के कल्याण में योगदान दे सके।
🔹 जब आत्मा अपने श्रेष्ठ कर्मों द्वारा सेवा करती है, तो वह जीत प्राप्त करती है।

4.प्रश्न आध्यात्मिक जीत का क्या अर्थ है?

उत्तर🔹 आत्मा की सच्ची जीत यह नहीं कि वह बाहरी युद्ध जीते, बल्कि अपने अंदर के विकारों पर विजय प्राप्त करे।
🔹 जब आत्मा काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से मुक्त होकर अपने मूल स्वरूप में स्थित होती है, तभी वह विजयी बनती है।
🔹 जो आत्मा स्वयं को सशक्त बनाकर दूसरों को भी जागृत करती है, वही सच्ची जीत हासिल करती है।

5.प्रश्न आत्मा की जीत और विश्व नाटक में क्या संबंध है?

उत्तर🔹 आत्मा का जन्म और उसकी जीत विश्व नाटक के अनुसार पहले से तय है।
🔹 आत्मा अपने संकल्पों और कर्मों के अनुसार ही सृष्टि निर्माण या परिवर्तन में योगदान देती है।
🔹 नई सृष्टि का निर्माण आत्माओं की सेवा और उनके दिव्य कर्मों के द्वारा ही संभव होता है।

6.प्रश्न श्री कृष्ण का जन्म और ब्रह्मा बाबा की आध्यात्मिक जीत में क्या समानता है?

उत्तर🔹 श्री कृष्ण का जन्म धर्म की स्थापना और परिस्थितियों को बदलने के लिए हुआ।
🔹 उन्होंने हर परिस्थिति में जीत हासिल की और श्रेष्ठ कर्मों से उदाहरण प्रस्तुत किया।
🔹 ब्रह्मा बाबा ने अपने जन्म के स्थान पर रहकर श्रेष्ठ कर्मों द्वारा नई सृष्टि की नींव रखी।

7.प्रश्न “जहां जन्म वहां जीत” का आध्यात्मिक संदेश क्या है?

उत्तर🔹 आत्मा का हर जन्म उद्देश्यपूर्ण होता है।
🔹 जब आत्मा अपने संकल्प, विचार और कर्मों को दिव्य बनाती है, तो हर परिस्थिति में विजयी बनती है।
🔹 यह जीत आत्मा की शक्तियों, ज्ञान और आत्मिक स्थिति का परिणाम होती है।

8.प्रश्न एडवांस ग्रुप और विशेष आत्माओं की भूमिका क्या है?

उत्तर🔹 एडवांस पार्टी की आत्माएं यज्ञ में शरीर छोड़कर भी सेवा में लगी रहती हैं।
🔹 ये आत्माएं सृष्टि की नवीन स्थापना में निमित्त बनती हैं।
🔹 वे अपने दिव्य जन्म द्वारा नए युग की स्थापना में योगदान देती हैं।

9प्रश्न. पहले कृष्ण फिर राधे सिद्धांत का क्या अर्थ है?

उत्तर🔹 बाबा ने स्पष्ट किया कि पहले श्री कृष्ण का जन्म होगा और फिर श्री राधे का।
🔹 जन्मस्थान और परिस्थिति की संपूर्ण तैयारी के बाद राधे का जन्म होगा।
🔹 यह स्थापना की अद्भुत प्रक्रिया है, जिसमें आत्माएं विशेष सेवा निभा रही हैं।

10.प्रश्न अंतिम संदेश: हम अपने जीवन में इस ज्ञान को कैसे अपनाएं?

उत्तर🔹 आत्मा को अपने जन्म के उद्देश्य को पहचानकर श्रेष्ठ संकल्पों और दिव्य कर्मों का पालन करना चाहिए।
🔹 हमें विकारों पर विजय प्राप्त कर अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित होना चाहिए।
🔹 बाबा हमें सिखाते हैं कि आत्मा का प्रत्येक जन्म विश्व कल्याण से जुड़ा होता है, इसलिए हमें अपनी आत्मा को जागृत कर, सृष्टि के कल्याण में योगदान देना चाहिए।

🙏 “जहां जन्म वहां जीत” का गूढ़ रहस्य हमें यह प्रेरणा देता है कि यदि हम अपने आत्मिक स्वरूप को पहचानें, तो हर परिस्थिति में विजयी हो सकते हैं। ✨

श्री कृष्ण, श्री राधे, जन्म और सेवा, आध्यात्मिक अर्थ, बाबा, एडवांस पार्टी, विश्व सेवा, आत्मा का जन्म, विकारों पर विजय, आध्यात्मिक जीत, कर्मयोगी, ब्रह्मा बाबा, धर्म की स्थापना, सृष्टि निर्माण, आत्मिक परिवार, दिव्य जन्म, विजय, संत, वतन, आध्यात्मिक संदेश, साकार सेवा, यज्ञ, आत्मिक कल्याण, विशेष आत्माएं, विश्व नाटक, कृष्ण राधे सिद्धांत, स्थापना की प्रक्रिया, नए युग, आत्मिक स्थिति, दिव्य कर्म, नए राज्य की स्थापना, विशेष सेवा, आध्यात्मिक ज्ञान, शक्ति, विनाश और निर्माण, श्री कृष्ण का जन्म, राधे का जन्म, ध्यान, ब्रह्मा कुमारी,

Shri Krishna, Shri Radhe, Birth and Service, Spiritual Meaning, Baba, Advance Party, World Service, Birth of Soul, Victory over Disorders, Spiritual Victory, Karmayogi, Brahma Baba, Establishment of Religion, Creation of Universe, Soul Family, Divine Birth, Victory, Saint, Homeland, Spiritual Message, Saakar Service, Yajna, Soul Welfare, Special Souls, World Drama, Krishna Radhe Principle, Process of Establishment, New Age, Soul Condition, Divine Actions, Establishment of New Kingdom, Special Service, Spiritual Knowledge, Power, Destruction and Creation, Birth of Shri Krishna, Birth of Radhe, Meditation, Brahma Kumari,