Pitr Paksh (15)Are those who do not believe in Shraddha wrong?

पितृपक्ष में श्राध्द रहस्यः-(15)क्या श्राद्ध ना मानने वाले लोग गलत हैं?

 

(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

1. प्रस्तावना: क्या श्राद्ध ना मानने वाले लोग गलत हैं?

आज हम 15वां विषय सीखेंगे।
सवाल यह है कि जो लोग श्राद्ध को नहीं मानते, क्या वे गलत हैं?
समाज में यह धारणा बनी हुई है कि हर व्यक्ति को श्राद्ध करना ही चाहिए।
अगर कोई नहीं करता, तो उसे दोषी या अधर्मी माना जाता है।

मुरली नोट:
बाबा ने मुरली में जो समझाया, वह बच्चों को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है।


2. सामाजिक दबाव बनाम व्यक्तिगत सोच

समाज कहता है कि श्राद्ध जरूरी है।
लेकिन आत्मा का नियम अलग है।

मुरली नोट (18 सितंबर 1925):
आत्मा शरीर छोड़ते ही अपने कर्म अनुसार तुरंत नया शरीर ले लेती है।
आत्मा को अन्न-पानी की कोई आवश्यकता नहीं होती।

उदाहरण:
जैसे जन्म-जन्मांतर में आत्मा अपने कर्म अनुसार परिवार चुनती है, वैसे ही श्राद्ध करना या ना करना उसकी स्थिति पर असर नहीं डालता।

निष्कर्ष:
श्राद्ध करना या ना करना आत्मा की स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं डालता।


3. श्राद्ध किस मार्ग का हिस्सा है?

साकार मुरली 20 सितंबर 2017:
श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान—all भक्ति मार्ग की परिस्थितियां हैं।
इनसे आत्मा को शक्ति या शांति नहीं मिलती।

व्याख्या:
जो लोग श्राद्ध नहीं मानते, वे गलत नहीं हैं।
असली शांति और शक्ति का साधन यह नहीं है।


4. असली तृप्ति कहाँ से आती है?

साकार मुरली 22 सितंबर 2016:
शिव बाबा कहते हैं—
“पिताओं को तृप्त करने वाले तुम बच्चे हो। तुम ज्ञान का भोजन खिलाते हो।”

व्याख्या और उदाहरण:
यदि कोई बीमार व्यक्ति को केवल मिठाई खिलाई जाए और असली दवाई ना दी जाए, तो क्या उसकी बीमारी ठीक होगी?
ठीक उसी तरह, श्राद्ध केवल मिठाई है।
आत्मा को दवाई यानी ज्ञान और योग चाहिए।

निष्कर्ष:
श्रद्धा आत्मा की स्थिति बदलने का साधन नहीं है।


5. सच्चा श्राद्ध

आत्मा का सुधार ज्ञान, योग और पवित्रता से होता है।
इसलिए सच्चा श्राद्ध है:

“आत्मा को ईश्वर का ज्ञान और शक्ति देना।”


मुख्य सीख:

  • श्राद्ध ना करना गलत नहीं है।

  • आत्मा की शांति और तृप्ति ईश्वर के ज्ञान और योग बल से होती है।

  • सामाजिक दबाव और व्यक्तिगत सोच में अंतर समझें।

  • सच्चा श्राद्ध आत्मा को शक्ति और ज्ञान देना है, केवल अनुष्ठान नहीं।

  • श्राद्ध का रहस्य: क्या श्राद्ध ना मानने वाले लोग गलत हैं?

    प्रस्तावना

    सवाल 1: जो लोग श्राद्ध नहीं करते, क्या वे गलत हैं?
    उत्तर: नहीं। समाज में यह धारणा है कि हर व्यक्ति को श्राद्ध करना चाहिए। लेकिन वास्तविकता यह है कि आत्मा की स्थिति श्राद्ध करने या ना करने से प्रभावित नहीं होती।

    मुरली नोट: बाबा ने बच्चों को ध्यान में रखते हुए मुरली में समझाया कि आत्मा का नियम अलग है।


    सवाल 2: समाज और व्यक्तिगत सोच में क्या अंतर है?

    उत्तर:

    • समाज कहता है कि श्राद्ध करना जरूरी है।

    • लेकिन आत्मा का नियम यह है कि जन्म-मृत्यु और कर्म के अनुसार आत्मा का जीवन चलता रहता है।

    • मुरली नोट (18 सितंबर 1925): आत्मा शरीर छोड़ते ही अपने कर्म अनुसार नया शरीर ले लेती है। उसे अन्न-पानी की कोई आवश्यकता नहीं होती।

    उदाहरण:
    जन्म-जन्मांतर में आत्मा अपने कर्म अनुसार परिवार चुनती है। ठीक उसी तरह, श्राद्ध करना या ना करना उसकी स्थिति पर असर नहीं डालता।

    निष्कर्ष: श्राद्ध करना या ना करना आत्मा की स्थिति बदलने का साधन नहीं है।


    सवाल 3: श्राद्ध किस मार्ग का हिस्सा है?

    उत्तर:

    • साकार मुरली (20 सितंबर 2017) में बताया गया: श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान—all भक्ति मार्ग की परिस्थितियां हैं।

    • ये आत्मा को शक्ति या शांति नहीं दे सकते।

    व्याख्या: जो लोग श्राद्ध नहीं मानते, वे गलत नहीं हैं। असली शक्ति और शांति का साधन यह नहीं है।


    सवाल 4: असली तृप्ति कहाँ से आती है?

    उत्तर:

    • साकार मुरली (22 सितंबर 2016): शिव बाबा कहते हैं—
      “पिताओं को तृप्त करने वाले तुम बच्चे हो। तुम ज्ञान का भोजन खिलाते हो।”

    उदाहरण और व्याख्या:

    • यदि कोई बीमार व्यक्ति को केवल मिठाई दी जाए और असली दवाई ना दी जाए, तो क्या उसकी बीमारी ठीक होगी? नहीं।

    • ठीक उसी तरह, श्राद्ध केवल मिठाई है। आत्मा को असली दवा यानी ज्ञान और योग चाहिए।

    निष्कर्ष: श्रद्धा आत्मा की स्थिति बदलने का साधन नहीं है।


    सवाल 5: सच्चा श्राद्ध क्या है?

    उत्तर:

    • आत्मा का सुधार ज्ञान, योग और पवित्रता से होता है।

    • इसलिए सच्चा श्राद्ध है: “आत्मा को ईश्वर का ज्ञान और शक्ति देना।”

    मुख्य सीख:

    1. श्राद्ध ना करना गलत नहीं है।

    2. आत्मा की शांति और तृप्ति ईश्वर के ज्ञान और योग बल से होती है।

    3. सामाजिक दबाव और व्यक्तिगत सोच में अंतर समझें।

    4. सच्चा श्राद्ध आत्मा को शक्ति और ज्ञान देना है, केवल अनुष्ठान नहीं।

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