पितृपक्ष में श्राध्द रहस्यः-(20)क्या राजयोग ध्यान से पितरों को शांति दी जा सकती है?
पितृ पक्ष में श्राद्ध का रहस्य
30वां पॉइंट – क्या राजयोग ध्यान से पितरों को शांति दी जा सकती है?
पितृ शांति का सवाल
लोग पीढ़ियों से मानते आए हैं कि पितरों को शांति दिलाने के लिए श्राद्ध, पिंडदान और पुण्य जरूरी है।
लेकिन क्या सच में यही मार्ग है,
या फिर राजयोग ध्यान ही पितरों को शांति दिलाने का असली साधन है?
आत्मा की असली जरूरत
साकार मुरली 18 सितंबर 2015 – शिव बाबा कहते हैं:
“आत्मा की तृप्ति अन्न-पानी से नहीं होती।
आत्मा की भूख है शांति और शक्ति।
वो केवल परमात्मा की याद से ही मिल सकती है।”
इसका अर्थ है कि पितरों को वास्तविक शांति योग बल से ही मिलती है।
राजयोग की शक्ति
साकार मुरली 22 सितंबर 2016 – शिव बाबा कहते हैं:
“सच्चा श्राद्ध है आत्माओं को ईश्वर की याद का अन्न खिलाना।
वही राजयोग से संभव है।”
राजयोग में हम आत्मा को परमपिता शिव से जोड़ते हैं।
जब हम योग में बैठते हैं तो उसका स्पंदन आत्माओं तक पहुंचता है।
उसके वाइब्रेशन आत्माओं तक पहुंचकर उन्हें शांति का अनुभव कराते हैं।
क्यों केवल राजयोग से ही शांति संभव है?
क्योंकि परमात्मा शिव ही शांति का सागर हैं।
जब आत्मा उनसे कनेक्ट होती है तभी सच्ची शांति और शक्ति मिलती है।
राजयोग वही मार्ग है जिससे हम और पितृ आत्माएं दोनों ही शक्ति पा सकते हैं।
उदाहरण
मान लीजिए कोई व्यक्ति अंधेरे कमरे में बैठा हो।
आप उसे मिठाई, फल या पानी पहुंचा दो – क्या उसे रोशनी मिलेगी?
नहीं।
उसके लिए सिर्फ लाइट ऑन करना ही समाधान है।
उसी तरह पितरों की आत्मा अज्ञान के अंधकार में है।
उनकी असली रोशनी है परमात्मा की याद।
और यह केवल राजयोग ध्यान से संभव है।
निष्कर्ष
-
पितरों की शांति दान, पुण्य या कर्मकांड से नहीं मिलती।
-
आत्मा की तृप्ति का असली भोजन है ज्ञान और योग बल।
-
राजयोग ध्यान से ही हम आत्माओं को शांति और शक्ति पहुंचा सकते हैं।
-
इसलिए पितृ शांति का सच्चा मार्ग है – राजयोग ध्यान।
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क्या राजयोग ध्यान से पितरों को शांति दी जा सकती है?
प्रश्न 1:
समाज में पितृ शांति के लिए कौन-से साधन माने जाते हैं?
उत्तर:
लोग पीढ़ियों से मानते आए हैं कि पितरों को शांति दिलाने के लिए श्राद्ध, पिंडदान और पुण्य जरूरी है।
लेकिन वास्तव में आत्मा की शांति इन कर्मकांडों से नहीं मिलती, बल्कि राजयोग ध्यान से ही संभव है।
प्रश्न 2:
आत्मा की असली जरूरत क्या है?
उत्तर:
साकार मुरली – 18 सितम्बर 2015 में शिव बाबा ने कहा:
“आत्मा की तृप्ति अन्न-पानी से नहीं होती। आत्मा की भूख है शांति और शक्ति। वो केवल परमात्मा की याद से ही मिल सकती है।”इसका अर्थ है कि आत्मा की असली जरूरत है शांति और शक्ति, और वह केवल ईश्वर स्मृति से ही पूरी होती है।
प्रश्न 3:
सच्चा श्राद्ध क्या है?
उत्तर:
साकार मुरली – 22 सितम्बर 2016 में शिव बाबा ने कहा:
“सच्चा श्राद्ध है आत्माओं को ईश्वर की याद का अन्न खिलाना। वही राजयोग से संभव है।”राजयोग के माध्यम से हम आत्मा को परमपिता शिव से जोड़ते हैं, और वही असली श्राद्ध है।
प्रश्न 4:
राजयोग की शक्ति आत्माओं तक कैसे पहुँचती है?
उत्तर:
जब हम योग में बैठते हैं, तो परमात्मा से जुड़कर शांति और शक्ति प्राप्त करते हैं।
उसके वाइब्रेशन और स्पंदन पितृ आत्माओं तक पहुँचते हैं और उन्हें गहरी शांति का अनुभव कराते हैं।
प्रश्न 5:
क्यों केवल राजयोग से ही शांति संभव है?
उत्तर:
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क्योंकि परमात्मा शिव ही शांति के सागर हैं।
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आत्मा उनसे जुड़कर ही सच्ची शक्ति और शांति प्राप्त करती है।
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दान, पुण्य या कर्मकांड केवल प्रतीकात्मक हैं, वे आत्मा की भूख नहीं मिटाते।
प्रश्न 6:
इस सत्य को उदाहरण से कैसे समझाया जा सकता है?
उत्तर:
मान लीजिए कोई व्यक्ति अंधेरे कमरे में बैठा हो।
आप उसे मिठाई, फल या पानी दे दो – क्या उसे रोशनी मिलेगी नहीं।
उसके लिए सिर्फ लाइट ऑन करना ही समाधान है।इसी प्रकार, पितरों की आत्माएँ अज्ञान के अंधकार में हैं।
उनकी असली रोशनी है – परमात्मा की याद, और वह केवल राजयोग ध्यान से ही मिल सकती है।
प्रश्न 7:
अंतिम निष्कर्ष क्या है?
उत्तर:
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पितरों की शांति दान, पुण्य या कर्मकांड से नहीं मिलती।
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आत्मा की तृप्ति का असली भोजन है ज्ञान और योग बल।
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राजयोग ध्यान से ही हम आत्माओं को शांति और शक्ति पहुँचा सकते हैं।
- Disclaimer: यह वीडियो केवल आध्यात्मिक अध्ययन और चिंतन के उद्देश्य से है। इसका मकसद किसी भी धार्मिक परंपरा, संस्कृति या भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है। यहाँ व्यक्त विचार शिव बाबा की मुरली और ईश्वरीय ज्ञान पर आधारित हैं। कृपया इसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ही देखें।
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