Pratyaksha-padam(143) Divine glimpse of the final scene

प्रत्यक्षता-पदम(143)अंतिम दृश्य की दिव्या झलक

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

YouTube player

अंतिम दृश्य की दिव्य झलक

अब से फ़रिश्ता स्वरूप धारण करें

अभी से त्रिकालदर्शी बनकर देखो कि अंतिम दृश्य कितना सुन्दर होगा!

हम सब सजे-सजाए दिव्य गुण मूर्त फरिश्ते और देवता रूप में प्रत्यक्ष होंगे।

 अंतिम दृश्य सौंदर्य और दिव्यता का अद्भुत संगम

  1. चारों ओर ज्योतिर्मय दृश्य होगाजहाँ हर आत्मा हमारे दिव्य स्वरूप को निहार रही

 होगी।

  1. हम निर्मलता और दिव्यता से सजे हुए होंगे हर संकल्प, हर शब्द, और हर कर्म में शुद्धता की झलक होगी।
  2. संपूर्ण आत्माएँ हमारे फरिश्ते स्वरूप को देखकर अचंभित होंगी और यह अनुभव करेंगी कि देवताएँ वास्तव में धरती पर अवतरित हो गई हैं।

अभी से फरिश्ते स्वरूप की स्थिति धारण करें

ज्ञान मूर्त बनो अर्थात ज्ञान को सिर्फ पढ़ो नहीं, बल्कि उसे जीओ।

याद मूर्त बनो हर पल परमात्म प्रेम में स्थित रहो, जिससे तुम्हारी ऊर्जा स्वयं

दिव्य बन जाए।

सर्व दिव्य गुण मूर्त बनो हर गुण को अपने जीवन में धारणा करके परमात्म महिमा को धारण करो।

सम्पूर्णता की ओर कदम बढ़ाओ

संपन्न भी बनो, सम्पूर्ण भी बनो और सर्वगुण सम्पन्न भी बनो।

16 कला सम्पूर्ण बनने का अर्थ है

संपन्नता (हर गुण और शक्ति से परिपूर्ण होना),

सम्पूर्णता (पूर्णता की स्थिति को प्राप्त करना),

सर्वगुण सम्पन्नता (हर श्रेष्ठता को धारण करना)।

संकल्प मैं फरिश्ता हूँ!

🌿 अब से हर कदम हमें अपने फरिश्ते स्वरूप की ओर ले जाना है,

🌿 अंतिम दृश्य के दिव्य सौंदर्य को अभी से अपने अंदर महसूस करना है,

🌿 अपनी सम्पूर्णता से पूरे विश्व को प्रकाशित करना है।

💫 अब समय आ गया है स्वयं को संपूर्ण दिव्यता में स्थित करने का!

अंतिम दृश्य की दिव्य झलक

अब से फ़रिश्ता स्वरूप धारण करें।
अभी से त्रिकालदर्शी बनकर देखो कि अंतिम दृश्य कितना सुन्दर होगा!
हम सब सजे-सजाए दिव्य गुण मूर्त फरिश्ते और देवता रूप में प्रत्यक्ष होंगे।


प्रश्न और उत्तर

1.प्रश्नअंतिम दृश्य कैसा होगा?

उत्तर:अंतिम दृश्य सौंदर्य और दिव्यता का अद्भुत संगम होगा –

  • चारों ओर ज्योतिर्मय दृश्य होगा, जहाँ हर आत्मा हमारे दिव्य स्वरूप को निहार रही होगी।

  • हम निर्मलता और दिव्यता से सजे हुए होंगे – हमारे हर संकल्प, शब्द, और कर्म में शुद्धता की झलक होगी।

  • संपूर्ण आत्माएँ हमें देखकर अचंभित होंगी और अनुभव करेंगी कि देवताएँ वास्तव में धरती पर अवतरित हो गई हैं।

2.प्रश्न फरिश्ते स्वरूप धारण करने के लिए हमें क्या करना होगा?

उत्तर:फरिश्ते स्वरूप में स्थित होने के लिए हमें तीन रूप धारण करने होंगे –

  • ज्ञान मूर्त बनो – ज्ञान को केवल पढ़ो नहीं, बल्कि उसे अपने जीवन में धारण करो।

  • याद मूर्त बनो – हर पल परमात्म प्रेम में स्थित रहो, जिससे तुम्हारी ऊर्जा दिव्यता से भर जाए।

  • सर्व दिव्य गुण मूर्त बनो – हर श्रेष्ठ गुण को अपनाकर परमात्म महिमा को अपने जीवन में उतारो।

3.प्रश्न सम्पूर्णता की ओर कदम कैसे बढ़ाएँ?

उत्तर:हमें संपन्न, सम्पूर्ण और सर्वगुण सम्पन्न बनना है –

  • संपन्नता – हर गुण और शक्ति से परिपूर्ण होना।

  • सम्पूर्णता – पूर्णता की स्थिति को प्राप्त करना।

  • सर्वगुण सम्पन्नता – हर श्रेष्ठता को अपने जीवन में धारण करना।
    यही 16 कला सम्पूर्ण बनने की पहचान है।

4.प्रश्न इस दिव्य यात्रा में हमारा संकल्प क्या होना चाहिए?

उत्तर:
हमें संकल्प करना है –
“मैं फरिश्ता हूँ!”
🌿 अब से हर कदम हमें अपने फरिश्ते स्वरूप की ओर ले जाना है।
🌿 अंतिम दृश्य के दिव्य सौंदर्य को अभी से अपने अंदर महसूस करना है।
🌿 अपनी सम्पूर्णता से पूरे विश्व को प्रकाशित करना है।

💫 अब समय आ गया है – स्वयं को संपूर्ण दिव्यता में स्थित करने का! 💫

अंतिम दृश्य, दिव्य झलक, फरिश्ता स्वरूप, त्रिकालदर्शी, दिव्य गुण मूर्त, ज्योतिर्मय दृश्य, निर्मलता, दिव्यता, शुद्धता, देवता स्वरूप, ज्ञान मूर्त, याद मूर्त, दिव्य ऊर्जा, सर्व दिव्य गुण मूर्त, सम्पूर्णता, संपन्नता, सर्वगुण सम्पन्नता, 16 कला सम्पूर्ण, परमात्म महिमा, फरिश्ता संकल्प, दिव्य सौंदर्य, विश्व प्रकाश, आत्मिक जागृति, आध्यात्मिक परिवर्तन, दिव्य अनुभूति, परमात्म प्रेम,

Final view, divine glimpse, angelic form, Trikaldarshi, divine qualities incarnate, luminous scene, clarity, divinity, purity, deity form, knowledge incarnate, remembrance incarnate, divine energy, all divine qualities incarnate, completeness, richness, all-property richness, 16 arts complete, divine glory, angelic resolution, divine beauty, world light, spiritual awakening, spiritual transformation, divine experience, divine love,