प्रत्यक्षता-पदम(157)फ़रिश्ता सो देवता अब परिवर्तन का समय?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
फ़रिश्तों और देवताओं का मिलन
🔹 संगमयुग वह युग है जहाँ फ़रिश्तों की आत्माएँ दिव्यता में स्थित हो जाती हैं।
🔹 यही फ़रिश्ते जब 16 कला सम्पन्न होते हैं, तब देवताएँ प्रकट होते हैं।
🔹 फ़रिश्ता और देवता, दोनों के मिलन की अंतिम घड़ी समीप है।
👑 देवताएँ आपके लिए वर-माला लेकर प्रतीक्षा कर रहे हैं।
🌸 वे आपको अपनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन क्या आप तैयार हैं?
🔥 आपका ही देव-पद आपका इंतज़ार कर रहा है!
वर-माला पहनाने की डेट फिक्स करो!
💫 फ़रिश्ते बनने की स्थिति को अंतिम रूप देने का समय आ गया है।
📅 अब यह निर्णय लो कि कब 16 कला सम्पन्न बनकर, देव-पद को प्राप्त करेंगे!
🌈 अब विलंब नहीं—बस आत्मा की सम्पूर्णता का महायज्ञ पूर्ण करना है।
🕊️ जब हम फ़रिश्ते स्वरूप को अपनी स्मृति और कर्म में इमर्ज करेंगे, तब पहला जन्म ब्रह्मा घर से लेकर स्वर्णिम युग में होगा। ✨ संगमयुग पर जब पूर्णता का प्रकाश फैल जाएगा, तब सृष्टि का परिवर्तन भी स्वतः हो जाएगा।
वन-वन-वन – नम्बर वन स्थिति बनाओ!
🌞 संगमयुग से सतयुग का परिवर्तन एक सेकंड में होगा।
🔆 वन-वन-वन: पहला युग, पहली श्रेष्ठ आत्माएँ, पहली सतोप्रधान प्रकृति।
👑 राज्य भी नम्बर वन होगा, और आपकी गोल्डन स्टेज भी नम्बर वन होगी।
⚡ अब संकल्प करो कि परिवर्तन की इस घड़ी में, हम सबसे पहले अपने फ़रिश्ते स्वरूप को सिद्ध करेंगे!
🕊️ फ़रिश्ता बनो, देवता बनो, और स्वर्णिम सृष्टि के पहले नंबर के भाग्यशाली आत्मा बनो! 🎊
फ़रिश्तों और देवताओं का मिलन
प्रश्न 1: फ़रिश्ता बनने का अर्थ क्या है?
उत्तर: फ़रिश्ता वह आत्मा होती है जो देह-अभिमान से परे, संपूर्ण दिव्यता में स्थित होती है। संगमयुग पर जब आत्मा संकल्पों और कर्मों में शुद्ध हो जाती है, तब वह फ़रिश्ता स्वरूप को प्राप्त करती है।
प्रश्न 2: फ़रिश्ते और देवता में क्या अंतर है?
उत्तर: फ़रिश्ता वह है जो देह से न्यारा और कर्म से पवित्र होता है। जब फ़रिश्ता आत्मा 16 कला सम्पन्न होकर सम्पूर्ण बनती है, तब वह देवता के रूप में जन्म लेती है और स्वर्णिम युग की सृष्टि को चलाती है।
प्रश्न 3: फ़रिश्तों और देवताओं का मिलन कब और कैसे होगा?
उत्तर: संगमयुग पर जब आत्माएँ अपने फ़रिश्ता स्वरूप को पूरी तरह धारण कर लेंगी और 16 कला सम्पन्न बन जाएँगी, तब वे सतयुग में देवता के रूप में जन्म लेंगी। यह मिलन तब होगा जब सभी श्रेष्ठ आत्माएँ अपने दिव्य स्वरूप को सिद्ध कर लेंगी।
प्रश्न 4: हमें अभी क्या करने की आवश्यकता है?
उत्तर: अब विलंब नहीं करना है। हमें फ़रिश्ता बनने की स्थिति को पूर्ण रूप देने का समय निश्चित करना होगा। जब फ़रिश्ते अपने संकल्पों और कर्मों में सम्पूर्ण हो जाएँगे, तभी वे स्वर्णिम युग के पहले जन्म में प्रवेश करेंगे।
प्रश्न 5: वर-माला पहनाने की डेट कैसे फिक्स करें?
उत्तर: इसका अर्थ है कि हमें अपने फ़रिश्ते स्वरूप को जाग्रत कर, अपनी आत्मा को सम्पूर्ण बनाकर देवता पद प्राप्त करने की निश्चयता करनी होगी। जब आत्मा यह दृढ़ संकल्प कर ले कि अब वह 16 कला सम्पन्न बनकर ही रहेगी, तब वर-माला की डेट फिक्स हो जाएगी।
प्रश्न 6: “वन-वन-वन” का क्या अर्थ है?
उत्तर: “वन-वन-वन” का अर्थ है:
-
पहला युग (सतयुग)
-
पहली श्रेष्ठ आत्माएँ (पूर्ण फ़रिश्ते और देवता)
-
पहली सतोप्रधान प्रकृति (स्वर्णिम विश्व)
प्रश्न 7: संगमयुग से सतयुग में परिवर्तन कैसे होगा?
उत्तर: यह परिवर्तन एक सेकंड में होगा, जब सभी आत्माएँ अपने फ़रिश्ते स्वरूप में स्थित होकर, सम्पूर्णता को प्राप्त कर लेंगी। पूर्णता का प्रकाश फैलते ही, सृष्टि का परिवर्तन स्वतः हो जाएगा।
प्रश्न 8: इस परिवर्तन की घड़ी में हमारी अंतिम प्रतिज्ञा क्या होनी चाहिए?
उत्तर: हमें संकल्प करना है कि अब हम अपने फ़रिश्ते स्वरूप को सिद्ध करेंगे, 16 कला सम्पन्न बनेंगे, और सतयुग के प्रथम भाग्यशाली देवता आत्माएँ बनकर स्वर्णिम युग की स्थापना में भागीदार होंगे।
🔔 अब समय है—फ़रिश्ता बनो, देवता बनो, और स्वर्णिम सृष्टि के प्रथम हीरो आत्मा बनो! ✨