प्रत्यक्षता-पदम(159)अभी से त्रिकालदर्शी बनकर देखो कि अतिंम दृ्श्य कितना सुन्दर होगा
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
अभी से त्रिकालदर्शी बनकर देखो कि अंतिम दृश्य कितना सुन्दर होगा!
हम सब सजे-सजाए दिव्य गुण मूर्त फरिश्ते और देवता रूप में प्रत्यक्ष होंगे।
अंतिम दृश्य – सौंदर्य और दिव्यता का अद्भुत संगम
- चारों ओर ज्योतिर्मय दृश्य होगा – जहाँ हर आत्मा हमारे दिव्य स्वरूप को निहार रही
होगी।
- हम निर्मलता और दिव्यता से सजे हुए होंगे – हर संकल्प, हर शब्द, और हर कर्म में शुद्धता की झलक होगी।
- संपूर्ण आत्माएँ हमारे फरिश्ते स्वरूप को देखकर अचंभित होंगी और यह अनुभव करेंगी कि देवताएँ वास्तव में धरती पर अवतरित हो गई हैं।
अभी से फरिश्ते स्वरूप की स्थिति धारण करें
ज्ञान मूर्त बनो – अर्थात ज्ञान को सिर्फ पढ़ो नहीं, बल्कि उसे जीओ।
याद मूर्त बनो – हर पल परमात्म प्रेम में स्थित रहो, जिससे तुम्हारी ऊर्जा स्वयं
दिव्य बन जाए।
सर्व दिव्य गुण मूर्त बनो – हर गुण को अपने जीवन में धारणा करके परमात्म महिमा को धारण करो।
सम्पूर्णता की ओर कदम बढ़ाओ
संपन्न भी बनो, सम्पूर्ण भी बनो और सर्वगुण सम्पन्न भी बनो।
16 कला सम्पूर्ण बनने का अर्थ है –
✔ संपन्नता (हर गुण और शक्ति से परिपूर्ण होना),
✔ सम्पूर्णता (पूर्णता की स्थिति को प्राप्त करना),
✔ सर्वगुण सम्पन्नता (हर श्रेष्ठता को धारण करना)।
संकल्प मैं फरिश्ता हूँ!
🌿 अब से हर कदम हमें अपने फरिश्ते स्वरूप की ओर ले जाना है,
🌿 अंतिम दृश्य के दिव्य सौंदर्य को अभी से अपने अंदर महसूस करना है,
🌿 अपनी सम्पूर्णता से पूरे विश्व को प्रकाशित करना है।
💫 अब समय आ गया है – स्वयं को संपूर्ण दिव्यता में स्थित करने का!
अभी से त्रिकालदर्शी बनकर देखो कि अंतिम दृश्य कितना सुन्दर होगा!
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न 1: अंतिम दृश्य कैसा होगा और उसमें हमारी क्या स्थिति होगी?
उत्तर: अंतिम दृश्य ज्योतिर्मय और दिव्यता से भरा होगा। हम सभी सजे-सजाए फरिश्तों और देवताओं के रूप में प्रत्यक्ष होंगे। हर आत्मा हमारे दिव्य स्वरूप को निहार रही होगी और हमें देखकर अचंभित होगी कि देवताएँ वास्तव में धरती पर अवतरित हो गई हैं।
प्रश्न 2: फरिश्ते स्वरूप को धारण करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर: हमें अपने जीवन में तीन महत्वपूर्ण अवस्थाएँ धारण करनी चाहिए –
-
ज्ञान मूर्त बनना – केवल ज्ञान पढ़ना नहीं, बल्कि उसे जीवन में जीना।
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याद मूर्त बनना – हर पल परमात्म प्रेम में स्थित रहना, जिससे हमारी ऊर्जा दिव्यता को धारण करे।
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सर्व दिव्य गुण मूर्त बनना – हर श्रेष्ठ गुण को अपने जीवन में उतारकर परमात्म महिमा को धारण करना।
प्रश्न 3: 16 कला सम्पूर्ण बनने का क्या अर्थ है?
उत्तर: 16 कला सम्पूर्ण बनने का अर्थ है –
✔ संपन्नता – हर गुण और शक्ति से परिपूर्ण होना।
✔ सम्पूर्णता – पूर्णता की स्थिति को प्राप्त करना।
✔ सर्वगुण सम्पन्नता – हर श्रेष्ठता को धारण करना।
प्रश्न 4: हमें अभी से अपने फरिश्ते स्वरूप की अनुभूति क्यों करनी चाहिए?
उत्तर: अभी से ही फरिश्ते स्वरूप की अनुभूति करने से हमारी ऊर्जा दिव्य बन जाती है और हमारा हर संकल्प, शब्द और कर्म शुद्धता से भर जाता है। इससे अंतिम समय में हमारा स्वरूप सिद्ध बन जाता है और हम दिव्यता का प्रकाश पूरे विश्व में फैला सकते हैं।
प्रश्न 5: फरिश्ता स्वरूप धारण करने के लिए हमें कौन-से संकल्प लेने चाहिए?
उत्तर: हमें अपने जीवन में ये संकल्प धारण करने चाहिए –
🌿 हर कदम हमें अपने फरिश्ते स्वरूप की ओर ले जाना है।
🌿 अंतिम दृश्य के दिव्य सौंदर्य को अभी से अपने अंदर महसूस करना है।
🌿 अपनी सम्पूर्णता से पूरे विश्व को प्रकाशित करना है।
💫 अब समय आ गया है – स्वयं को संपूर्ण दिव्यता में स्थित करने का!
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