प्रत्यक्षता-पदम(148)गरीब साधारण माताएँ भी उचँ पद पा सकती हैं
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
गरीब साधारण माताएँ भी ऊँच पद पा सकती हैं
बच्चों, यह समय बहुत मूल्यवान है। इस समय गरीब साधारण माताएँ भी पुरुषार्थ करके ऊँच पद पा सकती हैं। माताएँ ही इस यज्ञ में सबसे अधिक मददगार बनती हैं। पुरुष बहुत कम होते हैं जो सेवा में आगे आते हैं। लेकिन माताएँ बिना किसी वारिसपन के नशे में रहकर निरंतर सेवा करती रहती हैं, बीज बोती रहती हैं और अपना जीवन बनाती रहती हैं।
भक्ति और ज्ञान का अंतर
बच्चों, तुम्हारा ज्ञान यथार्थ है, बाकी सब भक्ति मार्ग है। भक्ति में मनुष्य परमात्मा को पाने का प्रयास करते हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलती। जबकि रूहानी बाप स्वयं आकर हमें सच्चा ज्ञान देते हैं। जब कोई बाप को सही रीति समझ लेता है, तो उसे वर्सा जरूर लेना चाहिए।
बाप की श्रीमत और पुरुषार्थ
बाप हमें निरंतर पुरुषार्थ कराते रहते हैं, हमें समझाते रहते हैं कि टाइम वेस्ट मत करो। बाबा जानते हैं कि कोई अच्छे पुरुषार्थी हैं, कोई मीडियम हैं और कोई थर्ड क्लास में आते हैं।
- बाबा से पूछें तो वे झट बता देंगे कि हम फर्स्ट हैं, सेकंड हैं या थर्ड क्लास हैं।
- अगर हम ज्ञान को दूसरों तक नहींपहुँचाते, तो बाबा कहेंगे कि हम थर्ड क्लास में हैं।
भक्ति मार्ग में सत्यता लुप्त हो जाती है
बाबा ने जो ज्ञान हमें सिखाया है, वह प्राय:लोप हो जाता है। यह बात किसी को भी पता नहीं होती। ड्रामा की योजना के अनुसार भक्ति मार्ग चलता है, लेकिन उससे कोई परमात्मा को प्राप्त नहीं कर सकता।
सत्ययुग की स्थापना के लिए पुरुषार्थ आवश्यक
अभी तुम बच्चे पुरुषार्थ कर रहे हो। कल्प पहले जितना पुरुषार्थ किया था, उतना ही करते रहते हो।
- बाबा जानते हैं कि कौन अपना कल्याण कर रहा है और कौन नहीं।
- रोज़ लक्ष्मी-नारायण के चित्र के आगे बैठो और प्रतिज्ञा करो –
“बाबा, आपकी श्रीमत पर हम यह वर्सा जरूर लेंगे!”
- हमें बाबा समान बनाने की सेवा का शौक होना चाहिए।सेवा की भावना आवश्यक
बच्चों, अगर इतने वर्षों से पढ़ाई कर रहे हो और किसी को पढ़ा नहीं सकते, तो पढ़ाई का क्या लाभ? 1. सेवा का संकल्प सारा दिन हमारी बुद्धि में रहना चाहिए।
- बच्चों की उन्नति होनी चाहिए, तभी हमारी आत्मा प्रगति करेगी।
वानप्रस्थ आश्रम और अंतिम लक्ष्य
तुम वानप्रस्थी हो। वानप्रस्थ आश्रम का उद्देश्य है – अंतिम लक्ष्य को पहचानना।
- मरने से पहले आत्मा को लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए।
- पतित आत्मा वानप्रस्थ में नहीं जा सकती।
- भगवान स्वयं कहते हैं – “मामेकम् याद करो, तो वानप्रस्थ में चले जाओगे।”
विश्व में शांति की स्थापना
बच्चों, विश्व में शांति कैसे स्थापित होगी?
- बहुत लोग सोचते हैं कि कोई न कोई शांति लाएगा, लेकिन बाबा ने हमें स्पष्ट कर दिया है कि सच्ची शांति सत्ययुग में थी।
- सत्ययुगमेंएकभाषा, एक धर्म,एक राज्य था। सभी आत्माएनिराकारी दुनिया में थी।
- फॉरेनर्स भी समझेंगे कि वह समय पैराडाइज़ (स्वर्ग) था।
सेवा द्वारा जागृति लाना
बच्चों, बाबा कहते हैं – “प्रभात फेरी में लक्ष्मी-नारायण का चित्र लेकर चलो।”
जब लोग देखेंगे, तो उनके कानों में आवाज पड़ेगी कि “यह राज्य स्थापन हो रहा है!”
नर्क का विनाश सामने खड़ा है।
ड्रामा अनुसार सेवा निरंतर चल रही है।
निष्कर्ष:बच्चों, बाबा हमें लगातार पुरुषार्थ कराते रहते हैं।
हमें संकल्प लेना है कि हम अपना समय व्यर्थ नहीं गँवाएँगे।
सिर्फ और सिर्फ सेवा, पुरुषार्थ और बाबा की याद में रहेंगे।
गरीब साधारण माताएँ भी ऊँच पद पा सकती हैं
1.प्रश्न क्या साधारण और गरीब माताएँ भी ऊँच पद प्राप्त कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, यह समय बहुत मूल्यवान है। यदि गरीब साधारण माताएँ भी सच्चे पुरुषार्थ में लग जाएँ, तो वे ऊँच पद प्राप्त कर सकती हैं। माताएँ बिना किसी वारिसपन के, निरंतर सेवा करती रहती हैं और अपना जीवन बनाती हैं।
2.प्रश्न भक्ति और ज्ञान में क्या अंतर है?
उत्तर: भक्ति में मनुष्य परमात्मा को पाने का प्रयास करते हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलती। जबकि ज्ञान में स्वयं परमात्मा आकर हमें सच्चा ज्ञान देते हैं, जिससे आत्मा वर्सा प्राप्त कर सकती है।
3.प्रश्न बाबा हमें पुरुषार्थ के लिए क्या सलाह देते हैं?
उत्तर: बाबा हमें समझाते हैं कि हमें टाइम वेस्ट नहीं करना चाहिए। बाबा जानते हैं कि कौन फर्स्ट क्लास पुरुषार्थी है, कौन मीडियम है, और कौन थर्ड क्लास में आता है।
4.प्रश्न कौन-से संकेत हैं कि हम थर्ड क्लास में आ रहे हैं?
उत्तर: यदि हम ज्ञान को दूसरों तक नहीं पहुँचाते और सेवा नहीं करते, तो बाबा हमें थर्ड क्लास में रखेंगे।
5.प्रश्न सत्ययुग की स्थापना के लिए हमें क्या करना होगा?
उत्तर: सत्ययुग की स्थापना के लिए हमें सच्चा पुरुषार्थ करना होगा।
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रोज़ लक्ष्मी-नारायण के चित्र के आगे बैठकर प्रतिज्ञा करनी चाहिए – “बाबा, आपकी श्रीमत पर हम यह वर्सा जरूर लेंगे!”
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हमें बाबा समान बनने की सेवा का शौक रखना चाहिए।
6.प्रश्न सेवा की भावना क्यों आवश्यक है?
उत्तर: यदि हम वर्षों से पढ़ाई कर रहे हैं और किसी को पढ़ा नहीं सकते, तो हमारी पढ़ाई व्यर्थ है।
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सेवा का संकल्प सारा दिन बुद्धि में रहना चाहिए।
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बच्चों की उन्नति होनी चाहिए, तभी आत्मा प्रगति करेगी।
7.प्रश्न वानप्रस्थ आश्रम का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: वानप्रस्थ आश्रम का उद्देश्य अंतिम लक्ष्य को पहचानना है।
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मरने से पहले आत्मा को अपना लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए।
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पतित आत्मा वानप्रस्थ में नहीं जा सकती।
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भगवान स्वयं कहते हैं – “मामेकम् याद करो, तो वानप्रस्थ में चले जाओगे।”
8.प्रश्न विश्व में शांति कैसे स्थापित होगी?
उत्तर:
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सत्ययुग में एक भाषा, एक धर्म, एक राज्य था। सभी आत्माएँ निराकारी दुनिया में थीं।
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फॉरेनर्स भी समझेंगे कि वह समय पैराडाइज़ (स्वर्ग) था।
9.प्रश्न सेवा द्वारा जागृति कैसे लाएँ?
उत्तर:
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प्रभात फेरी में लक्ष्मी-नारायण का चित्र लेकर चलो।
-
जब लोग देखेंगे, तो उनके कानों में आवाज़ पड़ेगी कि “यह राज्य स्थापन हो रहा है!”
-
नर्क का विनाश सामने खड़ा है।
10.प्रश्न निष्कर्ष में हमें क्या संकल्प लेना चाहिए?
उत्तर: हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अपना समय व्यर्थ नहीं गँवाएँगे।
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सिर्फ और सिर्फ सेवा, पुरुषार्थ और बाबा की याद में रहेंगे।
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