Pratyakshata-Padma (141) Now the means of service will change, resolution itself will be the fastest communication

प्रत्यक्षता-पदम(141)अब सेवा के साधन बदलेंगे संकल्प ही सबसे तीव्र संचार होगा

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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अब सेवा के साधन बदलेंगे संकल्प ही सबसे तीव्र संचार होगा

अब सेवा की गति इतनी तीव्र होगी कि पुराने साधनों से कार्य नहीं चलेगा। आज हम पत्र-व्यवहार, टेलीग्राम, टेलीफोन आदि के माध्यम से सेवा कर रहे हैं, लेकिन यह साधन स्थायी नहीं हैं।                                                                                     जब सेवा अपनी चरम वृद्धि को प्राप्त करेगी, तब हमें तेज संचार के नए साधनों की आवश्यकता होगी।

सेवा के विस्तार के लिए नए साधन आवश्यक

  1. जब हर कोने में केंद्र होंगे, जब सेवा विशाल स्तर पर होगी, तो पुराने साधन सीमित

 पड़ जाएँगे।

  1. तब सेवा के विस्तार को हैंडल करने के लिए वायरलेस सेट जैसे माध्यमों की जरूरत होगी।
  2. लेकिन यह भी स्थायी नहीं होगाउससे भी तेज़, सबसे सटीक और सबसे प्रभावी माध्यम होगा संकल्प शक्ति।

सेकंड में संकल्प से आदेश देना

कर्मातीत स्टेज की शक्ति

  1. जब कोई कार्य तत्काल करना हो, तो केवल संकल्प से ही दूरस्थ स्थान पर निर्देश पहुँचाया जा सकेगा।
  2. जैसे हम कहते जाएँगे, वैसे वह कार्य सम्पन्न होता जाएगा।
  3. यह वही शक्ति होगी, जो हमें कर्मातीत अवस्था के अभ्यास से प्राप्त होगी।

संकल्पों की सिद्धि और साक्षात्कार की विशेषता

  1. वह समय आएगा जब केवल संकल्प करने से ही आत्माएँ अनुभव करेंगी कि यह संदेश हमें मिल गया।
  2. साक्षात्कार भी होंगे, और संकल्पों की सिद्धि स्वतः ही कार्य करेगी।
  3. सेवा में यह शक्ति अभी धीरे-धीरे प्रकट हो रही है, और आगे यह एक सामान्य विधि बन जाएगी।

अभी से ही कर्मयोग और कर्मातीत स्टेज का अभ्यास करें

  1. “अभी-अभी कर्मयोगी, अभी-अभी कर्मातीत” यही वह अभ्यास है, जिससे संकल्प की सिद्धि बढ़ती जाएगी।
  2. जब यह सिद्धि विकसित हो जाएगी, तब एक स्थान पर बैठकर भी संकल्प द्वारा विश्व-सेवा संभव होगी।
  3. संकल्प की शक्ति ही सबसे तेज़ संचार माध्यम बन जाएगी और सेवा में सबसे बड़ा सहयोगी सिद्ध होगी।

समाप्ति संदेश

अब हमें विज्ञान से आगे बढ़कर आत्म-विज्ञान की शक्ति को अपनाना है। सेवा के लिए संकल्पों को ही सबसे तेज़ माध्यम बनाना है। जो आत्माएँ अभी से ही इस शक्ति का अभ्यास करेंगी, वही संकल्पों द्वारा सेवा में सहयोगी बन सकेंगी।

“संकल्प ही सेवा का सबसे तीव्र साधन बनेगा!”

अब सेवा के साधन बदलेंगे संकल्प ही सबसे तीव्र संचार होगा

प्रश्न-उत्तर

प्रश्न 1: सेवा की गति तीव्र होने पर पुराने साधनों से कार्य क्यों नहीं चलेगा?
उत्तर: जैसे-जैसे सेवा का विस्तार होगा, पत्र-व्यवहार, टेलीग्राम और टेलीफोन जैसे साधन सीमित हो जाएँगे। सेवा के लिए तेज़, सटीक और शक्तिशाली माध्यम की आवश्यकता होगी, जो संकल्प शक्ति के रूप में प्रकट होगा।

प्रश्न 2: सेवा के विस्तार के लिए कौन-से नए साधनों की जरूरत होगी?
उत्तर: जब हर कोने में सेवा केंद्र होंगे और सेवा व्यापक स्तर पर फैलेगी, तब वायरलेस सेट जैसे संचार माध्यमों की जरूरत होगी। लेकिन इससे भी आगे, संकल्प शक्ति सबसे प्रभावी माध्यम बन जाएगी।

प्रश्न 3: संकल्प शक्ति सेवा में कैसे सहायता करेगी?
उत्तर: कर्मातीत अवस्था प्राप्त करने पर संकल्प द्वारा दूरस्थ स्थानों तक निर्देश पहुँचाया जा सकेगा। सेकंड में आदेश देकर कार्य को सम्पन्न करना संभव होगा, और आत्माएँ संकल्प मात्र से संदेश को ग्रहण कर सकेंगी।

प्रश्न 4: संकल्पों की सिद्धि कैसे कार्य करेगी?
उत्तर: जब कोई आत्मा संकल्प करेगी, तो दूसरों को स्वतः ही उसका अनुभव होगा। बिना किसी भौतिक माध्यम के आत्माएँ संदेश प्राप्त करेंगी। यह शक्ति धीरे-धीरे सेवा में प्रभावी रूप से कार्य करेगी।

प्रश्न 5: संकल्प शक्ति विकसित करने के लिए कौन-सा अभ्यास आवश्यक है?
उत्तर: “अभी-अभी कर्मयोगी, अभी-अभी कर्मातीत” – इस अभ्यास से संकल्प शक्ति विकसित होगी। जितना अधिक आत्मा कर्मातीत अवस्था में स्थित होगी, उतनी ही सेवा में संकल्प शक्ति प्रभावी होगी।

प्रश्न 6: संकल्प शक्ति को सेवा का सबसे तीव्र साधन क्यों कहा गया है?
उत्तर: विज्ञान के साधन स्थायी नहीं हैं, लेकिन आत्म-विज्ञान की शक्ति, विशेष रूप से संकल्प शक्ति, किसी भी दूरी या समय की बाधा के बिना कार्य कर सकती है। यही सेवा का सबसे तेज़ और प्रभावी माध्यम बनेगा।

प्रश्न 7: आत्म-विज्ञान को अपनाने का क्या महत्व है?
उत्तर: आत्म-विज्ञान से आत्मा की शक्ति जाग्रत होगी, जिससे सेवा के लिए भौतिक साधनों की आवश्यकता कम हो जाएगी। जो आत्माएँ अभी से इसका अभ्यास करेंगी, वे भविष्य में संकल्प द्वारा सेवा में अग्रणी बनेंगी।

समाप्ति संदेश:
अब समय आ गया है कि हम आत्म-विज्ञान को अपनाकर संकल्पों द्वारा सेवा की शक्ति को जाग्रत करें। यही भविष्य में सेवा का सबसे तेज़ और प्रभावी माध्यम बनेगा।
“संकल्प ही सेवा का सबसे तीव्र साधन बनेगा!”

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