प्रश्न का मन्थन:- हमें दुखों का सामना करना है, आत्मा का नहीं।
(प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
दुखों का सामना – आत्मा का नहीं
हमें जीवन में दुखों का सामना करना है, आत्मा का नहीं।
बाबा कहते हैं – आत्मा आपका भाई है।
यदि हम आत्मा पर क्रोध, नफरत या बदला लेने का भाव रखते हैं, तो यह अपने ही भाई को दुख देने जैसा है। और दुख देंगे तो हमारे कर्म भारी होंगे।
उदाहरण:
कोई पागल भाई आपको गालियां देता है या मारता है।
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यदि आप भी प्रतिक्रिया में मारेंगे तो स्थिति और बिगड़ जाएगी।
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अगर आप समझेंगे कि यह उसका रोग है, तो आप सहन करेंगे और सही इलाज या समाधान खोजेंगे।
2. दुखों और परिस्थितियों का सामना
जीवन में समस्याएं, आपदाएं, बीमारियां, चोरी, अपमान – ये सभी दुख के रूप में आते हैं।
सहन करना ही शक्ति है।
बाबा कहते हैं:
“माथा ठंडा रहे।”
यही असली योग है।
आयुर्वेद में कहा गया है:
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पैर गर्म
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पेट नरम
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माथा ठंडा
यदि इन तीनों में गड़बड़ है, तो आपकी अवस्था अस्वस्थ है। यह आपके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति का थर्मामीटर है।
उदाहरण:
कोई आपका सामान छीन लेता है। आप थाने या कोर्ट में जा सकते हैं।
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लेकिन गुस्सा करके अपनी अवस्था खराब क्यों करें?
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शांति और संयम बनाए रखें।
मुख्य सीख:
पाप से गिरो, पापी से नहीं।
दुःखों और परिस्थितियों का सामना करो, आत्माओं को भाई समझो।
3. बुराई और आत्मा के बीच अंतर
बाबा ने स्पष्ट किया है – आत्माओं का सामना नहीं करना।
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दुखों और परिस्थितियों, समस्याओं और अवगुणों का सामना करना है।
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बुराई को अस्वीकार करो, पर आत्मा को स्वीकार करो।
उदाहरण:
कोई व्यक्ति चोरी करता है।
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चोरी कर्म गलत है, इसे अपने जीवन में आने मत दो।
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लेकिन आत्मा तो भाई है। उस पर दयालु भाव रखें, नफरत नहीं।
4. जुगाली और हाजमे का राज
बाबा कहते हैं – ज्ञान का भोजन उन्हीं को हजम होता है जो रोज जुगाली करते हैं।
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जो ज्ञान दोहराते नहीं, मनन नहीं करते, उनका आध्यात्मिक हजमा कमजोर पड़ जाता है।
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विकार और अवगुण उनके हजमे को बिगाड़ देते हैं।
स्मृति और नशा:
हम श्रीमत पर चल रहे हैं, सत्य युगी राजधानी स्थापन कर रहे हैं।
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यह नशा रहेगा तो परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, हम जीतेंगे।
5. समापन
आज की मुर्ली हमें यही सिखाती है:
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आत्मा से नहीं, दुखों से सामना करो।
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परिस्थितियों को चुनौती समझो।
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आत्माओं को भाई मानो।
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स्मृति और नशे में रहो कि हम ईश्वर के बच्चे हैं और स्वर्ग की राजधानी स्थापन कर रहे हैं।
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Q1: हमें जीवन में किसका सामना करना चाहिए – आत्मा का या दुखों का?
A: हमें जीवन में दुखों, परिस्थितियों और अवगुणों का सामना करना चाहिए, आत्मा का नहीं।
बाबा कहते हैं – आत्मा आपका भाई है। अगर आप आत्मा से भिड़ेंगे या उस पर क्रोध, नफरत या बदला लेने का भाव रखेंगे, तो यह अपने ही भाई को दुख देने जैसा है और आपके कर्म भारी होंगे।उदाहरण:
कोई पागल भाई आपको गालियां देता है या मारता है।-
यदि आप भी प्रतिक्रिया में मारेंगे तो स्थिति और बिगड़ जाएगी।
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अगर आप समझेंगे कि यह उसका रोग है, तो आप सहन करेंगे और सही समाधान खोजेंगे।
Q2: जीवन में दुखों और परिस्थितियों का सामना कैसे करना चाहिए?
A: जीवन में समस्याएं, आपदाएं, बीमारियां, चोरी, अपमान – ये सभी दुख के रूप में आते हैं। सहन करना ही शक्ति है।
बाबा कहते हैं:
“माथा ठंडा रहे।”
आयुर्वेद में कहा गया है:
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पैर गर्म
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पेट नरम
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माथा ठंडा
यदि इन तीनों में गड़बड़ है, तो आपकी अवस्था अस्वस्थ है। यह आपके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति का थर्मामीटर है।
उदाहरण:
कोई आपका सामान छीन लेता है। आप थाने या कोर्ट में जा सकते हैं, लेकिन गुस्सा करके अपनी अवस्था खराब क्यों करें? शांति और संयम बनाए रखें।मुख्य सीख:
पाप से गिरो, पापी से नहीं।
दुःखों और परिस्थितियों का सामना करो, आत्माओं को भाई समझो।
Q3: बुराई और आत्मा में अंतर क्या है?
A: आत्माओं का सामना नहीं करना।
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दुखों, परिस्थितियों, समस्याओं और अवगुणों का सामना करना है।
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बुराई को अस्वीकार करो, पर आत्मा को स्वीकार करो।
उदाहरण:
कोई व्यक्ति चोरी करता है।-
चोरी कर्म गलत है, इसे अपने जीवन में आने मत दो।
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लेकिन आत्मा तो भाई है। उस पर दयालु भाव रखें, नफरत नहीं।
Q4: जुगाली और हाजमे का राज क्या है?
A: बाबा कहते हैं – ज्ञान का भोजन उन्हीं को हजम होता है जो रोज जुगाली करते हैं।
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जो ज्ञान दोहराते नहीं, मनन नहीं करते, उनका आध्यात्मिक हजमा कमजोर पड़ जाता है।
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विकार और अवगुण उनके हजमे को बिगाड़ देते हैं।
स्मृति और नशा:
हम श्रीमत पर चल रहे हैं, सत्य युगी राजधानी स्थापन कर रहे हैं।
यह नशा रहेगा तो परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, हम जीतेंगे।
Q5: आज की मुर्ली का मुख्य संदेश क्या है?
A: आज की मुर्ली हमें यही सिखाती है:
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आत्मा से नहीं, दुखों से सामना करो।
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परिस्थितियों को चुनौती समझो।
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आत्माओं को भाई मानो।
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स्मृति और नशे में रहो कि हम ईश्वर के बच्चे हैं और स्वर्ग की राजधानी स्थापन कर रहे हैं।
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Disclaimer (डिस्क्लेमर)
यह वीडियो ब्रह्माकुमारीज के आध्यात्मिक शिक्षण और मुर्ली पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी व्यक्तिगत आध्यात्मिक समझ और शिक्षण के उद्देश्य से साझा की गई है। इसे चिकित्सकीय, कानूनी या किसी व्यावसायिक सलाह के रूप में न लें।
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