रावण राज्य बनाम रामराज्य (31)यह दुनिया एक बड़ा अस्पताल बन गई है सतयुग में असली स्वास्थ्य?
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
उत्तर: क्योंकि लगभग हर आत्मा किसी न किसी प्रकार के शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक रोग से पीड़ित है। यह दुनिया विकारों—वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार—से ग्रस्त आत्माओं का एक विशाल अस्पताल बन चुकी है।
प्रश्न 2: असली बीमारियों का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर: असली कारण है आत्मा की अशुद्धता। जब आत्मा पवित्र नहीं होती, तब दुर्गुण उत्पन्न होते हैं और वही मन, शरीर और संबंधों को बीमार बनाते हैं।
प्रश्न 3: क्या कोई ऐसा डॉक्टर है जो इन बीमारियों का इलाज कर सके?
उत्तर: हाँ, परमपिता शिव—सर्वोच्च आत्मा—ही असली डॉक्टर हैं जो आत्मा का इलाज करते हैं। वे इस संगम युग में आकर आत्मा को पवित्र बनाते हैं और शाश्वत स्वास्थ्य प्रदान करते हैं।
प्रश्न 4: परमात्मा का इलाज क्या है?
उत्तर: “मुझे याद करो।” – यही ईश्वरीय श्रीमत है। जब आत्मा परमपिता शिव को सच्चे दिल से याद करती है, तो वह आत्मिक ऊर्जा प्राप्त करती है जिससे विकार जलते हैं और आत्मा शुद्ध होती जाती है।
प्रश्न 5: सतयुग में अस्पताल क्यों नहीं होते?
उत्तर: क्योंकि सतयुग में आत्माएँ पूरी तरह शुद्ध होती हैं। वहाँ कोई विकार, तनाव, रोग या पीड़ा नहीं होती। वहाँ हर आत्मा प्राकृतिक रूप से दिव्यता और संतुलन में रहती है।
प्रश्न 6: सतयुगी जीवन कैसा होता है?
उत्तर: सतयुगी जीवन दिव्य, शांत, समृद्ध और पवित्र होता है। वहाँ न कोई ईर्ष्या है, न हिंसा, न भ्रष्टाचार। हर आत्मा अपने धर्म, कर्म और संबंधों में संतुलित होती है। बच्चों में जन्म से ही दिव्य बुद्धि होती है।
प्रश्न 7: क्या हम उस सतयुग को फिर से प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर: हाँ, अभी संगम युग चल रहा है। यह वही समय है जब भगवान हमें आध्यात्मिक ज्ञान दे रहे हैं ताकि हम विकारों से मुक्त होकर फिर से सतयुग के योग्य बन सकें।
प्रश्न 8: क्या यह बदलाव रातोंरात होगा?
उत्तर: नहीं, यह एक प्रक्रिया है। रोज़ परमात्मा की याद, आध्यात्मिक ज्ञान, आत्मचिंतन और गुणों की धारणा के माध्यम से धीरे-धीरे आत्मा दिव्य बनती जाती है।
प्रश्न 9: आज हमें क्या निर्णय लेना चाहिए?
उत्तर: हमें यह तय करना है कि क्या हम इस रोगी संसार में ही रहना चाहते हैं, या सतयुगी देवताओं की तरह शुद्ध और स्वस्थ बनना चाहते हैं। अब चुनाव हमारा है — पवित्रता या पीड़ा?
प्रश्न 10: दिव्य स्वास्थ्य की पहली सीढ़ी क्या है?
उत्तर: स्वयं को आत्मा समझना और परमात्मा की याद में स्थित होना। जब हम आत्मिक स्थिति में रहते हैं, तो सभी दुर्गुण स्वतः छूटते हैं और आत्मा स्वस्थ बनती जाती है।
निष्कर्ष (Conclusion):
सतयुग कोई कल्पना नहीं है — वह हमारी आत्मा की सच्ची स्थिति है।
आइए, अब परमात्मा की श्रीमत पर चलें, विकारों से छुटकारा पाएं,
और उस दुनिया में प्रवेश करें जहाँ स्वास्थ्य ही स्वाभाविक स्थिति है।
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