सहज राजयोग कोर्स 04 दिवस ब्रह्मा कुमारीज
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“शिव और शंकर में क्या अंतर है? | कौन है सच्चा परमात्मा? | Rajyoga Course Explained – BK Speech”
प्रस्तावना: ओम् शांति
आज हम सहज राजयोग के एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर चिंतन करने जा रहे हैं —
“कौन है परमात्मा? क्या राम, कृष्ण, हनुमान, शंकर भगवान हैं? और शिव कौन हैं?”
यह प्रश्न केवल जिज्ञासा नहीं है, बल्कि हर आत्मा की खोज है।
तो आइए, सहज राजयोग की रोशनी में इस रहस्य को समझते हैं।
1. क्या सभी देवी-देवता भगवान हैं?
आजकल हमें कहा जाता है कि “भगवान एक है”, फिर भी 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा होती है।
राम, कृष्ण, हनुमान, गणेश — क्या ये सभी भगवान हैं?
उत्तर:
ये सभी महान आत्माएं हैं — देवता हैं, धर्मात्मा हैं, पूज्य हैं।
लेकिन परमात्मा नहीं हैं।
देवता = देहधारी आत्माएं
परमात्मा = देह रहित, निराकार, ज्योति स्वरूप
2. देहधारी और निराकार का फर्क
श्रीकृष्ण ने देह धारण की।
राम ने शरीर से कार्य किया।
हनुमान भी एक देहधारी वीर आत्मा थे।
लेकिन परमात्मा कभी भी देह में नहीं आते, जब तक कि स्वयं को प्रकट न करें।
जिसने देह धारण की — वह पतित भी बन सकता है।
परमात्मा कभी पतित नहीं होते।
3. राम और कृष्ण भी शिव की पूजा क्यों करते हैं?
त्रेता युग में राम शिवलिंग की पूजा करते हैं।
द्वापर युग में कृष्ण भी शिवलिंग की पूजा करते हैं।
क्यों?
क्योंकि परमात्मा शिव ही सभी आत्माओं के पिता हैं।
सभी देवी-देवता, यहाँ तक कि ब्रह्मा, विष्णु, शंकर भी, शिव की आराधना करते हैं।
4. शिव और शंकर — क्या एक ही हैं?
यह सबसे गहरा और भ्रमपूर्ण प्रश्न है।
आइए, चार आधारों पर अंतर समझते हैं:
(1) रूप का अंतर
शिव — निराकार ज्योति बिंदु (शिवलिंग)
शंकर — साकार तन में योगी तपस्वी रूप
(2) नाम का अंतर
कोई शिवलिंग को शंकर लिंग नहीं कहता।
शिवरात्रि है, शंकररात्रि नहीं।
शिव जयंती है, शंकर जयंती नहीं।
(3) गुणों का अंतर
शिव — कल्याणकारी, अजन्मा, परमपिता
शंकर — विनाशकारी, तपस्वी, देवता
(4) कार्य का अंतर
शंकर माला फेरते हैं, और बोलते हैं — “ॐ नमः शिवाय”
यानी शंकर भी शिव की पूजा करते हैं।
5. “ॐ नमः शिवाय” का रहस्य
यह मंत्र पूरे भारत में प्रचलित है, पर बहुत कम लोग इसका अर्थ जानते हैं।
“ॐ नमः शिवाय” का अर्थ:
“हे परम शिव! मैं आपको नमन करता हूँ।”
यदि शंकर जी भी शिव की पूजा करते हैं, तो स्पष्ट है —
शंकर ≠ शिव।
परमात्मा = शिव।
6. निष्कर्ष: एक ही है परमात्मा शिव
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परमात्मा निराकार है
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परमात्मा एक है
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परमात्मा देहधारी नहीं है
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परमात्मा सबका पिता है
-
परमात्मा स्वयं परिचय देते हैं
देवता पूजनीय हैं।
परमात्मा शिव पूज्यतम हैं।
7. राजयोग से सच्चा परिचय
राजयोग वह विज्ञान है जहाँ आत्मा — परमात्मा से जुड़ती है।
और जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है, तो ज्ञान, शक्ति, शांति — सब स्वतः मिलती है।
समापन
आज के चिंतन से हमें यह स्पष्ट हो गया कि —
राम, कृष्ण, हनुमान, शंकर — महान आत्माएं हैं, परंतु परमात्मा नहीं।
परमात्मा एक ही है — शिव, जो निराकार है, कल्याणकारी है, और स्वयं प्रकट होकर अपना परिचय देते हैं।
प्रश्न 1: क्या राम, कृष्ण, हनुमान जैसे सभी देवी-देवता भगवान हैं?
उत्तर:नहीं, ये सभी महान आत्माएं हैं।
वे देवता, धर्मात्मा और पूज्य हैं, लेकिन परमात्मा नहीं।
-
देवता = देहधारी, चक्र में आने वाली आत्माएं
-
परमात्मा = निराकार, देह रहित, अविनाशी ज्योति स्वरूप
प्रश्न 2: जिसने देह को धारण किया हो, क्या वह परमात्मा हो सकता है?
उत्तर:नहीं। जिसने देह को धारण किया, वह पतित भी बन सकता है।
परमात्मा कभी पतित नहीं बनते, इसलिए वे देहधारी नहीं हो सकते।
वे केवल संगम युग पर किसी माध्यम के द्वारा अवतरित होते हैं — परंतु स्वयं निराकार ही रहते हैं।
प्रश्न 3: जब राम और कृष्ण स्वयं पूज्य हैं, तो उन्होंने शिव की पूजा क्यों की?
उत्तर:क्योंकि परमात्मा शिव सभी आत्माओं के परमपिता हैं।
यह सिद्ध करता है कि राम और कृष्ण स्वयं परमात्मा नहीं, परमात्मा के भक्त हैं।
ब्रह्मा, विष्णु, शंकर तक भी शिवलिंग की पूजा करते हैं।
प्रश्न 4: शिव और शंकर क्या एक ही हैं?
उत्तर:नहीं, दोनों अलग हैं। अंतर निम्न प्रकार से समझा जा सकता है:
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रूप का अंतर:
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शिव = निराकार ज्योति बिंदु
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शंकर = साकार योगी तपस्वी
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नाम का अंतर:
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शिवलिंग = शिव का प्रतीक
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शंकरलिंग = कभी नहीं कहा जाता
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शिवरात्रि, शिव जयंती, शिवालय = सब कुछ शिव से संबद्ध
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गुणों का अंतर:
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शिव = कल्याणकारी, अजन्मा, अभोक्ता
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शंकर = विनाशकारी, साकार तपस्वी
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कर्म का अंतर:
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शंकर “ॐ नमः शिवाय” का जाप करते हैं, यानी वो भी शिव की पूजा करते हैं।
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प्रश्न 5: “ॐ नमः शिवाय” का सही अर्थ क्या है?
उत्तर:इस मंत्र का अर्थ है:
“हे परम शिव! मैं आपको नमन करता हूँ।”
यह भी सिद्ध करता है कि शंकर और अन्य योगी आत्माएं भी शिव को नमन करते हैं।
तो शंकर ≠ शिव, बल्कि शंकर = शिव का भक्त।
प्रश्न 6: तो फिर एकमात्र परमात्मा कौन है?
उत्तर:परमात्मा केवल शिव हैं।
वे ही:
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निराकार हैं
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अजन्मा हैं
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सबके पिता हैं
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स्वयं प्रकट होकर अपना परिचय देते हैं
-
हर युग के अंत में आकर ज्ञान और शांति प्रदान करते हैं
प्रश्न 7: हमें परमात्मा से जुड़ने का तरीका क्या है?
उत्तर:सहज राजयोग के द्वारा।
यह वह विज्ञान है जहाँ आत्मा — परमात्मा शिव से संकल्प के योग द्वारा जुड़ती है।
इस योग से आत्मा को मिलते हैं:
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आत्मिक बल
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ज्ञान की स्पष्टता
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शांति और पावनता
निष्कर्ष:
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राम, कृष्ण, हनुमान, शंकर — पूज्य आत्माएं हैं
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परमात्मा = केवल एक निराकार शिव
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शंकर भी शिव की पूजा करते हैं
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शिव और शंकर में गहरा अंतर है
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राजयोग के माध्यम से ही सच्चा परमात्मा अनुभव हो सकता है
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