Sahaja Raja Yoga Course 06 Days Brahma Kumaris

सहज राजयोग कोर्स 06 दिवस ब्रह्मा कुमारीज

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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“आत्मा मरने के बाद कहाँ जाती है? | 84 लाख योनियों का रहस्य |


 प्रस्तावना: पाँच दिन का चिंतन

हमने सहज राजयोग कोर्स ब्रह्मा कुमारी का पाँच दिन का कोर्स पूरा किया है।
पाँच दिन में जो भी आपने सीखा, जो भी समझ में आया — यदि कोई प्रश्न शेष है, तो आप अवश्य पूछें।
आज हम एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर चिंतन करेंगे —
“आत्मा मरने के बाद कहाँ जाती है?”


 आत्मा शरीर छोड़ने के बाद क्या करती है?

जब आत्मा शरीर छोड़ती है,
तो वह तुरंत ही — माँ के गर्भ में प्रवेश करती है।
क्योंकि शरीर देने का माध्यम माँ ही होती है।
जिस परिवार में उसका कर्मों का हिसाब-किताब होता है,
वहीं आत्मा जन्म लेती है।


 क्या आत्मा पशु-पक्षी योनि में जाती है?

हम प्रचलित मान्यता में सुनते आए हैं —
“मनुष्य आत्मा 84 लाख योनियों में जाती है।”
परन्तु परमात्मा ने आकर इस भ्रांति को तोड़ा।

मनुष्य आत्मा कभी कुत्ता, बिल्ली, शेर, गधा नहीं बनती।
जैसे आम का बीज बोओगे — आम का ही पेड़ होगा,
वैसे ही मनुष्य आत्मा — केवल मनुष्य ही बनती है।


 आत्मा का कर्मानुसार जन्म

हर आत्मा का पुनर्जन्म उसके कर्मों और संबंधों के हिसाब से होता है।
जिसे उसने पिछले जन्म में दुख दिया है —
उसी के घर जन्म लेकर वह दुख का अनुभव करती है।
यही है कर्म सिद्धांत


 क्या कुत्ता बनने से आत्मा सुधर जाती है?

मान लें किसी ने बुरे कर्म किए —
अगर वह कुत्ता बन गया — तो क्या वो सुधर जाएगा?
नहीं।

योनि बदलने से आत्मा के संस्कार नहीं बदलते।
उल्टा, वह पशु जीवन में और अचेतन हो जाती है।
इसलिए सुधार का एकमात्र तरीका है —
मनुष्य जन्म और आत्मज्ञान।


 क्या मनुष्य जन्म हीरा जन्म है?

भक्ति मार्ग में कहा जाता है —
“हीरा जन्म दुर्लभ है”
परन्तु आज के मनुष्य को देखें —
कोई भी पूरी तरह सुखी नहीं है।

 तो फिर यह हीरा जन्म कैसे हुआ?
जब हर आत्मा दुखी है, अपूर्ण है, तो इसे अनमोल कैसे कहें?


 तर्क: यदि 84 लाख योनियाँ सही हैं, तो…

  • अगर आत्मा को 84 लाख योनियों की सजा मिली —
    तो अब मनुष्य जन्म सुखद होना चाहिए था, पर है नहीं।

  • यदि सब पाप कर रहे हैं —
    तो सबको कुत्ता, बिल्ली, साँप बन जाना चाहिए था।
    फिर मनुष्य जनसंख्या घटनी चाहिए, बढ़ क्यों रही है?

इसका सीधा उत्तर है —
84 लाख योनियों की धारणा केवल भ्रांति है।


 पुनर्जन्म के वैज्ञानिक प्रमाण क्या कहते हैं?

आज तक जितने भी सर्टिफाइड पुनर्जन्म केस मिले हैं —
कोई नहीं कहता —
“मैं पिछले जन्म में बिल्ली था, घोड़ा था।”
सभी कहते हैं —
“मैं पिछले जन्म में मनुष्य था।”

यह भी प्रमाण है कि आत्मा मनुष्य से मनुष्य ही जन्म लेती है।


 निष्कर्ष: आत्मा का सच्चा विज्ञान

  • आत्मा शरीर को छोड़ने के बाद माँ के गर्भ में जाती है।

  • आत्मा कभी पशु-पक्षी नहीं बनती, यह भ्रांति है।

  • कर्म अनुसार ही आत्मा को अगला जन्म मिलता है।

  • सुधार का साधन केवल मनुष्य जन्म और ईश्वर ज्ञान है।


 अंतिम स्मृति:

“मैं आत्मा हूँ — परमपिता परमात्मा की संतान।
मेरा स्वभाव है — शांति, पवित्रता और शक्ति।”

इस आत्म-ज्ञान के प्रकाश में ही सच्ची उन्नति है।
 ओम् शांति।

प्रश्न 1: आत्मा शरीर छोड़ने के बाद कहाँ जाती है?

उत्तर:आत्मा शरीर छोड़ते ही तुरंत ही माँ के गर्भ में प्रवेश कर लेती है।
जिस परिवार के साथ आत्मा का कर्मों का हिसाब-किताब होता है, वहीं जन्म लेती है।
परमात्मा ने स्पष्ट किया है कि आत्मा का गमन बहुत तीव्र होता है — एक सेकंड में शरीर छोड़ती है और अगले शरीर में प्रवेश करती है।


प्रश्न 2: क्या आत्मा पशु-पक्षी योनि में जाती है?

उत्तर:नहीं। परमात्मा ने कहा है कि मनुष्य आत्मा कभी पशु-पक्षी नहीं बनती।
जैसे आम का बीज बोने से आम का ही पेड़ निकलता है, वैसे ही मनुष्य आत्मा मनुष्य ही बनती है।
84 लाख योनियों में जाना केवल एक कल्पना है, न कि आध्यात्मिक सत्य।


प्रश्न 3: आत्मा का जन्म कहाँ और क्यों होता है?

उत्तर:आत्मा उसी घर में जन्म लेती है जहाँ उसका पूर्व जन्मों का कर्मिक खाता (account) होता है।
जिसे आत्मा ने दुख दिया — उसी के पास जाकर वह दुख भोगती है।
यही कर्म सिद्धांत है — “जैसा कर्म, वैसा फल।”


प्रश्न 4: क्या कुत्ता या सूअर बनकर आत्मा सुधर जाती है?

उत्तर:नहीं।
योनि बदलने से आत्मा के संस्कार नहीं बदलते
पशु जीवन में आत्मा अचेतन अवस्था में चली जाती है, सुधार की संभावना नहीं होती।
सुधार और मोक्ष का साधन केवल मनुष्य जन्म है, वह भी ज्ञान द्वारा।


प्रश्न 5: क्या मनुष्य जन्म हीरा जन्म है?

उत्तर:आज के समय में मनुष्य दुखी, असहाय और अशांत है।
इसलिए आज का मनुष्य जन्म “हीरा जन्म” नहीं कहा जा सकता।
हीरा जन्म तब कहलाएगा जब आत्मा शुद्ध, शक्तिशाली और ईश्वरीय ज्ञान से भरपूर हो।


प्रश्न 6: यदि आत्मा 84 लाख योनियों में जाती है, तो फिर…?

उत्तर:यदि आत्मा को 84 लाख योनियों की सजा मिली होती,
तो मनुष्य जन्म पाकर वह पूरी तरह सुखी होनी चाहिए थी।
पर आज भी जन्म-जन्मांतर के दुख अनुभव हो रहे हैं —
इसका अर्थ है कि 84 लाख योनियों की धारणा केवल एक भ्रांति है, न कि सच्चाई।


प्रश्न 7: क्या पुनर्जन्म के प्रमाण इस बात की पुष्टि करते हैं?

उत्तर:जी हाँ।
आज तक जो भी सर्टिफाइड पुनर्जन्म के केस सामने आए हैं,
उनमें किसी ने यह नहीं कहा कि “मैं पिछले जन्म में बिल्ली, गधा या चूहा था।”
सभी ने कहा — “मैं पिछले जन्म में मनुष्य था।”
इससे सिद्ध होता है कि आत्मा मनुष्य से ही मनुष्य जन्म लेती है।


 निष्कर्ष:

  • आत्मा शरीर छोड़ने के बाद माँ के गर्भ में जाती है।

  • आत्मा कभी भी पशु योनि में नहीं जाती।

  • आत्मा का जन्म उसके कर्म और संबंधों के अनुसार होता है।

  • सुधार और मोक्ष का एकमात्र अवसर है — मनुष्य जन्म + ईश्वर का ज्ञान।

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