सहज राजयोग कोर्स 07 दिवस ब्रह्मा कुमारीज
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“सिर्फ एक ही है सच्चा परमात्मा | क्या सभी धर्म एक ही ईश्वर को मानते हैं? |
प्रस्तावना: आत्मा, परमात्मा और धर्मों की गहराई
ओम् शांति।
हम ब्रह्माकुमारीज सहज राजयोग कोर्स के सातवें दिन की चर्चा में हैं। आज हम एक गहन प्रश्न की ओर बढ़ते हैं – “परमात्मा एक है, तो फिर इतने सारे भगवान क्यों माने जाते हैं?”
1. क्या परमात्मा एक है?
सब धर्म यही मानते हैं – “गॉड इज़ वन”। परंतु हर एक धर्म अलग-अलग रूपों में ईश्वर को पहचानता है:
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कोई श्रीकृष्ण को परमात्मा मानता है।
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कोई राम, हनुमान, गणेश, यीशु मसीह, गुरु नानक या महावीर को।
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लेकिन क्या परमात्मा स्वयं ने कभी कहा कि “मैं ही ईश्वर हूं?”
उत्तर है – नहीं।
श्रीकृष्ण ने भी गीता में अपने विष्णु स्वरूप को याद करने को कहा, स्वयं को परमात्मा नहीं बताया।
2. 33 करोड़ देवी-देवता और एक परमात्मा
हमने गलती से 33 करोड़ देवी-देवताओं को ही परमात्मा मान लिया।
परंतु परमात्मा का रूप एक, ज्ञान एक, कार्य एक होता है।
भक्ति मार्ग में कहा गया – “भगवान एक है, रूप अनेक हैं”, पर ये आस्था की गलती है।
3. परमात्मा स्वयं परिचय देता है
परमात्मा खुद कहते हैं –
“मैं स्वयं आकर अपना परिचय देता हूं, कोई मनुष्य मुझे नहीं जान सकता।”
गुरु नानक, बुद्ध, महावीर, क्राइस्ट – किसी ने भी खुद को परमात्मा नहीं कहा।
वे केवल धर्म संस्थापक या संदेशवाहक थे।
4. शिवलिंग और संग-ए-अश्वद – क्या दोनों एक जैसे प्रतीक हैं?
शिवलिंग – पूरे भारत में ईश्वर का यादगार।
मक्का में रखा काला पत्थर – “संग-ए-अश्वद” – उसे भी “ख़ुदा का पत्थर” कहा जाता है।
क्या यह सिर्फ संयोग है?
या सभी धर्मों में किसी एक नूर, एक शक्ति, एक ईश्वर की स्मृति बसी है?
5. मोहम्मद साहब और संग-ए-अश्वद की कहानी
चार समुदायों में विवाद था कि पत्थर कौन स्थापित करेगा।
मोहम्मद साहब ने समाधान निकाला — चादर में रखकर सभी से उठवाया और फिर उसे स्थापित किया।
इससे पता चलता है – मोहम्मद साहब में नेतृत्व, शांति और एकता का संदेश था।
6. कुरान और आयतें कैसे बनीं?
कुरान की आयतें एक व्यक्ति द्वारा नहीं लिखी गईं, बल्कि कई आत्माओं ने विचारों से जोड़ा।
जो-जो आत्माएं नूर के संपर्क में आईं, उन्होंने अनुभव लिखे — यही हुआ नोवा और मनु के साथ भी।
7. मत्स्य अवतार और नोवा की कथा – समानता क्या बताती है?
मनु ने मछली के रूप में परमात्मा का अनुभव किया।
नोवा ने प्रकाश के रूप में।
दोनों को नाव बनाने और नई दुनिया की तैयारी का संदेश मिला।
यह संकेत है उस एक ही चेतना का, जो समय-समय पर आत्माओं को मार्ग दिखाती है।
8. धर्म भिन्न हो सकते हैं, लेकिन ईश्वर एक ही है
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जैसे भारत में सनातन धर्म से कई पंथ निकले।
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वैसे ही इब्राहिम से यहूदी, जेहोवा, नोवा जैसे पंथ निकले।
परंतु आत्मा का पिता एक ही परमात्मा है — जिसे सब धर्म नूर, प्रकाश या शिव के रूप में मानते हैं।
निष्कर्ष: परमात्मा एक – पहचानें, न कि भ्रमित हों
परमात्मा सभी धर्मों की आत्माओं को कहते हैं —
“मैं तुम्हारा पिता हूं। तुम आत्माएं हो, मेरे बच्चे हो।”
अब समय है, उसे स्वयं से जानने का, योग से अनुभव करने का, और सही परिचय देकर संसार को सच्चा ज्ञान देने का।
प्रश्न 1: क्या सभी धर्म ईश्वर को एक मानते हैं?
उत्तर:
हाँ, लगभग सभी धर्म मानते हैं कि परमात्मा एक है। जैसे:
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हिंदू कहते हैं “ईश्वर एक है”
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मुसलमान कहते हैं “अल्लाह एक है”
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ईसाई कहते हैं “गॉड इज़ वन”
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सिख कहते हैं “एक ओंकार”
परंतु रूप की पहचान में भिन्नता होने से भ्रम हो गया कि राम, कृष्ण, बुद्ध, यीशु — सभी को अलग-अलग भगवान मान लिया गया।
प्रश्न 2: अगर ईश्वर एक है, तो 33 करोड़ देवी-देवता कहां से आए?
उत्तर:33 करोड़ देवी-देवता उच्च आत्माएं हैं, जिन्होंने सतयुग और त्रेतायुग में दिव्य जीवन जिया।
लोगों ने उनकी पूजा करते-करते उन्हें ही परमात्मा मान लिया, जबकि परमात्मा तो उनसे भी श्रेष्ठ और निराकार है।
प्रश्न 3: क्या परमात्मा खुद कहता है कि “मैं ईश्वर हूं”?
उत्तर:हाँ, सिर्फ परमात्मा ही स्वयं आकर अपना परिचय देता है।
किसी भी धर्म संस्थापक जैसे बुद्ध, महावीर, यीशु, गुरु नानक ने कभी खुद को परमात्मा नहीं कहा।
गीता में श्रीकृष्ण भी अपने विष्णु स्वरूप की याद दिलाते हैं, स्वयं को परमात्मा नहीं कहते।
प्रश्न 4: क्या शिवलिंग और मक्का का काला पत्थर (संग-ए-अश्वद) एक जैसे प्रतीक हैं?
उत्तर:हाँ, दोनों निराकार परमात्मा की स्मृति हैं।
भारत में शिवलिंग और मक्का में संग-ए-अश्वद — दोनों को ईश्वर की निशानी माना गया।
यह दिखाता है कि हर धर्म में एक ही शक्ति की स्मृति गूंजती है।
प्रश्न 5: संग-ए-अश्वद को किसने स्थापित किया?
उत्तर:मोहम्मद साहब के समय चार समुदायों में विवाद था कि पत्थर कौन रखे।
उन्होंने चादर में पत्थर रखवा कर सबको उठवाया और खुद उसे स्थापित किया।
इससे उनका समता, शांति और समाधानप्रिय स्वभाव स्पष्ट होता है।
प्रश्न 6: कुरान की आयतें किसने लिखीं?
उत्तर:कुरान की आयतें सिर्फ मोहम्मद साहब द्वारा नहीं लिखी गईं।
कई आत्माओं ने अपने-अपने नूर के अनुभवों को शब्दों में पिरोया।
जिस प्रकार से मनु को ईश्वर की प्रेरणा से नाव बनाने का संदेश मिला, उसी प्रकार नोवा को भी मिला।
प्रश्न 7: मनु और नोवा की कथाओं में क्या समानता है?
उत्तर:दोनों को प्रकाश रूपी चेतना से संकेत मिला —
नाव बनाओ, बाढ़ आएगी, नई दुनिया की स्थापना करनी है।
यह प्रमाण है कि हर युग में परमात्मा मार्गदर्शन देता है, चाहे नाम कोई भी हो।
प्रश्न 8: धर्म भिन्न हो सकते हैं, पर क्या ईश्वर एक ही है?
उत्तर:बिलकुल।
धर्मों के नाम, भाषा और रीति भिन्न हो सकते हैं, लेकिन सभी आत्माओं का पिता परमात्मा एक ही है।
कोई उसे “नूर”, कोई “प्रकाश”, कोई “शिव” कहता है।
प्रश्न 9: परमात्मा कौन है, और वह कहां से आता है?
उत्तर:परमात्मा निराकार शिव है।
वह परमधाम (शांति धाम) से आता है।
जब सृष्टि अज्ञान में डूब जाती है, वह स्वयं आकर ज्ञान का प्रकाश देता है।
प्रश्न 10: अब हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:हमें परमात्मा को सही रूप में पहचानना,
योग द्वारा उसे अनुभव करना,
और उसके परिचय को संसार में फैलाना चाहिए।
यही है इस युग की सबसे बड़ी सेवा।
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