सहज राजयोग कोर्स 11 दिवस ब्रह्मा कुमारीज
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“कल्पवृक्ष और रावण का गहरा रहस्य | 108 विजयी आत्माएं कौन हैं? |
प्रस्तावना: एक दिव्य चित्र की झलक
आज हम ब्रह्मा कुमारी सहज राजयोग कोर्स के 11वें दिवस में एक ऐसे दिव्य चित्र की व्याख्या करेंगे, जिसमें मानव आत्माओं की यात्रा, धर्मों की उत्पत्ति और रावण की सच्ची पहचान को स्पष्ट रूप से समझाया गया है।
कल्पवृक्ष चित्र का दिव्य रहस्य
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आत्माएं इस झाड़ रूपी चित्र पर कैसे आती हैं?
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हर युग में धर्मों की शाखाएं कैसे निकलती हैं?
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इब्राहिम, क्राइस्ट, मोहम्मद और बुद्ध जैसे महापुरुषों की आत्माएं कब-कब आती हैं?
मुख्य बिंदु:
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द्वापर से इब्राहिम का आगमन
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मुस्लिम, क्रिश्चियन, बौद्ध, सिख, सन्यास, आदि धर्मों की शाखाएं
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शंकराचार्य और गुरु नानक का योगदान
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ये चित्र हमें सम्पूर्ण विश्व इतिहास का एक गहन आध्यात्मिक दृष्टिकोण देता है।
108 विजयी आत्माओं की माला – विजयंती माला
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इस चित्र के शीर्ष पर दिखाई गई है बजंती माला।
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शिव बाबा, ब्रह्मा, सरस्वती — जुगल दाना और फिर अन्य आत्माएं।
महत्वपूर्ण प्रश्न:
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शिव बाबा और जुगल दाना में क्या अंतर है?
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8 रत्न और 108 रत्नों के बीच क्या अंतर है?
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हर माला के दाने का अलग अर्थ और स्थान क्यों?
यह माला ही वह “वंदे मातरम्” की माला है — माताओं की, आत्माओं की, जो पावन बनकर विजय प्राप्त करती हैं।
रावण – अवगुणों का प्रतीक
रावण कोई व्यक्ति नहीं, वह हमारे अंदर के 10 अवगुणों का रूप है:
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काम
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क्रोध
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लोभ
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मोह
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अहंकार
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भय
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ईर्ष्या
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शंका
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निराशा
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चिड़चिड़ापन
बीच में गधे का सिर यह दर्शाता है कि चाहे कोई विद्वान भी हो, अगर वह विकारी है, तो वह आत्मिक दृष्टि से मूर्ख है।
संदेश:
सच्चा रावण जलाना है — मतलब इन सभी बुराइयों का अंत करना है। शिव बाबा कहते हैं — “मैं आया हूं आत्माओं को पावन बनाने।”
विराट रूप का चित्र – परमपिता की रचना की झांकी
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विष्णु की नाभि से ब्रह्मा उत्पन्न होते हैं।
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ब्रह्मा सो विष्णु, विष्णु सो ब्रह्मा।
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कल्पवृक्ष — एक विराट चित्र, जिसमें आत्माओं की यात्रा और अवस्था दर्शाई गई है।
5000 वर्षों का चक्र – बार-बार रिपीट होने वाला।
पुरुषार्थ और वर्ण व्यवस्था
हर आत्मा अपनी पवित्रता (Merit) के अनुसार चार वर्णों में जाती है:
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100% → सतयुग के देवता
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75–50% → त्रेता के क्षत्रिय
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50–25% → द्वापर के वैश्य
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0–25% → कलयुग के शूद्र
जन्मों की गणना
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संगम युग: 1 जन्म
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सतयुग: 8 जन्म
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त्रेता: 12 जन्म
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द्वापर: 21 जन्म
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कलयुग: 42 जन्म
अंतिम संदेश: आत्माएं कब आती हैं?
हर आत्मा परमधाम से अपनी मेरिट के अनुसार आती है — न कोई पहले, न कोई बाद में।
समय तय है, नाटक पूरा है, हम सब अपने-अपने रोल में।
कल्पवृक्ष और रावण का गहरा रहस्य | 108 विजयी आत्माएं कौन हैं? |
प्रश्न 1: कल्पवृक्ष का चित्र क्या दर्शाता है?
उत्तर:कल्पवृक्ष का चित्र आत्माओं के अवतरण और विभिन्न धर्मों की स्थापना को दर्शाता है। इसमें दिखाया गया है कि परमधाम से आत्माएं अपनी-अपनी मेरिट अनुसार धरती पर आती हैं और विभिन्न समयों पर महान आत्माएं (जैसे इब्राहिम, क्राइस्ट, बुद्ध आदि) अलग-अलग धर्मों की स्थापना करती हैं।
प्रश्न 2: कौन-से धर्म और शाखाएं इस झाड़ से निकली हैं?
उत्तर:मुख्य धर्म हैं: मुस्लिम (इब्राहिम द्वारा), ईसाई (क्राइस्ट द्वारा), इस्लाम (मोहम्मद द्वारा), बौद्ध (बुद्ध द्वारा), सन्यास (शंकराचार्य द्वारा), सिख धर्म (गुरु नानक द्वारा)। इनके द्वारा विभिन्न मत, पंथ और शाखाएं पूरे विश्व में फैलती गईं।
प्रश्न 3: विजयंती माला में 108 आत्माएं कौन हैं?
उत्तर:ये वे आत्माएं हैं जो परमात्मा शिव की श्रीमत पर चलकर पावन बनीं और अंत तक विजयी रहीं।
इस माला में शिव बाबा सबसे पहले, फिर ब्रह्मा बाबा और सरस्वती (जुगल दाना), फिर अन्य श्रेष्ठ आत्माएं आती हैं।
प्रश्न 4: शिव बाबा और जुगल दाना में क्या अंतर है?
उत्तर:शिव बाबा सर्व आत्माओं के पिता हैं — निराकार।
जुगल दाना (ब्रह्मा और सरस्वती) वे आत्माएं हैं जो शिव बाबा की श्रीमत पर चलकर इस ईश्वरीय कार्य के निमित्त बनती हैं।
प्रश्न 5: 8 रत्न और 108 रत्नों में क्या भिन्नता है?
उत्तर:8 रत्न वे हैं जो बेहद नजदीकी, नेतृत्वकारी और बेहद पावन आत्माएं हैं।
108 रत्न वे हैं जिन्होंने समर्पण, सेवा और पवित्रता के श्रेष्ठ पुरुषार्थ से अंतिम विजय पाई।
प्रश्न 6: रावण असल में कौन है?
उत्तर:रावण कोई व्यक्ति नहीं बल्कि 10 विकारों का प्रतीक है — काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, भय, ईर्ष्या, शंका, निराशा, चिड़चिड़ापन।
गधे का सिर दर्शाता है कि ज्ञान होने के बावजूद विकारी जीवन जीना आत्मिक मूर्खता है।
प्रश्न 7: सच्चे रावण को कैसे जलाएं?
उत्तर:अपने अंदर छिपे 10 विकारों को आत्म-ज्ञान और परमात्मा की याद से समाप्त करना ही सच्चे रावण का दहन है।
प्रश्न 8: विराट रूप का चित्र क्या दर्शाता है?
उत्तर:यह चित्र यह दर्शाता है कि ब्रह्मा सो विष्णु और विष्णु सो ब्रह्मा — यानी आत्मा चक्र अनुसार अपने स्वरूप बदलती है।
5000 वर्ष का यह कल्प चक्र बार-बार रिपीट होता है, और हर आत्मा अपना निश्चित रोल निभाती है।
प्रश्न 9: आत्माएं चार वर्णों में कैसे जाती हैं?
उत्तर:यह आत्मा की पवित्रता (merit) पर निर्भर करता है:
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100% → सतयुगी देवता
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75–50% → त्रेता के क्षत्रिय
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50–25% → द्वापर के वैश्य
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0–25% → कलियुगी शूद्र
प्रश्न 10: एक आत्मा कितने जन्म लेती है?
उत्तर:
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संगम युग: 1
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सतयुग: 8
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त्रेता: 12
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द्वापर: 21
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कलयुग: 42
कुल मिलाकर लगभग 84 जन्म।
प्रश्न 11: आत्माएं परमधाम से कब आती हैं?
उत्तर:हर आत्मा अपने कर्म और पुण्य अनुसार ही परमधाम से आती है। कोई पहले नहीं आता, कोई बाद में नहीं — सबका समय निर्धारित होता है, यह एक नाटक की तरह है जिसमें सभी को अपनी भूमिका निभानी होती है।
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