सहज राजयोग कोर्स 15 दिवस ब्रह्मा कुमारीज
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
“क्या विज़ुअलाइज़ेशन योग है? | संकल्प से परमात्मा से संबंध कैसे जोड़ें? |
मुख्य भाषण – सहज राजयोग में विज़ुअलाइज़ेशन का स्थान
प्रस्तावना: योग क्या है?
ओम् शांति।
हम सहज राजयोग के कोर्स को कर रहे हैं, जिसमें हमने आत्मा और परमात्मा के संबंध को बनाने के लिए योग का अध्ययन किया है। योग से क्या प्राप्त होता है? योग की अवस्थाएँ क्या हैं? और यह अन्य योगों से कैसे भिन्न है — यह सब हमने समझा है।
लेकिन आज हम एक विशेष बिंदु पर गहराई से मंथन करेंगे —
क्या विज़ुअलाइज़ेशन भी योग है?
परमात्मा से संबंध कैसे जुड़े — संकल्प से या चित्र से?
आत्मा का परमात्मा से संकल्प रूपी संबंध
सहज राजयोग का निचोड़ यह है —
“आत्मा का परमात्मा से योग है, न कि शरीर का।”
जब तक हम शरीर की चेतना में हैं, जब तक हम शरीर रूपी “रबड़” को नहीं उतारते — तब तक परमात्मा से सच्चा योग नहीं लग सकता।
योग में शरीर का प्रयोग क्यों नहीं?
बाबा स्पष्ट कहते हैं —
योग में देखना, सुनना, बोलना — ये तीनों भी बाधा बन सकते हैं।
यदि हम किसी चित्र को देखकर या मन में आकृति बनाकर ध्यान करते हैं — वह सहज राजयोग नहीं है।
संकल्पों से बनता है कनेक्शन
परमात्मा से संबंध जोड़ने का एक ही तरीका है — “संकल्प”।
ना आंखों से, ना कानों से —
बल्कि ज्ञान, समझ, और आत्मिक चिंतन से जो विचार उत्पन्न होते हैं — वही सच्चा योग बनते हैं।
विज़ुअलाइज़ेशन और कल्पना — एक भ्रम
बहुत से लोग विज़ुअलाइज़ेशन को भी योग मानते हैं।
उदाहरण के रूप में आइंस्टीन को लिया जाता है —
वह प्रयोगशाला में नहीं थे, फिर भी स्टेशन पर खड़े-खड़े सोचते रहे कि आगे क्या करना है —
यह विज़ुअलाइज़ेशन है — लेकिन योग नहीं।
विज़ुअलाइज़ेशन से सफलता मिलती है — पर आत्मा नहीं सुधरती
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हाँ, विज़ुअलाइज़ेशन से डिश बनती है, रिसर्च होती है, बीमारी भी ठीक होती है।
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परन्तु वह केवल स्थूल जगत की सफलता है,
आत्मा की उन्नति, पवित्रता और परमात्मा से संबंध के लिए यह पर्याप्त नहीं है।
विचित्र परमात्मा को याद करना
परमात्मा को हम चित्र द्वारा नहीं याद कर सकते,
क्योंकि वो विचित्र है — जिसका चित्र ही नहीं बनाया जा सकता।
योग में चित्र नहीं, चित्त चाहिए।
संकल्पों का बल चाहिए —
ज्ञान की समझ चाहिए —
बाबा से मिली दिव्य दृष्टि चाहिए।
वर्से को याद करो — इसका सही अर्थ
जब बाबा कहते हैं — “वर्से को याद करो”,
तो उसका अर्थ होता है —
वर्तमान में दिव्य गुणों को धारण करना, श्रेष्ठ कर्म करना, आत्मा को सुधारना।
कल्पना करना कि स्वर्ग में क्या होगा — यह आत्मिक नहीं, मानसिक व्यायाम है।
अंतिम समय में विज़ुअलाइज़ेशन नहीं चलेगा
अंत समय में सिर्फ अभ्यास काम आएगा।
जो आपने जीवन में अपनाया है, वही आपके स्वभाव में होगा।
किसी चित्र को सोचने का समय नहीं होगा।
आत्मा को आत्मा समझना — विज़ुअलाइज़ नहीं, समझ है
कई लोग पूछते हैं —
“आत्मा को आत्मा समझकर देखना भी तो विज़ुअलाइज़ेशन है?”
नहीं —
यह चित्र नहीं, चित्त की समझ है।
यह देखना नहीं, जानना है।
बाबा ने ज्ञान दिया है — केवल उसे स्वीकार करना है।
निष्कर्ष: योग का सच्चा स्वरूप
योग कोई बाहरी प्रक्रिया नहीं — यह आंतरिक संकल्पों का शुद्ध प्रवाह है।
विज़ुअलाइज़ेशन, कोई चित्र या कल्पना — यह परमात्मा के साथ संबंध में बाधा है।
सच्चा योग है — “आत्मा का परमात्मा से संकल्प द्वारा संबंध।”
“क्या विज़ुअलाइज़ेशन योग है?” – प्रश्नोत्तर स्वरूप
Q1. सहज राजयोग का मूल अर्थ क्या है?
A1. सहज राजयोग का सार है — “आत्मा का परमात्मा से योग”। यह शरीर के साथ योग नहीं है, बल्कि आत्मा के संकल्पों से परमात्मा के साथ जुड़ाव है।
Q2. क्या योग में शरीर के अंगों का प्रयोग किया जा सकता है?
A2. नहीं। बाबा ने स्पष्ट कहा है कि देखना, सुनना और बोलना — ये तीनों भी योग में बाधा बन सकते हैं।
योग में किसी चित्र, मूर्ति या दृश्य का उपयोग नहीं होता।
Q3. परमात्मा से संबंध कैसे जुड़ता है?
A3. परमात्मा से संबंध केवल संकल्पों के माध्यम से जुड़ता है।
ज्ञान और आत्मिक चिंतन से उत्पन्न विचार ही सच्चे योग का आधार हैं।
Q4. विज़ुअलाइज़ेशन और योग में क्या अंतर है?
A4.
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विज़ुअलाइज़ेशन मानसिक चित्र बनाना है, जो हमने पहले देखा या अनुभव किया हो।
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जबकि योग एक संकल्पिक, आत्मिक संबंध है — जो बिना चित्र, केवल समझ और अनुभव से जुड़ता है।
Q5. क्या विज़ुअलाइज़ेशन से कोई लाभ होता है?
A5. हाँ, लेकिन केवल स्थूल जगत में — जैसे कोई नई डिश बनाना, रिसर्च करना, बीमारी ठीक करना।
परंतु आत्मा की उन्नति, पवित्रता और परमात्मा से संबंध के लिए यह पर्याप्त नहीं है।
Q6. परमात्मा को याद कैसे किया जाए, जब उनका कोई चित्र नहीं?
A6. परमात्मा को चित्र से नहीं, चित्त से याद करना है।
वे विचित्र हैं — इसलिए उन्हें ज्ञान, संकल्प और आत्मिक स्थिति से याद किया जाता है।
Q7. बाबा कहते हैं “वर्से को याद करो” — इसका अर्थ क्या है?
A7. इसका अर्थ है — वर्तमान में दिव्यता धारण करो ताकि भविष्य में श्रेष्ठ वर्सा (स्वर्ग) प्राप्त हो।
कल्पनाएं नहीं, बल्कि वर्तमान की श्रेष्ठता ही भविष्य का आधार है।
Q8. क्या अंत समय में विज़ुअलाइज़ेशन काम आएगा?
A8. नहीं। अंत समय में केवल अभ्यास काम आएगा।
जो हमने जीवन में आत्मा–परमात्मा का संबंध बना लिया है, वही हमारी स्थिति में दिखाई देगा।
Q9. क्या आत्मा को आत्मा समझकर देखना भी विज़ुअलाइज़ेशन है?
A9. नहीं। आत्मा को आत्मा समझना ज्ञान की समझ है, न कि मानसिक चित्र बनाना।
यह बुद्धि की जागरूकता है, कोई कल्पनालोक नहीं।
Q10. सहज राजयोग में विज़ुअलाइज़ेशन क्यों बाधा है?
A10. क्योंकि विज़ुअलाइज़ेशन में हम बाह्य चित्रों में उलझ जाते हैं,
जबकि परमात्मा से योग एक अदृश्य, संकल्पिक, आत्मिक कनेक्शन है —
जिसमें कोई मूर्ति, चित्र या आकृति की आवश्यकता नहीं होती।
Q11. सच्चा योग क्या है?
A11. सच्चा योग है —
“आत्मा का परमात्मा से संकल्प द्वारा संबंध।”
बिना किसी दृश्य के, बिना किसी कल्पना के, केवल आत्मिक स्थिति से जुड़ना।
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