Satyug – (02) – The divine splendor of Satyug and the secret of safety of resolution

सतयुग-(02)-सतयुग का दिव्य वैभव और संकल्प का सेफ्टी का रहस्य

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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02- सतयुग का दिव्य वैभव और संकल्प से सेफ्टी का रहस्य!

“स्वर्णिम युग का दिव्य वैभव और विनाश के समय सेफ रहने का राज!”सतयुग के दिव्य साधन नैचुरल वैभव!

🚀 सतयुग में हर वस्तु दिव्य, सहज और प्राकृतिक होगी!

🎼 रतन-जड़ित संगीत यंत्रसिर्फ अंगुली रखते ही बज उठेंगे!

👗 ड्रेस कोड श्रेष्ठ होगाहर स्थान और सेवा के अनुसार विशेष परिधान होंगे!

👑 गहनों और श्रृंगार का अद्भुत वैभव होगा, लेकिन कोई बोझ नहीं होगा!

🌟 हर आत्मा की दिव्यता स्वयं ही उसकी आभा बढ़ाएगीकोई भी चीज़ मेहनत से नहीं, बल्कि सहज रूप से प्राप्त होगी!अब की तैयारीअंतिम समय के लिए एवररेडी रहो!

📌 विनाश के समय पास होने के लिए अभी से अभ्यास चाहिए!

समेटने की शक्ति द्वारा “फुल स्टॉप” लगाने का अभ्यास करो!

💡 एक सेकंड में साकार से आकारी, आकारी से निराकारी बनने की कला सीखो!

अब बुद्धि को इतना विशाल बनाना है कि एक सेकंड में कई कार्य हो जाएँ!

विस्तार में रहते हुए भी समेटने और उपराम रहने का अभ्यास बढ़ाओ!

फ़रिश्तेपन का साक्षात्कार और सेफ्टी का राज!

💭 अब अभ्यास ऐसा बनाओ किअभी साकार में, अभी अशरीरी!

इसी अभ्यास से फ़रिश्तेपन का साक्षात्कार होगा!

👁 अंतिम समय में प्रत्यक्षता के दृश्य इसी अभ्यास से दिखाई देंगे!

🛡 यही अभ्यास अंत में सेफ्टी का साधन बनेगा!

 📌 विनाश के समय सेफ रहने के लिए दो चीज़ें ज़रूरी हैं:

  1. एक बुद्धि की लाइन क्लीयर हो!
  2. अशरीरी बनने का अभ्यास गहरा हो!

🔹 जब भी कोई परिस्थिति आएबस अशरीरी हो जाओ!

🔹 यही अभ्यास अंतिम समय में सहजता से शरीर छोड़नेमें मदद करेगा!

🔹 जो सदा सहयोगी रहते हैं, वे अंत में मदद ज़रूर पाते हैं!

 पुराने वस्त्र बदलने जैसी सहज मृत्यु!

🕊 स्थूल वस्त्र बदलने जैसा ही शरीर छोड़ना होगा!

💭 एक संकल्प किया और पुराने शरीर को त्याग दिया!

🚀 जो यह अभ्यास करते हैं, वे सहजता से यात्रा पूरी कर लेंगे!

अब समय है अभ्यास को तीव्र करने का!

फ़रिश्ता बनने की स्थिति को धारण करने का!

दिव्यता और संकल्प की शक्ति से पुरानी दुनिया से पार होने का!

 क्या आप तैयार हैं?

📢 अब की मेहनत ही अंतिम समय की सफलता का आधार बनेगी!

💎 राजयोग और संकल्प शक्ति से अपने अंतिम क्षणों को सबसे सुन्दर बनाओ!

🌟 फ़रिश्ते बनो, दिव्यता धारण करो और सतयुग के अधिकारी बनो!

🌟 02- सतयुग का दिव्य वैभव और संकल्प से सेफ्टी का रहस्य!

“स्वर्णिम युग का दिव्य वैभव और विनाश के समय सेफ रहने का राज!”


प्रश्न 1: सतयुग में जीवन कितना दिव्य और वैभवशाली होता है?

उत्तर:सतयुग का जीवन एकदम दिव्य, प्राकृतिक और सहज होता है।
🚀 हर वस्तु नैचुरल और सेवा में तत्पर होती है।
🎼 संगीत यंत्र बिना छुए, केवल संकल्प या स्पर्श से बज उठते हैं।
👗 वस्त्र हर स्थान और सेवा के अनुसार अपने आप अनुकूल हो जाते हैं।
👑 श्रृंगार बोझ नहीं, बल्कि आत्मा की दिव्यता का प्रतीक होता है।


प्रश्न 2: सतयुग में इतनी सम्पन्नता कैसे प्राप्त होती है?

उत्तर:यह सम्पन्नता मेहनत से नहीं, दिव्यता और पुण्य-संचय से मिलती है।
🌟 आत्मा की आंतरिक शक्ति और शुद्धता इतनी होती है कि हर चीज़ स्वतः आकर्षित होती है।


प्रश्न 3: क्या विनाश के समय सेफ रहना संभव है?

उत्तर:हाँ! लेकिन उसके लिए अभी से अभ्यास करना होगा—
⏳ “फुल स्टॉप” लगाने की शक्ति चाहिए।
💭 साकार से आकारी और आकारी से निराकारी बनने की कला होनी चाहिए।
🛡 यही अभ्यास अन्तिम समय में आत्मा की सेफ्टी का रक्षक बनेगा।


प्रश्न 4: ‘फ़रिश्तेपन का साक्षात्कार’ क्या है और क्यों ज़रूरी है?

उत्तर:फ़रिश्तापन यानी शरीर के पार जाने की स्थिति।
✨ जब आत्मा स्थूल से subtle बनती है, तो वह फ़रिश्ते जैसे अनुभव करती है।
👁 इस स्थिति से ही परमात्मा की प्रत्यक्षता और सहयोग का अनुभव होता है।


प्रश्न 5: सेफ रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण 2 बातें क्या हैं?

उत्तर:

📌 (1) बुद्धि की लाइन स्पष्ट हो—परमात्मा से कनेक्शन टूटा न हो।
📌 (2) अशरीरी बनने का अभ्यास गहरा हो—स्थिति स्थूल में रहते हुए भी पारशरीरी हो।


प्रश्न 6: मृत्यु कैसी होगी सतयुग में जाने वाले आत्माओं के लिए?

उत्तर:🕊 मृत्यु नहीं, बल्कि पुराने वस्त्र बदलने जैसा अनुभव होगा।
💭 एक संकल्प में शरीर छोड़ देना—बिलकुल सहज और शांतिपूर्ण।


प्रश्न 7: इस स्थिति को पाने के लिए अभी क्या करना चाहिए?

उत्तर:
✅ रोज़ अभ्यास करें:

  • मैं आत्मा हूँ, यह शरीर मेरा वस्त्र है।

  • एक सेकंड में संकल्प बदलने की कला सीखो।
    ✅ राजयोग और संकल्प शक्ति से स्वयं को तैयार करें।
    ✅ दिव्यता को धारण कर, फ़रिश्तापन की स्थिति में स्थित हों।


प्रश्न 8: क्या हम सतयुग के अधिकारी बन सकते हैं?

उत्तर:बिलकुल!
🌟 अभी का अभ्यास, आत्मिक मेहनत और परमात्मा का संग यही तय करता है कि हम सतयुग के अधिकारी बनेंगे या नहीं।
📢 यह स्वर्णिम समय है—आत्मा को दिव्य बनाकर सतयुग के प्रवेश द्वार तक पहुँचना ही सच्चा पुरुषार्थ है।

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