सतयुग-(18)”रुई से भी हल्के होंगे रीयल गोल्ड और रंग-बिरंगे हीरे सतयुग की दिव्य झलक
( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)
रूई से भी हल्के होंगे! रीयल गोल्ड और रंग-बिरंगे हीरे – सतयुग की दिव्य झलक
दिव्यता की झलक क्यों ज़रूरी है?
आज का मनुष्य एक ऐसी दुनिया में जी रहा है, जहाँ थकावट, अशुद्धता और संघर्ष है।
परन्तु बाबा जब संगमयुग पर हमें सत्य ज्ञान सुनाते हैं,
तो केवल आत्मा की पहचान नहीं कराते —
बल्कि उस स्वर्ग, उस सतयुगी दुनिया की झलक भी दिखाते हैं,
जहाँ हर वस्तु, हर शरीर, हर भवन दिव्यता से भरपूर होता है।
1. रूई से भी हल्के होंगे – दिव्य शरीरों का अनुभव
बाबा कहते हैं –
“वो शरीर रूई से भी हल्के होंगे।”
यह कोई काव्यात्मक कल्पना नहीं, बल्कि
सतोप्रधान आत्मा का स्वाभाविक परिणाम है।
ना थकावट
ना बीमारी
ना कोई बोझ
बल्कि – प्रकाशमय, शक्ति से भरपूर, संतुलित शरीर,
जिसमें आत्मा सहज आनंद में स्थित रहती है।
2. रीयल गोल्ड जैसे होंगे शरीर – आत्मिक तेज से भरपूर
बाबा कहते हैं –
“वो शरीर रीयल गोल्ड जैसे होंगे।”
आज जो सोना है, वह केवल धातु है।
पर सतयुग का स्वर्ण –
आत्मा के पवित्र संस्कारों का तेजस्वी प्रतिबिंब होगा।
ना कोई दाग, ना किसी विकार की छाया।
वह शरीर स्वयं चमकता हुआ प्रभामंडल होगा।
3. हीरे जो रंग-बिरंगी लाइट्स देंगे – सतयुग का सौंदर्य
कल्पना कीजिए —
“उस शरीर में हीरे होंगे, जो हर हीरे से भिन्न-भिन्न रंग की लाइट्स निकालेंगे।”
एक हीरे से अनेक रंगों की रोशनी
जैसे आज रंगीन ट्यूब लाइट्स लगाते हैं,
वहाँ वो हीरे ही दिव्य ट्यूब्स जैसे चमकेंगे।
यह दृश्य नहीं बल्कि आत्मा की पूर्णता का प्रभाव है —
जब आत्मा पवित्र होती है, शरीर स्वयं आभामंडल बन जाता है।
4. बाबा हमें यह झांकी क्यों दिखाते हैं?
क्या यह सिर्फ कल्पना है?
नहीं!
बाबा यह दिव्य दृश्य हमें दिखाते हैं ताकि –
हम जान सकें कि हमारा भविष्य क्या है,
हम कौन थे और फिर से कौन बनने जा रहे हैं।
यह केवल कथा नहीं —
यही सच्चा भविष्य संगमयुग पर रचा जा रहा है।
5. संगमयुग – भविष्य का द्वार
आज हम जो योगबल से अपने संस्कार शुद्ध कर रहे हैं,
वही हमारे भविष्य के शरीर का निर्माण कर रहा है।
जो आत्मा आज बाबा से जुड़ती है,
जो अपने विचारों को प्रकाशमय और शुभ बनाती है,
उसी आत्मा को सतयुग में रीयल गोल्ड शरीर और हीरों से सजे हुए वस्त्र प्राप्त होते हैं।
निष्कर्ष – यह झांकी, केवल देखने के लिए नहीं है
यह बाबा की दी हुई झांकी हमारा लक्ष्य है।
हमारा कर्म, हमारा संकल्प, हमारी दिनचर्या —
हर बात उस लक्ष्य के अनुसार होनी चाहिए।
तो आइये, अपने जीवन को ऐसा बनाएँ कि –
हमारा हर कर्म दिव्यता से भरा हो,
हमारी आत्मा हीरे जैसा चमके,
और बाबा हमें भी वह सतयुगी तेजस्वी शरीर प्रदान करें।
प्रश्नः- सवाल 1: सतयुग में शरीर कैसे होंगे?
उत्तर:सतयुग में शरीर “रूई से भी हल्के” होंगे। आत्मा इतनी शुद्ध और शक्तिशाली होगी कि शरीर में कोई भारीपन, थकावट या बोझ नहीं होगा। हर शरीर प्रकाशमय, दिव्यता से भरा और आनंदमय अनुभव कराएगा।
प्रश्नः- सवाल 2: सतयुगी शरीरों को “रीयल गोल्ड” जैसा क्यों कहा जाता है?
उत्तर:सतयुगी शरीर “रीयल गोल्ड” जैसे इसलिए कहे जाते हैं क्योंकि वे परमात्मा के संस्कारों से बने होते हैं — शुद्ध, चमकदार, आत्मिक तेज से भरपूर और निर्दोष। उनका स्वर्ण आंतरिक पवित्रता का बाहरी प्रतिबिंब होता है, न कि भौतिक सोने जैसा जो आज दिखता है।
प्रश्नः-सवाल 3: सतयुग के शरीरों में रंग-बिरंगे हीरे कैसे दिखाई देंगे?
उत्तर:सतयुगी शरीरों में ऐसे दिव्य हीरे होंगे, जिनसे भिन्न-भिन्न रंगों की लाइट्स निकलती दिखाई देंगी। जैसे एक हीरे से कई रंगों की ट्यूबलाइट्स जैसी चमक निकलती हो, वैसे ही सतयुग में शरीर अपने आप प्रकाश की किरणों से दमकेंगे।
प्रश्नः- सवाल 4: बाबा हमें सतयुग की यह दिव्य झांकी क्यों दिखाते हैं?
उत्तर:बाबा हमें यह दिव्य झांकी इसलिए दिखाते हैं ताकि हम अपने वास्तविक लक्ष्य को समझें — देवता समान बनना, आत्मा को दिव्य स्वरूप में लाना और स्वर्ग का भाग्य बनाना। यह कोई कल्पना नहीं, बल्कि संगम युग में रचा जा रहा सच्चा भविष्य है।
प्रश्नः- सवाल 5: इस दिव्य दर्शन से हमें क्या प्रेरणा लेनी चाहिए?
उत्तर:हमें यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि अपने जीवन को इतना पावन और प्रकाशमय बनाएं कि हम भी बाबा से हीरे-जैसा चमकता हुआ दिव्य शरीर प्राप्त कर सकें। हमारे हर संकल्प और कर्म में दिव्यता और आत्मिक शक्ति झलकनी चाहिए।
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