Soul consciousness vs body consciousness: – Make your nature like the Father’s?

आत्मभाव v/s देहभाव:- स्वभाव बनाओ बाप समान ?

( प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं)

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स्वभाव बनाओ बाप समान आत्मभाव v/s देहभाव

आज बाबा बहुत गहराई से हमें यह समझा रहे हैं कि स्वभावऔर देह भावमें क्या फर्क है। दुनियावाले इन दोनों में फर्क नहीं कर पाते(क्योंकि वे अपने को आत्मा की जगह देह), लेकिन हम बच्चों को यह बारीकी समझनी है, ताकि हम स्वभाव को बाप समान बना सकें।

  1. स्वभावक्याहै?आत्मा का भावमीठे बच्चे, अपना स्वभाव आत्मा का भाव है।स्व = आत्मास्वभाव = आत्मा की मूल प्रकृति

 यह आत्म-स्मृति से उत्पन्न होता है शांति, प्रेम, सहजता, दया

उदाहरण:जब हम सब आत्माओं को एक समान देखते हैं न कोई छोटा, न कोई बड़ा

और हमारे मन में सबके लिए शुभभावना हो, तो वह आत्मा का स्वभाव कहलाता है।

  1. देहभाव क्या है?देह के आधार पर बनी भावनादेह के आधार पर जो मेरी भावनाएं बनी हुई हैं, वह देह का भाव कहलाती हैं।

 देह, संबंध, जाति, स्थान, परिवार, केंद्र के आधार पर बनी भावना देह भाव

यह भावना स्वार्थ, पक्षपात, अधिकार, घमंड से भरी होती है।

⚠️ उदाहरण:ये मेरे गांव का है, मेरे केंद्र का है, इसलिए मैं इसे अधिक मानता हूँ।यह आत्मा का भाव नहीं, यह देह का भाव है।

  1. स्वभाव और संस्कार का संबंधचाहे स्वभाव हो या देह भाव दोनों संस्कार बन जाते हैं।

 मुख्य अंतर: यह भाव किस आधार पर बना?आत्म स्मृति या आत्म विस्मृति  या देह स्मृति

  1. बुद्धि से पहचान करें:क्या यह विचार आत्मा के रूप में आया है?या देह, संबंध, जाति, पद, अधिकार से आया है?”
  1. बाप समान स्वभावइजी स्वभावक्या होता है?अपना स्वभाव बाप समान इजी बनाओ।

 इजी स्वभाव = सरल, सहज, नम्र, अधिकारहीन, अपनत्व से भरा हुआन कोई घमंड, न कोई “मेरा-तेरा”कोई कुछ भी पूछे, कहे, फिर भी मुस्कुरा के उत्तर देना बच्चों का उदाहरण:

यह मेरी मम्मी की जूती है, तुम नहीं पहन सकते।यह देह भाव है।पर यदि बच्चा सहजता से कहे – “पहन लो, क्या फर्क पड़ता है” –

वह इजी स्वभाव है।

  1. बाबा का व्यवहार हमारा आदर्शबाबा बार-बार समझाते हैं, फिर भी कभी ऊबते नहीं।कोई बात बार-बार पूछे, फिर भी रहमत से, ममता से समझाते हैं।

बाबा के स्वभाव में ना कोई अधिकार, ना कोई अधिकार का प्रयोग।

हमें क्या करना है?मां बनकर समझाओ,आत्मा समझकर रहम करो शायद अब उसे समझ आए।

  1. ज्ञानयुक्त बुद्धि निर्णय आत्म भाव से हो

अगर बाबा का ज्ञान बुद्धि में नहीं आया, तो देह अभिमान आ जाएगा।ज्ञानयुक्त निर्णय = देह को नहीं, आत्मा को देखते हुए व्यवहार

कोई फैसला करें, कोई व्यवहार करें तो उसमें बाप समान ज्ञान और सहजता होनी चाहिए।

  1. शुद्धअभिमान vsअशुद्ध अभिमानस्वामान शुद्ध घमंड है। देह अभिमान अशुद्ध घमंड है।

 आत्मा का स्वाभिमान = शुद्ध मैं शांतिस्वरूप आत्मा हूँ”, मैं बाबा का बच्चा हूँदेह का अभिमान = अशुद्धमैं बड़ा हूँ, मैं ज़्यादा जानता हूँ, मेरी बात मानी जाए

 निष्कर्ष:स्वभाव आत्मा से हो, देह से नहीं बाप समान सहज बनें इजी स्वभाव के धनी बनें

 बाबा जैसा निर्मल, सहज, ज्ञानयुक्त बनें देह भाव को पहचानें, त्यागें और आत्म भाव को अपनाएं

 अंतिम संदेश:बाबा कहते हैं “बच्चे, जो स्वभाव आत्म भाव से बना है, वही तुम्हें बाप समान बनाएगा।”

तो पूछिए खुद से क्या मेरा स्वभाव बाप समान इजी और आत्म स्मृति युक्त बन चुका है?

🌟 स्वभाव बनाओ बाप समान — आत्मभाव v/s देहभाव 🌟

(प्रश्नोत्तरी आधारित समझ)

प्र. 1: स्वभाव क्या है?

उत्तर:स्वभाव आत्मा की मूल प्रकृति है।
“स्व” का अर्थ है आत्मा, और “भाव” का अर्थ है स्थिति या भावना।
स्वभाव = आत्मा का भाव — जैसे: शांति, प्रेम, दया, सहजता।

प्र. 2: देहभाव क्या है?

उत्तर:देहभाव वह भावना है जो शरीर, संबंध, जाति, पद या स्थान के आधार पर बनती है।
यह स्वार्थ, पक्षपात और घमंड से भरी होती है।
उदाहरण: “ये मेरे केंद्र का है, इसलिए मैं इसे प्राथमिकता दूँगा।”

प्र. 3: आत्मभाव और देहभाव में अंतर कैसे समझें?

उत्तर:
👉 आत्मभाव आत्म-स्मृति से आता है — आत्मा को देखकर भाव बनाना।
👉 देहभाव देह-स्मृति से आता है — शरीर या संबंध देखकर भाव बनाना।

प्र. 4: क्या स्वभाव और संस्कार का आपस में संबंध है?

उत्तर:हाँ।चाहे आत्मभाव हो या देहभाव — बार-बार दोहराने से वही संस्कार बन जाते हैं।
जैसा भाव, वैसा स्वभाव — और वही संस्कार बनता है।

प्र. 5: अपने विचार की पहचान कैसे करें — आत्मभाव है या देहभाव?

उत्तर:हर विचार पर बुद्धि से पूछें:
“क्या यह आत्मा की स्मृति से आया है या देह/पद/संबंध की स्मृति से?”
यह अभ्यास हमें सही स्वभाव की पहचान कराता है।

प्र. 6: बाप समान इजी स्वभाव क्या होता है?

उत्तर:👉 सहज, सरल, नम्र
👉 अपनत्व से भरा हुआ
👉 अधिकारहीन और शांति से उत्तर देने वाला
उदाहरण: कोई कुछ भी कहे, फिर भी मुस्कुरा कर उत्तर देना।

प्र. 7: बाबा का स्वभाव हमें क्या सिखाता है?

उत्तर:बाबा सैकड़ों बार एक ही बात समझाते हैं, फिर भी ऊबते नहीं।
उनके व्यवहार में ममता, रहमत, धैर्य और सहजता होती है।
हमें भी आत्मा को देखकर — मां की तरह समझाने वाला स्वभाव अपनाना है।


प्र. 8: निर्णय लेते समय आत्मभाव कैसे रखें?

उत्तर:अगर बुद्धि ज्ञानयुक्त है, तो हम आत्मा को देखकर निर्णय लेंगे।
यदि ज्ञान नहीं है, तो देह अभिमान आ जाएगा।
इसलिए हर निर्णय में ज्ञान, सहजता और आत्मभाव होना चाहिए।


प्र. 9: स्वामान और अभिमान में क्या फर्क है?

उत्तर:

  • स्वामान (आत्मा का शुद्ध अभिमान): “मैं शांतिस्वरूप आत्मा हूँ।”

  • देह अभिमान (अशुद्ध घमंड): “मैं बड़ा हूँ, मेरी बात मानी जाए।”


प्र. 10: बाप समान बनने के लिए क्या करना होगा?

उत्तर:

  • आत्म-स्मृति में रहना

  • स्वभाव को इजी, निर्मल, सहज बनाना

  • देहभाव की पहचान कर उसे त्यागना

  • हर आत्मा को आत्मा समझकर सम्मान देना


🕊 अंतिम प्रेरणादायक संदेश

बाबा कहते हैं:“बच्चे, जो स्वभाव आत्म भाव से बना है, वही तुम्हें बाप समान बनाएगा।”

तो पूछिए खुद से:“क्या मेरा स्वभाव आत्म स्मृति युक्त, सहज और बाप समान बन चुका है?”

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